एपिसोड 3
दिल्ली जैसा इतना बड़ा शहर खूबसूरत रंगीन रातों को ये शहर अपने आप में ही एक खूबसूरती का मुँह बोलता सबूत था, यहाँ मुगलों का एक जहाँ अबआद था दूर दूर से दहली को देखने बाहर मुल्क से लोग आते थे, यहाँ की हिस्टॉरिकल बिल्डिंग्स यहाँ की दिलों को खुश कर देने वाली हवाएँ पूरे इंडिया का निज़ाम दहली में ही तो था रात की रोशनी में जगमगाती हुई चाँदनी चौक उसकी खूबसूरती दिल करता कि जिसे यहाँ से और कहीं जाए ही न, इसको ऐसी ही दहली नहीं कहते थे, ये दिल था इंडिया का दिलों पर राज तो दहली ही करती थी भले ही इंडिया के कोई भी शहर को घूम लो लेकिन जो दहली दिलों में बस्ती थी वो कोई और शहर की तो बात ही नहीं थी तभी तो कहते हैं…
"मुंबई पैसे वालों की और दहली दिल वालों की"
जहाँ मुंबई पैसे वालों की है वही दहली दिलों पर राज करती हैं जो भी है लेकिन खूबसूरती की अपनी मिसाल है दहली की।
अहमद वीला »»»
पुरानी दहली में एक खूबसूरत से सिटी में बड़े रक़्बा पर फैला ये बंगला खूबसूरत सा लॉन बड़े बड़े खूबसूरत दरख़्त उन में लगे कतारों में फूल हरी हरी सब्ज़ घास, एक तरफ बड़ा सह पोर्च, जहाँ गाड़ियाँ खड़ी की जाती थी दो मंज़िला ये बंगला सफेद और गोल्डन थीम का था वो खूबसूरत था लेकिन यहाँ इस बंगले में रहने वाले कुछ लोग बे हिस थे जहाँ ये बंगला अपनी खूबसूरती को चीख चीख कर बयान करता था वहीं इस बंगले में रहने वाले मक़ीन ख़ामोश तबियत के थे।।
कुछ तो था इस बंगला में रहने वाले मक़ीनों का माज़ी जिस से सब अन्जान थे
"क्या था आख़िर इस में रहने वाले मक़ीनों का? कौन सा ऐसा माज़ी छुपा हुआ था इस बंगले के अन्दर? क्या वक़्त रहते सब को पता चल जाएगा माज़ी का? ये बसस वक़्त ही तय कर सकता था।।।"
वक़्त होगा तय तो होगा सब कुछ
वक़्त नहीं तो अपना भी कोई नहीं
खेल है सब वक़्त वक़्त का
ज़िन्दगी में वक़्त सही
तो ज़िन्दगी खुशगवार हैं
वरना ज़िन्दगी हर ख़ुशी से आर हैं
मजीबा चौधरी
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वो दोनों एक घंटे की मुसाफ़त के बाद स्प्लैश वॉटर पार्क पहुँचे थे, ये जगह जेरिश की पसंदीदा जगहों में से एक थी। वो खुश होते हुए गाड़ी से उतरी, शोल्डर बैग कंधों पर डाले, खुले लंबे बाल जिन को उस ने कर्ल किया हुआ था, सारे बालों को तीन हिस्सों में बाँट कर आगे की तरफ डाला हुआ था और कुछ बाल पीछे की जानिब थे, मेकअप से पाक चेहरा, आँखों में मोटी मोटी काजल लगाए, वाइट ट्राउज़र सूट पहने उस पर मल्टी कलर का दुपट्टा कंधों पर डाले हुए वो बहुत ही प्यारी लग रही थी, लगती भी क्यों न आखिर को वो जेरिश रोहेल ख़ान थी, खूबसूरती की मुकम्मल मूर्ति।
वो धीरे धीरे क़दम बढ़ाती चारों तरफ़ में नज़रें दौड़ाते हुए, खुशी उसके चेहरे से अयाँ हो रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे ये बीस साल की जेरिश नहीं बल्कि पाँच साल की कोई छोटी बच्ची हो।
"आपी आपकी पसंदीदा जगह.." आमिर गाड़ी को लॉक कर के अब जेरिश के साथ चल रहा था, वो भी उसकी खुशी महसूस करते हुए बोला।।।
"हाँ वाक़ई ये मेरी पसंद की जगह है, मुझे यहाँ आ कर बहुत सुकून मिलता है," वो खोए खोए अंदाज़ में आमिर से बोली थी।।।
अभी भी उसके होंठों पर बहुत खूबसूरत सी मुस्कुराहट थी।।।
"पूछोगे नहीं कि क्यों मुझे यहाँ आ कर सुकून क्यों मिलता है?" अब उस ने अपने से छोटे भाई की तरफ देख कर पूछा।।।
"आप बता दें," उस ने कहा...
