O Mere Humsafar - 20 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 20

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ओ मेरे हमसफर - 20

(प्रिया को पता चलता है कि रिया डिस्को में आदित्य और उसके दोस्तों के बीच फंसी है। वह बहादुरी से रिया को बचाती है और आदित्य को थप्पड़ मारकर उसकी शादी का विरोध करती है। घर लौटने पर प्रिया ललिता और कुमुद का सामना करती है, जहाँ यह राज़ खुलता है कि कुणाल से उसकी शादी की शर्त रिया की शादी आदित्य से है। प्रिया सबके सामने विद्रोह करती है और कहती है कि अगर यह शर्त है, तो वह कुणाल से रिश्ता तोड़ देगी। पूरा परिवार सन्न रह जाता है। अब आगे)

सम्मान और प्यार 

रिया रोते हुए बोली "यह तूने क्या किया?"

प्रिया ने कुर्सी पर आराम से बैठी  "IAS OFFICER की चाह रखने वाली इतनी कमजोर कैसे हो गयी?"

वह एक मिनट रूकी और कहा "आपने कही इसके कहने पर तो"

रिया ने कहा "इन्होंने परमिशन नहीं दी।"

प्रिया ने घूरते हुए कहा "यह कौन होते हैं परमिशन देने वाले?"

रिया चिल्लाकर बोली "बस कर। तूने अपनी जिंदगी खराब कर दी।"

प्रिया ने कहा "आप आज शाम की फ्लाइट से ही एकेडिमी जाओगी और अपनी IAS की पढ़ाई करोगी और तब तक लौटकर मत आना , जब तक आप सफल नहीं हो जाती।"

तभी उसने एक फोन किया "हैलो, मुझे आप शाम की दिल्ली की टिकट चाहिए, हां रिया डोगरा के नाम से, हां , घर भिजवा दीजिए।"

"पैकिंग कर लीजिए।" बोलकर प्रिया बाहर निकली ही थी कि कुणाल का कोल आ गया।

कुणाल का नाम देखते ही वह आगबबुला हो गयी और उसने फोन जोर से जमीं में पटक दिया और बाहर निकल गयी।

प्रिया एक नौकर की तरफ बढी - हेमंत काका! सारे नौकरों को बता दो कि रिया दीदी कहां है? यह खबर इस हवेली से बाहर न जाए।

वैभव ने कहा "तू रिया को दिल्ली भेज रही है, पर उसका.."

प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा "आप कुणाल को नहीं जानते? दीदी वाराणसी गयी तो कुणाल दीदी को पकड़ सकता है और पकड़ लिया तो ...इसलिए दीदी को दिल्ली भेजा ।"

...

एयरपोर्ट में रिया कहती है "कुणाल आदित्य से अलग है। तेरी जिंदगी है वो, तू तो प्यार करती है कुणाल से"

प्रिया ने कहा "सबसे ज्यादा प्यार अपने परिवार से करती हूं। जाइए, फ्लाइट का टाइम हो गया। प्रिया तब तक देखती रही, जब तक रिया दिखती रही।"कार में बैठी वह सोचने लगी "कुणाल के प्यार में इतनी अंधी हो गयी कि रिया का दुख न देख पाई।" और आंखों में आंसू भर उसने पछतावे में अपना चेहरा ढक लिया।

....

घर पहुंची तो सामने कुणाल था।

कुणाल को देखते ही प्रिया दौड़कर उसके गले लग गई। उसकी आँखों में चमक थी, होंठों पर वही चिरपरिचित शरारती मुस्कान। कुमुद और वैभव दरवाज़े पर खड़े चुपचाप यह सब देख रहे थे।

प्रिया ने लाड़ से कहा—"अरे! तुम तो ३ दिन में आने वाले थे, एक दिन में ही लौट आए। मेरी याद सता रही थी न।"

लेकिन कुणाल का चेहरा सख्त हो गया। उसने उसे खुद से अलग किया और तड़पकर पूछा—"रिया भाभी कहां है?"

प्रिया ने चौंकते हुए हंसकर कहा—"अरे भाभी नहीं है वह तुम्हारी, रिश्ता टूट गया है। सासू मां ने बताया नहीं?"

कुणाल का सब्र टूट गया। वह ज़ोर से चीखा—"सगाई होने के बाद शादी से मुकर जाना सरासर ग़लत है!"

