बंद कमरा सायको राधिका - 1 in Hindi Detective stories by NBV Novel Book Universe books and stories PDF | बंद कमरा सायको राधिका - 1

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बंद कमरा सायको राधिका - 1

प्रस्तावना इस कहानी के सभी पात्र और जगह गांव व्यक्ति और स्थान कल्पानिक है हमारा इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्या मनोरजंन के लिए है ना कि किसी कि भावना को ठेस पहुंचाना और ना ही हम तंत्र-मंत्र को बढावा देते है। और इस कहानी के सभी नाम स्थान और समय से हमारा कोई लेना देना नही है। ये कहानी पुरी तरह से कल्पनिक है। अगर हमारे माध्यम से किसी को या किसी के भवना को ठेस पहुंचती है तो हम माफी चाहते है।धन्यवाद Thankyouकिरदार :-डिटेक्टिव समर राठौडअजय लेखक - कहानी को नया रगं दियासायको राधिकाविक्रांत रायचंद हवेली का मालिकतांत्रिक ब्रम्हमूलStory By Anuj ShrivastavPart 1: बंद कमरा सायको राधिका (रात 12:07 बजे)भूमिका (Prologue):रायचंद हवेली.....शहर के बीचों-बीच खडी पर वक्त से बहुत दूर एक वीरान सडी हुई हवेली। एक ऐसी जगह जो दिन में खामोश रहती थी... और रात में जागती थी।लोग कहते थे वहाँ जो भी गया वापस नहीं आया। लेकिन कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ लोग डर कर भाग जाते है.........अध्याय 1-हवेली का सन्नाटाशहर का नाम भले ही शिवगंज था लेकिन इस शहर में अब शिव नही सिर्फ डर बसता था। शाम ढलते ही जब गली के लाइटस बुझने लगते और सन्नाटे की परछाइया फैलने लगती तो रायचंद हवेली की खिडकियों से अजीब सायों की हलचल दिखने लगती थी। इस हवेली में कभी खुशी और हसता खेलता परिवार रहा करता था। लेकिन अब क्या हुआ उस परिवार के साथ कि अब इस हवेली में सिर्फ यादें ही रह चुकिं।आज से पहले करीब 13 फरवरी 2004 कि बात है इस हवेली में विकंत रायंचद्र और उसका परिवार रहा करता था। विकांत रायचंद्र शहर का सबसे रूतबेदार नाम और मशहुर था लेकिन अब वो इस हवेली में अकेला रहता था। उसकी बीवी 10 साल पहले भाग गई थी और इसके बाद बेटा भी लंदन चला गया था। विकात रायचंद्र हवेली में अकेला रहने लगा और हवेली में उसकी बीवी का एक कमरा सालों से बंद था। कोई जाता नही था वहाँ गाव वाले कहते है वहा वो लडकी बंद है। जो अब जिंदा नहीं फिर भी जिंदा है।किस कि बात कर रहें हैअध्याय 2- पहली मौत 26 मार्च 2015एक रात कि बात है जब शहर में बारिश जोरों पर थी और शहर में लाइट चली गई थी शहर के कुछ व्यक्ति वहा हवेली के पास एक बरगद के पैड के निचे बैठ कर शराब पी रहे थे उन्ही में से एक व्यक्ति उठ कर हवेली के पास से घर लौट रहा था तभी उसे चिल्लाने कि अवाज आता है वो वहाँ जा कर देखता है तो उसे रायचंद खुन से लटपट दिखता है वो दौडते-दौडते जाता है और कहता है हवेली में लाश हवेली में लाशतभी शहर के एक व्यक्ति ने पुलिस को फोन कॉल किया -रायचंद्र हवेली में लाश पडी है.........पुलिस जब हवेली पहुंची तो हवेली का मुख्य दरवाजा खुला था। सीढियों में खुन के छिटे पडे थे और कमरे में खून से सनी लाश पडी थी- विक्रांत रायचंद की।गले पर किसी धारदार चीज का निशान था रायचंद कि हाथ में हवेली कि चबी और हाथ में घडी थी जिस पर समय था 12:07 बजे थे और खून से पास की दीवार पर कुछ दिवार पर लिखा था बडे अक्षरों में....!!!"मै वापस आ गई हूँ....."अगली सुबह 27 मार्च 2015इस मर्डर को सुनते ही पुरे शहर में सनसनी मच गई इस केस की खबर टीवी अखबार और सोशल मीडिया पर फैल चुकी थी। सरे न्यूज में सिर्फ एक ही विषय था कि रायचंद को किस ने मारा...तभी एक कहानी मोड लेती है इस कहानी का एक और चेहरा है अजयएक गाव में अजय नाम का व्यक्ति रहता था पेशे से वो लेखक है लेकिन रहस्यो का शौकीन। अजय ने विकात रायंचद की मौत कि खबर जब पडी तो उसे एक अजीब सा खिंचाव महसूस किया। उसे लगा ये कोई आम मर्डर नहीं।कुछ छुपा है वहाँ ।तभी वो अपने नोटस निकालता है और लिखता है:"हर डरावनी कहानी में एक बंद कमरा होता है।शायद मेरी अगली किताब वहीं से शुरू हो......"

