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( >💜💌💜 होलला बिडूऊ लोग अपुन स्टोरी का चौकीदार बंकू ले आया है next ep चल पढ़
"न,,नही बस अंदाजा लगाई हम सबकी हालत देखकर" धनेशी हड़बड़ाते हुए बोली। अब आगे,,,,
"ओए तुम लोगो में इतनी सी भी हया दया है की नहीं,,,(मन में "अरे भर भर कर दया है आप लोगों में") अरे हम मासूम नादान बच्चे इतनी पीड़ा में अंधे बने थे और तुम सब सहायता करने के बजाए खी खी खी खी दात दिखाए जा रहे थे (मन में "हसो और हसो जश्न बनाओ पैसे कम पड़े तो लूट लेना साले कलमुहे को) इंसानियत जिंदा भी है तुममें या तुम लोग खुद ही दफना दिए(मन में "कुछ भी हो जाए इंसानियत कभी दफन नही होगी") अब आवाज क्यू नही निकल रही (मन में "हसो जी खोल कर हसो") बोलो,,,?बोलते क्यू नही,,,?" मस्तानी स्टेशन पर जमी भीड़ से ऐसे बोल रही थी जैसे उस पर बहुत अत्याचार कर दिया हो। पर मन में टंकी भर भर कर दुआए दे रही थी।
तभी एक जोर का मुक्का उसके पीठ पर जड़ा किसी ने वो दर्द से चिल्लाई "आई,,,मम्मीईई,,, कौन है बे तेरी तो,,," वो गुस्से में मुड़ते हुए इतना बोली की मारने वाले की शक्ल देख चुप रह गई।
वो रियुमा ही थी जो गुस्से में उसे घूर रही थी आखिर वही तो है एक जिसके सामने मस्तानी की बोलती बंद हो जाती हैं।
"क्या है,,,?" वो अपना पीठ सहलाते हुए रोनी सूरत बनाकर पूछी।
"तेरी इतनी हिम्मत बढ़ गई की मुझे इग्नोर करेगी" रियु आंखे चढा कर बोली।
"मैं और तुझे इग्नोर हु,,,कर ही नहीं सकती" मस्तानी पूरे घमंड से बोली।
रियुमा आंखे छोटी कर उसे घूरते हुए "तो अभी कुछ देर पहले तुझसे कुछ बोल रही थी तो ध्यान क्यू नही दी,,,? उसी इग्नोर ना कहू तो क्या कहू??"
"अबे,,, मेरा ध्यान मेरे माइंड में चल रहे बात पर था इसलिए तेरी बात सुन नही पाई बेकार का दिमाग चलाना बंद कर" मस्तानी चिढ़ते हुए बोली।
"क्या खुसुर फुसुर कर रहे तुम दोनो अकेले अकेले,,,?" राहुल उनके बिच में आते हुए बोला।
दोनों उसके इस तरह बीच में घुसने से और सवाल से चिढ़ कर एक दूसरे को देखे जैसे कह रहे हो "अभी निपटा दे क्या साले को"
"बोलो चुप क्यों हो?" राहुल फिर से हस्तक्षेप किया।
"कुछ नही सोच रहे थे ये सब चल क्या रहा???" रियुमा मस्तानी अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोले।
"मै भी कुछ सोच रहा था" राहुल ने कहा तो
"बक जल्दी" रियुमा बेपरवाही से बोली।
"हा जल्दी बोलो" मस्तानी भी नाक मुंह सिकोड़ बोली।
"मै सोच रहा था की,,," राहुल आगे बोलता की
"हा तो जल्दी बोल ना" मस्तानी फिर बीच में बोली।
"वो मैं,,," राहुल इतना ही बोला की
"जल्दी बोल यार टाइम पास करने के लिए टाइम नही है मेरे पास" मस्तानी जानबूझकर उसे बोलने नही दे रही थी क्युकी उसे सुननी ही नही थी उसकी कोई बात ।
"प्रिंसिबल सर और बाकि टीचर्स कहा है और ये मनी इतने देर से गूंगा बना क्यों खड़ा है,,,?" मस्तानी के चुप होते ही राहुल फाटक से एक ही सांस में बोल पड़ा।
सभी उसकी बात सुन इधर उधर देखने लगे पर मनीष उन्हे कही पर भी दिखा ही नहीं अब तो सब एक दूसरे से पूछने लग गए थे।
"अरे यार मनीष का तो नामो निशान तक नही दिख रहा" राहुल ने कहा तो सभी उसे घूर कर देखने लगे।
"भाई ये क्या बोल रहे आप,,,जरा सोच समझ कर बोला करो" धनेशी ने गुस्से से कहा।
"हमारे बीच तू ज्यादा जबान ना चलाया कर समझी ना,,,वो मेरा बेस्ट फ्रेंड है मैं जो चाहु बोलूं,,,क्या कर लेगी तू,,,?" उसकी बात सुन धनेशी आखें घुमा घुमा कर उसे अगल बगल देखने का इशारा किया।
राहुल की नजर रियुमा और मस्तानी पर गई जो उसे खा जाने वाली नज़रों से घुर रहे थे। मस्तानी उसे एक घुसा प्रदान करने को आगे बढ़ने लगी।
वो पीछे खिसकते हुए "अरे मैं तो बस,,," इतने में ही एक कड़क आवाज आती हैं "ये क्या हल्ला मचा के रखा है तुम सबने???" आप सब प्रिंसिबल सर समझ रहें होंगे नही नही ये तो हमारे खडूस कॉमर्स के सर ज्ञानेद्रीय थे और उनके साथ बाकी टीचर्स भी
"अरे तुम सबकी पट्टी किसने खोली?"
