बिहार के एक छोटे से गाँव रामपुर की पगडंडियों पर अक्सर शाम को एक औरत धीरे-धीरे टहलती दिखाई देती थी। उसका नाम था सीता, उम्र 52। सादे सूती कपड़े, आँखों में गहराई और चेहरे पर हल्की-सी झुर्रियाँ—लेकिन दिल अब भी जवान।
दूसरी ओर, गाँव के ही रहने वाले अमन थे, उम्र 55। सेवानिवृत्त अध्यापक, जिनका स्वभाव बेहद शांत और दिल बेहद बड़ा था।
गाँव में लोग कहते थे—“अब इस उम्र में किसे मोहब्बत सूझती है?”लेकिन मोहब्बत उम्र देखकर थोड़े न आती है…🌸 पहली मुलाक़ात
एक दिन बरसात के मौसम में सीता खेत से लौट रही थी। रास्ता फिसलन भरा था, और अचानक उसका पाँव फिसल गया। उसी वक्त पास से गुजरते हुए अमन ने तुरंत हाथ बढ़ाकर उसे संभाल लिया।उनकी उँगलियाँ जब पहली बार एक-दूसरे से मिलीं, तो जैसे दोनों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।
सीता ने झेंपते हुए कहा –"धन्यवाद… वरना मैं तो गिर ही जाती।"अमन ने मुस्कुराकर जवाब दिया –"अब आपको गिरने नहीं दूँगा… न ज़मीन पर, न ज़िन्दगी में।"🌹 धीरे-धीरे नज़दीकियाँ
गाँव के चौपाल पर कभी हँसी-मज़ाक, कभी मंदिर के रास्ते साथ-साथ जाना, कभी पुराने दिनों की बातें करना—दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे मोहब्बत में बदलने लगी।
अमन अक्सर सीता के लिए खेतों से ताजे फूल तोड़ लाता और कहता –"ये फूल तो मुरझा जाएँगे, पर आप मेरे लिए हमेशा खिला हुआ गुलाब रहेंगी।"
सीता शरमा जाती, उसके गाल गुलाबी हो उठते।💌 इज़हार
एक दिन अमन ने बरगद के पेड़ के नीचे सीता से कहा –"सीता, लोग कहते हैं कि प्यार सिर्फ जवानी में होता है, पर मेरा दिल कहता है कि मोहब्बत वही होती है जो उम्र के हर पड़ाव पर और गहरी होती जाती है। क्या आप मेरी अधूरी ज़िन्दगी को पूरा करेंगी?"
सीता की आँखों से आँसू बह निकले। उसने धीरे से अमन का हाथ पकड़ लिया और कहा –"अब तक अकेली थी… पर आज लगता है कि मेरी ज़िन्दगी को उसका असली साथी मिल गया है।"🌺 अंत
गाँव वाले पहले तो ताने मारते रहे, पर जब उन्होंने देखा कि इन दोनों की मोहब्बत कितनी सच्ची और पवित्र है, तो धीरे-धीरे सभी का दिल भी पिघल गया।
सीता और अमन ने तय किया कि वे साथ रहेंगे—नए सपने बुनेंगे और इस बात को साबित करेंगे कि प्यार की कोई उम्र नहीं होती… यह तो बस दिल से होता है।
1 : गाँव की पगडंडियाँ
गाँव रामपुर की सुबह हमेशा पंछियों की चहचहाहट से शुरू होती थी।सीता अक्सर घर का काम निपटाकर खेतों की पगडंडियों पर टहलने निकल जाती।उसके मन में हमेशा एक सूनापन था—पति की बरसों पहले हो चुकी मौत और बच्चों का शहर में बस जाना।52 की उम्र में वह अकेलापन झेल रही थी।
उसी गाँव में अमन भी रहते थे—एक शांत स्वभाव के इंसान, उम्र 55, रिटायर्ड मास्टर जी।अमन अक्सर चौपाल पर बच्चों को कहानियाँ सुनाया करते।गाँव वाले उन्हें इज़्ज़त से "अमन मास्टर" कहते।
पर अंदर से अमन का दिल भी खाली था…पत्नी को कई साल पहले बीमारी छीन ले गई थी।अब बस अकेलेपन से लड़ना ही उनकी ज़िन्दगी बन चुका था।
यही अकेलापन दोनों की तकदीर को आपस में जोड़ने वाला था।अध्याय 2 : पहली बारिश की मुलाक़ात
एक दिन अचानक तेज़ बारिश आ गई।सीता खेत से लौट रही थी, और कीचड़ भरे रास्ते में उसका पैर फिसल गया।वह गिरने ही वाली थी कि किसी ने पीछे से पकड़ लिया।
वह अमन थे।
बरसात की बूँदें दोनों पर गिर रही थीं, और उनका दिल जैसे एक साथ धड़क उठा।सीता ने झेंपकर कहा –"धन्यवाद… अगर आप न होते तो मैं तो गिर ही जाती।"अमन मुस्कुराए –"अब आपको गिरने नहीं दूँगा… चाहे रास्ते पर हो या ज़िन्दगी में।"
सीता की आँखें भर आईं, पर उसके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान भी थी।अध्याय 3 : अनकहे जज़्बात
बरसात की उस शाम के बाद सीता और अमन के बीच एक अनकहा रिश्ता बनने लगा।कभी मंदिर के रास्ते पर मुलाक़ात, कभी चौपाल पर बातें, कभी खेतों से लौटते हुए साथ-साथ चलना…धीरे-धीरे उनका अकेलापन कम होने लगा।
अमन अक्सर सीता के लिए खेतों से फूल तोड़कर लाते।एक दिन उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा –"सीता जी, ये फूल तो कल मुरझा जाएँगे… पर आप मेरे लिए हमेशा खिला हुआ गुलाब रहेंगी।"
सीता ने शर्म से नज़रें झुका लीं।उसके दिल में भी अब कुछ नया पनप रहा था…
मैं अगला हिस्सा भी अध्याय 4 से आगे लिखकर कहानी को और गहरा करूँ, जहाँ धीरे-धीरे अमन और सीता का प्यार खुलकर सामने आए?
Kajal Thakur 😊