आमिर ये सब देख रहे हो," उस ने आमिर का ध्यान पार्क की तरफ़ मब्ज़ूल करवाया।।।
आमिर ने पार्क को देखना शुरू किया।
ये बहुत बड़ा और खूबसूरत पार्क था जिस में जगह जगह से लोग घूमने आते थे, इसकी दो साइड थी, जिस में एक साइड वॉटर राइड्स थी जबकि दूसरी साइड अम्यूज़मेंट राइड्स।
वॉटर राइड्स सेक्शन में बड वॉटर फॉल, मशरूम फॉल, वेव फॉल, स्विमिंग पूल, मल्टी लेन स्लाइड के साथ और भी राइड्स थी जिस से सब लुत्फ़ अंदोज़ हो रहे थे।
जबकि दूसरी साइड अम्यूज़मेंट राइड्स में स्ट्राइकिंग कार, मिनी कोलम्बस, कैरोसेल, कप एंड सॉसर, ब्रेक डांस के साथ और भी बहुत सी राइड्स थी। ये देखने में ही इतने मज़ेदार थे तो करने में कितना मज़ा आता होगा आप खुद ही अंदाज़ा लगा लें।
आमिर ने ये सब कुछ बहुत ग़ौर से देखा और फिर अपनी बहन के जानिब देखा, जैसे पूछना चाहता हो कि ये तो सिर्फ़ आरज़ी ही खुशी है और वक़्ती भी, यहाँ सुकून कैसा?
"तुम्हें लग रहा होगा न, कि ये तो आरज़ी और वक़्ती खुशी है, यहाँ सुकून कैसा?"
वो उसके दिमाग़ में उठने वाले सवालों को लफ़्ज़ों में पहनाते हुए उसको हैरान कर गई थी।।।
"हाँ!!" आमिर ने हैरान नज़रों से उसको देख कर जवाब दिया।।।
"ये सब जो राइड्स वग़ैरह या फिर दूसरे चीज़ों से लुत्फ़ अंदोज़ होते लोग देख रहे हो न, जो हमें अभी खुश दिख रहे हैं, ये सब भी असल में किसी के साथ कुछ प्रॉब्लम होगी, किसी के साथ कुछ, लेकिन सब फिर भी खुश नज़र आ रहे हैं, क्योंकि ये सब एक ग़म को छुपाए अपनी फैमिली के लिए, एक दूसरे के लिए खुश रहते हैं, क्योंकि इन सब के दरमियान मोहब्बत है, ये खुश हैं अपनी फैमिली के साथ।।।
इस लिए मुझे सुकून मिलता है इन सब को देख कर, क्योंकि ये सब अपनी फैमिली की खुशी में खुश हैं, जबकि इन सब को खुश देख कर मैं खुश हूँ। पता है क्यों? क्योंकि इन सब की आरज़ी और चंद वक़्त के लिए ही सही लेकिन खुशी तो है... और जहाँ खुशी होती है वहाँ सुकून भी होता है... लेकिन?" वो यहाँ आ कर ख़ामोश हो गई थी।
इस से ज़्यादा वो नहीं बोल सकती थी, इस लिए वो ख़ामोश हो गई थी।।।
🥺 वो आगे क़दम बढ़ाते हुए सब को देख कर खुश हो रही थी। वो खुश थी — आरज़ी या फिर वक़्ती ही सही, लेकिन थी।।।
"यहाँ संडे को बहुत रश रहता था। इतने रश में भी वो सब की नज़रों का मरकज़ बनी हुई थी।।।"
किसी ने उसकी बातों को बहुत ग़ौर से सुना था और वो इस लड़की से मुतास्सिर भी बहुत हुआ था।
उस शख़्स ने उस लड़की का चेहरा देखने की कोशिश की लेकिन कोशिश करने के बावजूद भी नहीं देख पाया। वो लड़की दूसरी जानिब चेहरा किए खड़ी थी। आवाज़ उसकी बहुत प्यारी, दिल मोह लेने वाली थी। उसके लंबे, घने बाल जो कमर से भी नीचे तक लटक रहे थे बहुत ही खूबसूरत थे। रश होने के बावजूद वो उसका चेहरा नहीं देख पाया था।।।
"कौन था वो शख़्स???"
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"ओए आज तेरा इरादा कैसे हो गया अचानक दहली जाने का?" शायान ने हैरान होते हुए गाड़ी की सीट से कमर लगाते हुए पूछा।।
सिमान बिल्कुल ख़ामोश रहा...
