अगला हिस्सा: जारिन की पहली चाल और महफिल का तूफान
हॉल की रोशनी झूमरों से टकराते हुए और चहकते जामों की खनक के बीच, माहौल अब पूरी तरह महफिल और सस्पेंस में बदल चुका था. भीड बस कबीर मल्होत्रा को देख रही थी. तीन पीस काले सूट में उसका लंबा कद, चौडे कंधे, घनी मूँछों के नीचे चमकती सुनहरी आँखें और मुस्कान—सबके दिलों को थामने के लिए काफी थे.
जियाना ने अपने जाम को धीरे से उठाते हुए कहा,
उसके कदम. उसकी चाल. लगता है जैसे महफिल अब पूरी तरह उसके अधीन है।
सैरिन ने झुकते हुए कहा,
कबीर. उसकी मुस्कान, उसकी शांति. बस दिल थाम लेने वाली है. लगता है जैसे सब कुछ उसके अधीन है।
कबीर ने हल्की मुस्कान दी और जाम उठाते हुए कहा,
आज रात सिर्फ शराब और हँसी का नहीं है. आज रात मैं सबका सच सामने लाऊँगा. डर और दिखावे से नहीं, बल्कि शांति, समझदारी और अपने अंदाज से।
जारिन ने दाँत पीसते हुए कहा,
ठीक है. तुम्हारी ये मुस्कान और चार्म मुझे नहीं डराते. आज मैं दिखा दूँगा कि असली ताकत क्या होती है।
जेरेफ ने गंभीर स्वर में कहा,
जारिन, अब सिर्फ ताकत दिखाने से काम नहीं चलेगा. महफिल में अब रणनीति और दिमाग की लडाई होगी. और कबीर हर कदम सोचकर चलता है।
कबीर ने मुस्कान के साथ कहा,
सही कहा, जेरेफ. और आज रात सबको पता चल जाएगा कि असली ताकत किसके पास है।
भीड में हल्की सरगोशियाँ फैल गईं. लडकियों के दिल बस कबीर के लिए धडक रहे थे.
जियाना ने धीरे से कहा,
उसके सामने खडे होना. दिल थामने जैसा है. और ये जाम. हर घूँट में उसकी शानो- शौकत झलकती है।
सैरिन ने हल्की हँसी के साथ कहा,
और ये मुस्कान. लगता है जैसे सब कुछ उसके अधीन है. ये आदमी सिर्फ दिखावा नहीं है, असली है।
तभी जारिन ने तेज स्वर में कहा,
सब लोग ध्यान दो! अब से हर चाल मेरी शर्तों पर चलेगी. कोई बाहर नहीं जाएगा, और जो भी छुपा है. उसका नकाब गिरने वाला है।
कबीर ने शांति और मुस्कान के साथ कहा,
जारिन, आज सब नकाब गिरेंगे. और जो दिखावा करता है, उसकी असली शक्ल सबके सामने आएगी।
जेरेफ ने गंभीर स्वर में कहा,
तैयार रहो, कबीर. ये महफिल अब केवल खेल का मैदान नहीं, बल्कि असली चालों और इरादों की जंग बन चुकी है।
सैरिन ने धीरे से कहा,
और मैं तुम्हारे साथ हूँ, कबीर. डर नहीं, सिर्फ ताकत और समझदारी।
जियाना ने आँखें चमकाते हुए कहा,
और मैं भी. किसी को तुम्हें छीनने नहीं दूँगी. आज महफिल में तुम्हारी असली पहचान सामने आएगी।
भीड में हल्की सरगोशियाँ और तालियाँ गूँज उठीं. महफिल अब सिर्फ जारिन या कबीर की नहीं, बल्कि सच्चाई, ताकत और शानो- शौकत की जंग बन चुकी थी.
तभी, अचानक, हॉल के पीछे से एक आवाज गूँजी—किसी ने कहा,
तुम सोच रहे हो कि सब नियंत्रण में है. पर जारिन ने एक राज छुपा रखा है, जिसे जानने के बाद सबके होश उड जाएंगे. क्या कबीर और उसकी टीम इसे पहचान पाएंगे?
भीड में सन्नाटा छा गया.
