one chance again in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | फिर से एक मौका

Featured Books
Categories
Share

फिर से एक मौका


समारोह स्थल पर चारों ओर रोशनी बिखरी हुई थी। फूलों की खुशबू और धीमी संगीत की धुनें हवा में घुल रही थीं। यह खुशी का माहौल था, लेकिन आलिया का मन कहीं और था। वह अपनी दोस्त की शादी में तो आई थी, पर उसका ध्यान सिर्फ दरवाजे पर था। उसे पता था कि अभिषेक भी यहाँ आएगा।
छह साल हो गए थे। छह साल पहले कॉलेज की वह शाम, जब एक गलतफहमी ने उनके प्यार को खत्म कर दिया था। उस दिन के बाद उन्होंने कभी एक-दूसरे से बात नहीं की थी। आलिया ने अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश की, एक सफल फैशन डिजाइनर बन गई, पर उसके दिल के एक कोने में अभिषेक की यादें आज भी जिंदा थीं।
तभी, उसकी नजर दरवाजे पर पड़ी। एक लंबा, स्मार्ट आदमी सूट पहने हुए अंदर आ रहा था। वह अभिषेक था। पहले तो आलिया ने अपनी आँखें मलकर देखा, कहीं यह उसका भ्रम तो नहीं। लेकिन नहीं, वह अभिषेक ही था। वह उतना ही शांत और गंभीर लग रहा था, जितना कॉलेज के दिनों में था। बस, उसके चेहरे पर अब परिपक्वता और सफलता की चमक थी।
अभिषेक ने भी आलिया को देखा। एक पल के लिए दोनों ठहर गए। अभिषेक की आँखों में वही पुरानी चमक थी, जिसमें प्यार और दर्द दोनों झलक रहे थे। आलिया का दिल जोर से धड़कने लगा। वह समझ नहीं पा रही थी कि वह वहाँ से भाग जाए या उसका सामना करे।
तभी उनकी दोस्त, मानसी, उन्हें खींचकर एक-दूसरे के पास ले आई। "अरे, तुम दोनों यहाँ! तुम लोगों को देखकर कॉलेज के दिन याद आ गए।" मानसी ने हँसते हुए कहा, पर उसके हँसी में एक अजीब सी चुप्पी थी।
आलिया और अभिषेक ने एक-दूसरे को देखा। कुछ देर तक दोनों चुप रहे। अभिषेक ने ही चुप्पी तोड़ी, "हेलो, आलिया। कैसी हो?" उसकी आवाज में वही पुरानी गर्मजोशी थी, जो आलिया को याद थी।
"मैं ठीक हूँ," आलिया ने धीमी आवाज में कहा। "तुम कैसे हो?"
"मैं भी ठीक हूँ," अभिषेक ने जवाब दिया।
यह बातचीत औपचारिक थी, लेकिन दोनों के मन में तूफान चल रहा था। पुरानी यादें एक फिल्म की तरह उनकी आँखों के सामने चल रही थीं। वे दोनों जानते थे कि यह सिर्फ एक शादी नहीं थी, यह एक दूसरे मौके की शुरुआत थी, जिसकी उम्मीद उन्होंने कभी नहीं की थ
मानसी के जाते ही उनके बीच अजीब सी खामोशी छा गई। दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे, पर कोई कुछ कह नहीं पा रहा था। उस पल में, शब्द कम पड़ गए थे और यादें ज़्यादा बोल रही थीं। आलिया को याद आया, कैसे कॉलेज के दिनों में वे घंटों तक एक-दूसरे से बातें करते थे और कभी-कभी तो शब्दों की ज़रूरत ही नहीं पड़ती थी।
"तुम...तुम बदल गए हो," आलिया ने आखिरकार कहा, उसकी आवाज़ में एक अनजानी सी उदासी थी।
अभिषेक ने एक धीमी मुस्कान के साथ कहा, "शायद। और तुम, तुम भी पहले से ज़्यादा कामयाब लग रही हो।"
आलिया ने अपनी मुस्कान छुपाने की कोशिश की। "हाँ, ज़िंदगी ने बहुत कुछ सिखाया है।"
"और...क्या ज़िंदगी ने तुम्हें माफ़ करना भी सिखाया है?" अभिषेक ने धीरे से पूछा।
आलिया चौंक गई। यह सवाल उसके लिए अप्रत्याशित था। उसने अपनी आँखें झुका लीं, "माफ़ी? किस बात के लिए?"
"उसी शाम के लिए, आलिया। जिस शाम को हमने एक-दूसरे को खो दिया," अभिषेक ने कहा। उसकी आवाज़ में दर्द था।
आलिया का दिल एक बार फिर से दर्द से भर गया। "मैंने तुम्हें खोया नहीं, अभिषेक। तुमने मुझे खोया था," उसने कहा, उसकी आवाज़ में गुस्सा और दर्द दोनों थे।
अभिषेक ने अपनी बात को समझाते हुए कहा, "मैं जानता हूँ, उस दिन मैंने जो किया, वह ग़लत था। पर अगर तुम एक बार मेरी बात सुन लेती तो..."