अध्याय 3: समर राठौड की एंट्री

समर राठौड.....

एक कडक चेहरा और लम्बे कद वाला

अगली सुबह............. 28 मार्च 2015

जब पुलिस से ये केस सुलझ नही रहा था और रायचंद एक नामी व्यक्ति होने के कारण सरकार भी जोर दे रही थी तभी पुलिस स्टेशन में एक कडक चेहरा और लम्बे कद वाला व्यक्ति आता है पुलिस उसे पुछती है तुम कौन हो

मैं समर राठौड

मै एक डिटेक्टिव हूँ और मेरा काम है उलझे हुए केस को सुलझा ना पुलिस कहती है- यहा करने क्या अये हो यहाँ कुछ नही है तुम यहा से जाओ समर-मुझे रायचंद कि मौत का राज क्या है पता कर के दे दूंगा। समर जब हवेली कि ओर जाता है तो शहर वाले उसे खुड कर देखते है वो हवेली को पहुंचता है तो सिर्फ एक वक्य कहता है...

पंलिस उसे वो केस सौप देती है

"इस हवेली ने सॉसे लेना छोडा नही... बस अब चीखें अंदर कैद है।"

अध्याय 4: बंद कमरा

उसी राम समर हवेली कि तरफ जाता है साथ में उसका दोस्त रामू भी रहता है जो उसी शहर में रहता था। जब दोनो हवेली में प्रवेश करते है तो उन्हे खिडखी कि तरफ से कोई जाकने कि कोशिश का रहा थ। तभी समर चिलाता है कौन है वहाँ तभी वहा से अवाज आई मै अजय

समर-कौन अजय

अजय समर को खुद का परिचय देते हुए कहता है कि मै एक रिपोर्ट हुँ समर- तुम यहा क्या कर रहे हो

अजय-जो तुम करने आये हो वही

समर-अच्छा तो ठीक है।

अजय समर और रामू तीनो एक साथ हवेली के अंदर जाते है..... हवेली कि दीवारे ऐसी मानो बहुत सी राज छिपाई हुई है जहा रयचंद कि लाश पडी थी वहा कि दीवार में खून के धब्बे थे जैसे कोई उन्हे धोने की कोशिश कर रहा हो मगर वो और गहरे होते जा रहे थे।

जब हवेली के अंदर और जाते गये तो उन्हे दीवार पर एक घडी लटकी मिली जिसका समय 12:07 पर रुका हुआ था और रायचंद के कुछ समान मिले और हवेली के पिदे एक कुआ था उस के के बगल से सिढी जाती थी वहा जाके दखने पर एक दरवाजा मिलता है जंग लगा हुआ पर ऐसा लग रहा था उसे किसी ने खरोंचा है।

अजय-ये वही बंद कमरा है?

समर-हॉ सायद और इसमें वो अब भी है।

अजय-वो अब भी है? वो कौन

जब समर ने दखाजा को खोला तो वहा से एक ठंडी हवा आने लगी वहा तभी जब अंदर जा के देखे तो उन्हे एक सडी गंध और एक लडकी की फटी-फटी आखें।

समर ने कहा कौन हो तुम

उसने धिरे से कहा मै हु मै हु राधिका

समर-कौन राधिका

तभी वो अचानक से समर के दोस्त रामू पर हमला कर देती है वो जैसे-तैसे वो वहा से भागते है।

अगली सुबह 29 मार्च 2015

अगली सुबह जब समर और अजय जब ये पता करने के लिए कि राधिका को है शिवगंज शहर के सभी लोगों से पुछतें है उन गावं वालो को नही पता रहता कि रधिका को है तभी समर और अजय को एक व्यक्ति मिलता है वो बताता है कि एक गाव है रामपुर जहा एक बुढी आम्मा रहती है जो पहले शिवगंज में रहती थी लेकिन वो अचानक शहर छोड कर रामपुर गांव में बस गई। समर अजय रामपुर गाव में बुढी अम्मा से लिने जाते है जब रामपुर में पहुंचते है तो अम्मा के घर में भीड लगी होती है जाके के देखते है तो वो अम्मा अपनी जिदंगी कि अखरी सास ले रही होती है और उनके मुख से सिर्फ एक हि नाम निकलता है राधिका

अजय और समर ये देख कर सौक हो जाते है कि अम्मा राधिका को कैसे जानती है वहा के लोगो से पुछने पर कि राधिका कौन है तो वह लोग बताते है राधिका अम्मा के पास पहले रहा करती थी...........