कबीर ने धीरे से जाम उठाया और मुस्कुराते हुए कहा,
अब सबको पता चलेगा कि असली ताकत, शांति और समझदारी में है. और जो छुपा हुआ है, उसका पर्दा अब गिरने वाला है।
जारिन की पहली चाल
जारिन ने अचानक अपने हाथ उठाए और सबकी ओर देखा. उसकी आवाज में गुस्सा और ताकत दोनों झलक रहे थे.
सब लोग! अब सबको पता चल जाएगा कि कबीर मल्होत्रा. चाहे वो दिखावे में कितना भी मास्टर हो, उसकी चालों का सामना कौन करेगा?
कबीर ने शांति से जवाब दिया,
जारिन. कोई भी चाल बिना समझदारी के काम नहीं करती. और आज तुम्हारी पहली चाल. तुम्हें खुद पछतावा देगी।
जेरेफ ने धीमे स्वर में कहा,
कबीर, अब हर कदम सोच- समझकर उठाना होगा. जारिन केवल दिखावा कर रहा है, पर असली चाल उसकी आँखों के पीछे छुपी है।
सैरिन ने हँसते हुए कहा,
और मैं तुम्हारे साथ हूँ. डर नहीं, सिर्फ ताकत और समझदारी।
जियाना ने झुकते हुए कहा,
और मैं भी. किसी को तुम्हें छीनने नहीं दूँगी. आज हर नकाब सामने आएगा।
कबीर ने हल्की मुस्कान दी और जाम उठाया,
तो चलो. खेल शुरू हो. और जो छुपा हुआ है, सबके सामने आएगा।
भीड में हल्की सरगोशियाँ और तालियाँ गूँज उठीं. महफिल अब केवल पार्टी नहीं, बल्कि सच्चाई और ताकत की लडाई बन चुकी थी.
रोमांस और ड्रामा
जियाना धीरे से कबीर के पास आई और बोली,
तुम्हारा अंदाज. दिल थाम लेने वाला है. क्या सच में सब कुछ तुमने सोच- समझकर किया?
कबीर ने हल्की मुस्कान दी,
हाँ, जियाना. हर कदम, हर चाल. सब इस महफिल को मोडने के लिए।
सैरिन ने झुकते हुए कहा,
और मैं. तुम्हारे साथ रहूँगी. डर नहीं, सिर्फ ताकत और समझदारी।
जेरेफ ने गंभीर स्वर में कहा,
कबीर, अब महफिल में सिर्फ एक चीज तय है—सच्चाई ही जीतने वाली है. और जो लोग दिखावे में फँसे हैं, उन्हें अब सबको समझ आएगा।
जारिन ने दाँत पीसते हुए कहा,
ठीक है, देखता हूँ. आज की शाम में कौन किसके अधीन होता है।
कबीर ने हल्की मुस्कान दी और धीमे स्वर में कहा,
आज रात सब नकाब गिरेंगे. और असली ताकत, शांति और समझदारी की होगी।
जारिन की पहली चाल क्या है और क्या कबीर उसे रोक पाएगा?
जियाना और सैरिन का कबीर के लिए आकर्षण कैसे महफिल का माहौल बदल देगा?
और क्या महफिल में जारिन का नकाब गिरेगा या कबीर का मास्टरप्लान काम करेगा?
महफिल अब अपने चरम पर थी. झूमरों की चमक और चहकते जामों की खनक के बीच भीड पूरी तरह कबीर मल्होत्रा के चारों ओर थी. तीन पीस ब्लैक सूट में उसका लंबा कद, चौडे कंधे और मुस्कान—सब कुछ ऐसा कि किसी की भी नजरें बस उस पर टिक जाएँ.
जियाना ने खडे होकर देखा और धीरे से कहा,
देखो. वही मुस्कान. वही आत्मविश्वास. हर कोई उसके लिए पागल है।
सैरिन, जो थोडी गैर- लापरवाह और शांत थी, बस कबीर की ओर देख रही थी. उसकी आँखों में चमक थी, लेकिन चेहरे पर हल्की उदासी और तटस्थता भी झलक रही थी.
