[Adhyay 1 Recape]
प्राचीन धरोहरों और विज्ञान के संगम पर खड़ा है आरव रैना, एक युवा पुरातत्व अन्वेषक, जो बचपन से ही सपनों में एक त्रिकोणाकार नेत्र को देखता आया है—एक आंख जो किसी खोए हुए सत्य की ओर इशारा करती है।
जब वह अपने गुरु प्रोफेसर सेन के साथ उत्तराखंड के एक सुनसान पहाड़ी क्षेत्र में खुदाई करता है, तो उसे एक रहस्यमयी त्रिकोणीय प्लेट मिलती है, जिस पर अदृश्य प्रतीकों की छाया केवल चंद्रग्रहण की रात ही दिखती है।
उस रात, अजीब विद्युत-झंझावात के बीच, आरव को एक दर्शन होता है—तीन द्वार, एक अनसुनी ध्वनि, और एक मंत्र:
"शून्य का प्रवेश द्वार तुम्हारे भीतर है।"
अध्याय के अंत में, एक प्राचीन ऋग्वैदिक हस्तलिपि का सुराग मिलता है जिसमें ‘शून्य मंत्र’ का उल्लेख है—एक ऐसा मंत्र जो त्रिलोकों को जोड़ने की शक्ति रखता है।
अब आरव का अगला कदम है—उस मंत्र तक पहुँचना… लेकिन क्या वह इसके लिए तैयार है?
✨ Adhyay 2: “ऋग्वेद का शून्य मंत्र”
जारी....
🕉️
"जो मंत्र कभी बोला नहीं गया,
जो ध्वनि कभी सुनाई नहीं दी —
उसी में छिपा है आरंभ और अंत दोनों।”
स्थान: वाराणसी, उसी पुरातन हवेली की भीतरी तहखाना, जहां आरव को ताम्र-चक्र मिला था।
काल: रात के तीसरे प्रहर की शुरुआत।
[रहस्य खुलता है…]
आरव की आंखें अभी भी ताम्र-चक्र की रौशनी से भरी थीं। जैसे-जैसे वह उसे घुमाता गया, उसके चारों ओर की हवा भारी होने लगी।
चक्र पर अंकित ऋग्वेदीय लिपि अचानक चमक उठी:
"नासदासीन्नो सदासीत्तदानीं..."
यह ऋग्वेद का प्रथम सूक्त था, लेकिन उसी के नीचे एक रेखा में शून्य मंत्र प्रकट हुआ — एक ऐसा मंत्र जो किसी वेद में दर्ज नहीं था। एक लिपि, जो कंप्यूटर कोड और संस्कृत का मिलाजुला रूप लगती थी।
"ये... मंत्र नहीं... ये एक unlock code है..." — आरव बुदबुदाया।
चक्र में एक सुई घूमी, और कमरे की दीवार खिसक गई। पीछे एक पुराना त्रिभुजाकार शिला द्वार था — उस पर लिखा था:
"शून्य मंत्र बोलने से पूर्व, चेतावनी:
यह ध्वनि ब्रह्मांड को पुनः प्रारंभ कर सकती है।”
[आरंभ होता है प्रवेश]
आरव ने अपनी घड़ी में जो डिवाइस लगाया था, उसमें चक्र को जोड़ा — और एक ध्वनि निकली:
ॐ नादो निर्वाणं।
मंत्र शून्य से निकला और एक ध्वनि-तरंग पूरे तहखाने में फैल गई।
दीवारें कंपित होने लगीं। द्वार खुला।
अंदर अंधेरा नहीं था। वहाँ थी एक नीली ऊर्जा की सुरंग — जिसे देख कर कोई कहे कि वो black hole के भीतर का दृश्य हो।
[दर्शन — काल से परे]
अंदर आरव को मिला एक holographic यंत्र, जो दिखा रहा था:
एक वैदिक ऋषि — कंधे पर मृगचर्म, आंखें सूर्य समान।
ब्रह्मांड के नक्शे — जिसे किसी आधुनिक satellite ने भी
capture नहीं किया।
और फिर — शून्य मंत्र की उत्पत्ति:
"त्रेतायुग में एक ऋषि ने ब्रह्मा से शून्य मंत्र सुना था,
लेकिन उसे बोलने की अनुमति कभी नहीं मिली।
ये मंत्र नहीं, एक ब्रह्माण्डीय reset key है।”
[अतीत का यंत्र]
वह यंत्र आरव को एक विकल्प देता है —
शून्य मंत्र को बोले और hidden circuit खोल दे
या
मंत्र को चुपचाप छोड़ दे — जिससे वो कभी भी उपयोग न हो
आरव सोच में पड़ गया। तभी उसके कंधे पर एक अदृश्य छाया आ खड़ी हुई।
किसी ने धीमे से कहा —
"तू अकेला नहीं है... तुझे सिर्फ चक्र नहीं, अपने रक्त का रहस्य भी जानना होगा…”
[अंतिम दृश्य:]
दृश्य fade होता है…
नीले energy द्वार के भीतर की दीवारों पर अगला संकेत लिखा हुआ है:
“Adhyay 3: समयसंधि का गणक”
(Coming Soon…)
यदि आपने अध्याय 1 नहीं पढ़ा है, कृपया पहले वहीं से शुरुआत करें — क्योंकि हर संकेत, हर शब्द इस रहस्य की परतों को धीरे-धीरे खोलता है।
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"🕉️ शून्य जागृत हो चुका है!"
और chapter 3 के लिए तैयार हो जाएं — क्योंकि अब त्रिलोक यंत्र सक्रिय होने जा रहा है।