(कुणाल टोनी के खिलाफ प्रिया से बयान दिलाना चाहता है, लेकिन ललिता घर की इज़्ज़त का हवाला देकर मना कर देती है। कुणाल उलझन में पड़ जाता है। प्रिया रोमांस के ख्यालों में खोई रहती है और कुणाल से उसकी नोकझोंक, छेड़छाड़ और मासूमियत भरे पल चलते हैं। कुणाल प्रिया को बचाने के दौरान उसकी नाटकबाज़ी पकड़ लेता है और माथे पर किस देकर रिश्ते की मर्यादा जताता है। घर लौटकर प्रिया, रिया की शादी को लेकर उसकी बेचैनी और पढ़ाई छोड़ने पर सवाल उठाती है। रिया टालने की कोशिश करती है, पर उसकी असली परेशानियां छिपी रहती हैं। वैभव और कुमुद यह देखकर आंसू बहाते हैं। अब आगे)
प्रिया का फैसला
प्रिया का फोन बजा। वह नाराज होते हुए बोली—"क्या? तुम जर्मनी जा रहे हो?"
फिर अचानक उसका चेहरा उतर गया—"अभी क्यों? शादी के बाद हनीमून में साथ चलते न… अच्छा, कितने दिन के लिए? सिर्फ तीन दिन? ठीक है, पर मुझे याद करना।"
वह फोन रखते हुए रिया के कमरे की तरफ बढ़ी। अंदर जाने ही वाली थी कि उसके कदम थम गए। रिया फोन पर धीमी आवाज़ में बोल रही थी—"हाँ, मैं आ जाऊंगी। पर आज की तरह कुछ नहीं होना चाहिए…"इतना कहते ही उसकी रुलाई फूट पड़ी। वह दीवार से टिककर ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी।प्रिया घबराकर दौड़ी, "दीदी! क्या हुआ?"रिया ने सिर झुका लिया, आँसू बहते रहे।
प्रिया को समझ आ गया—कुछ बहुत गलत है।
.....
अगले दिन रिया जैसे ही बाहर निकली, प्रिया चुपचाप उसके पीछे लग गई।
रिया की कार दीदार डिस्को के बाहर जाकर रुकी। प्रिया ठिठक गई—"ये वही जगह है जहाँ आने से कुणाल ने मना किया था… दीदी यहां क्यों?" रिया बिना देखे अंदर चली गई। प्रिया ने उसका पीछा किया। तेज़ रोशनी, धुआं और शोर के बीच उसने चारों तरफ देखा, पर रिया कहीं नहीं दिखी। कुछ कदम और बढ़ाई, तो उसकी सांस थम गई। रिया तीन-चार लड़कों से घिरी हुई थी। वे जबरन उसे पकड़ रहे थे। एक लड़का हंसते हुए बोला— "जा आदित्य, तेरा सारा कर्ज़ा माफ़! लड़की मस्त है।"
पास में आदित्य शराब के नशे में डगमगा रहा था। रिया का चेहरा पथराया हुआ था, आँखों में हार मान लेने का दर्द साफ दिख रहा था। तभी एक लड़के ने रिया को छूने के लिए हाथ बढ़ाया। "छूने की हिम्मत मत करना!"—एक चीख गूंजी।
प्रिया थी। उसने ज़ोर से उस लड़के को धक्का दे दिया। फिर झपटकर पास की बोतल उठाई और दूसरे लड़के के सिर पर दे मारी। "मेरी बहन को हाथ लगाया तो जान से मार दूंगी!" सारे लड़के हक्के-बक्के रह गए। तभी आदित्य चौंक गया - "मैं जो चाहे करूं यह मेरी होने वाली.." प्रिया ने एक जोरदार तमाचा आदित्य के गाल पर जड़ दिया। "खबरदार! अगर दोबारा मेरी दीदी का नाम भी अपनी गंदी ज़ुबान पर लाया तो। यह शादी तो कभी नहीं होगी!" रिया का हाथ पकड़कर बोली, "चलो दीदी, यहां से!" एक लड़का फिर रिया को रोकने के लिए बढ़ा। प्रिया ने उसके सामने बोतल उठाकर घूरा। वह डरकर पीछे हट गया।
बाहर निकलते ही रिया ने कार स्टार्ट की और गुस्से में कहा—"अगर मेरी शादी टूटी तो तेरी भी शादी कुणाल से नहीं होगी!" प्रिया ने गुस्से में जवाब दिया—"आप चुप रहिए, दीदी! जब आवाज़ उठानी चाहिए थी, तब आप खामोश थीं… अब मुझे मत रोकिए।" कार तेज़ी से घर की ओर भाग रही थी, लेकिन दोनों बहनों के दिल में तूफ़ान मचा था।
...