Flashback


राधिका विकांत की भतीजी।


बहुत सुदंर लेकिन मानसिक रूप से बिमार मानी जाती थी। कभी माँ से बात करती कभी किसी अदृश्य दोस्त से। वो कहती- मेरे भीतर एक और मैं है ... जो मुझे मारना चहता है


एक दिन हवेली में आग लग गई। सब बच बए सिर्फ राधिका नही


लेकिन


उसके बाद हवेली का बंद कमरा खुद-ब-खुद हर रात खुलता और बंद होता।


समर और अजय ये सब सुन कर चुप चाप वहा से शिवगंज वापस आ जाते है। और सोचते है कि अगर हवेली में आग लगी तो राधिका नही बची तो फिर वो कौन थी अगर वहा राधिका है तो वो वहा कैसे आई । उसी रात को समर और अजय हवेली जाने का सोचा जब हवेली पहुचें तब


अध्याय 4: खून का तत्र


उस रात बहुत जोर से बारिश हो रही थी और समर हाथ में टोर्च और छाते के साथ हवेली पहुचता है। उसे कुआ के पासं एक तहखाना देखता है समर अकेला आया था अजय को कुछ काम से शहर से बाहर जाना पडा था इसलिए वो नही आ सका ।


समर तहखाना में उतरते ही वहा उसे कई काले जादू और रहस्यमी तांत्रिक चिजे मिलती है बलि के समान और भी बहुत कुछ उसे वहा एक बुक मिलता है- जिसे वो खोल के देखता है तो उसे बुक के पहले पुष्ठ पर लिखा मिलता है बुक का नाम


"कालसाधना"


उसमें लिखा हैः


"एक आत्मा जो अधूरी मरी हो वह जब बलि और तंत्र से जागे तो इंसान नही परछाई बनती है।"


समर जब तहखाने से निकल कर हवेली के तरभ जाता है तो उसे एक तांत्रिक


आते हुए दिखता है


समर-तुम कौन हो


तांत्रिक - तुम यहा क्या कर रहे हो मेरा नाम ब्रम्हमुल है


समर समझ जाता है कि ये सब ये तात्रिक का किया हुआ है।


वो वहा से निकलता है।


और अगली सुबह जब अजय समर से मिलता है तो समर उसे पुरी बात बाताता है। तो दोनो ये फैसला करते है कि आने वाली सुर्य ग्रहण को हम उस हवेली जायेगें और उस वक्त तांत्रिक भी सायद वहा होगा। आ से ठिक दो दिन बाद


अतिंम अध्याय


रात के 10:07 बजे ...... 2 अप्रैल 2015 सुर्य ग्रहण की रात


हवेली में समर अकेला रूकता है और अजय उपर से निगरानी रखता है


12:07 पर हवेली कि लाइट अपने आप जलती है और सिढियों से राधिका आती है।


राधिका के सफेद आखे उलझे बाल और खून में सना चेहरा


वो कहती है-


"मुझे रोका गया था अब मै सबको रोकूगी....."


समर को ये समझ तो आ जाता है कि कोई ऐसी तत्र किया जरूर है। अचानक एक आग लग जाती है और राधिका कि आत्मा उसमें समा जाती है। जब राधिका आग मे ज लते हुए चिल्लाती है तो उसके साथ एक और चेहरा दिखता है तांत्रिक ब्रम्हमुल का


तात्रिंक का राधिका से क्या संम्बध था। रायचंद और राधिका और हवेली का 12:07 बजे से क्या लेना देना है।


सुबह होती है वो दोनो अजय और समर हवेली से निकलते है और घर को चल देते है। अजय अपनी डायरी में सब लिखता है।


लेकिन.....


फिर वो एक अखबार में खबर आती है


ब्रम्हमुल नामक एक तात्रिक की राख को नेता ने गायब करवा दिया....


और एक फोटो जिसमें दिखता है- पुलिस इंस्पेक्टर मोहन सिंह उस राख के साथ खडा है।


अजय-लेकिन नेता का तात्रिक के राख से क्या लेना देना है। उन्हे कैसे पता चला कि


आखिरी लाइन..........


“समर ने आत्मा को जला दिया लेकिन वो भूल गया कि तंत्र को जलाया नही जाता वो तो फिर से किसी और शरीर में बस जाता है। "


ये अंत नही है सुरूवात है।


To Be Continued...


पार्ट 2 रक्तराज सियासत का खून

एक मंत्री का कत्ल

लेखक

अनुल श्रीवास्ताव