12 मार्च 2020 को इस देश में कोरोना से पहली मौत हुई।इस महामारी के देश में बढ़ते आंकड़ों को लेकर चिंता वाली बात तो थी ही। मार्च महीने में संक्रमित होने वाले लोगों में से अधिकांश अमेरिका,ईरान,इटली के लोम्बारडी समेत अन्य शहरों से आए थे, 99% लोग किसी संक्रमित के संपर्क में आए थे।
12 मार्च को यशस्विनी ने अपनी डायरी में लिखा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कल कोरोना के कोविड-19 संस्करण को पैंडेमिक घोषित किया जिसके लिए मानव शरीर में पर्याप्त इम्यूनिटी नहीं है। यशस्विनी ने अपनी डायरी में आगे लिखा…. अब हमें अपने कृष्ण प्रेमालय स्कूल में चल रही सभी कक्षाओं की परीक्षाओं को स्थगित कर देना चाहिए और हम बोर्ड परीक्षा के बचे प्रश्न पत्र के भी स्थगित होने की उम्मीद करें... मानव जीवन कितना कीमती है…. इससे बढ़कर कुछ नहीं है। 13 मार्च को सरकार ने घोषित किया कि इस बीमारी पर नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं और किसी को पैनिक होने की जरूरत नहीं है….. लेकिन स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और अंततः….. केंद्रीय परीक्षा बोर्ड ने 20 मार्च और आगे की बोर्ड परीक्षाएं भी स्थगित कर दीं….इसके दो दिन पहले ही यशस्विनी के स्कूल ने अपनी लोकल परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था और इस तरह एक बड़े खतरे की आहट अब द्वार पर दिखाई देने लगी…..
प्रधानमंत्री जी के राष्ट्र के नाम संबोधन व जनता कर्फ्यू के आह्वान के बाद यशस्विनी ने रोहित को फोन कर कहा... रोहित जी अब आप एक जगह सुरक्षित रहिए और कहीं मूव न करिए... स्थिति बड़ी खतरनाक है…
"यशस्विनी जी तो क्या मुझे योग शिविर की तैयारी के लिए 23 को दिल्ली के लिए नहीं निकलना चाहिए?"
" नहीं, मेरे हिसाब से अभी कुछ दिन वेट एंड वॉच के होने चाहिए आप यहीं इसी शहर में रुके रहें… दिल्ली सरकार ने स्वयं पहले ही पार्क रेस्त्रां आदि बंद करने का आदेश दिया है। अतः कुछ तो बात है….."
" ठीक है यशस्विनी जी पर एक बात बताइए…. क्या कल के जनता कर्फ्यू के लिए पूरी तैयारी है?"
" मेरे फ्लैट में कल के लिए सब्जी राशन सब है और कृष्ण प्रेमालय में भी महेश बाबा ने पूरी व्यवस्था कर ली है और फिर एक दिन की ही तो बात है…."
"मार्च की 22 तारीख को प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर देश में वायरस संक्रमण रोकने की पूर्व तैयारी के रूप में जनता कर्फ्यू लगाया गया… .. 14 घंटों के लिए जैसे उस दिन देश में जनजीवन ठहर गया था….. भगवान करे वायरस का चक्र इससे टूट गया हो",यशस्विनी ने अपनी डायरी में लिखा।
जनता कर्फ्यू के बाद के दो दिन भी बेचैनी वाले थे और लोगों ने अनुमान लगा लिया था कि कुछ बड़ा होने वाला है।इसके बाद 25 मार्च को अपने राष्ट्रव्यापी प्रसारण में प्रधानमंत्री जी ने 21 दिनों के कड़े लॉकडाउन की घोषणा की। मध्य रात्रि से अर्थात 26 मार्च की सुबह से ही यह प्रभावशील हो गया और इस तरह जनता कोरोना से एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो गई। इस घोषणा से महामारी की भयंकरता का अनुमान हुआ।जहां भारत में 20000 टेस्ट भी नहीं हुए थे,लेकिन 10 मौतों ने और संक्रमण के 600 मामलों ने आगे अत्यंत सावधानी और सतर्कता के दिनों के लिए पूरे देश को एक कठिन संयम और व्रत में रहने को विवश कर दिया।इस महा पूर्णबंदी के अपने सामाजिक आर्थिक पहलू भी थे।
मनकी ने फोन कर यशस्विनी से कहा, "दीदी प्रधानमंत्री जी ने लॉक डाउन की घोषणा की है, 21 दिनों तक। बताइए अब मैं क्या करूं? ऐसे में मुझे अपने घर में ही रहना होगा और मैं आपके घर आऊं कि नहीं,मेरी समझ में नहीं आ रहा है।
"नहीं मनकी, तुम्हें आने की आवश्यकता नहीं है। तुम घर में ही रहो। हां बताओ तुम्हारे घर में कितना राशन व पैसे हैं? तुम्हें किसी चीज की आवश्यकता तो नहीं है?"
