Chhaya Pyaar ki - 19 in Hindi Women Focused by NEELOMA books and stories PDF | छाया प्यार की - 19

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छाया प्यार की - 19

(छाया और नित्या पढ़ाई व रिश्तों की उलझनों में फँसी थीं। छाया ने विशाल के जन्मदिन के लिए बचाए पैसे किताब पर खर्च किए, जिससे उसकी ईमानदारी और त्याग सामने आया। विशाल ने इसे ही अपना गिफ्ट मानकर दिल से स्वीकार किया। गार्डन में छाया के गिरते समय विशाल ने उसे थामा और दोनों की नज़रें टकराईं—दिल की बात बिना कहे भी साफ़ हो गई। उधर नित्या का पीछा करने वाले से इंस्पेक्टर ठाकुर ने उसकी रक्षा की और उसके मासूम स्वभाव ने ठाकुर के मन में पहली बार भावनाएँ जगाईं। पढ़ाई, रिश्ते और दिल की धड़कनों के बीच कहानी और गहरी होती गई। अब आगे)

परीक्षा द टेरर

कालेज का माहौल इन दिनों बिल्कुल बदल चुका था। गलियारों में पहले जो ठहाके, मस्ती और बेफिक्र बातें गूंजा करती थीं, उनकी जगह अब तनाव, खामोशी और किताबों की सरसराहट ने ले ली थी। परीक्षा का समय नज़दीक आ गया था और हर छात्र-छात्रा अपनी-अपनी तैयारी में जी-जान से जुटा हुआ था।

छाया और काशी भी उन्हीं में से थीं। दोनों को पहले से ही हल्का-फुल्का डर था, लेकिन उस दिन जब नोटिस बोर्ड पर डेटशीट लगी, तो उनका डर जैसे हकीकत बन गया।

“देख छाया!” काशी ने अचानक इशारा किया।

छाया ने घबराकर उसकी उंगली की दिशा में देखा—सचमुच डेटशीट टंगी हुई थी।

“ओह माय गॉड…” छाया ने आंखें चौड़ी कर लीं, “इतना कम टाइम! हम पढ़ेंगे कैसे?”

काशी ने मुंह लटका लिया। “मेरे ससुराल वाले पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं। मुझे पास होना ही पड़ेगा वरना मेरी खैर नहीं।”

छाया ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए मुस्कुराकर कहा, “अरे पगली, फेल हो गई तो अनपढ़ थोड़ी न हो जाएगी।”

यह सुनते ही काशी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “छाया! मज़ाक करने का टाइम है क्या?”

छाया खिलखिलाकर हंस पड़ी और तुरंत वहां से भाग गई। काशी गुस्से से चिल्लाई, “रूक ज़रा! आज तुझे छोड़ूंगी नहीं।” और दोनों हंसते-भागते गलियारे में दौड़ पड़ीं।

लेकिन ये हंसी-ठिठोली ज़्यादा देर नहीं चली। पूरे कालेज में परीक्षा की गंभीरता छाई हुई थी। लाइब्रेरी में पहले कभी इतनी भीड़ नहीं देखी गई थी। हर टेबल पर किताबों का ढेर और सिर झुकाए छात्र। छाया और काशी को बार-बार दोस्तों की तरफ़ से यही सलाह मिल रही थी—“अब सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो।”

दोनों दिन-रात मेहनत करने लगीं। घरवाले भी भरपूर सहयोग दे रहे थे। छाया की मां, नम्रता, तो उसके लिए पौष्टिक खाना बनाकर लातीं और बार-बार समझातीं—“बेटा, टेंशन मत लो, बस मेहनत करती रहो।”

धीरे-धीरे वह दिन आ ही गया जब पहली परीक्षा होनी थी। सुबह-सुबह पूरा शहर मानो दुआओं में डूब गया। कोई मंदिर में माथा टेक रहा था, कोई मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहा था। किसी ने चर्च में मोमबत्ती जलाई तो कोई गुरुद्वारे में मत्था टेक आया।

छाया और काशी भी दुआ मांगकर कॉलेज पहुंचीं। जैसे ही गेट पर कदम रखा, काशी की नजर सामने खड़ी एक कार पर पड़ी। कार से डैनी उतर रहा था।

“देख, डैनी!” काशी ने धीरे से कहा।

छाया ने उसे देखा, फिर बेपरवाही से मुस्कुराकर काशी की बांह पकड़ ली। “चिंता मत कर, आज परीक्षा है, हमें इन सब बातों से फर्क नहीं पड़ना चाहिए।”

काशी ने उसे घूरा तो छाया ने मज़ाकिया चेहरा बनाया। दोनों खिलखिलाकर हंस दीं और हंसी में डर जैसे कुछ देर के लिए गायब हो गया।

कक्षाएं अलग-अलग थीं, इसलिए दोनों अलग-अलग दिशा में चली गईं। प्रश्नपत्र मिलते ही छाया का दिल बैठ गया। कई सवाल ऐसे थे जिनके जवाब वह ठीक से नहीं जानती थी। किसी तरह पेपर पूरा करके जब बाहर निकली, तो उसका चेहरा उतर चुका था।

काशी भी बाहर आई और बिना कुछ पूछे समझ गई। उसने बस मुस्कुराकर छाया का हाथ थाम लिया, “इट्स ओके, छाया। अगली बार अच्छा होगा।”