आर्ट्स की टीचर मोहिंता मेम हैरानी से सवाल की।
मोहिंता मुनीवर उम्र,38 आर्ट्स में बेस्ट और सबसे प्यारी गुस्सा करना तो जैसे आता ही नही हमेशा हर किसी को प्यार से समझाती है और इनकी इसी प्यारीअदा पर हमारे विजेंद्र सर लट्टू है। अभी भी उन्हे ही देख नही घुर,,, ना ना ताड़ रहे थे।
"सर आखें मिचकाव वरना चिल कौवे घूस जाएंगे" मस्तानी उनके कान के पास बोली तो विजेंद्र सर हड़बड़ाते हुए और आखें फाड़े उसे देखे।
तभी एक कर्कश आवाज आई "क्या सर बच्ची ने आखें मिचकाने को कहा लेकिन आप तो डायनासोर को अंदर घुसने का निमंत्रण दे रहे"
दोनों हैरानी से आवाज की ओर देखे ये ज्ञानेद्रीय सर थे उन्हे देख कर और उनकी तंज कसने वाली बात सुन विजेंद्र सर उन्हें घूरने लगे।
तो वही मस्तानी जबर्दस्ती हस्ते हुए "ससर आ,,आप,,,ही ही ही आप दोनो कीजिए वार्तालाप मैं विघ्न नही डालती" और उनकी बीच से चील की तेजी से फुर्र हो गई।
अब क्यू ? ये आगे पढ़ने पर पता चल जाएगा।
मस्तानी उनके बीच से हट कर साइड हो गई थी जिससे दोनो सर के बीच युद्ध के पहले की शांति छाई हुई थी। ऊपर से शाम हो चली थी सूरज जमीन में धसने लगा था मतलब ढलने लगा था।
"लगता हैं सर,,,आप भी बच्चो मे घुलने मिलने लगे हो" विजेंद्र सर उस शांतिबाण को तोड़ हस्ते हुए बोले।
"घुलना मिलना मिलाना आपका काम है सर मेरा नही" ज्ञानेद्रीय सर ने रूखे स्वर में कहा।
विजेंद्र सर हंसने लगे बोले "मेरा बता दिए तो अपना काम भी बता दीजिए"
ज्ञानेद्रीय सर जबर्दस्ती की मुस्कान लिए "मेरा काम मैं बखूबी कर रहा हूं शॉर्टकट में समझाऊं तो आपने ये कहावत जरूर सुना होगा एक ही गलती इंसान कितनी बार करेगा"
उनकी बात सुन विजेंद्र सर के चेहरे से हसी गायब हो गई जिसे देख ज्ञानेद्रीय सर डेंजर स्माइल कर "उम्मीद है समझ गए होंगे क्युकी ना समझो पर मैं अपना टाइम वेस्ट नही करता" ये बोल वो दूसरी तरफ चले गए।
तो वही विजेंद्र सर जो चेहरे से दिखा नही रहे थे पर वो कितने गुस्से में फुट रहे थे उनकी भींची हुई मुट्ठियां बता रही थी। और इन दोनों का लाइव बहस युद्ध लीला किसी ने अच्छे से अपने दिमाग पर डाउनलोड कर लिया था।
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( >💜💌💜 होलला बिडूऊ लोग अपुन स्टोरी का चौकीदार बंकू वैसे कौन था वो? जिसने दोनों सर के बिच चल रही बहस युद्धलीला देख ली? जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ मिलते हैं जल्द ही next ep में 😁👍