Ek Adhuri Prem Kahani in Hindi Short Stories by niranjan barot books and stories PDF | एक अधूरी प्रेम कहानी...

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एक अधूरी प्रेम कहानी...

एक अधूरी प्रेम कहानी,

समुद्र की लहरों में खोया हुआ प्यार और मित्रता का अनंत बंधन
अभिमन्युसिंह, 55 वर्षीय अहमदाबाद का प्रसिद्ध व्यवसायी और विश्वविख्यात वन्यजीव फोटोग्राफर, अपने दिल में एक अधूरी प्रेम कहानी संजोए रखता है। उसकी आँखों में आज भी इबीजा के समुद्र तट पर चमकता हुआ वह सूर्योदय झलकता है, जहाँ 33 साल पहले एक अनजान लड़की ने उसके दिल के तारों को झंकृत किया था।
इबीजा, 1992: प्यार का काल्पनिक स्पर्श
22 साल का अभिमन्यु, एक युवा फोटोग्राफर, जिसका कैमरा वन्यजीवों की सुंदरता के साथ-साथ साहसिक सपनों को कैद करता था, इबीजा के बंदरगाह पर अपने दोस्तों के साथ उतरा। एक शाम, जब समुद्र की लहरें तारों की चमक के साथ नृत्य कर रही थीं, उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी। लगभग 18 साल की, उसके बाल समुद्री हवा में लहरा रहे थे, मानो समुद्र की लहरों का ही हिस्सा हों। उसकी आँखों में एक अनजाना जादू था, जिसमें समुद्र की गहराई और आकाश की अनंतता समाई हुई थी। बंदरगाह के प्रतीक्षा क्षेत्र में, वह अभिमन्यु के पास बैठी। शब्द गौण हो गए। न नाम, न उम्र, न कोई पहचान। बस एक-दूसरे की मौजूदगी और हवा में तैरता प्यार का रोमांटिक अहसास। उस क्षण, मानो समुद्र और आकाश दोनों उनके प्यार के साक्षी बनने के लिए ठहर गए थे।
लड़की अकेली नहीं थी। उसका परिवार एक साल की समुद्री यात्रा शुरू करने के लिए इबीजा आया था, जो दक्षिण अमेरिका तक की थी। रात के गहरे अंधेरे में, जब तारे समुद्र पर अपनी परछाई डाल रहे थे, लड़की ने अभिमन्यु की आँखों में देखकर धीमे से कहा, “चल, हमारे साथ... यह समुद्र हमें एक नई दुनिया दिखाएगा।” उसकी आवाज मानो समुद्र की लहरों की तरह नाजुक, पर दिल को झंकृत करने वाली थी।
अभिमन्यु का दिल उस क्षण समुद्र की तरह उछला। उसकी आँखों में उस लड़की के साथ क्षितिज पार के सपने तैरने लगे। लेकिन दोस्तों के साथ दूसरी योजनाएँ, अनिश्चित भविष्य का डर, और एक अनजान लड़की के पीछे जीवन बदलने की संभावना ने उसे हिचकिचाया। दोस्तों ने बस कंधे उचकाए, “तुझे जो अच्छा लगे वह कर।” अभिमन्यु का दिल उसके साथ जाने को मचल रहा था, लेकिन उसके कदम ठिठक गए। वह नहीं गया।
सुबह, सूर्योदय का सुनहरा प्रकाश समुद्र पर नाच रहा था। लड़की की नाव धीरे-धीरे क्षितिज की ओर बढ़ी। अभिमन्यु तट पर खड़ा, आँखों में आँसुओं की झलक और दिल में एक अनजानी वेदना के साथ, उसे देखता रहा। लड़की नाव की रेलिंग पर खड़ी, उसके बाल हवा में लहराते, अभिमन्यु को ताकती रही। उनकी नजरें एक-दूसरे में खो गईं, मानो समुद्र उनके प्यार को हमेशा के लिए संजो लेना चाहता हो। वह सूर्योदय उसके जीवन का सबसे रोमांटिक, लेकिन सबसे हृदयविदारक क्षण बन गया।
2025, न्यूयॉर्क: भाग्य का काल्पनिक खेल
33 साल बाद, अभिमन्युसिंह अब 55 साल का है। उसकी फोटोग्राफी ने अफ्रीका के सवाना से लेकर अमेजन के समुद्र तट तक की दुनिया को कैमरे में कैद किया है। उसका व्यवसाय साम्राज्य अहमदाबाद से विश्व तक फैला है। लेकिन उसके दिल में उस लड़की की याद आज भी एक नाजुक लहर की तरह उछलती है। हर समुद्र तट पर, हर सूर्योदय में, वह उसकी आँखें खोजता है। “अगर मैं उस दिन उसकी नाव में चढ़ गया होता, तो?”—यह विचार उसके दिल में एक काल्पनिक दुनिया रचता है, जहाँ वह और वह लड़की समुद्र की लहरों में एक-दूसरे का हाथ पकड़कर सपने जीते हैं।
