Ek Machuware Ka Sabak in Hindi Motivational Stories by Mohammad Samir books and stories PDF | एक मछुआरे का सबक

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एक मछुआरे का सबक


एक मछुआरे का सबक
एक बहुत ही शांत और सुंदर गांव था जो एक बड़ी नदी के किनारे बसा था। इस गाँव में, एक बूढ़ा मछुआरा रहता था, जिसका नाम था रामू। रामू अपनी पूरी ज़िंदगी मछली पकड़कर और उन्हें बेचकर गुज़ारता था। उसकी नाव पुरानी थी और उसके जाल भी जगह-जगह से फटे हुए थे, लेकिन वह अपनी मेहनत पर यकीन रखता था।
गाँव में एक नया नौजवान आया, जिसका नाम था राजू। राजू शहर से आया था और वह बहुत ही आधुनिक सोच का था। उसके पास एक चमचमाती हुई नाव थी और सबसे अच्छे, मज़बूत जाल थे। वह रामू के पास आया और उसे देखकर हँसने लगा।
राजू ने रामू से कहा, "अरे बाबा! इस पुरानी नाव और इन फटे जालों से क्या होगा? अब तो तकनीक का ज़माना है! मेरी नाव देखो, यह कितनी तेज़ है और मेरे जाल कितने मज़बूत हैं। मैं तुमसे बहुत ज़्यादा मछलियाँ पकड़ूँगा।"
रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, सिर्फ़ औजार अच्छे होने से कुछ नहीं होता, अनुभव और धैर्य भी ज़रूरी है।"
राजू ने उसकी बात को मज़ाक में लिया और अपनी नाव लेकर नदी में उतर गया। उसने अपनी नाव को नदी में सबसे दूर ले जाकर जाल डाला। उसे लगा कि जितनी दूर वह जाएगा, उतनी ही ज़्यादा मछलियाँ मिलेंगी।
लेकिन, राजू को यह नहीं पता था कि नदी का सबसे गहरा और तूफ़ानी हिस्सा वही था जहाँ उसने जाल डाला था। अचानक, मौसम बदल गया और तेज़ हवा चलने लगी। नदी में लहरें उठने लगीं और राजू की नाव हिचकोले खाने लगी। उसने कोशिश की कि वह जाल को खींच ले, लेकिन जाल बहुत भारी हो गया था और नाव को खींच रहा था।
राजू घबरा गया। उसकी नई नाव का इंजन बंद हो गया और वह नदी के बीच में फँस गया। वह चिल्लाने लगा, "कोई मदद करो! कोई मुझे बचाओ!"
गाँव में, सब ने राजू की नाव को मुश्किल में देखा, लेकिन कोई उसकी मदद करने की हिम्मत नहीं कर रहा था क्योंकि तूफ़ान बहुत तेज़ था।
रामू ने यह देखा। उसने तुरंत अपनी पुरानी नाव निकाली। हालाँकि, उसकी नाव पुरानी थी, लेकिन वह जानता था कि इस तूफ़ानी मौसम में नाव को कैसे चलाना है। वह बहुत ही समझदारी और धैर्य से अपनी नाव को राजू की तरफ ले गया।
जैसे-जैसे रामू राजू के पास पहुँचा, उसने देखा कि राजू का जाल उसकी नाव के साथ बुरी तरह से उलझ गया है। रामू ने अपनी नाव को राजू की नाव के पास ले जाकर, बड़ी समझदारी से राजू के जाल को काट दिया। जाल कटते ही, राजू की नाव फिर से ठीक हो गई।
रामू ने राजू से कहा, "जल्दी से अपनी नाव में बैठ जाओ और मेरे पीछे आओ।"
राजू ने रामू का शुक्रिया अदा किया और उसकी सलाह मानी। रामू अपनी पुरानी नाव में बैठकर धीरे-धीरे और सावधानी से किनारे की तरफ बढ़ने लगा। राजू भी उसकी नाव के पीछे-पीछे चलने लगा।
जब वे दोनों सुरक्षित गाँव पहुँचे, तो राजू ने शर्मिंदा होकर रामू से माफी माँगी। उसने कहा, "रामू बाबा, आपने मुझे सिखाया कि सिर्फ़ नए और अच्छे औजार से काम नहीं बनता। असली ताकत अनुभव और ज्ञान में होती है। मैंने अपनी नाव और जाल पर बहुत घमंड किया, लेकिन आज अगर आप न होते, तो मैं अपनी जान गँवा देता।"
रामू ने राजू को गले लगाया और कहा, "बेटा, यह कोई बड़ी बात नहीं। ज़िंदगी में, हमें कभी भी अपने हुनर और औजारों पर घमंड नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए और अनुभव की कद्र करनी चाहिए।"
उस दिन से, राजू ने रामू से बहुत कुछ सीखा। वह हर दिन रामू के साथ मछली पकड़ने जाता और उससे नदी के बारे में और ज़िंदगी के बारे में बहुत कुछ सीखता था। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए।
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि अनुभव और ज्ञान, नए और महंगे औजारों से कहीं ज़्यादा क़ीमती होते हैं।