"बात? किस बात की, अभिषेक? जब मैंने तुम्हें किसी और के साथ देखा तो मेरे पास सुनने के लिए क्या बचा था?" आलिया ने पूछा।
"वही तो ग़लतफ़हमी थी, आलिया! वह मेरी बहन थी। वह कॉलेज में पहली बार आई थी, और वह बहुत घबराई हुई थी। मैं बस उसे सहारा दे रहा था," अभिषेक ने कहा। उसकी आँखों में ईमानदारी झलक रही थी।
आलिया यह सुनकर स्तब्ध रह गई। छह साल! छह साल तक वह इस ग़लतफ़हमी में रही थी। उसे लगा जैसे किसी ने उसके दिल से एक बड़ा बोझ हटा दिया हो। वह अभिषेक पर नाराज़ थी, क्योंकि उसने उस दिन उसे कुछ बताया नहीं था।
"तुमने मुझे बताया क्यों नहीं?" आलिया ने पूछा।
"तुमने मुझे मौका ही नहीं दिया था, आलिया। तुम गुस्से में वहाँ से चली गई थी और उसके बाद तुमने कभी मेरा फ़ोन नहीं उठाया। मैंने बहुत कोशिश की थी," अभिषेक ने कहा।
आलिया को अपनी ग़लती का एहसास हुआ। उसने बिना सोचे-समझे एक फैसला ले लिया था, जिसने उनकी ज़िंदगी बदल दी थी।
तभी, मानसी फिर से वहाँ आई, "चलो, डिनर का समय हो गया है।"
वे दोनों एक-दूसरे को देखते रहे। उनकी आँखों में अब गुस्सा नहीं, बल्कि अफ़सोस था। आज उन्हें सच्चाई पता चली थी, पर क्या यह सच्चाई उन्हें फिर से एक कर पाएगी?

डिनर के बाद भी आलिया और अभिषेक एक-दूसरे से दूर नहीं जा पाए। मानसी और उसके पति ने उन्हें अकेले छोड़ दिया था, जैसे कि वे जानते हों कि उन्हें एक-दूसरे से बात करने के लिए समय चाहिए। वे दोनों बाहर लॉन में आ गए और एक बेंच पर बैठ गए। चाँदनी रात में, चारों ओर की शांति उनके दिलों में चल रहे तूफ़ान से बिलकुल विपरीत थी।
"मैं अपनी गलती मानती हूँ, अभिषेक," आलिया ने धीरे से कहा। "मुझे उस दिन तुम्हारी बात सुननी चाहिए थी। मैंने बिना सोचे-समझे एक फैसला लिया था।"
अभिषेक ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में कोई शिकायत नहीं थी, सिर्फ अफ़सोस था। "मैं भी अपनी गलती मानता हूँ, आलिया। मुझे तुम्हें सब कुछ उसी वक़्त बताना चाहिए था। मैंने सोचा था कि तुम मुझ पर भरोसा करोगी, पर शायद मैं ग़लत था।"
"तुम ग़लत नहीं थे," आलिया ने कहा, "उस दिन मैंने अपना विश्वास खो दिया था।"
उस रात वे घंटों बैठे रहे। उन्होंने सिर्फ उस गलतफ़हमी के बारे में ही नहीं, बल्कि उन छह सालों के बारे में भी बात की, जो उन्होंने एक-दूसरे के बिना बिताए थे। अभिषेक ने बताया कि कैसे उसने अपनी बहन को सहारा दिया, और कैसे उसने आलिया को ढूँढने की कोशिश की, पर नाकाम रहा। आलिया ने भी बताया कि कैसे उसने अपनी ख़ुद की पहचान बनाने के लिए मेहनत की और एक सफल डिज़ाइनर बन गई।
"मैंने तुम्हारी तरक्की के बारे में सुना था," अभिषेक ने कहा। "मैं हमेशा तुम्हारी कहानियाँ पढ़ता था, तुम्हारी सफलता की ख़बरें देखता था। मुझे ख़ुशी होती थी कि तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गई हो।"
आलिया के लिए यह जानना बहुत खास था कि अभिषेक ने उसे कभी भुलाया नहीं था। "और तुमने कभी मुझसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की?" उसने पूछा।
अभिषेक ने एक लंबी साँस ली, "मैंने कोशिश की थी, पर तुम्हारा नंबर बदल गया था। फिर मुझे लगा कि शायद तुम मुझसे दूर ही रहना चाहती हो, तो मैंने तुम्हें परेशान नहीं किया।"
उन दोनों को अब यह अहसास हुआ कि उनके अलग होने की वजह सिर्फ एक छोटी सी गलतफ़हमी नहीं थी, बल्कि यह भी था कि उन्होंने एक-दूसरे पर पूरा भरोसा नहीं किया था।
अगले कुछ दिनों तक, वे शादी में साथ रहे। उन्होंने पुराने दोस्तों से मुलाकात की, हँसे-मज़ाक किए, और एक-दूसरे के साथ समय बिताया। यह वैसा ही था, जैसे कॉलेज के दिन वापस आ गए हों। वे दोनों फिर से एक-दूसरे के करीब आ रहे थे, पर इस बार एक नया डर था। क्या वे फिर से एक-दूसरे से दूर हो जाएँगे?
