Crown of the Heart in Hindi Love Stories by Nensi Vithalani books and stories PDF | दिल का ताज

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दिल का ताज

एक राज्य था—सूर्यनगर, जहाँ हर सुबह सुनहरी धूप महलों की चट्टानों और बाग़ों पर पड़ती थी। झरनों की कल-कल आवाज़ पूरे राज्य में गूंजती और फूलों की खुशबू हवाओं में बसी रहती। यह राज्य वैभव और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक था, लेकिन इसके भीतर राजसी जीवन की चमक के बावजूद, कुछ दिलों में अधूरी ख्वाहिशें और अनकहे दर्द छिपे थे। इसी राज्य में सिया नाम की राजकुमारी रहती थी, जिसकी किस्मत का सफर, प्रेम और इंतज़ार की दास्तान से भरा होने वाला था।

सिया, राजकुमारी थी, जिसे अपने ही राज्य के एक साधारण युवक वीर से प्रेम हो गया। ज़ाहिर सी बात थी—कहाँ राजकुमारी और कहाँ वह आम लड़का। उनके रिश्ते का मिलन मानो असंभव-सा था। लेकिन प्रेम की दुनिया में न ताज मायने रखता है, न ज़मीन।

वीर ने उससे वादा किया, “मैं किसी और शहर में जाकर तरक्की करूँगा। जब सब ठीक हो जाएगा तो सब मान जाएंगे, और हम शादी करेंगे।”
सिया मासूम दिल की भली थी, उसने उस पर भरोसा कर लिया। वह यकीन करती रही कि प्यार इंतज़ार से कभी हारता नहीं।

दिन हफ़्तों में, हफ़्ते महीनों में और महीने सालों में बदल गए। बरसों बीत गए। सिया का यौवन ढलने लगा। उसकी आँखों की चमक अब धुंधली हो चली थी, लेकिन उसके दिल में एक ही रौशनी थी—वीर का वादा।

महल में अब नई हलचल थी। उसकी शादी की उम्र आ पहुँची। राज्य और राजनीति की इज़्ज़त के लिए सिया का विवाह एक बड़े राजकुमार से तय हुआ। चारों तरफ़ तैयारियाँ होने लगीं—महल के गलियारे फूलों से सज गए, दीवारें रोशनी से नहा उठीं। लेकिन सिया का दिल अब भी उस वादे के धागे से बँधा था।

हर रात वह खिड़की पर बैठकर आसमान को देखती और सोचती, “कहीं तो वीर भी यही सितारे देख रहा होगा। कहीं तो उसे भी मेरा इंतज़ार होगा।” लेकिन सच इससे कोसों दूर था।

सिया अब किसी और राज्य की रानी थी। पूरे राज्य की चाही हुई रानी थी वो।
उसकी मुस्कान पर पूरा महल निहाल होता था, लेकिन उसके दिल में कहीं एक खालीपन था, जो कोई नहीं देख पाता था।

वहीं वीर की दुनिया ने दूसरा रूप ले लिया था। तरक्की की तलाश ने उसे बदल दिया। वह लौटा तो सही, मगर लौटकर उसने देखा कि सिया अब किसी और की दुल्हन बन चुकी थी। उस पल उसकी दुनिया जैसे बिखर गई। उसने सोचा, “जब किस्मत ही साथ नहीं देती, तो क्यों दौलत और शोहरत के पीछे भागा?”
और फिर उसने वह रास्ता चुना—त्याग का, वैराग्य का। दुनिया की भीड़ से दूर जाकर वह एक फ़क़ीर बन गया।

सालों बाद, उसी राज्य के एक गाँव में एक फ़क़ीर पहुँचा। साधारण वेशभूषा, थका-हारा शरीर, लेकिन आँखों में अजीब-सी गहराई और चेहरे पर तपस्वियों जैसा तेज़। गाँववाले उसे दाना-पानी देते, और वह बदले में ज्ञान और दुआएँ बाँटता।

जब सिया ने उसके बारे में सुना, तो अजीब-सी खिंचाव महसूस हुआ। वह महल से निकलकर उस फ़क़ीर से मिलने गई। जैसे ही उसने उसका चेहरा देखा—वह ठिठक गई। यह वही था… वही आम लड़का… वही वादा निभाने वाला प्रेमी… अब एक फ़क़ीर बन चुका था।

सिया की आँखें भर आईं। उसने धीमे स्वर में कहा, “तुम आए… मगर बहुत देर से।”

वीर ने गहरी साँस लेकर उत्तर दिया,
“हाँ, देर तो हो गई। मैंने सबकुछ पाया, मगर सुकून खो दिया। मैं आया था तरक्की करके, लेकिन जब लौटा तो तुम किसी और की दुल्हन बन चुकी थीं। तुम्हारी शादी हो रही थी, और मैंने यह रास्ता चुन लिया। सोचा, नसीब नहीं हो तो इसे मानकर ही ज़िंदगी गुज़ार लूँ। अब दुनिया की रानी मेरे साथ है, पर दिल की रानी तो हमेशा तुम ही रही। लेकिन आज मैं तुम्हें जीतने नहीं, तुम्हें समझने आया हूँ। प्रेम का असली अर्थ अब समझ पाया हूँ—मिलन नहीं, बल्कि त्याग और सच्ची दुआ में है।”

सिया की आँखों से आँसू ढलक गए। उसके दिल में दर्द भी था और एक अजीब-सी शांति भी। उसने धीरे से कहा, “शायद यही प्रेम की सच्चाई है—कभी पूरी न होकर भी हमेशा जीने का सहारा देना।”

दोनों लंबे समय तक मौन खड़े रहे। कोई शिकायत नहीं, कोई सवाल नहीं। सिर्फ़ एक अधूरी दास्तान, जो उनके दिलों में हमेशा ज़िंदा रहने वाली थी।

उस दिन दोनों ने एक-दूसरे को खोकर भी पा लिया।
एक राजकुमारी सिया और एक फ़क़ीर वीर—दोनों ने जाना कि प्रेम ताज या दौलत का नहीं, आत्मा और सुकून का होता है।