प्रस्तावना - अब तक आपने पढा कि समर और अजय ने राधिका को कैसे आग में जला दिया था और नेता तात्रिंक कि राख को गयाब करा दिया था। इससे आगे कि कहानी और भी खतरनाक होने जा रही है और भी रहस्य से भरी हुई क्या इसके आगे राधिका के आत्मा के साथ क्या हुआ होगा जानने के लिए पढे ।
लेखक-अनुज श्रीवास्ताव
अध्याय 1 गर्दन कटी लाशस्थान भोपाल राजनगर कोठी
समय रात 2:46 AM
तेज हवाओं से झूलती परछाईया पुराने राजनगर क्षेत्र की वीरानी को और अधिक भयावह बना रही थी एक समय था। एक समय था जब ये कोठियाँ सियासत की गवाही देती थीं कृ अब सिर्फ उनके स्याह रहस्य दीवारों में दबे थे। रात के सन्नाटे को चीरती एक चीख उभरी "म... म... म... मंत्री जी...!"सुरक्षा कर्मी भगते हुए उस कोठी के अंदर घुसे जहाँ उजाले की जगह अंधेरे ने डेरा जमा रखा था।दरवाजा आधा खुला था... अंदर जाते ही एक सड़ा हुआ गंध नथुनों में घुसा।फर्श पर लाल बूँदें बिखरी थीं।दीवारों पर अजीब से तांत्रिक चित्र दृ त्रिभुजों के भीतर आँखें, काले घेरों में उल्टे नाम।और फिर दिखा वो दृश्य...एक कुर्सी पर बैठा था मंत्री हरिचरण दुबेगर्दन से ऊपर कुछ भी नहीं था। सिर्फ धड़।सिर पास में एक लोहे की थाली में रखा हुआ, आँखें खुली और होंठों पर अधूरी मुस्कान।दीवार पर खून से लिखा थाः"रक्त ही राज है। बलि का दूसरा चरण शुरू हुआ..."कमरे के बीचोंबीच एक दीपक जल रहा था बिना हवा के, बिना तेल के।सुबह 5:00 बजे भोपाल प्रेस क्लब टीवी चौनलों पर ब्रेकिंग न्यूजः"भोपाल के वरिष्ठ मंत्री की रहस्यमयी हत्या गर्दन कटी, तांत्रिक संकेत मिले !"
"बलि या राजनीतिक साजिश ?
"दोपहर 12:05 PM
कहीं दूरवो पहाड़ी पर बैठा था, भगवा चोला पहने, माथे पर भस्म, हाथ में त्रिशूल।समर राठौड़ जो पिछले पाँच वर्षों से केस नहीं ले रहा था। पर आज, उसका फोन फिर से बजा।
'समर... एक मंत्री मरा है। गर्दन कटी है। खून से लिखा है 'बलि का दूसरा चरण'..."
"पहला चरण कब हुआ?"
"4 साल पहले, दिल्ली के फ्लैट 302 में एक लड़की की आत्मा मिली थी राधिका..."
"मैं आ रहा हूँ। और इस बार ये बलि रुकेगी नहीं। खत्म होगी।"
अध्याय 2: खून से लिखा संदेश
स्थानः भोपाल, राजनगर कोठी फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन टीमसमयः
सुबह 9:14
दीवार पर खून से लिखी वो पंक्ति किसी साधारण हत्यारे का काम नहीं थी।"बलि का दूसरा चरण शुरू हुआ..."लेकिन ये लाइन जितनी सीधी दिख रही थी, उसके नीचे छोटे-छोटे तांत्रिक चिह्न और उल्टे अक्षर भी थे।CBI की स्पेशल टीम घटनास्थल पर पहुँची थी, साथ में थीं सीनियर अफसर रागिनी सिंह तेज दिमाग, सपाट चेहरा और आँखों में सिर्फ सच्चाई पकड़ने की आग।"क्या ये किसी धार्मिक पंथ का काम है?" एक अफसर ने पूछा। रागिनी ने जवाब नहीं दिया।उसने अपनी डायरी निकाली और कोठी की दीवार के हर चिह्न को स्केच करना शुरू कर दिया।एक कोना था जहाँ 'बलि' शब्द के ऊपर एक पुराना तांत्रिक चिन्ह उकेरा गया था त्रिशूल के बीचोंबीच रक्त बिंदु ।
कट टूः
दिल्ली लेखक अजय का घर
समयः दोपहर 1:07 PM
अजय, जो अब कोई डरावनी कहानियाँ नहीं लिखता, अपने कमरे में बैठा था खाली कॉफी मग, एक बंद लैपटॉप, और अलमारी में बेतरतीब नोटबुक्स ।फोन बजा अजय, तुमने कभी किसी कहानी में ये लाइन लिखी थी?"रागिनी ने वही शब्द भेजे "बलि का दूसरा चरण शुरू हुआ..."अजय का चेहरा सफेद पड़ गया। उसने अलमारी से पुरानी डायरी निकाली राधिका केस के दौरान उसने जो सपने देखे थे, उसने वही सब लिखा था.. .और एक पेज पर, खून से सने शब्दों में ये लाइन पहले से मौजूद थी। नीचे एक और लाइन थी
"बलि की तीसरी रात उज्जैन में होगी...
