जानवी और विराज अब एक ही घर में हैं, लेकिन उनके बीच की बातचीत कम होती जा रही है।
विराज देर रात तक अपने कैमरे और लैपटॉप में डूबा रहता है, जबकि जानवी दीवारों से बातें करती है।
एक शाम जानवी ने कहा:
> “तुम अब भी मेरे साथ हो… लेकिन तुम्हारी साँसें कहीं और हैं।”
विराज ने जवाब नहीं दिया — और यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी।
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जानवी ने अपनी स्केचबुक में एक नई तस्वीर बनाई —
एक दीवार, जिसमें दरार थी, और उस दरार से पानी टपक रहा था।
नीचे लिखा:
> “अगर मोहब्बत दरारों से बहने लगे… तो क्या वो बच सकती है?”
विराज को एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला — लेकिन उसे जयपुर छोड़ना पड़ा।
जानवी ने पूछा:
> “क्या तुम मुझे छोड़ रहे हो?”
विराज ने कहा:
> “नहीं… मैं खुद को ढूंढने जा रहा हूँ।”
जानवी ने उसकी आँखों में देखा — और पहली बार, उसे विराज की मोहब्बत से ज़्यादा उसकी दूरी महसूस हुई।
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जानवी ने एक पुरानी तस्वीर देखी — जिसमें विराज और वो स्टेशन की दीवार के सामने खड़े थे।
उसने तस्वीर के पीछे लिखा:
> “तुमने मुझे उस शाम पाया था… अब मैं खुद को उस शाम में खो रही हूँ।”
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जानवी ने दीवार पर एक नई स्केच बनाई —
एक लड़की, जो बारिश में भीग रही है, लेकिन उसके हाथ खाली हैं।
नीचे लिखा:
> “बूंदें गिरती रहीं… लेकिन मैं उन्हें पकड़ नहीं पाई।”
विराज ने जानवी के लिए एक खत लिखा — लेकिन उसे भेजा नहीं।
> *“मैं तुमसे दूर नहीं हूँ… लेकिन खुद से बहुत दूर चला गया हूँ।
> अगर तुम अब भी मेरी कहानी में हो, तो मुझे फिर से लिखना सिखाओ।”*
जानवी ने अपनी डायरी में लिखा:
> *“अब मैं विराज की नहीं… उस शाम की हूँ, जहाँ उसने मुझे देखा था।
> अगर वो लौटे, तो मैं फिर से साँस लूँगी।
> वरना मैं बूंदों में ही रह जाऊँगी — छुपी हुई, अधूरी।”*
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विराज को एक इंटरनेशनल फोटोग्राफी प्रोजेक्ट मिला — पेरिस में।
जानवी ने मुस्कराकर कहा:
> “तुम्हारी तस्वीरें अब दुनिया देखेंगी… लेकिन क्या मैं तुम्हारी दुनिया में रहूँगी?”
विराज चुप रहा।
उसने कहा:
> “ये मौका ज़िंदगी बदल सकता है।”
जानवी ने जवाब दिया:
> “और मैं?”
विराज ने कुछ नहीं कहा — और अगली सुबह चला गया।
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जानवी ने दीवार पर एक नई स्केच बनाई —
एक लड़की, जो बारिश में भीग रही है, लेकिन उसके हाथ खाली हैं।
नीचे लिखा:
> “बूंदें गिरती रहीं… लेकिन मैं उन्हें पकड़ नहीं पाई।”
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पेरिस में विराज अकेला था — भीड़ में, लेकिन खाली।
उसने जानवी को एक खत लिखा — लेकिन भेजा नहीं।
> *“मैं तुमसे दूर नहीं हूँ… लेकिन खुद से बहुत दूर चला गया हूँ।
> अगर तुम अब भी मेरी कहानी में हो, तो मुझे फिर से लिखना सिखाओ।”*
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जानवी ने अपनी डायरी में लिखा:
> *“अब मैं विराज की नहीं… उस शाम की हूँ, जहाँ उसने मुझे देखा था।
> अगर वो लौटे, तो मैं फिर से साँस लूँगी।
> वरना मैं बूंदों में ही रह जाऊँगी — छुपी हुई, अधूरी।”*
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विराज ने पेरिस की गलियों में एक तस्वीर ली —
एक लड़की, जो खिड़की से बाहर देख रही थी।
उसने उस तस्वीर के नीचे लिखा:
> “मैंने उसे खो दिया… लेकिन उसकी परछाई अब भी मेरे साथ है।”
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जानवी को एक दिन वो खत मिला — जो विराज ने भेजा नहीं था, लेकिन रीमा ने उसे पेरिस से लाकर दिया।
जानवी ने उसे पढ़ा — और पहली बार, उसकी आँखों में आँसू नहीं थे… सिर्फ एक मुस्कान थी।
उसने दीवार पर लिखा:
> “अगर मोहब्बत लौटना चाहे… तो दरवाज़ा खुला है।”---
दीवार पर एक नई स्केच के साथ —
एक दरवाज़ा, जो आधा खुला है… और बाहर बारिश हो रही है।
नीचे लिखा है:
> “अब मोहब्बत सिर्फ छुपी नहीं… वो लौटने की कोशिश कर रही है।”
writer : Rekha Rani