कबीर. तुम्हारी शांति और मुस्कान. बस सबको अपनी ओर खींचती है. लेकिन ये नजरें. सैरिन ने धीरे से कहा, लगता है जैसे कुछ भी कह दो, पर मैं अपनी दुनिया में रहूँगी।
जियाना की आँखें झपकती रहीं. दिल में हल्की जलन और हौंसले की लडाई शुरू हो गई.
सैरिन. बस खडी है और मुस्कुराती है. और वो कबीर के सामने. मैं भी चाहती हूँ कि वो मेरी ओर देखे।
जियाना ने तय कर लिया कि वह किसी भी तरह कबीर की नजरों में अपनी जगह बनाएगी. उसने धीरे से मुस्कराते हुए कहा,
चलो. थोडा करीब जाना पडेगा. अब पार्टी खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकती. उसकी नजरें मेरे लिए होंगी।
कबीर ने सैरिन की ओर देखा. उसकी मुस्कान में गर्मजोशी थी, और आवाज में एक हल्की मधुरता.
सैरिन, तुम्हें पता है. कुछ लोग कहते हैं कि दिल के फैसले सिर्फ नजर से नहीं, बल्कि समझ से लिए जाते हैं. और तुम्हारा दिल. शायद मेरी तरफ झुका है।
सैरिन ने हल्की हँसी के साथ कहा,
कबीर. तुम्हारी बातें हमेशा. असर करती हैं. पर. मैं अभी थोडा आराम से. अपने अंदाज में रहना चाहती हूँ।
जियाना, जो दूर से ये सब देख रही थी, अपने दिल को थामे सोच रही थी,
कैसे. कैसे वो उसे इतना प्रभावित कर देता है? और मैं. बस इंतजार कर रही हूँ, जबकि वो सैरिन से बातें कर रहा है।
कबीर ने धीरे से कहा,
सैरिन, मैं जानता हूँ कि तुम थोडी गैर- लापरवाह हो. पर यह बात और भी रोचक बनाती है. और देखो. जो दिल से समझते हैं, वही असली खेल जीतते हैं।
जियाना ने धीरे से कहा,
उसकी आवाज. बस मेरे दिल को हिला देती है. मैं भी. कुछ करूँगी, ताकि वो मेरी ओर देखे. कोई भी तरीका चलेगा।
सैरिन ने हल्की मुस्कान दी,
कबीर, देखो. मैं प्रभावित हूँ. पर मैं अपनी चालों में रहूँगी. जो दिल चाहता है, वही दिखेगा।
कबीर ने उसकी आँखों में देखा और कहा,
सैरिन. तुम्हारी ये शांति, ये थोडी गैर- लापरवाह आदत. मुझे और भी ज्यादा आकर्षित करती है. और ये महफिल. बस हमें जोडने का बहाना है।
जियाना ने अपनी जगह से थोडा कदम बढाया. उसने धीरे से कहा,
कबीर. मैं भी जानती हूँ कि मैं तुम्हें पागल कर सकती हूँ. बस मुझे मौका चाहिए. आज पार्टी के अंत तक. मैं तुम्हें अपनी तरफ खींचूंगी।
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
जियाना. हर किसी की अपनी चाल होती है. पर जो दिल की समझ रखता है, वही सही वक्त पर जीतता है. और आज. मैं सिर्फ सही समय का इंतजार कर रहा हूँ।
भीड में हल्की सरगोशियाँ उठीं. कुछ लोग बस देख रहे थे, कुछ धीरे से फुसफुसा रहे थे.
कबीर और सैरिन. दोनों के बीच कुछ है।
और जियाना. उसे कैसे रोक पाएगी?
