Kaisi he ye Baarishe ? - 3 in Hindi Love Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | कैसी हैं ये बारिशें ?️ - 3

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कैसी हैं ये बारिशें ?️ - 3

इवेंट के बाद अनिरुद्ध घर पहुंचता है। वह सीढियों से उपर जा रहा था तभी उसे कड़क आवाज़ आती है। जिसे सुनकर वह वहीं रुक गया। उसने धीरे से पलट कर देखा यह उसके डैड थे जो कह रहे थे....

"कर आए अपना दिन और हमारी बरसों की मेहनत बर्बाद। कब तक ऐसे ही भटकते रहोगे अनिरुद्ध तुम अपने उन निकम्मे दोस्तों के साथ ? हमने तुम्हे इसलिए बड़ा किया कि तुम अपने आप को और हमें ऐसे निक्कमे लोगों के साथ घूम - घूम कर बर्बाद कर सको ? कुछ कर लीजिए जनाब जिंदगी में, बाप की कमाई पर कब तक ऐश करोगे ?"

अरे! आप उसके घर में घुसते ही शुरू हो गए। कितनी बार कहा है आपसे, उसे घर में घुसते ही मत डांटा करो। डांटना ही है तो बाद में शांति से बैठकर डांटा करो, लेकिन नहीं आपको भी नहीं सुनना है कुछ अनिरुद्ध की मॉम वहां आते हुए कहती हैं।

तुम इसे बचा कर बिगाड़ रही हो अनिरुद्ध के डैड ने गुस्से में कहा।

अनिरुद्ध उन्हें कोई जवाब नहीं देता। वह चुपचाप डांट सुनकर वहां से खिसक लेता है। अपने मॉम डैड को आपस में ही उलझा देखकर।

हे!भगवान बाल बाल बचा बस बातों की बुलडोजर चढ़ने ही वाली थी अभी मुझ पर। अनिरुद्ध अपने कमरे में आते हुए कहता है।

वह अपने कमरे में आते ही अपना सामान बेड पर फेंक कर बाथरूम में चला जाता है। अच्छे से फ्रेश होकर आता है और कबर्ड से अपने कपड़े निकल कर पहनता है खुद को शीशे में देखकर में देखकर कहता है मिस्टर अनिरुद्ध त्रिपाठी तुम इतने स्मार्ट क्यों हो।

अपनी तारीफ करके मिस्टर बाहर निकलते हैं, बाहर निकलते ही अपने बड़े भैया जी से टकरा जाते हैं। 

वह अनिरुद्ध को घूर कर देखते हैं और कहते है, तुम देख कर भी नहीं चल सकते अनिरुद्ध, तुम्हारा क्या होगा, जाने कब बड़े हो पाओगे तुम ?

सॉरी भैया !! अनिरुद्ध अपने कान पकड़ कर कहता है। वो अनिरुद्ध के कंधे पर हाथ रखते हैं और चले जाते हैं।

अनिरुद्ध कहता है....आज का दिन ही खराब है, अनिरुद्ध बेटा तेरे लिए, पहले उस कार से एक्सिडेंट होने से बचा फिर पापा से डांट और अब भैया से भी। मेरा आज का दिन ही कुछ गडबड है।

इसके बाद अनिरुद्ध नीचे जाता है और सीधे किचन में चला जाता है और खाने के लिए फ्रिज में कुछ देखने लगता है। तभी उसे आवाज़ आती है ..............
हमें पता था यहीं मिलोगे तुम। वह पलटता है और कहता है, मां आप। फिर कहता है, मां मुझे भूख लगी है जोर की, कुछ मिलेगा क्या ? 

क्यों नहीं मिलेगा कुछ ? चलो तुम उधर बैठो, वह किचन में लगी छोटी सी टेबल की तरफ इशारा करती हैं।
अनिरुद्ध टेबल पर जाकर बैठ जाता है। उसकी मॉम उसके लिए गर्मा गर्म पास्ता परोसती हैं जो उसके आने पर ही उन्होंने बना लिया था। अनिरुद्ध पास्ता देखकर खुश हो जाता है और कहता है मेरा फेवरेट।

उसकी मॉम भी उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाती हैं और उसे खाते हुए देखती हैं। जब वह खा लेता है तब वह पूछती हैं...कहां गए थे आज तुम अनि ? मॉम वो मैं अशोक अंकल के प्रोग्राम में गया था। वह कहती हैं....ओहो ! अच्छा! तुम एक अच्छा काम करने गए थे। पर तुम्हारे डैड को यह सब समझ नहीं आता। तुम्हें हर रोज डांट पड़ती रहती है। तुम कुछ काम करना शुरू कर दो, तुम्हारे पापा जब तुम पर चिल्लाते हैं मुझे अच्छा नहीं लगता, वह उदास वाला चेहरा बना कर कहती हैं।

ठीक है मां, मैं कुछ सोचूंगा वैसे डैड के बिजनेस में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है अनिरुद्ध कहता है।

तुम्हारी यही बात उन्हें बहुत चिढ़ाती है। अनिरुद्ध कहता है, क्या करूं मैं मां जबरदस्ती डैड का बिजनेस ज्वॉइन कर लूं क्या ? मैं ऐसा कुछ करना नहीं चाहता। देखना आप मैं एक दिन फेमस सिंगर जरूर बनूंगा, तब पापा को मुझ पर गर्व जरूर होगा। 

काश ! ऐसा ही हो अनिरुद्ध, उसकी मॉम कहती हैं। मैं भी चाहती हूं वह तुम पर गर्व करें। मुझे तुम्हारे यकीन पर यकीन है।

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