Jhaggu Patrkar - 7 in Hindi Comedy stories by Deepak Bundela Arymoulik books and stories PDF | झग्गू पत्रकार - 7

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झग्गू पत्रकार - 7

पार्ट–7 

झग्गू पत्रकार का धमाका

रात के बारह बजे कॉलोनी के हर मोबाइल पर एक ही नोटिफिकेशन आया—
“FB न्यूज़ – एक्सक्लूसिव ब्रेकिंग! मोहतरमा के घर के पास CCTV में कैद हुआ रहस्यमयी ‘साया’!”

वीडियो धुंधला था। बस इतना साफ दिख रहा था कि मोहतरमा की बालकनी के पास कोई परछाईं-सी झुकी और फिर जैसे दीवार से अंदर समा गई।
बस, यही 15 सेकंड का क्लिप पूरी कॉलोनी को हिला गया।

सुबह का नज़ारा

सुबह होते ही गलियों का हाल बदल चुका था।
हर गली के नुक्कड़ पर लोग मोबाइल लेकर वही वीडियो बार-बार देख रहे थे।

मास्टरजी (पेंशन वाले चश्मा पोंछते हुए):
“लो भई, अब तो सबूत भी सामने है। मैं तो कल से कह रहा था—कुछ तो गड़बड़ है। झग्गू पत्रकार ने बिल्कुल सही खबर निकाली।”

संपत आंटी (कमर पर हाथ रखकर):
“मैंने भी कल रात बहू से कहा था, मोहतरमा के घर में ज़रूर कोई राज़ है। CCTV झूठ नहीं बोलता।”

पास खड़े लड़के मोबाइल घुमाते हुए खिलखिला पड़े।
एक बोला—
“भाई, अब तो मसाला डबल हो गया। झग्गू जी ने कॉलोनी को असली बिग बॉस बना दिया है।”

मोहतरमा का घर घिरा

सुबह होते-होते मोहतरमा के घर के बाहर भीड़ लग गई।
किसी के हाथ में मोबाइल, किसी के हाथ में सेल्फी-स्टिक। सब वीडियो दिखाते हुए सवाल दाग रहे थे।

पड़ोसन (ताने मारते हुए):
“बहनजी, अब CCTV में भी दिख गया। अब तो बताइए, कौन था वो? कोई भूत था या कोई मेहमान?”

मोहतरमा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।
“आप लोगों को अपने घर-गृहस्थी के काम नहीं हैं क्या? एक धुंधली परछाईं देखकर इंसान की इज़्ज़त तार-तार कर दी। भगवान भी माफ़ नहीं करेंगे।”

उनके पति दरवाज़े पर खड़े सब सुन रहे थे। धीरे से बुदबुदाए—
“ये CCTV वाला पंगा अब भारी पड़ने वाला है।”

पप्पू नाई की दुकान

गली का सबसे बड़ा न्यूज़ स्टूडियो असल में पप्पू नाई की दुकान थी। वहाँ बाल कटवाने से ज़्यादा गपशप चलती थी।

1- ग्राहक (बाल कटवाते हुए):-
“पप्पू, CCTV ने तो झग्गू पत्रकार को हीरो बना दिया। अब तो उसकी TRP देखो।”

पप्पू (कैंची घुमाते हुए हँसकर):
“हीरो? अरे भई, ये तो कॉलोनी का ‘रविश कुमार’ बनने चला है। FB न्यूज़ अब यहीं का आधिकारिक चैनल है। देखना, कल तक इंटरनेशनल न्यूज़ दिखाएगा।”

ग्राहक-2 (ठहाका लगाकर):
“और हम सब उसकी TRP बढ़ाएँगे—बाल कटवाने से ज्यादा वीडियो फॉरवर्ड करके।”

दुकान में हँसी फूट पड़ी।

C ब्लॉक की छतों पर

शाम ढलते ही C ब्लॉक के लड़के छतों पर इकट्ठा हो गए।
मोबाइल पर वही वीडियो बार-बार चला रहे थे।

लड़का-1:
“देखा! मैंने ही कहा था कि मैंने सच में देखा था। अब CCTV ने भी पकड़ लिया।”

लड़का-2:
“अरे यार, वीडियो धुंधला है। ये तो कोई भी हो सकता है।”

लड़का-3 (चिढ़ाते हुए):
“कहीं तू ही तो नहीं था? अब सच्चाई छुपा रहा है?”