वहाँ 'वो' जागेगा।"अजय की उंगलियाँ काँपने लगीं।"ये सब मैंने नहीं लिखा था... ये... ये मुझे सपना आया था। और अब वो सच हो रहा है...
"कट टूः
भोपाल CBI ऑफिसरागिनी को अब यकीन था ये सिर्फ मर्डर नहीं... ये कोई 'तांत्रिक शृंखला' है, जो अब शुरू हो चुकी है।
अध्याय 3: मंत्री की डायरीस्थानः भोपाल, राजनगर कोठी क्राइम सीनसमयः
शाम 6:45 PM
शाम के धुंधलके में राजनगर कोठी कुछ और ज्यादा डरावनी लग रही थी। बाहर खड़े पत्रकारों की चिल्लाहट, पुलिस की गाड़ियों की लाइट और ब्ठप अफसरों का आना-जाना एक तंत्र जैसा माहौल बना चुका था। तभी एक पुलिस अफसर दौड़ता हुआ आया "मैडम रागिनी, हमें अलमारी के पीछे एक छुपी लॉकर मिली है। शायद मंत्री जी की पर्सनल डायरी हो सकती है।" रागिनी ने दस्ताने पहने, और धीरे से उस डायरी को उठाया। काले चमड़े की पुरानी जिल्द... उस पर एक अजीब सा लाल निशान उभरा हुआ त्रिशूल के आकार का, लेकिन उल्टा।पहला पन्ना खुलासाफ अक्षरों में लिखा थाः
"हर रात कोई मेरे पास आता है। मेरे सिर को अलग कर देता है... और मैं जागता हूँ। पर जब शीशा देखता हूँ, मेरा सिर नहीं होता।
"रागिनी ने जल्दी से पूरे पन्ने पलटने शुरू किए। हर पेज पर मंत्री हरिचरण दुबे के सपनों का जिक्र थाडरावने सपने, अजीब आवाजें, तांत्रिक छवियाँ। फिर एक जगह उसने लिखा थाःतंत्र के ऋण चुकाने
"मैंने चुनाव जीता है, लेकिन एक बाबा ने कहा था होंगे। मेरी सत्ता की कीमत, बलि से चुकाई जाएगी। और बलि... मेरी ही होगी।"
कट टूः
अजय का कमरा दिल्ली
समयः रात 8:12 PM
अजय डायरी के पन्नों से मेल खाने वाले अपने नोट्स पढ़ रहा था। एक नोट पर लिखा थाः
"बलि की तैयारी मंत्री स्वयं करता है। पर जब समय आता है, तंत्र स्वयं अपना हिस्सा उठा लेता है...
"मतलब ये सब मंत्री को पता था?"
अजय खुद से बड़बड़ाया।तभी फोन आया - रागिनी का।"अजय, हम अकेले नहीं हैं। किसी ने जान बूझकर मंत्री को 'बलि' के लिए तैयार किया था। और मैं जानती हूँ कि अगला निशाना कौन हो सकता है...
अजय की साँसें थम गईं।"कौन?''''तुम।'""क्या?"
कट टूः
झील किनारे कोई खंडहर उसी रात एक परछाईं काले कपड़े पहने हुए तांत्रिक मंत्र पढ़ रही थी। सामने मंत्रियों और अफसरों की तसवीरें जली हुई पड़ी थीं।सिर्फ एक तस्वीर बची थी अजयतांत्रिक हँसी में बोला'अब तीसरी बलि होगी। वो जो अपने शब्दों से सच लिखता है, उसका खून सबसे ताकतवर होता है..."
