Bundo me Chhupa Pyaar - 4 in Hindi Love Stories by Rekha Rani books and stories PDF | बूंदों में छुपा प्यार - 4

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बूंदों में छुपा प्यार - 4


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🌧️ भाग 1: वो मोड़

जान्हवी और विराज एक पुरानी सड़क पर चल रहे हैं — बारिश थम चुकी है, लेकिन हवा में ठंडक है।

वो एक चौराहे पर रुकते हैं — वहाँ दो रास्ते हैं।

जान्हवी कहती है:  
> “अगर हम अलग-अलग रास्तों पर चलें… तो क्या ये कहानी अधूरी रह जाएगी?”

विराज जवाब देता है:  
> “शायद नहीं… अगर दिल साथ चले।”

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🎨 भाग 2: दीवार की दरार

जान्हवी स्टेशन की दीवार पर जाती है — वहाँ एक पुरानी दरार है, जो हर बार उसकी स्केच को तोड़ देती है।

वो कहती है:  
> “ये दरार मेरी तरह है… बाहर से रंगीन, अंदर से टूटी।”

विराज उसका हाथ पकड़ता है —  
> “मैं इस दरार को नहीं भर सकता… लेकिन तुम्हारे साथ खड़ा रह सकता हूँ।”

वो दोनों मिलकर उस दरार पर एक स्केच बनाते हैं — एक पुल, जो दो किनारों को जोड़ता है।

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📷 भाग 3: विराज का प्रस्ताव

विराज जान्हवी को एक तस्वीर देता है — उसमें दोनों की परछाइयाँ हैं, लेकिन चेहरा नहीं।

वो कहता है:  
> “अगर तुम चाहो… तो हम इस तस्वीर को नाम दे सकते हैं — हम।”

जान्हवी चुप हो जाती है — उसकी आँखों में आँसू हैं।

> “मैं चाहती हूँ… लेकिन डरती हूँ।”

विराज जवाब देता है:  
> “मैं भी डरता हूँ… लेकिन तुम्हारे साथ डरना आसान लगता है।”

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☕ भाग 4: रीमा की सलाह

जान्हवी रीमा से मिलती है — उसे सब बताती है।

रीमा कहती है:  
> “अगर तुम रुक गई… तो वो भी रुक जाएगा।  
> लेकिन अगर तुम चल पड़ी… तो शायद वो तुम्हारे साथ दौड़ने लगे।”

जान्हवी सोचती है — क्या मैं फिर से किसी के साथ चल सकती हूँ?

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🌌 भाग 5: फैसला

जान्हवी और विराज फिर उसी मोड़ पर आते हैं — इस बार वो एक-दूसरे का हाथ थामे हुए हैं।

जान्हवी कहती है:  
> “चलो… उस रास्ते पर जहाँ कोई नक्शा नहीं है।”

विराज मुस्कराता है —  
> “क्योंकि अगर तुम साथ हो… तो रास्ता खुद बन जाएगा।”

वो दोनों चल पड़ते हैं — बारिश अब नहीं है, लेकिन उनके दिलों में एक नमी है… जो अब मोहब्बत बन चुकी है।

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🌅 भाग 6: सुबह की पहली किरण

जान्हवी और विराज एक पहाड़ी स्टेशन पर पहुँचे हैं — वहाँ सुबह की पहली किरण उनके चेहरे पर पड़ती है।

जान्हवी कहती है:  
> “कभी-कभी लगता है… ये सूरज सिर्फ हमारे लिए उगता है।”

विराज मुस्कराता है:  
> “क्योंकि तुम उसके जैसी हो — रोशनी देती हो, लेकिन खुद जलती हो।”

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🎶 भाग 7: वो गाना

विराज एक पुराना गाना बजाता है — वही जो जान्हवी की माँ गाया करती थी।

जान्हवी चौंक जाती है —  
> “तुम्हें कैसे पता?”

विराज कहता है:  
> “तुम्हारी आँखों में वो सुर हैं… जो शब्दों से ज़्यादा बोलते हैं।”

वो दोनों चुपचाप बैठते हैं — गाना चलता रहता है, और हवा में एक सुकून घुल जाता है।

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📖 भाग 8: जान्हवी की डायरी

जान्हवी अपनी पुरानी डायरी खोलती है — उसमें एक पन्ना है जो अधूरा है।

वो कहती है:  
> “मैंने इसे कभी पूरा नहीं किया… क्योंकि मुझे नहीं पता था कि अंत कैसा होगा।”

विराज एक पेन उठाता है —  
> “तो चलो… इसे साथ में लिखते हैं।”

वो दोनों मिलकर उस पन्ने पर लिखते हैं:  
> “उस पल में सब कुछ था — डर, उम्मीद, और वो एहसास… जिसे हम प्यार कहते हैं।”

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🌌 भाग 9: टेरेस पर वो रात

रात को दोनों टेरेस पर बैठते हैं — चाँद पूरा है, और तारे साफ़ दिख रहे हैं।

जान्हवी कहती है:  
> “अगर ये पल कभी खत्म हो गया… तो क्या हम फिर से ऐसे मिल पाएँगे?”

विराज जवाब देता है:  
> “अगर ये पल सच्चा है… तो ये कभी खत्म नहीं होगा।”

वो दोनों एक-दूसरे की तरफ देखते हैं — कोई शब्द नहीं, सिर्फ एक एहसास।

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🕊️ भाग 10: समापन

- एक गाना जो दिल से निकला  
- एक पन्ना जो अब पूरा है  
- और एक चाँदनी रात — जिसमें दो दिलों ने एक पल को ज़िंदगी बना लिया

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Writer: Rekha Rani