(प्रिया बहादुरी और प्रेम के संघर्ष में फंसी है। उसने रिया को आदित्य और दोस्तों से बचाया, शादी का विरोध किया और रिया की IAS पढ़ाई सुनिश्चित की। कुणाल प्रिया को ढूंढता है, लेकिन हवेली खाली है। बाद में प्रिया ने खुद को बंद कमरे में टोनी और भानु के जाल में फंसा पाया। प्रिया गिरीश की मदद से बच निकलती है। फोन पर कुणाल से मिलकर भावनात्मक पल आता है, लेकिन वह नशे में बेसुध है। कुणाल नशे में उसका साथ देने का वादा करता है । लेकिन प्रिया उसे टैक्सी में बैठाकर विदा करती है। उनका प्यार अधूरा रह जाता है, और प्रिया स्वीकार करती है कि यह उनकी आख़िरी मुलाक़ात थी। अब आगे)
नयी शुरूआत
प्रिया के घर पहुँचते ही कुमुद बोली, "कहां थी अब तक? रात 11 बजे की ट्रेन है और तू..."
वैभव ने चुप रहने का इशारा किया और प्रिया से कहा, "बैठो, बेटा।"
सारा सामान कार की डिक्की में रखा गया था। प्रिया ने हाथ जोड़कर विनती की, "प्लीज़! राठौड़ परिवार को कभी मत बताना कि हम कहां हैं।"
नौकरों ने सिर हिलाकर हां में जवाब दिया। अब प्रिया जान चुकी थी कि घर, शहर और कुणाल—तीनों उसका अतीत बन चुके थे।
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(2 साल बाद)
एक छोटा सा घर, भीड़-भाड़ से दूर। कुमुद किचन में व्यस्त थी और जोर से चिल्लाई, "प्रि, जल्दी कर!"
गुस्से में बड़बड़ाते हुए बोली, "पहले देर से उठती है और फिर सारा घर सिर पर उठा लेती है। तेरा यह रोज का नाटक भी बड़ा है।"
प्रिया दौड़ती हुई नीचे आई और दरवाजे की ओर बढ़ी। कुमुद ने चेताया, "आज अगर खाली पेट निकली, तो मार खाकर जाएगी।"
प्रिया मुस्कुराई और खाने के लिए बैठ गई। वह बिल्कुल बदल चुकी थी—लंबे, लहराते बाल अब कंधों तक, आँखों में चश्मा, और ढीले-ढाले सूट ने जींस-शर्ट की जगह ले ली थी।
वैभव ने चश्मा और अखबार हटाते हुए कहा, "सुबह जल्दी क्यों नहीं उठती?"
प्रिया ने हाथ जोड़कर चुप रहने का इशारा किया।
वैभव मुस्कुराया, "ठीक है, आराम से खाओ। और सुनो, आज दुकान आ जाना, त्योहार है, मदद लगेगी।"
प्रिया ने सिर हिलाया और नाश्ता खत्म कर बाय का इशारा करके बाहर निकल गई।
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भीमा रियल एस्टेट
प्रिया अपनी कुर्सी पर बैठी ही थी कि सामने जुनेजा—एक अधेड़ उम्र का आदमी—बैठ गया।
"आज जल्दी आईं, प्रिया डोगरा जी," वह मुस्कुराया।
प्रिया ने मासूम सा चेहरा बनाया, "सॉरी सर, लेट हो गई। आटो पंक्चर हो गया था।"
जुनेजा ने आँखें चौड़ी करते हुए कहा, "पर आप तो रोज़ लेट आती हो। इस बारे में क्या कहोगी?"
प्रिया कुछ नहीं बोली। जुनेजा ने गंभीर स्वर में कहा, "इस महीने कितने प्रोजेक्ट बेचे आपने?"
"बेचना तो बहुत दूर की बात है! तुमने आज तक एक साइट विजिट भी नहीं करवाई। मजाक चल रहा है क्या?"
प्रिया ने सिर झुकाया, "सॉरी सर।"
जुनेजा ने गंभीर स्वर में कहा, "इस महीने पांच प्रोजेक्ट की सेल करोगी, वरना तुम्हारी छुट्टी, समझी?"
और वह वहां से चला गया।
प्रिया चिढ़ते हुए बोली, "पांच प्रोजेक्ट, जैसे आप खुद तो 50 बेच चुके हैं।"
तमन्ना ने बीच में कहा, "वह क्यों बेचेगा? वह मालिक के अंकल हैं। नहीं भी बेचे तो चलेगा, हमें मेहनत करनी पड़ेगी। छोड़, यह बता कल कॉलेज में तेरा असाइनमेंट सबमिट हुआ?"
प्रिया ने हां में सिर हिलाया और कंप्यूटर पर काम में जुट गई।
तभी एक लड़का बोला, "वैसे, एक बात बताऊँ… मालिक का अंकल है, मालिक नहीं।"
प्रिया और तमन्ना एक साथ चौंकीं, "मतलब?"