अध्याय 4: फिर दिखा "राधिका" का चेहरा
स्थानः दिल्ली, अजय का फ्लैटसमयः
रात 2:02 AM
कमरा अंधेरे में डूबा था। खिड़कियाँ बंद थीं, पर परदे हवा में हिल रहे थे अजय सो नहीं पा रहा था। मंत्री की डायरी, बलि का संकेत, रागिनी की चेतावनी सब कुछ उसके भीतर डर बनकर गूंज रहा था।
और फिर... धीरे-धीरे उसके सामने धुंध छाने लगी। कमरे की दीवारें गलने लगीं। लाइट झपकने लगी। घड़ी उल्टी चलने लगी... 2:02 से 1:59... फिर 1:56... 1:53... फिर अचानक वही कमरा वही चेहरा।राधिका।पीछे से उलटे पाँव चलती आई। चेहरा आधा जला हुआ, बाल बिखरे हुए, होंठों से खून टपकता हुआ। उसकी आँखें इस बार अजय को देख रही थीं कृ सीधे..... जैसे वो चेतावनी दे रही हो।"अजय... वो आ गया है। जिस रात को मैंने रोक दिया था, वो फिर से शुरू हो रही है।" अजय की सांसें थम गईं। वो बोल ही नहीं पाया। "रक्तराज... तंत्र की तीसरी शक्ति को जगा चुका है। अब जो बचेगा... वो या तो साधक बनेगा या बलि।"
"क्या तुम समर को बुलाओगे?"
"राधिका... ये क्या हो रहा है?"'
इस बार तांत्रिकों का राज लौटेगा। मोहन सिंह... अभी भी जिंदा है।"राधिका की छवि अचानक धुएँ में बदल गई।अजय की आँख खुल गई।पसीने से भीगा हुआ तकिया, पलंग के नीचे गिरे कागज, और कमरे की दीवार पर खून से लिखा थाः
"अजय, उज्जैन मत जाना। वहाँ काल खुल चुका है।
"कट टूः
अज्ञात स्थान मोहन सिंह का तांत्रिक अड्डामोहन सिंह तांत्रिक वस्त्रों में बैठा था रही थीं। सामने तीन बलियों की तस्वीरें जल"राधिका फिर से दिखने लगी है। ये आत्मा कभी नहीं मरी। इस बार उसे बाँधना पड़ेगा।
"किसी ने पूछाः
"और समर राठौड़?"मोहन सिंह मुस्कुराया '-
"समर मेरी आँखों के सामने पल रहा था। पर अब उसके सामने सिर्फ अंधेरा होगा। और बलि... अजय की ही होगी।
"कट टूः
उज्जैन अगले दिनसमर की एंट्री...वो काली रेत पर खड़ा था। सिर पर भस्म, त्रिशूल हाथ में, और आँखों में सिर्फ एक ज्वाला"इस बार बलि नहीं रुकेगी, राक्षस खुद जलेगा।"
अध्याय 5: CBI अफसर रागिनी की एंट्री
स्थानः उज्जैन - श्री महाकालेश्वर के पीछे स्थित एक परित्यक्त ग्रंथालयसमयः
सुबह 10:33 AM
CBI अफसर रागिनी सिंह अपने दस्ते के साथ उज्जैन पहुँची थी। लेकिन इस बार उसका इरादा केस सुलझाना नहीं, कुछ भूल चुके रहस्यों को खोजना था। वो जानती थी ये केस किसी भी लॉजिक से परे है। पिछले कुछ महीनों में हुए हत्याओं में एक अजीब सी समानता थी कृ हर मरा हुआ व्यक्ति सत्ता से जुड़ा था...और हर मौत तांत्रिक प्रतीकों से सजी हुई।पुरानी लाइब्रेरी का माहौलःमकड़ी के जाल, मिट्टी की महक, और धूप की एक टुकड़ी जो टूटी छत से आती थी। रागिनी ने अपनी टीम को बाहर रोक दिया। अंदर अकेली गई। दीवारों पर संस्कृत के मंत्र, पुरानी तांत्रिक किताबें, और एक छुपा हुआ दराज । दराज के भीतर था एक खंडित ग्रंथ, जिसकी जिल्द पर लिखा थाः"कालविध्वंस-तंत्र"
रागिनी ने किताब खोली।एक पेज पर लाल अक्षरों में लिखा थाः"तीसरी रक्तरात्रि.......
"जब एक लेखक, जो शब्दों से भविष्य को खींचता है, अपनी आत्मा जलाकर, ब्रह्युल के जागरण का द्वार खोलेगा। और तंत्र के अंतिम रक्षक को फिर से जगाया जाएगा।" "बलि तब पूर्ण होगी, जब अग्नि लेखक को छू लेगी।" रागिनी के चेहरे का रंग उड़ गया। "लेखक... मतलब अजय?"
