Jhaggu Patrkar - 4 in Hindi Comedy stories by Deepak Bundela Arymoulik books and stories PDF | झग्गू पत्रकार - 4

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झग्गू पत्रकार - 4

FB न्यूज़ की ब्रेकिंग कॉलोनी में "साया"

कॉलोनी का माहौल पूरे दिन से सुलग रहा था। झग्गू जी ने सुबह से ही “मोहब्बत” वाले मामले की ब्रेकिंग डाल दी थी और लोग अपने-अपने ब्लॉक में मिर्च-मसाला डालकर उसे बार-बार चबा रहे थे। A ब्लॉक में इसे सामाजिक संकट बताया जा रहा था, B ब्लॉक में इसे टाइमपास मसाला कहा जा रहा था, C ब्लॉक के लौंडे मज़े ले रहे थे और D ब्लॉक तो जैसे फुल सस्पेंस में था।

लेकिन शाम ढलने के बाद भी जब कोई नई अपडेट नहीं आई तो सबका धैर्य टूटने लगा। लोग काम में लगे भी थे, पर मोबाइल को बार-बार घूरते जा रहे थे। हर दो मिनट पर FB न्यूज़ की नोटिफिकेशन चेक हो रही थी। “अरे भाई, नई ब्रेकिंग आई क्या?” यह वाक्य मोहल्ले की गली-गली गूँज रहा था।

झग्गू जी पूरे दिन की पत्रकारिता से थककर थोड़े अस्वस्थ थे। सोफे पर पसरे हुए पड़े थे, मन में क्या चल रहा था ये तो वही जाने मगर उनके भीतर का न्यूज़ चैनल जागा हुआ था। उंगलियाँ बार-बार मोबाइल पर फड़फड़ा रही थीं। और अचानक—एक झनझनाती हुई ब्रेकिंग FB न्यूज़ में गिरा दी:

“कुछ देर पहले उस मोहतरमा की बालकनी में एक रहस्यमयी साया देखा गया।

क्या वो वही लम्पट युवा था?

सच जानने के लिए जुड़े रहिए FB न्यूज़ पर!”

ये खबर गिरते ही जैसे कॉलोनी वासियों की नींद उड़ गई। मोबाइल की टनटनाहट और ग्रुप्स की भनभनाहट ने पूरे माहौल में सनसनी पैदा कर दी..

A ब्लॉक की महिलाएँ हांथ के काम छोड़कर एक-दूसरे को कॉल करने लगीं।

– “मैंने कहा था ना, मोहतरमा का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा।”

– “अरे बहन, पर साया तो किसी का भी हो सकता है। हो सकता हैं उसका पति हो.... कहीं झग्गू जी का भ्रम तो नहीं?”

– “नहीं-नहीं, FB न्यूज़ झूठ थोड़ी लिखता है झग्गु जी मंझे हुए पत्रकार हैं!”

लेकिन ब्लॉक B के लोगों की तो इस ब्रेकिंग पर अलग ही मिजाज था यहाँ के लोगों ने जैसे फुल ड्रामा बना लिया हो.

– “भाई, साया है या CCTV का रिफ्लेक्शन?”

– “सच कहूँ तो ये झग्गू जी का नया TRP स्टंट है।”

– “क्योंकि जितना साया मोहतरमा पर पड़ा है, उससे ज़्यादा मोहल्ले पर छा गया है।”

वही C ब्लॉक के लौंडे तो जैसे IPL का मैच देख रहे हों।

– “भाई, ये तो सस्पेंस के साथ साथ थ्रिलर स्टोरी बन रही है।”

– “देखना, जल्द ही इस पर पूरी फ़िल्म ही रिलीज हो जाएगी"

– “ओ भाई लोग पॉपकॉर्न ले आओ, FB न्यूज़ के शो का अब मज़ा बढ़ेगा।”

यहां D ब्लॉक के बुज़ुर्ग तो ज्यादा चिंतित हो गए।

– “अगर ऐसा ही रहा तो हमारी कॉलोनी की इज्ज़त मिट्टी में मिला देगा।”

– “कल को अगर ये खबर अख़बार में छप गई तो? लोग क्या कहेंगे, हमारहा D ब्लॉक तो बदनाम हो जाएगा ।”

– “अब हमें ज़्यदा देर नहीं करनी चाहिए हमें मीटिंग बुलानी चाहिए।”

हां हां मीटिंग बुलानी ही चाहिए...

