भाग 1: वो लिफ़्ट जो कभी रुकी नहीं थी
शहर की सबसे ऊँची इमारत—"Skyline Residency" की 39वीं मंज़िल पर रहती थी Aarohi, एक बहरी लड़की, जो सुन नहीं सकती थी... मगर उसकी मुस्कान, लोगों का दिल ज़रूर चुरा लेती थी।
नीचे, उसी इमारत के बेसमेंट में काम करता था Kabir, एक मैकेनिक जो लिफ़्ट की मरम्मत करता था, और जिसे बोलने में दिक्कत थी—उसका गला कभी ठीक से आवाज़ निकाल ही नहीं पाया।
दोनों रोज़ मिलते थे—पर कभी एक शब्द नहीं बोले।Aarohi हर रोज़ लिफ़्ट में जाती, और Kabir उस लिफ़्ट की छुपकर निगरानी करता।
कभी Aarohi ने उसकी ओर देखकर हल्की सी मुस्कान दी थी, तो कभी Kabir ने उसका दिन बनाने के लिए लिफ़्ट के शीशे में उसका चेहरा चमका दिया था।भाग 2: खामोशी का रिश्ता
एक दिन लिफ़्ट अचानक बीच रास्ते में रुक गई।Aarohi अंदर थी, और संयोग से Kabir उस दिन उसे टेस्ट कर रहा था।
लिफ़्ट अटक गई, मगर अंदर का वक्त चल पड़ा।
Aarohi घबराई नहीं—उसने शीशे पर अपनी अंगुलियों से लिखा: “Are you there?”Kabir ने वहीं नीचे से जवाब दिया, “Yes. Always.”
ये उनकी पहली बातचीत थी—बिना आवाज़ के।
इसके बाद Aarohi रोज़ शीशे पर कुछ न कुछ लिखती, और Kabir रात को जाकर उसे पढ़ता।
कुछ दिनों में, Aarohi ने लिखा:“Why do I feel safe in this lift?”और Kabir ने जवाब दिया:“Because my heart lives between these wires and your eyes.”भाग 3: जब शब्द हार गए
एक शाम Aarohi के पापा ने उसका रिश्ता तय कर दिया—एक NRI डॉक्टर से।Aarohi ने लिफ़्ट में लिखा:“Tomorrow might be my last ride...”
Kabir ने पढ़ा... और उस रात पूरी लिफ़्ट पर, उसने अपनी टूटी आवाज़ से सिर्फ तीन शब्द रिकॉर्ड किए—“Don’t go. Please.”
अगली सुबह, Aarohi ने लिफ़्ट में कदम रखा, और पहली बार उसे Kabir की आवाज़ सुनाई दी।वो रोई... क्योंकि वो शब्द नहीं थे, वो इज़हार था।अंतिम भाग: रूह की खामोशी
Aarohi ने रिश्ता तोड़ दिया।Kabir ने लिफ़्ट की नौकरी छोड़ दी।
मगर Skyline Residency की लिफ़्ट आज भी सबसे खास है—क्योंकि उसकी दीवार पर आज भी दो नाम उभरे होते हैं:Aarohi ♥ Kabir
एक लड़की जो सुन नहीं सकती थी।एक लड़का जो बोल नहीं सकता था।और फिर भी, प्यार बोल उठा...
भाग 2: पहली बार छुआ गया प्यार
6 महीने बाद…
अब Aarohi किसी छोटे शहर में स्कूल के बच्चों को sign language सिखा रही थी। वो मुस्कुराती तो थी, मगर दिल अब भी किसी लिफ़्ट में अटका था।उसे Kabir की खामोश आंखें याद आती थीं... और वो आवाज़ जिसे बोलने में तकलीफ़ थी, मगर एहसासों में सबसे बुलंद थी।
एक दोपहर स्कूल की छुट्टी के बाद, वो एक पुरानी वर्कशॉप से गुज़री—और अचानक उसकी नज़र एक बोर्ड पर पड़ी:
"Kabir Mechanics & Elevators – Fixing What’s Meant To Rise"
दिल ने धड़कना तेज़ कर दिया।उसके कदम खुद-ब-खुद अंदर चले गए।वो फिर मिला… मगर बदला हुआ
Kabir, अब खुद का छोटा बिजनेस चला रहा था। उसे देखकर Aarohi के चेहरे पर वो पुरानी लिफ़्ट वाली मुस्कान आ गई।
Kabir ने हाथ में पेन उठाया… और एक पुराने कागज़ पर लिखा:"क्या तुम अब भी मेरी खामोशी सुन सकती हो?"
Aarohi ने उसका हाथ थामा…और अपनी हथेली पर अपनी उंगलियों से लिखा:"अब मैं तुम्हारी हर धड़कन पढ़ सकती हूँ।"
भाग 3: ख्वाबों की दुनिया
Kabir और Aarohi ने शादी का सपना नहीं देखा था…उन्होंने तो एक-दूसरे की दुनिया को ही अपना बना लिया।
छोटे से घर में, बिना ज़्यादा शोर के,सिर्फ हाथों से बात होती थी,सिर्फ आंखों से इज़हार होता था,और सिर्फ रूह से प्यार।
एक दिन Kabir ने Aarohi के लिए एक खास लिफ़्ट बनाई—सिर्फ दो मंज़िलों की।नीचे लिखा:"Tumhare Naam Ki Zindagi"और ऊपर:"Mere Naam Ka Aasman"
जब Aarohi ने उसमें पहली बार कदम रखा, तो दीवार पर एक आखिरी मैसेज लिखा था:
“अब इस लिफ़्ट को कभी मत रोको, क्योंकि मेरी दुनिया अब तुम्हारे साथ हमेशा ऊपर ही जाएगी…”क्या आगे तुम चाहती हो कि उनकी ज़िंदगी में कोई मोड़ आए — जैसे एक बच्चा जो सुन-सकता है या फिर Aarohi किसी मुसीबत में पड़ जाए?
kajal Thakur 😊