कट टूः
दिल्ली अजय का कमरा
समयः दोपहर 12:02 PM
अजय खिड़की से बाहर देख रहा था। उसे अचानक से अपने हाथ की हथेली पर जलन महसूस हुई।उसने देखा - उसकी हथेली पर उभर आया था वही त्रिशूलनुमा निशान जो मंत्री की डायरी में था।खून टपक रहा था३ बिना कोई चोट के। उसी वक्त रागिनी का कॉलः "अजय, मेरी बात ध्यान से सुनो... तुम्हारे शब्द, तुम्हारा मन, तुम्हारी कल्पना अब सिर्फ कहानी नहीं है। तुम खुद एक बलि के लिए चुने गए हो... और वो बलि तांत्रिकों के रक्तपथ को पूरा करेगी।""तो अब क्या?" अजय काँपती आवाज में पूछता है।"अब समर को उज्जैन में ढूँढो। और जल्दी......क्योंकि अगली रात तीसरी रक्तरात्रि आने वाली है।"
कट टूः
कहीं अंधेरे में ब्रह्युल की छाया एक खौफनाक छाया माटी में पड़ी हड्डियों पर बैठी थी। चारों ओर मंत्र पढ़े जा रहे थे। मोहन सिंह वहाँ खड़ा था "तीन बलि हो चुकी हैं... लेखक को बस बुलाना है... और फिर.... सब कुछ शुरू होगा।" ब्रह्युल की आंखें खुलीं "इस बार... राधिका नहीं बचेगी। और समर... मेरी समाधि से फिर टकराएगा।"
अध्याय 6: ब्लैक टेप ब्रह्युल की भविष्यवाणी
स्थानः दिल्ली अजय का फ्लैट
समयः रात 1:09 AM
रात एकदम शांत थी, लेकिन अजय का मन भीतर से बेचौन था। तभी दरवाजे के नीचे से कुछ खिसकता है। एक पुरानी ब्लैक ऑडियो टेप जिस पर सफेद अक्षरों से लिखा थाः "श्रृंगवेर"अजय चौंका। ये टेप उसने कभी नहीं खरीदी थी न ही उसने कोई टेप रिकॉर्डर रखा था। पर फिर अलमारी में रखी एक पुरानी डिब्बी से वही टेप प्लेयर अपने आप गिरा चालू हुआ और टेप बजने लगी।
(ऑडियो में एक भारी, खुरदुरी आवाज गूंजती है)
"जब शब्दों की शक्ति, तंत्र से टकराती है, तो बलि सिर्फ शरीर की नहीं होती आत्मा की होती है।"अजय की आँखें फटी की फटी रह गईं।"तू लिखता है, वो घटता है। तू डरता है, वो उभरता है। और अब जो तृ लिखेगा, वही ब्रह्युल की शक्ति बनेगा।""अजय""तू ही अंतिम बलि है क्योंकि तू ही सत्य का रचयिता है। तुझसे बड़ा कोई तांत्रिक नहीं, और तुझसे पवित्र कोई आत्मा नहीं।" टेप की आवाज अब चीख में बदल गई"तीसरी रक्तरात्रि समीप है। अग्नि, मंत्र और बलि तीनों पूर्ण होंगे।और इस बार लेखक जलेगा।""" टेप फट पड़ी। धुएँ में बदल गई। कमरे की बत्ती अपने आप बुझ गई।कट टूः
उज्जैन एक प्राचीन पगडंडी पर समर राठौड़ समर एक पुरानी समाधि की ओर बढ़ रहा था एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में 'कालविध्वंस-तंत्र' की कॉपी। उसके माथे पर भस्म से उभरे दो शब्द"रक्त समाप्त, तंत्र आरंभ ।"फोन बजा रागिनी का कॉलः"समर, ब्रह्युल की आत्मा अनुज को खींच रही है। टेप भेजी गई थी उसे कृ और वो अब धीरे-धीरे 'सच' लिखना बंद कर रहा है" "तो वो उसे शब्दों से मारेंगे?""नहीं वो उससे अपनी शक्ति लिखवाएंगे।"समर ने आँखे बंद कीं "अगर लेखक डर गया तो ब्रह्युल अमर हो जाएगा।"
कट टूः
दिल्ली अजय की खिड़की के बाहर एक परछाईं धीरे-धीरे पास आती हैराधिका।उसका चेहरा पूरी तरह सड़ा हुआ, पर आँखों में अभी भी चेतावनी थी।"अजय वो तुझे खुद से मरवाना नहीं चाहता३ वो तुझसे खुद को अमर करवाना चाहता है। जो तू लिखेगा, वही उसकी दुनिया होगी।
"'अध्याय 7: बलि का रेखाचित्र
स्थानः उज्जैन भैरव कुंड के पास एक प्राचीन उपमंदिर
समयः दोपहर 3:13 PM