जैसे तैसे रात गुजरी सुबह होते ही नाई की दूकान पर कॉलोनी के फालतू लोग जमा हो चुके थे... नाई की दुकान का अपडेट कुछ इस तरह से आया

पप्पू नाई की दुकान पर भीड़ उमड़ पड़ी। वहाँ लोग बाल कटाने कम और साया पर बहस करने ज्यादा आए थे।

पप्पू नाई कैंची चलाते हुए बोला:– “खबर तो सही हैं भाई, मैंने खुद देखा था, साया की चाल बिल्कुल लम्पट जैसी थी।”

ग्राहक 1 बोला:– “पप्पू, तूने अंधेरे में कैसे देख लिया? तू तो दिन में भी बाल गलत काट देता है।”

ग्राहक 2 ने तर्क दिया:– “साया अगर सच में था, तो मोहतरमा का पति कहाँ था?”

तभी एक बुज़ुर्ग बोले:– “देखो, ये सब मोहब्बत-वोहब्बत का चक्कर है। नाई की दुकान हो या FB न्यूज़, सच्चाई वही है कि मोहल्ला बदनाम हो रहा है।”

पप्पू ने झट जवाब दिया:– “अरे चाचा, बदनाम तो तब होगा जब ये खबर अख़बार में छपेगी। FB न्यूज़ तो अपनी कॉलोनी का चैनल है।”

झग्गू जी की ब्रेकिंग इतनी चर्चित हो गई कि कॉलोनी के सभी ग्रुप्स में FB न्यूज़ का लिंक घूम रहा था।

– बच्चों ने भी पूछना शुरू कर दिया: “मम्मी, ये साया वाला अंकल कौन है?”
– महिलाएँ फुसफुसाकर कह रही थीं: “कहीं ये सब ड्रामा ही तो नहीं?”
– मर्द ऑफिस से लौटकर सीधे FB न्यूज़ खोल रहे थे: “देखूँ, नई ब्रेकिंग आई क्या।”

झग्गू जी इत्मीनान से बैठे थे। उन्होंने सोफे पर पैर फैलाकर सोचा, “आज तो पूरा मोहल्ला मेरी ब्रेकिंग की गिरफ्त में है।

रात को करीब 11 बजे A से F ब्लॉक के कुछ लोग एक जगह मिले। माहौल तनावपूर्ण था।

– A ब्लॉक के मुखिया: “हमें मोहतरमा से पूछना चाहिए।”

– B ब्लॉक मुखिया ने काटा: “अरे, सीधे मत पूछो। पहले कन्फर्म करो कि साया था भी या नहीं।”

– C ब्लॉक के सज्जन ने हँसते हुए कहा: “पूछना तो झग्गू जी से चाहिए, ऐसी खुराफाती ब्रेकिंग उन्हीं के दिमाग में चलती है।”

– D ब्लॉक के मुखिया गुस्से में: “अगर कल तक साया का सच नहीं मिला तो हम खुद तहक़ीक़ात करेंगे।”

माहौल में रहस्य, डर और गॉसिप का तड़का बराबर घुल चुका था।

लोग इंतजार में थे कि अगली सुबह क्या नया धमाका होगा—

क्या साया सच में लम्पट था?
क्या मोहतरमा ने कोई सफाई दी?
या फिर यह सब झग्गू जी की पत्रकारिता का मास्टरस्ट्रोक था?

सच चाहे जो हो, एक बात तय थी— साया सिर्फ़ मोहतरमा की बालकनी पर नहीं, अब पूरे मोहल्ले पर मंडरा रहा था।

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