सभी ठहाके लगाते हैं। कोई सीटी बजाता है, कोई ताली। अफवाहें हर मिनट नई शक्ल ले रही थीं।

FB न्यूज़ का अगला बम

रात को झग्गू पत्रकार ने फिर लाइव शुरू किया।
स्क्रीन पर आते ही उनका चेहरा चमक रहा था।

“दोस्तों!” उन्होंने माइक के पास झुकते हुए कहा,
“आपने CCTV फुटेज देख ही लिया। लेकिन असली सच अभी बाकी है। वो रहस्यमयी ‘साया’ कौन था? क्यों आया था? और किससे मिलने आया था?”

भीड़ में सन्नाटा। झग्गू ने थोड़ी देर रुककर रोमांच और बढ़ाया।

“कल सुबह 9 बजे, कॉलोनी के पार्क में, मैं खोलूँगा वो राज़… जिससे हिल जाएगी पूरी कॉलोनी।”

लाइव खत्म होते ही मोबाइलों पर मैसेज बरसने लगे—

“भाई, कल पार्क में चलेंगे न?”

“साया का राज़ खुलने वाला है।”

“झग्गू जी तो सचमुच बड़े पत्रकार बन गए।”

अफवाहों का बवंडर

रातभर कॉलोनी में एक ही चर्चा गूँजती रही।

कोई कहता—“शायद मोहतरमा का कॉलेज वाला फ्रेंड ही था।”

कोई बोलता—“नहीं, चोरी-चोरी मिलने वाला कोई और है।”

बुजुर्ग अड़ जाते—“भूत-प्रेत भी हो सकता है। पुरानी कोठियों में आत्माएँ रहती हैं।”

बच्चे डरकर माएँ से चिपक जाते—“मम्मी, वो साया हमारे घर तो नहीं आएगा?”

कॉलोनी में अजीब-सा डर और उत्सुकता फैल गई।

झग्गू की तैयारियाँ

उधर झग्गू अपने कमरे में बैठा नोट्स लिख रहा था।
टेबल पर लैपटॉप, मोबाइल और एक कॉपी खुली थी।

वह खुद से बुदबुदाया—
“कल का शो सबसे बड़ा होगा। FB न्यूज़ की TRP आसमान छू लेगी। अब तक सब मुझे ‘फालतू पत्रकार’ कहते थे, कल से कहेंगे—‘कॉलोनी का स्टार पत्रकार’।”

उसकी कलम तेजी से चल रही थी।
“स्क्रिप्ट चाहिए, ड्रामेटिक पॉज़ चाहिए, और सबसे ज़रूरी—सच को ऐसे दिखाना कि पूरा मोहल्ला दंग रह जाए।”

कॉलोनी का बेचैन माहौल

रात के बारह बजे तक गली-गली लोग छतों पर खड़े बातें कर रहे थे।
कोई भी सोने को तैयार नहीं था।

मास्टरजी बार-बार कहते—
“देख लेना, कल पार्क में सच्चाई सामने आएगी।”

आंटियाँ सिर हिलाकर जोड़ देतीं—
“हाँ, लेकिन हमें मोहतरमा से भी पूछना चाहिए। बेचारी अब तक क्या झेल रही होगी।”

लड़के अपनी ही धुन में थे—
“भाई, कल का प्रोग्राम फुल ऑन मसाला होगा। पार्क में लाइक और शेयर की बरसात हो जाएगी।”

एक ही सवाल

पूरी कॉलोनी में अब एक ही सवाल गूँज रहा था—

“कल झग्गू जी किसका नाम उछालेंगे?”

कोई बेचैनी में करवटें बदल रहा था, कोई मोबाइल पर नोटिफिकेशन चेक कर रहा था।
हर घर, हर आँगन, हर गली—सब सिर्फ उसी साये की चर्चा में डूबे थे।

क्रमशः…