Kaisi he ye Baarishe ? - 4 in Hindi Love Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | कैसी हैं ये बारिशें ?️ - 4

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कैसी हैं ये बारिशें ?️ - 4

अगले दिन शाम के वक्त स्नेहा ऑफिस से निकल कर एक मॉल में जाती है वहां उसे एक स्टोर में समान खरीदते वक्त अनिरुद्ध मिल जाता है। वह स्नेहा को देखकर उसे सॉरी कहता है। स्नेहा उसे गुस्से से देखती है और बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है। अनिरुद्ध भी उसके पीछे जाता है जैसे ही स्नेहा बाहर आती है अनिरुद्ध उसे आवाज़ देते हुए कहता है... रुको मिस !!

स्नेहा पलटती है दोनों एक दूसरे को देखते है और तभी वहां बारिश शुरू हो जाती है। स्नेहा कहती है....यह बिन मौसम की बारिश कभी भी शुरू हो जाती है। वह जल्दी से टैक्सी पकड़ती है और वहां से निकल जाती है। 

अनिरुद्ध वापस मॉल के अंदर चला जाता है और अपने मन में कहता है...कितनी गुस्सा है वो माफ़ भी नहीं कर रही है। पर मैं उसे बताऊंगा कि वह क्यों किया था मैंने, अगर उस दिन चीटिंग करके मदद नहीं लेता तो मैं कभी वहां टाइम पर नहीं पहुंच पाता और उनका कितना नुक़सान हो जाता इससे। 

कुछ दिनों के बाद स्नेहा के ऑफिस की एक पार्टी थी। वहां अनिरुद्ध भी आया हुआ था। उसे वहां स्नेहा दिख जाती है, लोगों से बात करती हुई। अनिरुद्ध उसे एकटक देखता रहता है, वह बेहद प्यारी और खूबसूरत लग रही थी व्हाइट शॉर्ट ड्रेस में।

जब वह अकेली होती है तब अनिरुद्ध उसके पास जाता है और उससे कहता है....सॉरी!! स्नेहा पलट कर उसकी तरफ देखती है। उसे देखते ही स्नेहा के चेहरे पर गुस्सा आ जाता है। स्नेहा कहती है...तुम यहां भी ? तुम पीछा कर रहे हो मेरा ?

वह गुस्से में पार्टी से बाहर निकल जाती है। बाहर निकल रही होती है तभी अनिरुद्ध पीछे से आकर उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है....बारिश हो रही है बाहर और इस वक्त टैक्सी मिलना भी मुश्किल है। थोड़ी देर रुक जाओ बारिश बन्द होने के बाद चली जाना।

स्नेहा गुस्से में झटक कर अपना हाथ छुड़वाती है और अपने बैग में रखा छाता निकाल कर वहां से निकल जाती है। 

अनिरुद्ध कुछ सोचता है फिर बाहर की तरफ देखता है वहां बहुत अंधेरा था। वह अपनी कार लेकर आता है और पैदल जा रही स्नेहा के पास जाकर रोक देता है।

अनिरुद्ध कार से बाहर निकल कर उससे कहता है...चलो, मैं छोड़ देता हूं तुम्हे यहां बहुत अंधेरा है। 

स्नेहा कहती है....मैं चली जाऊंगी, मुझे तुम्हारी किसी भी मदद की जरूरत नहीं है। 

अनिरुद्ध कहता है....तुम्हें यह तुम्हारा छाता ज्यादा देर तक नहीं बचा पाएगा बारिश बहुत तेज हो गई है। स्नेहा उसे घूरती है। अनिरुद्ध कहता है....ऐसे घूरने से कुछ नहीं होगा यहां बहुत अंधेरा है और कोई भी कन्वेयंस मिलना भी मुश्किल है, चलो बैठो कार में, मैं तुम्हे ड्रॉप कर दूंगा। उस दिन तुमने मुझे लिफ्ट दी थी उसका उधार भी चुकता हो जाएगा। 

उसके बार बार कहने के वाबजूद भी स्नेहा कार में नहीं बैठती और जाने लगती है। अनिरुद्ध उसका हाथ पकडता है और जबरदस्ती उसे कार में बैठा देता है। वह कार में बैठकर कहती है...ये क्या बदतमीजी है ?

अनिरुद्ध कहता है....अगर बदतमीजी करने से किसी का भला होता है तो मुझे कोई परेशानी नहीं है, ऐसी किसी भी बदतमीजी से और मैं तुम्हारे इस गुस्से की वजह से भीग गया हूं तुम्हें दिख रहा हो तो ?

स्नेहा कहती है....मैंने कहा था क्या तुम्हे भीगने को ?

अनिरुद्ध कहता है....नहीं, मेरा मन कर रहा था इसलिए भीग गया। इतना कहकर वह कार स्टार्ट करके वहां से निकल जाता है। स्नेहा साइड फेस करके खिड़की से बाहर देखने लगती है। 

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