Abhimanyu's visit to Dharampur in the rain in Hindi Travel stories by niranjan barot books and stories PDF | बारिश मे अभिमन्यु की धरमपुर की यात्रा

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बारिश मे अभिमन्यु की धरमपुर की यात्रा

रीमझिम बारिश में अभिमन्यु की धरमपुर की यात्रा:

एक ठंडी सुबह थी, जब आसमान काले बादलों से ढका हुआ था। रीमझिम बारिश के बूँदें धरती को भिगो रही थीं, और हवा में गीली मिट्टी की खुशबू फैल रही थी। ऐसे ही मनमोहक माहौल में, अभिमन्युसिंह और उनकी बेस्ट फ्रेंड झंखना एक खास लॉन्ग ड्राइव के लिए तैयार हुए। धरमपुर के हरे-भरे जंगल, प्राकृतिक वॉटरफॉल्स, और रास्ते के किनारे गरमागरम कॉफी की चुस्कियों के साथ यह यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव बनने वाली थी। अभिमन्युसिंह ने अपनी होंडा अमेज की चाबी और पसंदीदा हमसफर DSLR कैमरा हाथ में लिया और झंखना को उसके घर से पिकअप करने निकल पड़ा। झंखना जैसे ही पैसेंजर सीट पर बैठी, वह कॉलेज की अल्हड़ युवती बन गई। अभिमन्यु के साथ होने पर वह हमेशा खुले बाल रखना पसंद करती थी, जो अभिमन्यु को बहुत पसंद था। और फिर दोनों ने इस आह्लादक सफर की शुरुआत की।
सुबह के नौ बजे का समय था जब होंडा अमेज शहर की भीड़-भाड़ से निकलकर धरमपुर की ओर बढ़ी। बारिश की झीनी फुहार हल्के से चल रही थी, और कार की विंडशील्ड पर बूँदें नाच रही थीं। अभिमन्युसिंह ने स्टेयरिंग संभाला, जबकि झंखना ने कार का ब्लूटूथ चालू करके एक सॉफ्ट रोमांटिक प्लेलिस्ट लगाई। "ये बारिश, ये गाने, और हम दोनों... बस, इससे ज्यादा और क्या चाहिए?" झंखना ने उत्साह से कहा। अभिमन्युसिंह ने उसकी ओर एक नजर फेंकी और मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, बस तू रास्ता बताती रह, मैं ड्राइव करता हूँ। आज हम धरमपुर की हरियाली में खो जाएंगे।"
शहर की सीमाएं पीछे छूट रही थीं, और रास्ता अब खुला हो रहा था। दोनों तरफ हरे-भरे खेत, दूर से दिखाई देने वाली पहाड़ी रेंज, और बारिश की बूँदों से चमकती धरती नजर आने लगी। माहौल में एक रहस्यमय रोमांच था, जो दोनों के चेहरों पर उत्साह ला रहा था। झंखना ने कार की खिड़की थोड़ी खोली, और गीली हवा की लहरें अंदर आईं। "इस हवा की खुशबू! अभि, ये तो जैसे प्रकृति का परफ्यूम है!" उसने हँसते हुए कहा। अभिमन्युसिंह ने सहमति में सिर हिलाया और बोला, "बस, थोड़ा और आगे चलें, धरमपुर के जंगल इससे भी ज्यादा खूबसूरत होंगे।"
जैसे-जैसे वे धरमपुर के करीब पहुँचे, रास्ते संकरे और घुमावदार होने लगे। दोनों तरफ घने जंगलों की शुरुआत हुई। ऊँचे पेड़, जिनके पत्ते बारिश की बूँदों से चमक रहे थे, एक हरी कालीन बिछा रहे थे। जंगली झाड़ियाँ, रंग-बिरंगे फूल, और कहीं-कहीं छोटे-छोटे झरने रास्ते को जादुई बना रहे थे। बारिश की बूँदें पत्तों से टपक रही थीं, और एक हल्का झरने का स्वर माहौल में गूँज रहा था।
झंखना ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा, "अभि, ये तो जैसे किसी पेंटिंग से निकला हुआ दृश्य है! ये जंगल, ये बारिश... सब कुछ कितना जीवंत लगता है!" अभिमन्युसिंह ने रास्ते पर नजर रखते हुए हँसकर कहा, "हाँ, और आगे जाकर तुझे वॉटरफॉल्स भी देखने को मिलेंगे। तैयार रह, आज हम प्रकृति का खजाना ढूंढने वाले हैं।"