CBI अफसर रागिनी सिंह उज्जैन के एक निर्जन इलाके में पहुँची थी, जहाँ एक पुराना शिव-तांत्रिक मंदिर आधे से ज्यादा जमीन में समाया हुआ था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, ये मंदिर अब भी "साँस लेता" है हर पूर्णिमा की रात, इसकी दीवारें गीली हो जाती हैं, मानो कोई भीतर से रो रहा हो। मंदिर के अंदरः दीवारें जली हुई थीं मंदिर की छत पर उल्टे त्रिशूल, फर्श पर राख और सबसे कोने में एक पुरानी दीवार-चित्र छिपी हुई थी, जिसे अब तक किसी ने नहीं छुआ था। रागिनी ने दीवार पर टॉर्च डाली चित्र उभरने लगा एक त्रिकोणाकार आकृति, जिसके तीन कोनों पर एक मंत्री की बलिएक अफसर की आत्माऔर बीचोंबीच एक लेखक की अग्नि-संरचना बनी थी।लेखक की आँखें बंद थीं, और उसकी छाती पर लिखा था"वह जो लिखे, वही जागे।"रागिनी को समझ आ गया ये रेखाचित्र हजारों साल पुराना है, पर इसमें बना चेहरा बिल्कुल अनुज जैसा है। उसने दीवार पर हाथ रखा और तभी दीवार से गर्म खून की बूंदें टपकने लगीं। चित्र की आँखें खुल गईं। और चित्र से एक धीमी, गूंजती हुई आवाज आईः "बलि पूरी होने वाली है। अग्नि तैयार है। लेखक का समय आ चुका है"कट टूःदिल्ली अजय का फ्लैट वहीअजय टेबल पर बैठा था, लेकिन हाथ खुद-ब-खुद चल रहे थे। कागज पर वो कुछ लिख रहा था पर वो खुद नहीं जानता था, क्या लिख रहा है।जब होश आया, उसने पन्ना उठाया उस पर लिखा थाः "समर की मृत्यु अग्नि में।""राधिका की आत्मा, भस्म ।""और लेखक आत्मा खो देगा।" अजय कांप गया। "नहीं ये मैं नहीं लिख सकता ये शब्द मेरे नहीं हैं३" तभी टेबल की दाईं ओर रखी मूर्ति गिर पड़ी। पीछे दीवार पर एक नया खून से लिखा संदेशः "जो लिखता है, वो ही रचता है अब रचना, सिर्फ रक्त से होगी।"
कट टूः
रागिनी ने रेखाचित्र की तस्वीर समर को भेजी।समर (पढ़ते हुए):"त्रिकोण की तीसरी बलि अगर हो गई, तो ब्रह्युल जागेगा।" "रागिनी, अगला स्टेप क्या है?" "हमें अजय को हर हाल में उज्जैन लाना होगा३ लेकिन ब्रह्युल की दुनिया से पहले। नहीं तो वो अग्नि बन जाएगा।" समर ने त्रिशूल उठाया। "मैं अनुज को लाने जा रहा हूँ कृ चाहे वो खुद ना आए तो भी।"
अध्याय 8: सत्ता और तंत्र
स्थानः उज्जैन CBI गेस्ट हाउससमयः रात 11:11 PM
रागिनी और समर राठौड़ एक पुराने खुफिया फोल्डर को खंगाल रहे थे कृ जो उन्हें भैरव कुंड के पास एक जली हुई कार की डिग्गी में मिला था। फाइल पर लिखा थाः "राजनीतिक बलि-प्रोटोकॉल श्री 11"समर के हाथ कांप उठे, लेकिन चेहरा शांत था। रागिनी ने फाइल के पहले पन्ने को पढ़ाः "हर सत्ता के शिखर पर एक बलि चढ़ती है। पर असली सत्ता, उसे चढ़ाने वालों के हाथ में होती है।"अंदर छुपी थी एक खौफनाक
सूचीःबलि-संपर्क सूत्र -
अंतिम सूची"
1. मंत्री हरिचरण दुबे - मृत (बलि पूरी)
2. जज नवीन चतुर्वेदी - अगली बलि (शरीर गायब)
3 लेखक अजय मुख्य बलि
4. CBI अफसर श्रेया चौहान - तांत्रिक सदस्य (छुपी हुई)
5. इंस्पेक्टर मोहन सिंह - बलि-व्यवस्था का "मुखिया"समर (गुस्से में):
"मोहन सिंह... तो वो सिर्फ एक इंस्पेक्टर नहीं था। वो इस तांत्रिक सत्ता का संगठक है!" रागिनी ने एक और कागज निकाला एक ब्लड-प्रिंटेड नक्शा कृ जिसमें 11 जगहों पर बलि के चिह्न बने थे। 8 पहले ही जल चुके थे। 3 बचे थे। "तीन बलियाँ बाकी हैं और अजय उनमें से एक है।"- रागिनी ने कहा।
कट टूः
