There is struggle at every step. in Hindi Motivational Stories by Varsha writer books and stories PDF | कदम कदम पर संघर्ष है

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कदम कदम पर संघर्ष है

कदम-कदम पर संघर्षजीवन कभी भी सीधी और आसान राह नहीं देता। हर मोड़ पर, हर कदम पर, इंसान को किसी न किसी संघर्ष का सामना करना ही पड़ता है। यही संघर्ष इंसान को मजबूत बनाते हैं और उसकी असली पहचान गढ़ते हैं। यही कहानी है आरव की, जो एक साधारण से गाँव से निकलकर अपने सपनों को सच करने की यात्रा पर चला।आरव का जन्म एक छोटे से किसान परिवार में हुआ। पिता दिन-रात खेतों में मेहनत करते, माँ घर सँभालती और कभी-कभार दूसरों के घर काम करतीं। घर में पैसे की तंगी हमेशा रहती थी। पढ़ाई के लिए किताबें खरीदना तक मुश्किल हो जाता, लेकिन आरव के भीतर पढ़ाई और आगे बढ़ने का ज़ज़्बा कम न हुआ।गाँव के स्कूल में जब वह पाँचवीं कक्षा में था, तब उसके अध्यापक ने कहा—“बेटा, अगर तुम मन लगाकर पढ़ोगे, तो ज़रूर कुछ बनोगे। तुम्हारी आँखों में एक चमक है।”ये शब्द आरव के लिए प्रेरणा बन गए। लेकिन संघर्ष तो अभी शुरू ही हुआ था। गाँव में बिजली अक्सर चली जाती, इसलिए वह मिट्टी के दीये या लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करता। कई बार दोस्तों के पास से पुरानी किताबें माँगकर काम चलाता। उसके पास अच्छे कपड़े नहीं थे, परंतु आत्मविश्वास उसकी सबसे बड़ी पूँजी थी।दसवीं कक्षा का इम्तिहान नज़दीक था। उसी समय उसके पिता बीमार पड़ गए। खेत का काम, घर की जिम्मेदारी और पढ़ाई—सब कुछ आरव के कंधों पर आ गया। दिन में वह खेत में काम करता और रात में थकान के बावजूद पढ़ाई करता। उसकी माँ अक्सर कहतीं—“बेटा, अपनी सेहत का ख्याल रखो, ज़्यादा मत थको।”आरव मुस्कुराकर जवाब देता—“माँ, ये संघर्ष ही मेरी ताकत है। एक दिन सब बदल जाएगा।”परीक्षा का परिणाम आया और आरव ने पूरे ज़िले में दूसरा स्थान हासिल किया। गाँव भर में उसकी चर्चा होने लगी। सबको यकीन हो गया कि यह लड़का कुछ बड़ा करेगा। लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना जरूरी था। वहाँ फीस, हॉस्टल और किताबों का खर्चा कौन उठाए? यही सोचकर पिता की आँखों में चिंता झलकने लगी।आरव ने हार नहीं मानी। उसने गाँव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। दिन में कॉलेज जाता, शाम को बच्चों को पढ़ाता और देर रात तक अपनी पढ़ाई करता। पैसे कम थे, पर उसने कभी शिकायत नहीं की। वह जानता था कि यही संघर्ष उसे मंज़िल तक ले जाएगा।कॉलेज में भी चुनौतियाँ खत्म नहीं हुईं। कई बार दोस्त उसका मजाक उड़ाते—“अरे, ये गाँव वाला बड़े सपने देख रहा है।”लेकिन आरव ने इन तानों को प्रेरणा बना लिया। उसने ठान लिया कि एक दिन वही लोग उसकी मेहनत को सलाम करेंगे।साल दर साल संघर्ष जारी रहा। कभी फीस जमा करने में दिक्कत आई, तो कभी किताबों की कमी खली। कई बार पेट भर खाना भी नसीब नहीं हुआ। लेकिन आरव के कदम रुकने वाले नहीं थे।आखिरकार, उसने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। प्लेसमेंट के समय उसे एक बड़ी कंपनी से नौकरी का ऑफर मिला। जब वह पहली बार नौकरी पर गया, तो आँखों में आँसू आ गए। याद आया कैसे मिट्टी की कच्ची झोपड़ी में लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करता था, कैसे खेतों में पसीना बहाकर किताबों का खर्चा जुटाता था, और कैसे कदम-कदम पर संघर्षों ने उसे मजबूत बनाया।आज आरव शहर में नौकरी कर रहा है, लेकिन गाँव लौटना नहीं भूला। उसने अपने गाँव में एक छोटी लाइब्रेरी बनवाई, ताकि कोई और बच्चा किताबों की कमी से न जूझे। वह बच्चों को हमेशा यही कहता—“संघर्ष से मत डरना। ये वही रास्ता है जो तुम्हें सफलता तक ले जाएगा। अगर रास्ते आसान होंगे, तो मंज़िल की कीमत कभी समझ नहीं पाओगे। असली जीत वही है जो संघर्ष के बाद मिलती है।”---

निष्कर्ष

आरव की कहानी हमें यह सिखाती है कि सचमुच जीवन कदम-कदम पर संघर्ष से भरा है। लेकिन अगर इंसान हिम्मत और धैर्य से इन संघर्षों का सामना करे, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। हर कठिनाई हमें और मजबूत बनाने के लिए आती है।---