Kuchh Jindagi ke Panne - 1 in Hindi Love Stories by shradha nagavanshi books and stories PDF | कुछ जिंदगी के पन्ने - 1

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कुछ जिंदगी के पन्ने - 1

पाठ 1: पहली नजर।                                                     

जब पहली बार अर्जुन से टकराई थी, तो उसने कभी सोचा भी नही था कि उसकी जिंदगी उस पल से बदल जाएगी। वह कॉलेज का पहला दिन था। अन्यन ने  पहली बार उसे लड़के को  देखा_ सफेद शर्ट, खामोशी... अर्जुन... उसका नाम अर्जुन था। अर्जुन एक अनुशासित और शांत सभाव का लड़का थ, जिसका परिवार सेना की पृष्ठभूमि से थे और मां एक प्रोफेसर थी। उसकी पर परवरिश बहुत सख्त माहौल में हुई थी_समय की पाबंदी, और मौन, ये तीनों बातें उसके चरित्र  गहराई  हुई थीं। लेकिन दूसरी तरफ  अनया... एक चुलबुली और अपने भावों को खुलकर वक्त करने बाली लड़की थी। उसके पापा एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन थे, और मां एक  होम _ मेकर। अनया के घर में हमेशा हंसी संगीत और खुला प्यार बना रहता था। जब पहली बार उनकी नज़रें मिली थी, तो ना अर्जुन कुछ बोला था, और न ही कन्या। लेकिन दोनों को ऐसा लगा, जैसे एक पल के लिए सब कुछ थम गया हो। शायद इसी लम्हे को कहते हैं_"पहली नजर का प्यार।"कुछ दिनों बाद... "कुछ दिनों बाद, सब कुछ बदलने लगा था, अर्जुन, जो पहले से ज्यादा बात नहीं करता था, अब अनया के आस पास ज्यादा रहने लगा था। कैफेटेरिया में दोनों का एक सफाई स्थायी कोना बन गया था_। जहां चाय से ज्यादा।

गरम बातें हुआ करती थी। एक दिन, जब कॉलेज मैं तेज तेज बारिश हो रही थी, और  स्टूडेंट्स  इधर-उधर भाग रहे थे, अनया ने पहली बार अर्जुन को बिन छतरी के भीगते हुए देखा। वह अपनी किताबें को भीगने से बचाते हुए सीधे उसके पास गई और बोली_ "तुम बीमार पड़ जाओगे, प्यार हो गया है कया?

अर्जुन मुस्कुराया_ एक गहरी, धीमी मुस्कान के साथ बोला_   "बारिश में कुछ चीजें दो देते है... जैसें  इजहार। "  अनया  समझ गई _  वह लड़का भावनाओं से भरपूर था।

अर्जुनने डायरी में लिखा: "यह बारिश की तरह है... थोड़ी _ सी ठंडी, थोड़ी  सी गीली, लेकिन अंदर तक उतर जाने वाली।"अनया ने भी अपनी डायरी बंद की कि, लेकिन दिल के अंदर एक नया पन्ना खुला चुका था_ जिसमें सिर्फ अर्जुन का नाम लिखा था, अगले दिन, जब क्लास में ग्रुप प्रोजेक्ट की घोषणा हुई, अर्जुन और अनया को एक ही प्रोजेक्ट में रखा गया, अब उनकी मुलाकातें और भी ज्यादा होने लगी। हंसी, सॉन्ग खींचना, एक _ दूसरे को समझना... अब बस नाम देना बाकी था, प्यार तो दोनों में लिखा जा चुका था। अर्जुन  पिछले कई महीनों से हॉस्टल में रह रहा था। क्लासेस असाइनमेंट असाइनमेंट एस असाइनमेंट्स और... अनया यही उसकी दुनिया बन चुकी थी। लेकिन उसे हफ्ते अचानक उससे घर लौटना पड़ा। क्लासेस एक हफ्ते के लिए ऑनलाइन हो गई थी, और मां की आवाज बहुत याद  आ रही थी। वो शाम को जब घर  पहुंचा, तो मां ने दरवाजा खोला और सीने से लगा लिया। "कितना दुबला हो गया है तू..."मां ने माथा चूमा।  डाइनिंग टेबल पर बैठते ही राजवीर सिंह_जो अखबार पढ़ रहे थे _बिना देखे बोले,                          "अर्जुन ,बात करनी है तुमसे। खाना खा लो पहले।" अर्जुन को कुछ अजीब_ सा लगा। पापा पहले कभी यूं