दिल्ली सीसीटीवी फुटेजसमर के आदमी ने फुटेज भेजा एक आदमी अनुज के फ्लैट के बाहर घूमता दिखा काला कोट, पुलिस की बेल्ट और आँखों में कोई चमक नहीं।मोहन सिंह।फोन कॉल (समर और अजय)'अजय, मैं दिल्ली आ रहा हूँ। तुझे उज्जैन लाना है।"'नहीं समर अब देर हो चुकी है। मैं जो लिख रहा हूँ वो हो रहा है। और मुझे डर है, कि अगर मैं तेरे साथ आया, तो ब्रह्युल को शक्ति मिल जाएगी।" 'और अगर तू नहीं आया, तो वो तुझे जिंदा जला देगा।" समर की आवाज में गूंज थी। अजय चुप रहा।"बस एक बात याद रख तू लेखक है३ लेकिन इस बार, कहानी तुझे नहीं लिखनी है। इस बार मैं लिखूंगा।" - समर
कट टू
गुप्त अड्डा मोहन सिंह और तांत्रिक मंडली मोहन सिंह एक तांत्रिक यज्ञ के सामने बैठा था। सामने एक लाल ज्वाला में अजय की तस्वीर थी। "तीन दिन बचे हैं फिर तीसरी रक्तरात्रि आएगी। और ब्रह्युल इस बार अमर होगा। समर राठौड़ की अगली साँस मेरी आखिरी दीक्षा होगी" मोहन सिंह ने अपनी हथेली काट दी।
अध्यय 9: भस्म-चिह्न वाली पूजा
स्थानः उज्जैन त्रिनेत्र वन के भीतर एक छिपा हुआ श्मशान क्षेत्र
समयः सुबह 4:44 AM
तीसरी रक्तरात्रि में अब बस दो दिन शेष थे। समर राठौड ने अजय को किसी तरह दिल्ली से निकालकर उज्जैन पहुँचा दिया था। रास्ते भर अजय बेहोशी और चेतना के बीच झूलता रहा। उसके भीतर कुछ जाग रहा था और वो जानता था, ये अब कहानी नहीं, हकीकत से ज्यादा खतरनाक है।त्रिनेत्र वन उज्जैन के बाहरी इलाके में एक छिपा हुआ श्मशान जहाँतांत्रिकों के अनुसार, पुराने जमाने में रक्त-पिंड बलि दी जाती थी।रागिनी उन्हें वहाँ ले गई थी। "यहाँ हर बलि की राख को संरक्षित किया जाता है। और अगली बलि तभी पूरी होती है, जब उसकी छाया इन राखों पर खड़ी हो।" श्मशान की राख से ढकी जमीन पर जब अजय ने पहला कदम रखा... उसकी पीठ पर भयानक जलन शुरू हो गई। वो जमीन पर गिर पड़ा। राख उड़ने लगी। हवा स्याह हो गई। रागिनी चिल्लाई "समर, उसकी पीठ देखो वहाँ कुछ उभर रहा है।" अजय की पीठ पर राख से बना एक जलता हुआ चिह्न उभराः त्रिशूल के बीचोंबीच एक रक्त बूँद और उसके चारों ओर तांत्रिक अक्षर "ब्रह्युलं संजीवः भवतु" समर ने त्रिशूल जमीन में गाड़ दिया। "ये भस्म-चिह्न तांत्रिक पंथ की अंतिम बलि का संकेत है और इसका मतलब है अजय की आत्मा अब ब्रह्युल के पास दर्ज हो चुकी है।" अजय धीरे-धीरे उठता है उसके होंठों पर खुद-ब-खुद एक मंत्र फिसलता हैः "तृतीय रक्तयज्ञ संपूर्ण देह आत्मार्पणाय" रागिनी कांप गई।"वो खुद नहीं बोल रहा ये ब्रह्युल उसकी जबान से खुद को जगा रहा है।" मोहन सिंह की गुफा उसी वक्त मोहन सिंह तंत्र-यज्ञ में बैठा था, और सामने जलती आग में अचानक चिंगारियाँ तेज हो गईं। "चिह्न उभर आया है। लेखक तैयार है।" पीछे बैठे एक बाबा ने कहा "अब बस 'रक्तदीक्षा' बाकी है। अगर वो खुद को नकारेगा तो उसकी आत्मा टूट जाएगी और ब्रह्युल को आजादी मिल जाएगी।"
कट टूः
रात्रि समर का अस्थायी आश्रम अजय खामोश बैठा था। उसकी पीठ पर चिह्न अब भी जल रहा था।उसने धीरे से पूछाः "समर क्या मैं मर जाऊँगा?"समर ने अपनी आँखें बंद कीं।"तू अगर खुद को मिटा देगा तो ब्रह्युल जिंदा रहेगा।लेकिन अगर तू अपनी कहानी अधूरी छोड़ दे तो तांत्रिकों की जीत अधूरी रह जाएगी।"
अध्याय 10: लेखक अजय का अगवा होनास्थानः उज्जैन समर का आश्रम
समयः रात 2:39 AM