जेरेफ ने गंभीर स्वर में कहा,
महफिल अब केवल खेल और दिखावे की नहीं, बल्कि दिलों की लडाई बन गई है. कबीर. अपनी शांति और आकर्षण से सबको नियंत्रित कर रहा है. सैरिन और जियाना. दोनों उसके लिए पागल हैं।
सैरिन ने हल्की हँसी में कहा,
कबीर. मैं प्रभावित हूँ. पर मैं अभी अपने अंदाज में रहूँगी. थोडा रहस्य और थोडा इंतजार. यही मजा है।
जियाना ने अपने जाम को धीरे से उठाया और सोचा,
अभी सबकुछ नहीं. मैं अपनी चालें छुपाऊँगी. बस पार्टी खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकती. आज की रात. बस मेरा पल होना चाहिए।
कबीर ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा,
आज रात सिर्फ दिखावा और खेल नहीं, बल्कि दिलों का खेल भी है. और जो समझदारी और शांति से चलेगा, वही जीत पाएगा।
जेरेफ ने हल्की मुस्कान दी,
कबीर. तुम्हारी ये चालें और शांति सबको प्रभावित कर रही हैं. महफिल अब रोमांस, ड्रामा और सस्पेंस का मैदान बन चुकी है।
जारिन, जो अब भी नाराज था, दाँत पीसते हुए कहा,
ठीक है. देखता हूँ, आज किसकी चाल सब पर भारी पडती है. कबीर. तुम्हारा ये चार्म और मुस्कान मुझे नहीं डराते।
कबीर ने शांति और मुस्कान के साथ कहा,
जारिन, डराने से काम नहीं चलता. समझदारी और शांति से हर नकाब गिरता है. और आज. हर नकाब सबके सामने आएगा।
महफिल में हल्की सरगोशियाँ और तालियाँ गूँज उठीं.
जियाना ने धीरे से कहा,
मैं इंतजार नहीं कर सकती. आज मैं कुछ भी करूँगी ताकि उसका ध्यान मेरी ओर आए. सैरिन. उसे कैसे रोक पाएगी?
सैरिन ने हल्की हँसी दी,
कबीर. मैं प्रभावित हूँ. पर मैं अपनी चालों में रहूँगी. दिल का खेल. बस अब शुरू हुआ है।
कबीर ने धीरे से जाम उठाया और मुस्कराते हुए कहा,
अब सबको पता चलेगा कि असली ताकत, शांति और समझदारी में है. और जो छुपा हुआ है. उसका पर्दा अब गिरने वाला है।
क्या जियाना अपनी चाल में सफल होगी और कबीर को अपनी ओर खींच पाएगी?
सैरिन और कबीर का दिलों का रिश्ता Kiss मोड पर जाएगा?
महफिल का अंत किसके पक्ष में होगा—जारिन, कबीर या किसी और की चालें?
और क्या आज रात सब नकाब गिराए जाएंगे और सच्चाई सामने आएगी?
महफिल का माहौल अब धीरे- धीरे शाम की गहराई में बदल रहा था. झूमरों की चमक से पूरा हॉल सुनहरी रोशनी में नहा रहा था. संगीत की हल्की धुन और चहकते जामों की खनक के बीच, जियाना बस अपने इंतजार और बेचैनी को दबाए खडी थी.
उसकी आँखें बार- बार कबीर मल्होत्रा की ओर जा रही थीं. वह देख रही थी कि वह कैसे शांति और मुस्कान के साथ भीड के बीच अपने चार्म से सबको प्रभावित कर रहा है.
