एक ऐसी दुनिया भी होती है जहां 8 घंटे का दिन होता है, 8 घंटे की रात होती है और 8 घंटे का रासू होता है, रासू के वक्त सूरज हरे रंग का हो जाता है ।
---
रासू की दुनिया
बहुत दूर, हमारी पृथ्वी में ही, एल्वारा नाम की एक दुनिया है। यहाँ का समय तीन हिस्सों में बंटा होता है—
8 घंटे दिन,
8 घंटे रात,
और सबसे रहस्यमय 8 घंटे रासू।
दिन में सूरज चमकता है सोने जैसा पीला, रात में आकाश तारों से जगमगाता है, लेकिन रासू के वक्त सूरज हरे रंग का हो जाता है। यह दृश्य न केवल आसमान बल्कि पूरे वातावरण को जादुई बना देता है। पेड़-पौधे उस समय सांस लेते हुए जैसे चमकने लगते हैं, और नदियाँ हरे पन्ने जैसी रोशनी में झिलमिलाती हैं।
लोग मानते हैं कि रासू का समय दुनिया की आत्मा से जुड़ने का पल है। यहाँ के निवासी, जिन्हें लूमारी कहा जाता है, रासू में अपनी आँखें बंद करके धरती से संवाद करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि रासू के दौरान जो इच्छा दिल से माँगी जाए, वह दुनिया सुन लेती है।
---
कहानी की शुरुआत
एक लूमारी बच्चा था — आरिन। वह हमेशा सोचता था कि हरा सूरज क्यों निकलता है? बाकी सब इसे चमत्कार मानते थे, लेकिन आरिन के मन में सवाल थे।
एक दिन रासू के समय वह अकेले जंगल में निकल पड़ा। वहाँ उसने देखा कि पेड़ों के बीच एक पुराना पत्थर चमक रहा है। जैसे ही उसने उसे छुआ, उसकी आँखों के सामने एक दृष्टि उभरी—
हरे सूरज का रहस्य।
असल में, हरा सूरज कोई चमत्कार नहीं था, बल्कि दो सूरजों का मिलन था। एल्वारा का असली सूरज और एक दूरस्थ अदृश्य सूरज, जो केवल रासू के समय पास आता है। उनके मिलने से पूरा आकाश हरे रंग में बदल जाता है। यह उस दुनिया की शुरुआत से ही था, जब से पृथ्वी का धीरे–धीरे निर्माण हो रहा था उसी दौरान कुछ ऐसा हुआ कि समय तीन हिस्सों में बंट गया, पहले तो लोगों को रासू की आदत नहीं थी लेकिन उन्होंने जल्द ही इसे स्वीकार कर लिया और हरे रंग की रोशनी में भी उनकी रहने की आदत हो गई, अब उन्हें ये समय अच्छा लगने लगा और फिर वो खुशी–खुशी इस समय के साथ जीने लगे, उनकी मान्यता थी कि ईश्वर की ये एक ऐसी रचना है जो उनके लिए वरदान है, हल्के हरे रंग की रोशनी अपने आप में एक दिव्य रचना है ।
---
क्लाइमेक्स
आरिन ने यह बात गाँव वालों को बताई, लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया। सबने कहा कि बच्चे ने सपना देखा है। पर अगले रासू में, उसने गाँववालों को उस पत्थर तक ले गया। जब सूरज हरा हुआ, तो पत्थर चमककर दोनों सूरजों की परछाईं दिखाने लगा।
उस दिन से लोगों ने समझा कि रासू सिर्फ जादू नहीं, बल्कि दुनिया का विज्ञान और रहस्य दोनों है। और आरिन को "हरे सूरज का खोजी" कहा जाने लगा।
---
अंत
आज भी एल्वारा में हर कोई रासू का इंतज़ार करता है। कुछ लोग इसे आत्मा से संवाद का समय मानते हैं, तो कुछ इसे प्रकृति का विज्ञान। लेकिन सभी जानते हैं—
हरे सूरज के 8 घंटे ही इस दुनिया की सबसे अनमोल घड़ी हैं।
---