🖤 माफ़िया की नज़र में – Part 24: "अंधेरे का असली चेहरा"
"सच की तलाश में कभी-कभी तुम्हें अपने सबसे करीबी लोगों का सच जानना पड़ता है, और वो सच तुम्हें तोड़ देता है।"
अहाना का दिल अब जैसे एक अनजाने तूफ़ान में फँस चुका था। पुराने रेलवे स्टेशन की वो खौफनाक रात—अर्जुन का हमला, माँ सुमन की चोट, और वो अनजाना मैसेज—“माफ़िया का असली सरगना अभी भी ज़िंदा है” (Part 23)—उसे एक नई जंग की ओर खींच रहा था। मेमोरी चिप पुलिस के पास थी, और सुप्रीम कोर्ट का आदेश—“Decree of the Supreme Court of India”—ने रुद्र और उसके नेटवर्क के खिलाफ एक विशेष सुनवाई शुरू कर दी थी (Part 23)。 लेकिन अर्जुन का दावा कि पुलिस के पास नकली चिप थी (Part 23) और असली चिप उसके पास थी, ने अहाना को बेचैन कर दिया था। पापा की चिट्ठी—“इस सच को दुनिया तक पहुँचाओ” (Parts 9-23), दूसरी डायरी (Parts 15-20), और रवि, विशाल, निहारिका, रुद्र, और अर्जुन की सच्चाई (Parts 8-23) ने उसे यहाँ तक लाया था। “असली सरगना कौन है? और क्या मैं उसे रोक पाऊँगी?”
अहाना, रायान, और मायरा अब दिल्ली के एक हॉस्पिटल में थे, जहाँ सुमन का ऑपरेशन चल रहा था। सुमन की हालत नाज़ुक थी, और डॉक्टरों ने कहा था कि अगले कुछ घंटे निर्णायक होंगे। अहाना हॉस्पिटल की खिड़की के पास खड़ी थी, उसकी आँखें सुमन के ऑपरेशन थिएटर की ओर थीं। रायान उसके पास खड़ा था, उसका चेहरा चिंता से भरा था। मायरा अपने फोन पर GPS ट्रैकर चेक कर रही थी, लेकिन लाल बत्ती अब शांत थी।
“रायान,” अहाना ने कांपती आवाज़ में कहा, “मम्मी को कुछ नहीं होना चाहिए। मैंने उन्हें अभी-अभी पाया है। और वो मैसेज… मुझे लगता है ये सब खत्म नहीं हुआ।”
रायान ने उसका कंधा पकड़ा, उसकी आवाज़ में गर्मजोशी थी। “अहाना, तुमने अपने पापा का सच दुनिया तक पहुँचाया। सुमन जी ठीक हो जाएँगी। लेकिन अगर कोई नया खतरा है, तो हम इसे साथ में सामना करेंगे।”
मायरा ने फोन नीचे रखा। “अहाना, मैंने उस मैसेज की लोकेशन ट्रेस की। वो दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट के पास से आया था। और मुझे खबर मिली है कि आज रुद्र और अर्जुन की सुनवाई है। शायद वो मैसेज वहाँ से जुड़ा है।”
अहाना का दिल धक् से रह गया। “सुप्रीम कोर्ट? तो… क्या असली सरगना वहाँ है?”
सुमन का ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा खुला, और डॉक्टर बाहर आए। “वो स्थिर हैं, लेकिन अभी होश नहीं आया। अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण हैं।”
अहाना ने गहरी साँस ली। “मम्मी को बचाना होगा। लेकिन मुझे उस मैसेज की सच्चाई ढूंढनी होगी। रायान, मायरा, हमें सुप्रीम कोर्ट जाना होगा।”
🌌 सुप्रीम कोर्ट की छाया
दोपहर 2:00 बजे।
दिल्ली का सुप्रीम कोर्ट एक भव्य इमारत थी, लेकिन आज उसकी दीवारों में एक अजीब सा तनाव था। अहाना, रायान, और मायरा कोर्ट के बाहर खड़े थे। अहाना ने अपनी डायरी को कसकर पकड़ा, और GPS ट्रैकर की लाल बत्ती फिर से चमकने लगी थी। खबरों में बताया जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने रुद्र और अर्जुन के खिलाफ मेमोरी चिप के सबूतों की जाँच शुरू कर दी थी, लेकिन अर्जुन के दावे ने सबको हैरान कर दिया था कि असली चिप उसके पास थी।
“ये जगह… मुझे बेचैन कर रही है,” मायरा ने फुसफुसाते हुए कहा। “अगर असली सरगना यहाँ है, तो वो बहुत ताकतवर होगा।”
रायान ने अपनी बंदूक जाँची। “सावधान रहो। ये जाल हो सकता है।”
अहाना ने कोर्ट के अंदर कदम रखा। सुनवाई चल रही थी, और रुद्र और अर्जुन कठघरे में खड़े थे। लेकिन तभी अहाना की नज़र एक अधेड़ उम्र के शख्स पर पड़ी, जो कोर्टरूम के आखिरी कोने में बैठा था। उसकी आँखें ठंडी थीं, और उसका चेहरा जानी-पहचाना लग रहा था।
“वो… वो कौन है?” अहाना ने रायान से फुसफुसाते हुए पूछा।
रायान ने उस शख्स को देखा, और उसका चेहरा पीला पड़ गया। “अहाना… वो अंकल विजय हैं। तुम्हारे पापा के सबसे करीबी दोस्त।”
🌃 असली सरगना का चेहरा
अहाना की साँसें रुक गईं। “अंकल विजय? लेकिन… पापा ने उन पर भरोसा किया था!”
तभी विजय खड़ा हुआ और कोर्टरूम की ओर बढ़ा। उसने एक माइक पकड़ा और शांत, लेकिन खतरनाक आवाज़ में कहा, “माननीय जज साहब, मेमोरी चिप के सबूत नकली हैं। अहाना शर्मा ने कोर्ट को गुमराह किया है।”
कोर्टरूम में सन्नाटा छा गया। अहाना ने चिल्लाया, “नकली? तुम झूठ बोल रहे हो, विजय! तुमने मेरे पापा को धोखा दिया!”
विजय ने ठंडी मुस्कान दी। “अहाना, तुम्हारे पापा मेरे दोस्त थे। लेकिन उन्होंने मेरे सपनों को कुचल दिया। मैंने माफ़िया की दुनिया बनाई थी। रुद्र, अर्जुन, निहारिका—सब मेरे मोहरे थे। और तुम… तुम मेरे साम्राज्य की आखिरी बाधा हो।”
रायान ने गुस्से से अपनी बंदूक तानी। “विजय, तुम्हारा खेल यहीं खत्म होगा।”
लेकिन तभी कोर्टरूम के बाहर एक धमाका हुआ। धुआँ और चीखें हवा में गूंजने लगीं। विजय के आदमियों ने कोर्ट को घेर लिया। मायरा ने चिल्लाया, “अहाना, ये जाल था!”
अहाना ने तेज़ी से अपनी डायरी खोली और उसमें से एक पुरानी चिट्ठी निकाली, जो पापा ने विजय के बारे में लिखी थी (Part 9)। उसने चिल्लाकर कहा, “विजय, मेरे पापा ने तुम्हारे गुनाहों का सबूत छोड़ा था। ये चिट्ठी तुम्हें बेनकाब करेगी!”
विजय ने हँसते हुए कहा, “वो चिट्ठी? वो मेरे लिए कुछ नहीं कर सकती। लेकिन तुम… तुम अब मेरे हाथों में हो।”
🌫️ एक आखिरी जोखिम
अहाना ने रायान की तरफ देखा। “रायान, हमें वो असली चिप ढूंढनी होगी। वो विजय के पास है।”
रायान ने उसका हाथ पकड़ा। “अहाना, मैं तुम्हारे साथ हूँ। लेकिन अगर कुछ हुआ, तो याद रखना… मैंने तुमसे सिर्फ़ प्यार किया।”
अहाना की आँखें नम थीं। “रायान, हम ये जंग जीतेंगे। और फिर… हम एक नई ज़िंदगी शुरू करेंगे।”
मायरा ने अपने फोन से पुलिस को सिग्नल भेजा (Parts 12, 16, 18-23)। “पुलिस आ रही है! लेकिन हमें समय चाहिए!”
तभी विजय ने एक रिमोट निकाला और हँसते हुए कहा, “ये कोर्ट अब तुम्हारा कब्रिस्तान बनेगा।” उसने रिमोट दबाया, और एक और धमाका हुआ। कोर्टरूम की छत से मलबा गिरने लगा।
अहाना ने चिल्लाया, “रायान, मायरा, भागो!” लेकिन तभी उसने देखा—विजय के हाथ में असली मेमोरी चिप थी। उसने छलाँग लगाई और चिप छीनने की कोशिश की। विजय ने उसे धक्का दिया, लेकिन अहाना ने हार नहीं मानी।
तभी एक गोली की आवाज़ गूंजी। अहाना ने पलटकर देखा—रायान ज़मीन पर गिरा था, उसका सीना खून से लथपथ था। “रायान!” अहाना चिल्लाई।
विजय ने ठंडी हँसी हँसी। “अब तुम अकेली हो, अहाना।”
लेकिन तभी पुलिस की सायरन की आवाज़ गूंजी, और कोर्टरूम में धूल के बीच एक नई छाया दिखी। एक अनजानी आवाज़ गूंजी: “विजय, तुम्हारा खेल खत्म हुआ।”
💥 To Be Continued…
अहाना ने विजय को बेनकाब कर दिया, लेकिन रायान की चोट और एक नई छाया फिर से उसे जाल में फँसा रही है।
असली सरगना को रोकने का आखिरी मौका क्या होगा?
रायान की ज़िंदगी बचेगी, या अहाना अकेली रह जाएगी?
Part 25 में होगा:
अहाना का विजय के साथ अंतिम टकराव।
रायान की ज़िंदगी की जंग।
एक नया सच, जो इस कहानी को हमेशा के लिए बदल देगा।
अगर ये हिस्सा आपके दिल की धड़कनें बढ़ा गया, तो फॉलो करना न भूलें। क्योंकि अब कहानी का हर पल एक नया तूफ़ान लाएगा।
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