तीसरी रक्तरात्रि से ठीक 48 घंटे पहलेआश्रम में एक अजीब सन्नाटा था। समर ध्यान में बैठा था, रागिनी सुरक्षा में थी, और अजय चुपचाप खिड़की से चाँद को देख रहा था। उसकी आँखें भारी थीं जैसे नींद नहीं, कोई और उसे अपनी ओर खींच रहा हो।रात 2:43 AMपीछे से एक परछाईं कमरे में दाखलि हुई। कदमों की कोई आवाज नहीं कृ सिर्फ हवा का दबाव। वो कोई आम इंसान नहीं थी अफसर श्रेया चौहान। जिसका नाम बलि-सूची में छुपा हुआ था वो अजय के पास आई और फुसफुसाईः "चलो लेखक तुम्हारी आत्मा तैयार है। तीसरी स्क्तरात्रि अब इंतजार नहीं करेगी।" उसने अजय की गर्दन के पीछे एक काली भस्म लगाई और कुछ ही सेकंड में, अजय की आँखें पलट गई। समर ने झपककर आँखें खोलीं। "अजय कहाँ है?" उसने चिल्लाया। पर देर हो चुकी थी। CCTV फुटेज में दिखा श्रेया, काले वस्त्र में, अजय को बिना छुए, हवा में उठाकर ले जा रही थी।कट टूःस्थानः "बलिकुंड" कृ उज्जैन के बाहर एक प्राचीन यज्ञभूमि जहाँ पिछले 108 वर्षों से तंत्र के नाम पर गुप्त बलियाँ दी जाती रही हैं। अजय अब एक गोलाकार यज्ञ मंडल के बीचोंबीच बाँधा गया था चारों ओर तांत्रिक मंडली मंत्र पढ़ रही थी। सामने जल रहा था "वह अग्निकुंड, जिसमें पिछली सारी बलियों की राख रखी गई थी।" तभी आग की लपटों से एक परछाईं उभरी राधिका की आत्मा। पर अब वो वैसी नहीं थी जैसी पहले थी वो टूटी हुई थी। उसकी आँखें बुझ चुकी थीं, और वो जंजीरों में बंधी हुई थी।"अजय.. ये वही जगह है... जहाँ मुझे पहली बार जलाया गया था..."अजय की आँखें भर आईं। "मैंने तुझे बचाया था... अब तू मुझे बचा। मत लिख... बस मत लिख !"कट टूःसमर और रागिनी अब बलिकुंड की तलाश में हैं। समर ने रेखाओं से दिशा निकाली और कहाः "अगर हम तीसरी रक्तरात्रि से पहले नहीं पहुँचे... तो अजय की आत्मा जल जाएगी, और ब्रह्युल मृत्यु से ऊपर उठ जाएगा।
"कट टूः
बलि कुंड मोहन सिंह तांत्रिक वस्त्र में अग्नि के पास बैठा था। उसके हाथ में थी कृ अजय की डायरी। "आज से ये डायरी मेरी होगी३ और इसमें वही लिखा जाएगा जो ब्रह्युल कहेगा।" और फिर उसने अनुज की ओर देखा ""लेखक... अग्निबलि के लिए तैयार हो जा। तुझसे बड़ी सियासत कोई नहीं। और तेरी आत्मा ही इस युग की अंतिम कुंजी है।"
""अध्याय 11: समर बनाम मोहन सिंह
स्थानःबलि कुंड उज्जैन
समयः तीसरी रक्तरात्रि से 6 घंटे पहले शाम 5:59 PM
अग्निकुंड की लपटें अब आसमान तक पहुँच रही थीं। चारों ओर मंत्र गूंज रहे थे "अग्निमेधे नमः आत्मबलि स्वाहा" अजय बेहोशी में पड़ा था। राधिका की आत्मा जंजीरों में तड़प रही थी। मोहन सिंह अग्निबलि का मंत्र शुरू कर चुका था"लेखक का शब्द अग्नि बनेगा। शब्द जलेगा तंत्र चलेगा।ब्रह्युल जागेगा !"उसी क्षणअचानक बिजली सी कड़कती है जमीन फटती है, और राख उड़ती है। काले वस्त्र, माथे पर भस्म, आँखों में क्रोध समर राठौड़ प्रवेश करता है। हाथ में चमकता हुआ त्रिशूल, पीठ पर महाकाल रक्षा सूत्र', और ललाट परलिखा मंत्र"कालरात्रि रक्षा बंधनं"मोहन सिंह हँसता है:"समर तू आया जरूर है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। अग्नि ने लेखक की आत्मा को पहचान लिया है।" समर (गर्जना में):"अभी अग्नि देखी नहीं है, जिसने तुझ जैसे तांत्रिकों को भस्म किया है।" मोहन सिंह ने झटके से तीन काले नाग छोड़े मंत्रों से जन्मे, जिनकी साँसों में जहर और आग थी। समर ने त्रिशूल घुमाया, और 'काल मंत्र बोला " कपाल काल भैरवाय नमः" नाग भस्म हो गए।