Kuchh Jindagi ke Panne - 2 in Hindi Love Stories by shradha nagavanshi books and stories PDF | कुछ जिंदगी के पन्ने - 2

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कुछ जिंदगी के पन्ने - 2

भाग 2: नहीं बोले थे। रात को जब सो चुके थे। राजवीर उसके कमरे में आए। कमरे का दरवाजा बंद करके बोले:  "तुम्हारा चेहरा बदल गया है अर्जुन । आंखों में फोकस  की जगह थकावट है... क्या चल रहा है तुम्हारी जिंदगी में? अर्जुन ने एक पल सोचा _क्या बोले? क्या अनाया की  बातें बताए? लेकिन जवाब दिया बिना, उसने पूछा: "आपको कैसे पता चला?"राजवीर ने  फोन निकाला, एक स्क्रीनशॉट दिखाया _कॉलेज ग्रुप चैट का। कुछ बातें और कुछ तस्वीरें..."यह लड़की_ अनाया"उन्होंने कहा,"क्या बाकी तुम्हारे लिए सही है? "अर्जुन चुप रहा। "मैं तुम्हारे प्यार के खिलाफ नहीं हूं बेटा,"राजवीर की आवाज नरम हुई,"लेकिन मैं चाहता हूं तुम पहले खुद को बना लो_फिर  किसी का साबान बनो। तुम्हें लगता है वह लड़की उस रास्ते पर है जिस पर तुम चलना चाहते हो? " अर्जुन ने धीरे से कहा:      "मुझे नहीं पता पापा... लेकिन इतना जरुर जानता हूं कि मैं अब बदल गया हूं। कभी-कभी लगता है सब कुछ हाथ से निकल रहा है।"राजवीर ने इसका कंधा थाप थपाया : "तो यही सही वक्त है संभालने का। तुम्हारा भविष्य तुम्हारे ही हाथों में है अर्जुन _ ना कि किसी अनायास के चेक  में।"अर्जुन की आंखें भर आई। वो कोई जवाब नहीं दे सका। उस रात, बो शत  पर अकेला  बैठा रहा... चांद तो साफ था_ पर उसका मन उलझा हुआ था। उसे रात अर्जुन नीद की जगह करवटें बदलता रहा।"लेकिन दिमाग में पिता की बातें गूंजती रही_"हा अगर रिश्ता  सच्च है तो। भक्त इसे साबित करेग।"सुबह कि पहली किरण खिड़की से भीतर आई, और इस रोशनी के साथ अर्जुन ने एक निर्णय ले लिया । हॉस्टल लौटने से पहले उसने पिता के सामने सिर झुका दिया। और कहा।   "पापा... मैं सोच लिया है।  अनायास से दूर हो जऊंगा। मैं पढ़ाई पर ध्यान दूंगा। शायद ये मेरे लिए सही है। राजवीर की आंखों में राहता थी। लेकिन दिल के किसी कोने में अपने बेटे के दर्द को वो भी महसूस कर रहे थे। उन्होंने बस इतना कहा:                       "तुम्हारा फैसला सही है बेटा। याद रखना_ मोहब्बत इंतजार करना जानती "अर्जुन हॉस्टल वापस लौट आया। उसने अनाया से मिलना कम कर दिया। उसके मैसेज का जवाब देर से देने लगा। अनायास हैरान थी। वो कई बार अर्जुन से पूछती:"क्या हुआ तुम्हें? पहले जैसे क्यों नहीं रहे? लेकिन अर्जुन हर बार मुस्कुरा कर कहता:                        "कुछ नहीं अनाया... बस पढ़ाई का दबाव है। "दिल के अंदर वह टूट रहा था, पर पिता की बात उसे सहारा दे रही थी। कॉलेज का दिन खत्म होने वाला था। कैंटीन के बाहर हॉकी बारिश हो रही थी। और अनाया के हाथ में एक छोटा सा गिफ्ट पैकेट और लाल गुलाब था। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। वह हिम्मत जुटा  कर अर्जुन के। सामने आई । "अर्जुन... मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं  ।"अर्जुन किताब बंद करके उसकी तरफ देखने लगा। अनाया ने कांपती आवाज़ में कहा: "मुझे नहीं पता तुम्हारे दिल में मेरे लिए क्या है। पर मेरे लिए तुम बहुत मायने रखती हो।... आई लव यू , अर्जुन कहते हुए उसने गुलाब उसकी और बढ़ा दिया। पूरी क्लास के