भाग- 5
जिसे ज़िंदा कहा गया… वो मरा हुआ था
रचना - बाबुल हक़ अंसारी
– आर्यन को मिलता है एक नाम
आर्यन अब अयान को नहीं,
एक ख़ामोशी को खोज रहा था।
उस शाम वह उसी रेलवे स्टेशन पर पहुँचा जहाँ अयान और रिया की आख़िरी मुलाक़ात हुई थी।
वहाँ एक बूढ़ा कुली मिला —
उसे जैसे कुछ याद आया हो।
“साहब, एक लड़का था... जिस रात वो हादसा हुआ…
बहुत लहूलुहान था। उसे किसी ने नहीं देखा।
लेकिन मैंने देखा था — वो अकेले, लड़खड़ाते हुए स्टेशन के बाहर चला गया था।”
“फिर…?” — आर्यन की आँखें भर आईं।
“कुछ महीने बाद एक NGO आया था…
उन्हीं में से एक ने बताया —
‘हमने एक लड़का पाया था... उसकी याददाश्त चली गई थी।’
नाम भी नहीं बता पा रहा था।”
कहाँ था वो NGO?” — आर्यन ने कसकर पूछा।
बूढ़े ने कागज़ पर एक नाम लिखा:
PRAYAS – Hope Shelter, गोरखपुर"
आर्यन अब उस नाम के सहारे,
उस पहचान के पीछे दौड़ पड़ा था —
जिसे कभी रिया ने “अपना सब कुछ” कहा था।
– अयान… अब भी साँस ले रहा था
गोरखपुर, तीन दिन बाद…
आर्यन उस NGO के गेट पर खड़ा था।
सामने बोर्ड पर लिखा था:
We don’t save people, we keep their दिल धड़कता हुआ।"
अंदर एक नर्स ने उसका स्वागत किया।
“हमें आपकी कॉल मिली थी। आप अयान को जानते हैं?”
“पहचानता था… अब बस जानना चाहता हूँ कि वो है या नहीं।”
नर्स उसे एक कमरे में ले गई।
एक आदमी खिड़की के पास बैठा था —
उसकी आँखें खोई हुई थीं, जैसे किसी पुराने सुर की तलाश में हों।
कंधों पर दुपट्टा था, बाल हल्के लहराते,
पर चेहरा… बिलकुल शांत।
“इन्हें हम ‘वेद’ बुलाते हैं।
ये नाम खुद इन्हीं ने चुना था —
कहते हैं, उन्हें कुछ याद नहीं… बस एक नाम कभी-कभी दिल में गूंजता है — ‘रिया’।"
आर्यन के भीतर कुछ पिघलने लगा।
वो धीरे से उसके पास गया और बोला —
“क्या तुम… अयान हो?”
वेद ने उसकी ओर देखा, जैसे कुछ महसूस किया हो।
फिर बहुत धीमी आवाज़ में कहा:
“रिया ठीक है न?”
आर्यन की आंखों से झर-झर आंसू गिरने लगे।
अयान मरा नहीं था…
वो कहीं जिंदा था —
बस अपने ही अंदर दफ़न।
●• अब आगे की कहानी •●
क्या अयान की यादें वापस आएंगी?
क्या आर्यन उसे रिया की पूरी कहानी बता पाएगा?
और सबसे अहम — क्या रिया का इश्क़ फिर से सांस ले सकेगा… किसी और की जुबां में?
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“जब ख़ामोशी ने कहा – मैं अयान हूँ
जो बंद लिफाफे में सांस लेती रही
आर्यन ने वेद के सामने एक लिफाफा रखा।
“ये रिया की आख़िरी चिट्ठी है… जो उसने उस रात तुम्हारे लिए लिखी थी।
पढ़ो — शायद इसमें तुम्हारी भूली हुई दुनिया है।”
वेद (अयान) ने कांपते हाथों से लिफाफा खोला।
चिट्ठी पर रिया की लिखावट थी, हल्की-सी टूटी-सी...
"अयान,
अगर ये चिट्ठी कभी तुम्हारे हाथ लगे...
तो जानना — मैं हारी नहीं।
तुम्हारे प्यार की ताक़त ने मुझे अब तक ज़िंदा रखा है।
अगर हम फिर न मिल सकें, तो इस दुनिया को मत छोड़ना...
मैं तुम्हारी हर धड़कन में ज़िंदा रहूंगी।
सिर्फ़ एक बार कह दो — 'रिया, मैं तुझसे अब भी मोहब्बत करता हूँ'।
शायद मेरी रूह को सुकून मिल जाए…"
चिट्ठी के शब्द जैसे वेद की धड़कनों से टकराने लगे।
वो अपने माथे को दोनों हथेलियों में छुपा कर बैठ गया।
यादों की वापसी का तूफ़ान] (250+ शब्द)
तभी एक झटका सा महसूस हुआ।
एक तस्वीर… रिया की मुस्कुराहट…
एक धुंधली सी रेल की आवाज़…
“तुम चल रही हो… बस इतना ही काफ़ी है।”
वेद की सांसें तेज़ हो गईं। उसका शरीर काँपने लगा।
“रिया…” — उसने फुसफुसाते हुए कहा।
आर्यन की आंखें चौड़ी हो गईं।
वो वेद के पास गया और उसका हाथ थामा —
क्या… कुछ याद आ रहा है?”
वेद की आँखों से दो आंसू गिरे।
उस रात मैं मरना नहीं चाहता था…
मैं सिर्फ़ रिया के साथ जीना चाहता था…”
वो उठा, कांपते कदमों से खिड़की की ओर गया।
तुमने मेरी रूह को फिर से जगा दिया आर्यन…”
मैं अयान हूँ।”
वो पहली बार अपनी ही आवाज़ से चौंक गया।
●• अब आगे की कहानी •●
क्या अब अयान रिया से मिलने जाएगा? क्या रिया अब भी उसी मोड़ पर खड़ी है जहाँ अयान को छोड़ा था? और आर्यन — क्या वो इस कहानी में सिर्फ एक पुल था… या फिर उसका अपना कोई अधूरा पन्ना है?