अब समर और मोहन सिंह आमने-सामने खड़े थे। तंत्र बनाम धर्म बलि बनाम रक्षा अंधकार बनाम अग्नि मोहन सिंह ने छाती पर तंत्र का ब्रह्म-चिह्न उभारा और झपट पड़ा। समर ने भस्म को हवा में उड़ाकर रेखा बनाई ""यह काल की सीमा है। तू बाहर गया, तो नष्ट होगा।और भीतर आया तो भी।"" भीषण युद्ध शुरू हुआ। मोहन सिंहः"मैं ब्रह्युल की छाया हूँ कृ तू मेरा क्या बिगाड़ेगा?"समरः"तू छाया है और मैं प्रकाश। और जब मैं पूरी ताकत से आता हूँ तो छायाएँ जल जाती हैं!" त्रिशूल और खड्ग टकराते हैं। मंत्र और तंत्र भिड़ते हैं। राख और खून एक हो जाते हैं। राधिका की आत्मा चिल्लाती है: "अजय को बचाओ अग्नि अब शुरू हो रही है!" समर ने त्रिशूल उठाया और अंतिम बार जोर से पुकाराः समर ने त्रिशूल सीधे मोहन सिंह के सीने में घुसेड़ दिया। धड़ाक !!मोहन सिंह चिल्लाया उसके शरीर से एक काली आत्मा निकली ब्रह्युल की। लेकिन ब्रह्युल हँसा "ये मेरा सिर्फ एक अंश था मैं कहीं और छिपा हूँ। अब अगली बलि समय तय करेगा और समर तुम मेरे सामने फिर आओगे" आत्मा हवा में विलीन हो गई। मोहन सिंह मर चुका था। पर ब्रह्युल अब भी छाया में जीवित था।
अध्याय 12: रक्त की राख से पुनर्जन्म
स्थानः उज्जैन द्य तीसरी रक्तरात्रि की अगली सुबह
समयः 6:06 AM
राख की गंध अब भी हवा में तैर रही थी। बलिकुंड वीरान पड़ा था। मोहन सिंह मारा जा चुका था। राधिका की आत्मा अंतिम बार मुस्कुराई और धुएँ में विलीन हो गई। अजय अब शांत था। उसकी पीठ पर बना भस्म-चिह्न गायब हो चुका था। वो अब खुद को हल्का महसूस कर रहा था जैसे कोई बंधन टूटा हो। समर, जख्मी लेकिन अडिग, यज्ञ मंडल के बीचोंबीच खड़ा था। उसने अजय से कहाः "तू बच गया। पर कहानी अभी खत्म नहीं हुई है"
कट टूः
दिल्ली राष्ट्रपति भवन के पीछे एक सीक्रेट सभा एक चेहरा कुर्सी पर बैठा था उसकी आँखों में गहरा लाल रंग था। वो कोई और नहीं बलियों कीपूरी योजना का "दिमाग", और देश के सबसे बड़े नेता गृह मंत्री धर्मवीर शुक्ला। पर अब वो धर्मवीर नहीं था वो ब्रह्युल था नए शरीर में, नई ताकत के साथ। उसके चारों ओर वही 11 बलिपुत्र मंडली बैठी थी जो मोहन सिंह के गिरने के बाद अब उसके इशारों पर काम करने को तैयार थी।"मोहन सिंह सिर्फ साधक था। समर सिर्फ एक बाधा। असली बलि अब शुरू होगी और अगला यज्ञ संसद में होगा।
"कट टूः
अजय का घर दिन 1:01 PMअजय अपनी डायरी बंद कर रहा था, लेकिन एक पन्ना खुद-ब-खुद खुल गया। उस पर खून से लिखा थाः "तू लेखक है, पर अब कहानी किसी और ने पकड़ ली है।" "जो सत्ता में है, वही अब ब्रह्युल है।"अजय कांप उठा। फोन बजता है रागिनी कॉल पर है:"समर को गोली लगी है, लेकिन वो ठीक है। पर अजय हमें फिर एक होना होगा। क्योंकि दिल्ली अब तंत्र का केंद्र बन चुकी है।""कहानी वहीं से शुरू होगी३ जहाँ संसद का रक्तपथ खुलेगा।"कट टूःधर्मवीर शुक्ला संसद में भाषण दे रहा है उसके माथे पर भस्म, और गले में तांत्रिक रुद्राक्ष । भीड़ ताली बजा रही है। पर उसकी आँखों में झलकता है वही चेहरा ब्रह्युल का। "देश बदल रहा है। अब रचना होगी रक्त से।
"to be continued......
Kalratri universh....
श्रपित जोकर
लेखक अनुज श्रीवास्तव