थोड़ा और आगे बढ़ते ही, रास्ते के किनारे एक छोटा वॉटरफॉल दिखाई दिया। पहाड़ से नीचे चट्टानों पर खलखल बहता पानी, बारिश की वजह से और तेज और जोशीला लग रहा था। झंखना ने उत्साह से चिल्लाया, "अभि, ये देख! कार रोक, हम यहाँ रुकते हैं।" अभिमन्युसिंह ने कार रास्ते के किनारे रोकी, और दोनों बाहर निकले। बारिश अभी भी हल्की चल रही थी, लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं थी। झंखना ने अपना फोन निकाला और वॉटरफॉल की तस्वीरें लीं, जबकि अभिमन्युसिंह ने हाथ बढ़ाकर बारिश की बूँदों को अपनी हथेलियों में समेटा। "इस पानी की आवाज सुन, झंखना। इससे ज्यादा शांति कहाँ मिलेगी?" उसने कहा। झंखना ने सहमति में सिर हिलाया और बोली, "ये तो जैसे प्रकृति का संगीत है।"
वॉटरफॉल का आनंद लेने के बाद, दोनों फिर कार में बैठ गए। रास्ता अब और घने जंगलों से होकर गुजर रहा था। बारिश की तीव्रता थोड़ी बढ़ गई थी, और हवा में ठंडक का अहसास हो रहा था। झंखना ने कहा, "अभि, ऐसे माहौल में गरमागरम कड़क कॉफी हो तो मजा आ जाए!" अभिमन्युसिंह ने हँसकर जवाब दिया, "बस, थोड़ा और आगे एक छोटी टपरी मिलेगी। वहाँ हम कॉफी की चुस्कियाँ लेंगे।"
थोड़ी देर बाद, रास्ते के किनारे एक छोटी सी टपरी दिखाई दी। लकड़ी की बनावट और टीन की छत के नीचे एक बुजुर्ग दंपति चाय-कॉफी बना रहा था। अभिमन्युसिंह ने कार रोकी, और दोनों टपरी के पास गए। "दो एकदम कड़क लाल कॉफी, भाई!" अभिमन्युसिंह ने ऑर्डर दिया। झंखना ने टपरी के आसपास के नजारे को देखते हुए कहा, "ये जगह तो जैसे किसी फिल्म का सीन हो! इन जंगलों के बीच ये टपरी... सब कुछ कितना सादा और सुंदर है।"
थोड़ी देर में अभिमन्यु की पसंद के मुताबिक गरमागरम कड़क कॉफी के दो कप आए। दोनों ने कॉफी के कप हाथ में लिए और टपरी के पास रास्ते पर खड़े होकर चुस्कियाँ लेने लगे। बारिश की बूँदें, जंगल की हरियाली, और कॉफी की खुशबू ने माहौल को एकदम जादुई बना दिया था। झंखना ने कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा, "अभि, ऐसी पलें ही जिंदगी को खास बनाती हैं, है ना?" अभिमन्युसिंह ने हँसकर कहा, "बिल्कुल, और तू साथ हो तो आनंद दोगुना हो जाता है।" दोनों हँस पड़े, और कॉफी की गर्माहट ने उनके शरीर और मन दोनों को ताजगी दी।
कॉफी पीने के बाद, दोनों ने फिर से यात्रा शुरू की। अब रास्ता और घने जंगलों से होकर गुजर रहा था। बारिश की तीव्रता बढ़ गई थी, और रास्ते पर छोटे-छोटे पानी के झरने बहते दिख रहे थे। कहीं-कहीं पहाड़ों से नीचे चट्टानों पर बहते वॉटरफॉल्स दिखाई दे रहे थे, जो बारिश की वजह से और भव्य लग रहे थे। झंखना ने एक बड़े वॉटरफॉल को देखते हुए कहा, "अभि, ये देख! ये तो अद्भुत है! चल, यहाँ रुकते हैं।"