"तू बता भी रहा है कि नहीं?" शायान को उसकी ख़ामोशी बहुत खल रही थी, वो उसको घूरते हुए बोला।।
"तू कुछ देर अपनी चोंच को बंद रखेगा.." वो ड्राइव करते हुए बोला।।
"मैं रख लूँगा लेकिन पहले बता.." वो ढीठ बनते हुए बोला।।
"थोड़ी देर में तुझे ख़ुद पता चल जाएगा, अब बस तू चुप कर के बैठ जा। अगर अब बोला न तो गाड़ी से बाहर उठा कर फेंक दूँगा फिर करता रहना — बता बता..." वो झुँझला कर बोला था।।
शायान बेचारा अपना सा मुँह ले कर बैठ गया कहीं वो सच में उसको गाड़ी से उठा कर बाहर फेंक न दे।।
थोड़ी देर बाद गाड़ी स्प्लैश वॉटर पार्क की पार्किंग में रकी थी।।
शायान ने पहले पार्क की तरफ देखा फिर सिमान की जानिब...
"मतलब इतनी दूर से यहाँ सिर्फ़ इस एक पार्क के लिए ये मुझे यहाँ ले कर आया है..." वो दिल में हैरान सा हो कर सोच रहा था।।
"ओए कमीने इंसान तू मुझे इतनी दूर से सिर्फ़ ये दिखाने के लिए लाया है और वो भी वो चीज़ जिसको मैं हज़ार बार देख चुका हूँ...."
शायान को सिमान के दिमाग़ पर शक हुआ — "कहीं ये पागल वागल तो नहीं हो गया??"
"मुझे इतनी अच्छी नींद आ रही थी, आज संडे था सोचा था कि एक लेक्चर लेने के बाद यूनिवर्सिटी से वापस हॉस्टल आ कर खूब दिल खोल कर सोऊँगा। लेकिन नहीं, मौसुफ़ ठहरे मेरे दुश्मन शायान ख़ान को कभी सुकून लेने ही नहीं देना..." वो दाँतों को किटकिटाते हुए बोला।।।
"ख़ुशफ़हमी तेरी... वैसे भी तू रोज़ बहुत पहाड़ तोड़ता है नींद के, जब भी कोई ख़िताब नहीं मिला। आज सो जाता तो अमेरिका का वर्ल्ड कप फिर भी नहीं मिलना था तुझे..." उसने भी उसके ही अंदाज़ में जवाब दिया।।
"हाहाहा चल बेटा, ये ख़्वाब तो सिर्फ़ मेरा भतीजा ही पूरा करेगा.... हाएएए बस वो आ जाए दुनिया में फिर पूछता हूँ तुझसे कि शायान ख़ान से पंगा इज़ नॉट चंगा..."
"फिर रहने दे, क्योंकि ये ख़्वाब तो तेरा कभी पूरा होने वाला ही नहीं है..." वो उसको घूरते हुए बोला था।।
"देखना होगा पूरा... और आज ही होगा। कोई तो आज तेरे दिल और दिमाग़ पर अपना अक्स छोड़ कर जाएगी इंशाअल्लाह..." वो दाँतों की नुमाइश करते हुए बोला और जल्दी से आगे को बढ़ा था, कहीं यहीं उसकी दरग़त न बना दे ये।।
वो भी उसके पीछे लपका लेकिन एक आवाज़ पर वो रुक गया था।।
उसने आवाज़ के ताअक़ुब में देखा... उस ने जो सुना और जो देखा, वाक़ई वो मुतास्सिर हुआ था। ये आवाज़ उसके दिल और दिमाग़ पर अपना अक्स छोड़ चुकी थी।।
कभी कभी मज़ाक़ में बोले गए अल्फ़ाज़ इतनी जल्दी क़बूल होते हैं, इस से ज़्यादा हैरानी की बात तो हो ही नहीं सकती। शक मेरे रब की मर्ज़ी कोई नहीं जान सकता। वो सब के दिलों का हाल जानता है लेकिन कोई उसकी मस्लहत नहीं जानता।।
"यार क्या देख रहा है, अब आया है तो इंजॉय भी कर..." शायान उसका हाथ पकड़ते हुए खींचता चला गया था और उस ने पीछे मुड़ एक बार फिर उस लड़की को देखना चाहा था लेकिन इस बार भी नाकाम रहा।।
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आखिर कैसी उलझन थी आंखों की ये कैसा लम्हा था ।
दिल ने जिसे अपना लिया आंखे उसे अभी तक ढूंढ रही थी।
आवाज दिल में उतर गई चेहरा अभी पर्दे में है इंतेज़ार करे अगली एपी का
जल्द ही.......!