अचानक दोनों के सामने डैनी आ खड़ा हुआ। छाया ने जैसे ही उसे देखा, गुस्से से चीख पड़ी, “सुनो डैनी! मेरा मूड वैसे ही बहुत खराब है। अगर ज़रा भी बकवास की न, तो अच्छा नहीं होगा।”

डैनी ने तुरंत हाथ जोड़ दिए, “नहीं छाया, मैं कुछ गलत नहीं कहूंगा। मैं बस माफी मांगना चाहता हूं। मैंने जो कुछ भी किया… उसके लिए मुझे माफ कर दो। आज के बाद मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा।”

छाया और काशी ने हैरानी से एक-दूसरे को देखा। छाया ने सोचा शायद वह सिर्फ कॉलेज वाली बदतमीज़ियों की बात कर रहा है। उसे यह पता ही नहीं था कि नौकरी के बहाने उससे बड़ी साजिश रची गई थी।

तभी विशाल वहां आया। उसने इशारे से डैनी को चुप रहने का आदेश दिया। छाया ने गुस्से से कहा, “ठीक है, लेकिन आज के बाद अगर कोई हरकत की न, तो अच्छा नहीं होगा।” और काशी के साथ आगे बढ़ गई।

डैनी स्तब्ध खड़ा रह गया। उसे यकीन ही नहीं हुआ कि छाया ने इतनी आसानी से माफ कर दिया। तभी पीछे से विशाल की आवाज़ आई—

“बाथरूम के बाहर जो किया था, उसके लिए उसने तुझे माफ किया है। नौकरी वाले खेल के बारे में उसे कुछ पता नहीं। पुलिस ने भी किसी को नहीं बताया। अगर बताते तो तेरी जिंदगी बर्बाद हो जाती।”

डैनी का चेहरा पीला पड़ गया। “क्या सच में छाया को नहीं पता?”

विशाल ने ‘नहीं’ में सिर हिलाया।

डैनी ने राहत की सांस ली और उसका हाथ पकड़कर बोला, “थैंक यू! अबकी बार सचमुच गलती नहीं होगी।” विशाल ने हल्की मुस्कान दी और वहां से चला गया।

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शाम को छाया अपने कमरे में बैठी पढ़ाई कर रही थी। व्हाट्सएप ग्रुप में विनय ने सवालों के हल भेजे थे। लेकिन तनाव इतना था कि छाया को याद ही नहीं आ रहा था उसने पेपर में क्या लिखा था। झुंझलाकर उसने वह फाइल डिलीट कर दी और किताब बंद कर दी। सिर थकान से मेज़ पर रख दिया।

कुछ देर बाद उसकी मां नम्रता कमरे में आईं। उन्होंने छाया के सिर पर हाथ रखा, “बेटा…”

छाया ने अचानक सिर उठाया। आंखों में आंसू थे। नम्रता घबरा गईं। “क्या हुआ? कुछ तो बोल।”

छाया रोते-रोते बोली, “मां! आपने मेरी पढ़ाई में इतना खर्च किया… और मैं अच्छे मार्क्स भी न ला पाई। आप सबको निराश कर दिया।”

नम्रता ने उसे गले लगा लिया। “पगली! ऐसी कोई बात नहीं। मेहनत कर रही हो न? तो अच्छे मार्क्स ज़रूर आएंगे। लेकिन इतना टेंशन लेना ठीक नहीं है।”

छाया ने आंखें पोंछीं। मन ही मन ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो, उसे अच्छे नंबर लाने हैं। यही उसका फर्ज है। तभी नम्रता ने मुस्कुराते हुए कहा, “चल, नीचे आ जा। केशव भैया सबके लिए गोलगप्पे लाए हैं।”

छाया हल्की-सी मुस्कान के साथ नीचे चली गई।

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उधर काशी के घर पर भी फोन आया। ससुरालवालों ने उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा। मां ने फख्र से कहा, “बहुत अच्छा कर रही है। आज का एग्ज़ाम भी अच्छा गया।”

फिर थोड़ी देर रुककर धीरे से बोलीं, “मंगनी तो हो चुकी है… एक्ज़ाम के बाद शादी की बात…” और फिर अचानक चुप हो गईं। कुछ देर सुनने के बाद बोलीं, “ठीक है, डिग्री मिलने के बाद ही शादी होगी। नमस्ते।”

फोन रखते हुए उनके चेहरे पर संतोष था। उन्हें यकीन था कि काशी अब संभल चुकी है और अपने सपनों को पूरा करेगी।

छाया और काशी दोनों ही उस रात देर तक पढ़ाई में जुटी रहीं। एक तरफ जिम्मेदारियां थीं, दूसरी तरफ सपनों का बोझ। लेकिन दोनों के दिल में कहीं न कहीं यह भरोसा भी था कि अगर मेहनत और हिम्मत से आगे बढ़ेंगी, तो ज़िंदगी की हर परीक्षा पास कर जाएंगी।

...

1. क्या छाया सचमुच अच्छे मार्क्स लाकर अपनी मां और परिवार की उम्मीदों को पूरा कर पाएगी, या टेंशन में कोई बड़ी गलती कर बैठेगी?

2. डैनी का काला सच अगर छाया को पता चला तो वह उसके प्रति इतनी आसानी से की गई माफ़ी को कैसे देखेगी?

3. काशी की मंगनी के बीच उसकी पढ़ाई और शादी का संतुलन कैसे बनेगा—क्या ससुराल वाले परीक्षा के नतीजों से खुश होंगे या कोई नया दबाव आएगा?

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की"