एक दिन, न्यूयॉर्क के हवाई अड्डे के बार क्षेत्र में, अभिमन्यु एक एयरहोस्टेस के साथ वैदिक ज्योतिष के बारे में बात कर रहा था। उसका ध्यान दो छोटे बच्चों की ओर गया, जो स्पेनिश में धमाल मचा रहे थे, मानो समुद्र की लहरों की तरह चंचल थे। उनके साथ एक महिला आई, विनम्रता से माफी माँगी और पूछा, “आप किस देश से हैं?”
“भारत,” अभिमन्यु ने जवाब दिया, उसकी आँखों में एक अनजानी तड़प के साथ।
महिला के चेहरे पर एक नाजुक, काल्पनिक मुस्कान तैर गई, मानो वह किसी स्वप्न से बोल रही हो। “ओह... कई साल पहले, मैं एक भारतीय लड़के से मिली थी। उसकी नाव और मेरी नाव इबीजा के बंदरगाह पर पास-पास थीं... उसकी आँखों में एक ऐसा सपना था, जो मुझे आज भी याद है, मानो समुद्र ने उसे मेरे दिल में उकेर दिया हो।”
अभिमन्यु का दिल धड़कना बंद हो गया। उसकी आँखों में 33 साल पहले की वह रात झलक गई—समुद्र की लहरें, तारों की चमक, और उस लड़की की आँखें। “लुइसा?” उसने काँपती आवाज में, मानो किसी स्वप्न से बोल रहा हो, पूछा।
महिला ने आँखें झुकाईं, हल्के से हँसकर कहा, “हाँ, मैं ही लुइसा। और तू... अभिमन्यु, है ना?”
काल्पनिक भावनाओं का संगम
लुइसा, अब दो बच्चों की माँ और एक सुखी विवाहित महिला, दक्षिण अमेरिका में पर्यावरणविद के रूप में जीवन जी रही थी। उसकी आँखों में वही चमक थी, जो 33 साल पहले अभिमन्यु ने इबीजा के बंदरगाह पर देखी थी। दोनों एक-दूसरे को देखते रहे, मानो समय ने 33 साल के अंतर को एक क्षण में पिघला दिया हो। हवाई अड्डे का बार फिर से इबीजा का समुद्र तट बन गया, और बच्चों की आवाज समुद्र की लहरों का संगीत।
लुइसा ने, एक नाजुक मुस्कान के साथ, कहा, “उस रात, जब मैं नाव से तुझे देख रही थी, मुझे लगा कि तू जरूर आएगा। मैं समुद्र में खो गई, लेकिन तेरी याद मेरे दिल में एक तारे की तरह चमकती रही।”
अभिमन्यु ने, उसकी आँखों में देखते हुए, कहा, “लुइसा, मैं वह कदम नहीं उठा सका, लेकिन मैंने तुझे हर जंगल में, हर समुद्र तट पर खोजा। मेरे कैमरे में कैद हर लहर में, हर सूर्योदय में, तेरी वह आँखें थीं।”
दोनों ने घंटों बातें कीं। अभिमन्यु ने अपनी फोटोग्राफी की यात्रा के बारे में बताया—कैसे उसने समुद्र की लहरों और जंगल के जंगली जीवों में लुइसा की याद को संजोया। लुइसा ने साझा किया कि उसका जीवन समुद्र तट पर पर्यावरण बचाने में बीता, लेकिन उसके दिल में वह भारतीय लड़का हमेशा एक काल्पनिक स्वप्न की तरह रहा, जिसके साथ वह समुद्र में खो जाना चाहती थी।
अंत: मित्रता का अमर बंधन
लुइसा ने, एक गहरी नजर से अभिमन्यु को देखते हुए, कहा, “अभिमन्यु, मैं आज एक सुखी वैवाहिक जीवन जी रही हूँ। मेरा परिवार, मेरे बच्चे, वे मेरी दुनिया हैं। लेकिन उस रात, इबीजा के बंदरगाह पर, तूने मेरे दिल में एक ऐसी याद दी, जो हमेशा मेरे साथ रहेगी। मैं तुझे आजीवन एक उम्दा भारतीय मित्र के रूप में स्वीकार करती हूँ। हम समुद्र में नहीं साथ हुए, लेकिन यह मित्रता हमेशा रहेगी।”
अभिमन्यु की आँखें नम हो गईं। उसने, एक विनम्र मुस्कान के साथ, कहा, “लुइसा, तू मेरे दिल का एक स्वप्न है, जो हमेशा चमकता रहेगा। मैं तुझे वचन देता हूँ कि इस मित्रता को आजीवन निभाऊँगा। हर समुद्र तट पर, हर सूर्योदय में, मैं तुझे एक मित्र के रूप में याद करूँगा।”
दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया, मानो समुद्र की लहरें और तारों की चमक उनकी मित्रता को आशीर्वाद दे रही हों। हवाई अड्डे के बार से बाहर निकलते हुए, अभिमन्यु ने एक बार फिर लुइसा को देखा। उसकी आँखों में अब प्यार की तड़प नहीं थी, बल्कि एक शुद्ध, अमर मित्रता का अहसास था। लुइसा ने हाथ हिलाकर अलविदा कहा, और अभिमन्यु ने एक नई यात्रा की शुरुआत की—एक ऐसी यात्रा, जिसमें प्यार नहीं, बल्कि मित्रता का समुद्र अनंत रहेगा।


©निरंजन