अभिषेक ने एक दिन आलिया को अपने साथ डिनर पर चलने के लिए कहा। आलिया मान गई। वे एक शांत, आरामदायक रेस्टोरेंट में गए। वहाँ बैठकर उन्होंने अपनी भावनाओं को और भी गहराई से साझा किया।
"क्या हमें इस रिश्ते को एक और मौका देना चाहिए, अभिषेक?" आलिया ने पूछा।
अभिषेक ने उसका हाथ थामा, "मैं तो हमेशा से यही चाहता था। पर मुझे डर है, कहीं हम फिर से वही गलती न कर दें।"
"नहीं," आलिया ने कहा। "इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार हम एक-दूसरे से कुछ भी नहीं छुपाएँगे। हम एक-दूसरे पर पूरा भरोसा करेंगे।"
उनकी आँखों में एक नई उम्मीद थी। वे जानते थे कि उनका रास्ता आसान नहीं होगा, पर इस बार वे साथ थे।
कहानी का अंत
शादी खत्म होने के बाद, आलिया और अभिषेक अपनी-अपनी ज़िंदगियों में वापस लौट गए। लेकिन अब उनके बीच की दूरी कम हो गई थी। वे रोज़ फ़ोन पर बातें करते, वीडियो कॉल पर मिलते और एक-दूसरे के साथ समय बिताने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।
अभिषेक दिल्ली में रहता था और आलिया मुंबई में। यह दूरी उनके रिश्ते के लिए एक नई चुनौती थी। वे दोनों जानते थे कि उन्हें एक-दूसरे के करीब रहने के लिए किसी एक को अपना करियर छोड़ना होगा।
"मुझे लगता है, मुझे दिल्ली वापस आ जाना चाहिए," आलिया ने एक दिन कहा। "मैं यहाँ अकेली हूँ और मैं तुमसे दूर नहीं रह सकती।"
अभिषेक को यह सुनकर बहुत ख़ुशी हुई, पर उसने कहा, "नहीं, आलिया। मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे लिए अपना करियर छोड़ो। तुम्हारी सफलता मेरी ख़ुशी है।"
"तो क्या तुम मुंबई आ जाओगे?" आलिया ने पूछा।
"यह मेरे लिए मुश्किल है," अभिषेक ने कहा। "मेरा सारा काम दिल्ली में ही है।"
दोनों के बीच फिर से एक दूरी आने लगी थी। यह दूरी मीलों की नहीं, बल्कि विचारों की थी। दोनों ही अपने-अपने करियर को नहीं छोड़ना चाहते थे। इस बार कोई गलतफ़हमी नहीं थी, पर यह एक नई तरह की समस्या थी।
आलिया उदास हो गई। उसे लगा कि शायद उनका रिश्ता फिर से नहीं बन पाएगा। उसने सोचा कि शायद कुछ रिश्ते सिर्फ यादों में ही अच्छे लगते हैं।
अगले दिन, अभिषेक ने आलिया को एक सरप्राइज दिया। वह मुंबई आ गया था। "मैं अपना काम यहाँ से भी कर सकता हूँ," उसने कहा। "मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता। तुम्हारा साथ मेरे लिए सबसे ज़रूरी है।"
आलिया की आँखों में आँसू आ गए। उसने अभिषेक को गले लगा लिया। वे दोनों जानते थे कि इस बार वे एक-दूसरे को नहीं खोएँगे। उनका प्यार अब और भी गहरा हो गया था, क्योंकि इस बार उन्होंने हर मुश्किल का सामना मिलकर किया था।
आलिया और अभिषेक ने अपने रिश्ते को एक नया मौका दिया। उन्होंने दिखाया कि प्यार सिर्फ एक भावना नहीं है, बल्कि यह एक-दूसरे पर भरोसा और हर मुश्किल में साथ खड़े होने का नाम है। वे दोनों साथ में एक नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं, और उन्हें पता है कि यह कहानी सिर्फ एक अंत नहीं, बल्कि एक खूबसूरत शुरुआत है।