अभिमन्युसिंह ने कार रोकी, और दोनों फिर बाहर निकले। यह वॉटरफॉल बहुत ऊँचा था, और इसका पानी चट्टानों से नीचे खड़खड़ाता हुआ गिर रहा था। बारिश की बूँदें और वॉटरफॉल की आवाज एक-दूसरे में घुलमिल गई थीं। झंखना ने अपना रेनकोट पहनकर वॉटरफॉल के और करीब जाने का आग्रह किया। "चल, थोड़ा और करीब चलें! इन पानी की बूँदों का अहसास करना है," उसने उत्साह से कहा। अभिमन्युसिंह भी उसके साथ हो लिया।
दोनों वॉटरफॉल के करीब गए, जहाँ पानी की छोटी-छोटी बूँदें उनके चेहरों पर पड़ रही थीं। "ये तो जैसे प्रकृति का शावर है!" झंखना ने हँसते हुए कहा। अभिमन्युसिंह ने भी हँसकर कहा, "हाँ, और ये शावर फ्री है!" दोनों हँस पड़े, और वॉटरफॉल के आसपास की हरियाली और बारिश की फुहारों से उनका मन उल्लास से भर गया। झंखना ने अपने फोन में एक सेल्फी ली, जिसमें वॉटरफॉल का भव्य नजारा और उनके हँसते चेहरे समा गए। "ये तस्वीर हमारी इस ट्रिप की सबसे खास याद बनेगी," उसने कहा।
जैसे-जैसे शाम नजदीक आई, बारिश की तीव्रता थोड़ी कम हुई, लेकिन फुहारें अभी भी चल रही थीं। अभिमन्युसिंह ने कार एक ऊँचे स्थान पर रोकी, जहाँ से धरमपुर के जंगल, दूर-दूर तक फैली हरियाली, और बादलों से ढका आसमान दिखाई दे रहा था। झंखना ने कार की खिड़की खोली और बाहर के नजारे को निहारा। "अभि, हमें ऐसी जगहों पर रोज आना चाहिए। ये शांति, ये खूबसूरती... सब कुछ भुला देती है," उसने कहा।
अभिमन्युसिंह ने कार का म्यूजिक बंद कर दिया, और दोनों ने बारिश की आवाज को महसूस किया। "झंखना, तुझे याद है हम कॉलेज में ऐसी ही एक ट्रिप पर गए थे? तब भी ऐसा ही बारिश थी," अभिमन्युसिंह ने याद दिलाया। झंखना ने हँसकर कहा, "हाँ, और तूने तो कार को गड्ढे में फँसा दिया था! आज बस ध्यान रखना।" दोनों हँस पड़े, और पुरानी यादों में खो गए।
उन्होंने कॉलेज के दिनों, उनकी छोटी-छोटी लड़ाइयों, और एक-दूसरे के साथ बिताए पलों की बातें कीं। झंखना ने कहा, "अभि, हमारी दोस्ती ऐसी है कि ऐसी ट्रिप्स में इसकी चमक और बढ़ जाती है।" अभिमन्युसिंह ने मुस्कान के साथ जवाब दिया, "बिल्कुल, तू साथ न होती तो ये ट्रिप इतनी मजेदार न होती।"
शाम के छह बजे तक, दोनों ने धरमपुर की खूबसूरती को जी भरकर निहारा। बारिश अब लगभग बंद हो चुकी थी, लेकिन हवा में नमी अभी भी थी। अभिमन्युसिंह ने कार घर की ओर मोड़ी, और झंखना ने फिर से प्लेलिस्ट चालू की। "आज का दिन वाकई अविस्मरणीय था, अभि। ऐसी ट्रिप्स हमें हमेशा याद रहेंगी," उसने कहा। अभिमन्युसिंह ने मुस्कान के साथ जवाब दिया, "बस, तू हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रह, ऐसी यादें मैं रोज बनाऊँगा।"
धरमपुर के जंगल, बारिश की फुहारें, वॉटरफॉल्स का रोमांच, और कॉफी की चुस्कियों ने इस लॉन्ग ड्राइव को एक अनोखा अनुभव बना दिया था। अभिमन्युसिंह और झंखना की यह यात्रा सिर्फ एक ट्रिप नहीं थी, बल्कि उनकी दोस्ती का एक नया स्मारक बन गई थी।
कार घर की ओर लौट रही थी...
अभिमन्यु का ऑल-टाइम फेवरेट गाना बज रहा था...
"तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता..."
कार और बारिश की फुहारें अभी भी चल रही थीं...
अभि और झंखना बिल्कुल चुपचाप गाना सुन रहे थे, अपनी मस्ती में मस्त...
और संध्यारानी अपने रोमांटिक मूड के साथ आसमान पर अपना अखंड कब्जा कर रही थीं...
©निरंजन
06/09/2025