वह गुस्से से वैभव के पास गया—"अगर यह रिश्ता टूटा तो कहीं के नहीं रहोगे आप लोग। आदित्य भैया ने रिया भाभी की वजह से सुसाइड करने की कोशिश की है। वह…"

कुमुद घबरा उठी—"हे भगवान! ठीक कर तो है न आदित्य?"

प्रिया ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा—"अरे मां! सुना नहीं, आत्महत्या नहीं, आत्महत्या की कोशिश की है। मतलब जिंदा है मेरे जेठजी।"

उसकी बात पूरी भी न हुई थी कि कुणाल ने गुस्से से उसके गाल पर जोरदार चांटा जड़ दिया।

प्रिया ने अपना चेहरा सहलाया, फिर भी हंसते हुए बोली—"अरे! तुम्हारा परिवार मतलब मेरा परिवार। मैं जेठजी की पूरी सेवा करूंगी। दो दिन में ठीक हो जाएंगे। वैसे भी हमारी शादी के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। मैं तो कहती हूं आज शॉपिंग करने चलते हैं।"

कुणाल ने झपटकर प्रिया के चेहरे को अपने हाथों में जकड़ लिया, उसकी आंखों में आग थी—"मेरे सब्र का इम्तेहान मत लो, बताओ रिया भाभी कहां है?"

प्रिया ने ठंडी आवाज़ में कहा—"क्या? मेरे नाम से ज्यादा रिया भाभी का नाम है तुम्हारे जबान में। सासु मां नाराज़ हैं, चलो भागकर शादी कर लेते हैं। रिया दी पीछे हट गयी तो क्या हुआ? मैं हूं न, मैं तुमसे हर हालत में शादी करूंगी।"

कुणाल ने उसकी आंखों में आंखें डालकर ठंडी सांस खींची—"आदित्य भैया की शादी रिया भाभी से होगी, तभी तुम्हारी शादी मेरे साथ होगी। अब बताओ कि…"

प्रिया ने झटके से खुद को छुड़ाया—"रिया दीदी के लायक नहीं है तुम्हारा भाई, समझे।"

कुणाल ने उसकी आंखों में आंखें डालते हुए धमकी दी—"अगर आदित्य भैया को कुछ हुआ तो…"

प्रिया ने बेपरवाही से कहा—"कुछ नहीं होगा, इतना भी दीवाना नहीं है तुम्हारा भाई।"

कुणाल गुस्से से बाहर निकल गया—"बर्बाद कर दूंगा मैं तुम सबको। तुम्हारी वजह से मेरी मां के आंखों में आंसू आए हैं।"

दूसरी ओर, आदित्य बिस्तर पर पड़ा था। चेहरा पीला, सांसें भारी। उसके पास ललिता बैठी थी, लगातार रो रही थी।

वह सिसकते हुए बोली—"रिया डोगरा का पता लगाओ, किसी भी हालत में।"

कुणाल अपने कमरे की ओर बढ़ा ही था कि तभी भानु ने उसे रोका। चेहरे पर तंज था—"क्या कहा उसने? रिया का पता नहीं दिया उसने। देखा… छोड़कर भाग गयी रिया। और याद रखना, एक दिन प्रिया भी भाग जाएगी।"

भानु की यह बात कुणाल के दिल में तीर की तरह लगी। वह ठिठक गया। आंखों में बेचैनी भरकर वह डोगरा हाउस पहुंचा।

लेकिन हवेली अब वीरान थी—सूनी सी, खामोश।

कुणाल ने पूरे जोश से चिल्लाया—"प्रिया! तुम मुझे नहीं छोड़ सकती!"

उसकी गूंज हवेली की दीवारों से टकराती रही, लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा था।

....

1. क्या आदित्य की हालत सचमुच इतनी नाज़ुक है या फिर यह सब एक सोची-समझी चाल है, ताकि रिया और प्रिया को जाल में फंसाया जा सके?

2. प्रिया ने जो बड़ा कदम उठाया है, उसके बाद क्या वह कुणाल की हमसफ़र बन पाएगी या उसका यह सपना अधूरा रह जाएगा?

3. डोगरा हाउस का वीरान होना क्या सिर्फ़ एक इत्तेफाक़ है, या इसके पीछे कोई गहरा और खतरनाक राज़ छुपा है?

...

जानने के लिए पढ़ते रहिए स्त्री सम्मान और प्रेम के रास्ते फंसी कहानी "ओ मेरे हमसफर''