वह लड़का घबराते हुए बोला, "बॉस ने हुकुम दिया है कि अगर भीमा रियल एस्टेट अगले एक साल में सही ग्रोथ नहीं दिखाएगा, तो कंपनी में ताला लग जाएगा।"
प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "एक साल में कोई न कोई प्रोजेक्ट बिक ही जाएगा, है न, विनोद?"
तमन्ना और विनोद ने सिर पकड़ लिया और अपने-अपने काम में जुट गए।
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दिल्ली
रिया लाइब्रेरी की एक शांत कोने में बैठी किताबों में डूबी हुई थी। गर्म धूप खिड़की के शीशों से छनकर उसके चेहरे पर पड़ रही थी, लेकिन उसकी आंखें शब्दों में उलझी थीं।
अचानक उसकी निगाह अख़बार के एक कोने पर अटक गई — "Most Successful Businessman – Kunal Saxena"
उसकी उंगलियाँ अनायास ही उस तस्वीर पर ठहर गईं।
यादों का दरवाज़ा जैसे अचानक खुल गया—कुणाल की मुस्कान, उसकी सगाई वाली शाम, जब उसने “भाभी मां” कहकर उसके पांव छुए थे, और वह भयानक रात… जब टोनी जैसे दरिंदे से कुणाल ने दोनों बहनों को बचाया था।
कुणाल… दोनों बहनों के लिए एक मजबूत ढाल बन गया था।
रिया ने तस्वीर पर उंगलियाँ फेरते हुए धीमे से कहा, "तुम और प्रिया… एक-दूसरे के लिए बने थे।"
उसी क्षण तेज़ बेल बजी। रिया जल्दी से किताबें समेटकर बाहर निकली और मिस्टर सिंह को देखा।
"पिछले साल IAS में असफल हुई थी," उन्होंने कहा, "इस बार कोई कसर नहीं रहनी चाहिए, रिया।"
रिया ने गंभीरता से सिर हिलाया और धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़कर क्लास की ओर बढ़ गई।
पीछे, मेज़ पर पड़ा अख़बार अब भी खुला था—जिस पर कुणाल सक्सेना की मुस्कुराती तस्वीर चमक रही थी।
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🌙 "शाम की मुस्कान"
शाम का हल्का उजाला कमरे में फैला था। रिया खिड़की के पास बैठी अख़बार के उसी कोने को देख रही थी, जहाँ "कुणाल सक्सेना – देश का सबसे सफल युवा व्यवसायी" की हेडलाइन छपी थी।
उसी समय फोन की घंटी बजी।
"हाय दी!"
दूसरी तरफ से प्रिया की जानी-पहचानी आवाज़ आई।
रिया का चेहरा खिल उठा, "अरे प्रि! कैसी है तू? चाचा-चाची कैसे हैं?"
प्रिया हँसते हुए बोली, "सब ठीक हैं। पर मां थोड़ी ज़्यादा गुस्सैल हो गई है, है न पापा?"
वैभव ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, तो वहीं पास से कुमुद की झल्लाई हुई आवाज़ आई, "अपनी हरकतें भी तो बता, जिन पर मुझे गुस्सा आता है!"
रिया ठठाकर हँस पड़ी, "नमस्ते चाची! कैसी हैं आप?"
कुमुद का स्वर नरम हो गया, "ठीक हूं, मेरी बच्ची। काश… तेरा थोड़ा सा अंश इस नालायक प्रिया में भी होता।"
प्रिया ने नाक चढ़ाकर कहा, "ओह मम्मा! अब रहने भी दो!"
वैभव हँसते हुए बोले, "यहां मां-बेटी में रोज़ का झगड़ा है। तू ये बता बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है?"
रिया की आवाज़ धीमी हो गई, "पिछले साल तो फेल हो गई थी चाचाजी..."
कुमुद तुरंत बोल पड़ीं, "तो क्या हुआ? इस बार पास हो जाएगी। ऐसे निराश नहीं होते!"
प्रिया ने गाल फुलाकर कहा, "दीदी चाहे जितनी सफल हों, कमाऊंगी तो मैं ही सबसे ज़्यादा—देख लेना!"
रिया ने हँसते हुए कहा, "बिल्कुल! तू नाम भी कमाएगी और पैसा भी कमाएगी मुझसे ज़्यादा।"
"अच्छा प्रि! फोन रखती हूं। डिनर का टाइम हो गया।"
"ठीक है दीदी। लव यू।"
प्रिया की आँखों में चमक लौट आई। जैसे उस कॉल ने उसे फिर से ऊर्जा से भर दिया हो।
फोन रखते ही पूरे घर में हँसी की मिठास घुल गई।
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1. प्रिया और रिया के बीच दूरियाँ और समय बदल चुका है—लेकिन क्या प्रिया अपने पुराने अतीत और कुणाल के प्यार को सच में पूरी तरह भूल पाई है?
2. भीम रियल एस्टेट की कंपनी संकट में है, और प्रिया पर अब पाँच प्रोजेक्ट बेचने का दबाव है—क्या वह इस चुनौती को पार कर पाएगी?
3. दिल्ली में रिया अपनी IAS तैयारी में व्यस्त है, लेकिन कुणाल की तस्वीर और यादें उसे फिर से कैसे प्रभावित करेंगी?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"