रिया और प्रिया जैसे ही घर पहुँचीं, सामने वैभव और कुमुद के साथ ललिता सोफे पर बैठी थीं।
बगल में आदित्य खड़ा था। रिया आगे बढ़कर ललिता के पैर छूने झुकी, जबकि प्रिया वहीं खड़ी रही। रिया ने इशारे से उसे भी झुकने को कहा। प्रिया ने अनमने ढंग से पैर छुए, फिर सीधा आदित्य की ओर घूरने लगी।
कुमुद बोली—"जाओ, अपनी सासूमां के लिए कुछ लेकर आओ।" रिया उसका हाथ पकड़कर खींचने लगी, लेकिन प्रिया उसी वक्त ललिता के सामने वाले सोफे पर बैठ गई।
वैभव ने हंसते हुए टोका—"मज़ाक मत करो, जाकर चाय पानी लेकर आओ।"
प्रिया अचानक ज़ोर से बोली—"विमला काकी! ज़रा चाय-पानी ले आना मेहमानों के लिए।"
ललिता का चेहरा कस गया।—"हमें तुम नौकरों के हाथ से…"प्रिया हल्की मुस्कान के साथ बोली—"अपने घर में भी तो नौकरों के हाथ से ही चाय लेते हो न।"
कुमुद चिल्लाई—"प्रिया! यह घर के मेहमान हैं। माफ़ी माँगो अभी! मत भूलो, यह तुम्हारी सास हैं।"
इतने में विमला ट्रे लेकर आ गई। प्रिया ने ट्रे लेकर ललिता के आगे कप बढ़ाया—"लो सासू मां, चाय।" ललिता ने चेहरा फेर लिया। प्रिया ने कप ज़मीन पर रख दिया और आदित्य की तरफ देखा—"और जीजू! आपको चाय की ज़रूरत ही नहीं। शराब में ज़्यादा मज़ा है न?"
ललिता गुस्से में फट पड़ी—"तुम्हारी इतनी हिम्मत—"रिया ने तुरंत प्रिया को पकड़कर खींचा। तभी ललिता गरज उठी—"रिया हमारे घर की बहू बन सकती है, लेकिन यह लड़की कभी नहीं।"
प्रिया ने हाथ छुड़ाकर सीधे कहा—"गलत। बहू मैं बन सकती हूं… सिर्फ मैं। रिया दी नहीं।"वह कुछ पल मुस्कुराई और मीठी आवाज़ में बोली—"सासू मां…"
धड़ाक!
कुमुद ने उसे एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
वैभव बीच में आया—"रुकिए! वो अभी बच्ची है।"लेकिन प्रिया अडिग खड़ी रही। उसने वैभव की तरफ देखते हुए कहा—"एक मिनट। आप अपनी बेटी का भविष्य बनाने के लिए अपने भाई-भाभी की बेटी की जिंदगी बर्बाद करोगे, जिन्होंने आपको अपने बच्चे की तरह पाला?"
ललिता ने ठंडे स्वर में कहा—"तुम्हें शायद पता नहीं, इस शादी की शर्त यही है। तुम्हारी कुणाल से शादी के बदले रिया आदित्य से ब्याही जाएगी।"
प्रिया के पैरों तले ज़मीन खिसक गई—"क्या?"
वैभव ने कुछ कहना चाहा—"बेटा, वो…"
प्रिया कटाक्ष भरी हंसी के साथ बोली—"तो आप लोग दीदी की जिंदगी पहले ही मेरे लिए बेच चुके हैं!"
ललिता सख्त आवाज़ में बोली—"रिया और आदित्य की शादी होगी तभी...."
प्रिया अचानक चीख पड़ी—"नहीं होगी!" वह आगे बढ़ी, सीधे ललिता की आंखों में झांककर बोली—"और अगर मेरी और कुणाल की शादी इस शर्त पर टिकी है, तो मैं कुणाल से रिश्ता तोड़ती हूं।" पूरा हॉल सन्न रह गया। कुमुद और वैभव अवाक् खडे़ रह गए। प्रिया ने उठकर विमला की ओर देखा—"डोगरा खानदान में मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी न करना। बस इतना बता देना—इस घर की बेटी नहीं मिलेगी।" यह कहकर उसने रिया का हाथ थामा और दोनों कमरे की ओर बढ़ गईं।
...
1. क्या प्रिया का यह विद्रोह उसके और कुणाल के रिश्ते को हमेशा के लिए तोड़ देगा?
2. रिया की चुप्पी कोई बड़ी क़ीमत तो नहीं मांगेगी?
3. राठौड खानदान इस अपमान का क्या जवाब देगा—प्रिया पर वार या उसके लिए नया जाल?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र।"