The Mystery of Dumas beach in Hindi Horror Stories by aarya chouhan books and stories PDF | डुमस बीच का रहस्य

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डुमस बीच का रहस्य

गुजरात का डुमस बीच दिन में जितना जीवंत और आकर्षक लगता है, रात ढलते ही उतना ही सन्नाटे से भर जाता है। काली रेत और लहरों की गड़गड़ाहट इस जगह को रहस्यमय बना देती है। कहते हैं यह कभी श्मशान घाट था, जहाँ असंख्य चिताएँ जलाई गईं। लोगों का मानना है कि उन अधजली आत्माओं की छाया आज भी इस तट पर भटकती है।

पहला संकेत – कुत्तों की चेतावनी

शाम होते ही जब पर्यटक धीरे-धीरे लौट जाते हैं, बीच पर केवल हवा और लहरों का शोर बचता है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस समय कुत्ते अजीब व्यवहार करने लगते हैं। वे बिना वजह हवा में भौंकते हैं, कभी-कभी सिहर कर पूंछ दबा लेते हैं। गाँव के बुजुर्ग बताते हैं कि कुत्ते उन चीज़ों को देख लेते हैं जिन्हें इंसानी आँखें नहीं देख सकतीं।

दूसरी अफवाह – फुसफुसाहटें

कई लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने रात के समय डुमस बीच पर धीमी फुसफुसाहट सुनी है। जैसे कोई पास खड़ा होकर नाम पुकार रहा हो। कभी यह आवाज़ें हंसी में बदल जाती हैं, तो कभी किसी के रोने की करुण ध्वनि जैसी लगती हैं। पर जब कोई मुड़कर देखता है तो आसपास सिवाय काली रेत और टकराती लहरों के कुछ नहीं मिलता।

तीसरी कथा – गायब लोग

यह बीच सबसे ज्यादा बदनाम है उस अफवाह से, जिसमें कहा जाता है कि यहाँ रात में टहलने गए कुछ लोग रहस्यमय तरीके से गायब हो जाते हैं। स्थानीय किस्सों में कहा जाता है कि वे लोग कभी वापस नहीं आए। पुलिस रिकॉर्ड में इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिलता, लेकिन गाँव वालों की जुबान पर आज भी यह किस्से ज़िंदा हैं। इसी वजह से रात को कोई भी यहाँ ठहरने की हिम्मत नहीं करता।

कुछ साल पहले सूरत से आए दोस्तों का एक समूह यहाँ रात बिताने की जिद करने लगा। सब कहते थे कि यह सब अफवाहें हैं। आधी रात को वे समुद्र किनारे आग जलाकर बैठे। अचानक उनमें से एक लड़के ने सुना कि कोई उसे उसके नाम से पुकार रहा है—“अमित…”

उसने सोचा मजाक हो रहा है, लेकिन बाकी दोस्तों ने कसम खाई कि उन्होंने कुछ नहीं कहा। तभी कुत्ते जोर-जोर से भौंकने लगे और लहरें असामान्य रूप से उफान मारने लगीं। घबराकर सब लोग भागे। बाद में उन्होंने बताया कि उनके बीच का वह लड़का अमित कुछ देर के लिए कहीं गायब हो गया था। जब वह लौटा तो उसका चेहरा पीला था और वह बार-बार बस एक ही बात कह रहा था—“वो मुझे बुला रही थी…”

आज तक किसी को नहीं पता कि “वो” कौन थी।

कई लोग कहते हैं कि ये सब सिर्फ माहौल का असर है। सुनसान बीच, काली रेत, हवा का शोर और अंधेरा—सब मिलकर डर का माहौल बना देते हैं। नींद की कमी, थकान या डर की वजह से दिमाग खुद आवाज़ें और परछाइयाँ गढ़ लेता है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि श्मशान की ऊर्जा आज भी इस रेत में समाई हुई है।

डुमस बीच पर भूत-प्रेत का कोई वैज्ञानिक प्रमाण कभी नहीं मिला। लेकिन यह भी सच है कि लोग यहाँ रात में ठहरने से बचते हैं। यहाँ की अजीब फिज़ा और उससे जुड़ी अनगिनत कहानियाँ किसी को भी अंदर तक डरा देती हैं।

निष्कर्ष

डुमस बीच की कहानियाँ चाहे अफवाह हों या सच्चाई, लेकिन यह जगह रहस्यमयी जरूर है। काली रेत, हवा में तैरती फुसफुसाहटें, भौंकते कुत्ते और गायब होते लोगों की दास्तानें इसे भारत की सबसे डरावनी जगहों में गिनाती हैं।


कभी-कभी सच्चाई और अफवाह के बीच की रेखा इतनी धुंधली हो जाती है कि हमें यकीन ही नहीं होता कि हम जो सुन रहे हैं वह हकीकत है या बस डर की परछाई। और यही रहस्य डुमस बीच को आज भी रहस्यमय बनाए हुए है।