मनकी ने कहा," दीदी, पैसे तो थोड़े बहुत हैं लेकिन राशन तीन से चार दिनों का है। इसके बाद बिना राशन के क्या स्थिति होगी दीदी?"
" तुम घबराओ मत मनकी। सरकार ने इतनी बड़ी घोषणा की है तो व्यवस्था की ही होगी। मैं अभी सुबह का समाचार देख रही हूं कि इस लॉकडाउन में आवश्यक चीजों के लेने-देने के लिए सीमित स्तर पर लोगों को बाजार आदि जाने की भी छूट होगी, लेकिन कड़े प्रतिबंधों के अंतर्गत। वह भी कुछ घंटों के लिए ही।"
"तो क्या हम लोग बाजार जा सकते हैं?" "हाँ, पर तभी जब आवश्यकता हो और बाजार भी जाओगी तो चेहरे पर मास्क लगा लेना।"
" यह मास्क क्या होता है दीदी?"
"मास्क नाक और मुंह को ढकने के लिए बनाए जाने वाले कपड़े या अन्य जीवाणुरोधी और विषाणुरोधी पदार्थों से बना एक सुरक्षा कवच है, जिसे तुम्हें धारण करना होगा।"
".... लेकिन दीदी, मेरे पास तो मास्क है ही नहीं।"
" तो भी कोई बात नहीं मनकी….अगर तुम बहुत जरूरी काम से बाहर निकलोगी तो रुमाल या गमछे से अपने मुंह और नाक को ढंक कर ही बाहर निकलना होगा।"
"दीदी, इससे फायदा क्या होगा?"
" इससे फायदा यह होगा कि संक्रमण के खतरे से बचा जा सकता है क्योंकि कोरोना का संक्रमण,इसके वायरस के छींक या छोटे-छोटे नमी के कणों के रूप में मुंह से बाहर निकलने से सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचते हैं और उसके मुंह या नाक के रास्ते से शरीर में प्रवेश करते हैं।"
स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए। दफ्तर भी अत्यावश्यक सेवाओं के लिए ही खुले रहे।शेष सभी शासकीय और निजी कार्यालय बंद कर दिए गए। व्यवसायिक प्रतिष्ठान, उद्योग छोटे-बड़े व्यवसाय सब कुछ बंद और पूरी तरह से पूर्णबंदी।
श्री कृष्ण प्रेमालय स्कूल में भी सत्रांत परीक्षा के दो प्रश्न पत्र नहीं हो पाए थे। स्कूल की प्रबंध समिति में होने के कारण यशस्विनी को अकादमिक प्लानिंग के लिए भी स्कूल में याद किया जाता था। इस बार भी यशस्विनी से सलाह मशविरा किया गया और फिर फार्मूला यही निकाला गया कि बच्चों को साल भर में हुई अन्य परीक्षाओं का भार अंक देकर सत्रांत परीक्षा के अंक दिए जाएं और इसके आधार पर परिणाम घोषित किए जाएं।
(क्रमशः)
डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय