🥀अनाथ का दिल🥀अध्याय 1
प्रेम का जन्म भाग 07
Written by H K Bharadwaj
___________________________________________________________________________________________(आपसी समझ और नए रिश्ते की शुरुआत)
दिल्ली की शाम, कॉलेज की बेंचों पर हल्की धूप के साथ चहचहाहट फैली हुई थी। वादल अपने पेन और नोटबुक के साथ एकांत में बैठा था, कविता लिख रहा था। उसके शब्दों में जीवन की सरलता और भावनाओं की गहराई झलक रही थी।वर्षा पास ही आकर बैठ गई। उसके हाथ में एक छोटी डायरी थी, जिसमें उसने अपने विचार और चित्र बनाए थे।वर्षा: “तुम हमेशा इतनी सहजता से लिखते हो। क्या मैं तुम्हें अपनी डायरी दिखा सकती हूँ?”वादल ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराया।वादल : “ बिलकुल, मुझे देखना अच्छा लगेगा।”वर्षा ने अपनी डायरी खोली। पन्नों पर हल्के रंगों में चित्र और उसके भावों के शब्द थे। वादल ध्यान से देख रहा था।वादल: “वर्षा, यह अद्भुत है। तुम्हारी संवेदनशीलता और कल्पना दोनों ही शानदार हैं। मैं कभी-कभी सोचता हूँ, शब्द और चित्र एक-दूसरे से मिलकर कितनी गहराई तक पहुँ सकते हैं।”वर्षा ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा—वर्षा: “तुम भी अपने शब्दों और गीतों में वही जादू लाते हो। लगता है, हम दोनों की दुनिया कहीं ना कहीं जरूर मिलती है।”वादल का मन हल्का-सा धड़क उठा। उसने महसूस किया कि उनके बीच पहली वास्तविक आपसी समझ बन रही है।( मित्रता से प्रेम की ओर) और फिर दोनों ही एक दूसरें को अपने छोटे-छोटे अनुभव साझा करते रहे—। वादल ने अपनी कविताओं के पीछे की भावनाएँ बताईं। वर्षा ने अपने चित्रों में छुपी भावनाओं की कहानियाँ सुनाईं। धीरे-धीरे दोनों के बीच मन का जुड़ाव गहरा होने लगा। यह केवल मित्रता नहीं, बल्कि धीरे-धीरे प्रेम की प्रारंभिक झलक भी थी।वर्षा (मन ही मन): “कितनी सरल और सच्ची दुनिया है वादल की। यहाँ कोई दिखावा नहीं, केवल भावनाएँ हैं।”वादल (मन ही मन): “यह लड़की सिर्फ सुंदर नहीं, बल्कि उसकी आत्मा में भी गहराई है। मैं चाहता हूँ कि वह मेरी भावनाओं को समझे।”(सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि) परिवार में हल्की जिज्ञासा अब भी बनी हुई थी।एक दिन वर्षा की माँ नें वर्षा से पूँछ ही लिया। माँ: “वर्षा, यह दोस्ती सच में खास लगती है। पर ध्यान रखना कि समाज की बाधाएँ कभी-कभी अनजाने में रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं।”पिता: “सच्चाई और ईमानदारी हमेशा मार्गदर्शक होती हैं। हमें देखना होगा कि यह संबंध कैसे विकसित होता है।”जब वर्षा ने उन दोनों (अपनें माँ और पिता) की यह यह कमेंट्स सुनें तो उसनेंअपने मन ही मन सोचा—। “क्या यह मित्रता मेरे दिल के लिए सही दिशा में जाएगी? क्या वादल समाज और परिवार की चुनौतियों को पार कर पाएगा?”आदि ऐसे अनेकौं सबाल उस समय उठ खडं हुए, जो केबल वर्षा ही नहीं बल्कि उस जैसी टीनेजार लढकियों को सोचनाजरूरी होता है, पर हाय रे नारी, तू उस समय सब कुछ भूलकर बस उस प्रेंम की पवित्र गँगा में वह कर उस कागजी नाव के सहारे इस छल, कपट, झूठे वायदों के सन्सार के भंवर में भ्रमित होकर स्वयं को डुबों लेती है। ( गरज की चाल) गरज अब और अधिक सक्रिय हो गया था। उसने देखा कि वादल और वर्षा की मित्रता सच्चे भावों और आत्मीयता के साथ गहराती जा रही है,तो वह यह सब सहन नहीं कर पा रहा था, और वो गरज था जो शुरू से ही वर्षा को अपनी जागीर मान बैठा था, और इससब के बावजूद भी वह फॉक्स माइंड था,। अत: उसनें विचार किया कि “अब समय है कि मैं हल्के-हलके भ्रम और अविश्वास के बीज उन दोंनो के बीच बोना शुरू करूँ। यह लड़का वर्षा के दिल में गहरी जगह बना रहा है, और मैं इसे रोकना चाहता हूँ।”उसने अपने मन में योजना बनाई, कि धीरे-धीरे छोटी-छोटी गलतफहमियाँ दोनों के बीच पैदा की जाएँ, ताकि वादल और वर्षा के बीच पहली अस्थिरता उत्पन्न हो। क्लिफ़-हैंगरलेकिन अब सवाल यह था—कि क्या यह मित्रता दोनों की प्रेम में बदल पाएगी?गरज की चालें कब और कैसे सामने आएँगी?वादल और वर्षा का भावनात्मक जुड़ाव सामाजिक बाधाओं के बावजूद कितना मजबूत रहेगा? अगले भाग 08 की झलक * वादल और वर्षा के बीच प्रेम की पहली गहन अनुभूति। * गरज की छोटी-छोटी चालें और पहली अस्थिरता* परिवार और समाज की प्रतिक्रियाएँ* क्या यह दोनों की भावनाओं की पहली परीक्षा होगी। ------------ भाग 07 समाप्त -----------—तो प्रिय मित्रों, अब आप इसभाग को पढ़कर बताएं कि यह भाग आपको कैसा लगा। क्या मैं भाग 08 लिखना शुरू करूँ, जिसमें "पहली छोटी-सी गलतफहमी और गरज की सक्रिय चाल दिखेगी।, और कहानी में नाटकीयता बढ़ेगी ?Written by H K Bharadwaj