जियाना ने धीरे से अपने आप से कहा,
बस. कुछ भी करूँगी. बस पार्टी खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकती. मैं उसके करीब जाना चाहती हूँ. बस एक पल. और उसका ध्यान मेरी ओर होगा।
सैरिन, जो अभी भी थोडी लापरवाह और रहस्यमयी थी, कबीर के पास खडी थी. उसकी आँखों में चमक थी, लेकिन चेहरे पर हल्का मुस्कुराता तटस्थ भाव. उसने धीरे से कहा,
कबीर. तुम हमेशा सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेते हो. पर मैं. मैं अभी बस अपने अंदाज में रहूँगी।
कबीर ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
सैरिन. तुम्हारी ये शांति और थोडी गैर- लापरवाह आदत मुझे और भी आकर्षित करती है. लेकिन जियाना. उसकी नजरों में बेचैनी और इरादा. वो भी देख रहा हूँ।
जियाना ने धीरे से अपनी जांघ पर हाथ रखा और बोली,
हूँ. अगर अभी मैंने कदम नहीं बढाया. तो शायद मौका चला जाएगा. पर मैं इंतजार कर रही हूँ. सही पल का. बस पार्टी खत्म होने का इंतजार है।
जेरेफ, जो अब भी थोडा किनारे खडा था, उसने गंभीर स्वर में कहा,
जियाना. ध्यान रखो. कबीर की शांति और समझदारी किसी भी पल तुम्हारे इंतजार का फायदा उठा सकती है. उसे प्रभावित करना आसान नहीं।
जियाना ने झुंझलाहट के साथ कहा,
मैं जानती हूँ. पर दिल की आग को कैसे बुझाऊँ? बस देखो. जब पार्टी खत्म होगी, मैं अपनी चालें दिखाऊँगी।
कबीर ने हल्की मुस्कान दी और धीरे से कहा,
जियाना. इंतजार करना भी एक चाल है. और जो सही समय पर कदम उठाए, वही जीतता है. मैं तुम्हारे कदमों का इंतजार कर रहा हूँ।
सैरिन ने हँसते हुए कहा,
कबीर, मुझे पता है कि जियाना कुछ करने वाली है. पर मैं. अभी अपने अंदाज में रहूँगी. जो दिल चाहता है, वही दिखेगा।
जियाना ने धीरे से अपने जाम को उठाया और सोचा,
बस. आज रात. और कुछ ही देर. और फिर. मैं उसके सामने खडी होकर. देखूँगी कि उसका ध्यान मेरी ओर है।
कबीर ने उसकी ओर देख कर कहा,
तुम्हारी बेचैनी और उत्सुकता. मुझे पता है. लेकिन हर चीज का सही समय होता है, और आज रात. हर नकाब गिरने वाला है।
जेरेफ ने हल्की मुस्कान दी,
महफिल अब केवल खेल की नहीं, बल्कि दिलों की जंग बन चुकी है. कबीर. अपनी शांति और आकर्षण से सबको प्रभावित कर रहा है. सैरिन और जियाना. दोनों ही उसकी ओर खिंची हुई हैं।
जियाना ने धीरे से कहा,
अगर अभी मैंने कुछ कदम नहीं उठाए. तो शायद यह पल खो जाएगा. पर मैं. अपने हर अंदाज से उसे अपनी ओर खींचूंगी।
सैरिन ने हल्की हँसी के साथ कहा,
कबीर, मैं प्रभावित हूँ. पर मैं अभी अपनी चाल में रहूँगी. बस इंतजार और रहस्य. यही मजा है।
कबीर ने धीरे से जाम उठाया और मुस्कुराते हुए कहा,
अब सबको पता चलेगा कि असली ताकत, शांति और समझदारी में है. और जो दिल से सही कदम उठाएगा. वही जीत पाएगा।
बातचीत और ड्रामा
जियाना धीरे- धीरे करीब आई और सोचा,
बस. एक पल. और उसका ध्यान मेरी ओर आएगा. मैं कुछ भी कर सकती हूँ. आज रात मेरी चालें. उसके दिल को छू जाएँगी।
सैरिन, जो अभी भी थोडी लापरवाह थी, मुस्कुराई और बोली,
कबीर. तुम्हारी मुस्कान और चाल सबको प्रभावित कर रही है. पर मैं अभी अपने अंदाज में रहूँगी. तुम्हारा दिल. धीरे- धीरे मेरा हो रहा है।
कबीर ने झुंझलाहट और मुस्कान के मिश्रित भाव में कहा,
सैरिन. तुम्हारा ये तटस्थ अंदाज, ये थोडी गैर- लापरवाह शैली. मुझे और भी आकर्षित करती है. लेकिन जियाना. उसकी बेचैनी और उत्सुकता भी मेरे लिए एक खेल बन गई है।
जेरेफ ने गंभीर स्वर में कहा,
महफिल अब रोमांस, ड्रामा और सस्पेंस से भर चुकी है. हर कोई अपने दिल की चाल पर ध्यान दे रहा है. कबीर. अपनी शांति और आकर्षण से सबको नियंत्रित कर रहा है।
जारिन, जो अब भी नाराज था, दाँत पीसते हुए बोला,
ठीक है. देखता हूँ, आज किसकी चाल सब पर भारी पडती है. कबीर. तुम्हारा ये चार्म मुझे नहीं डराता।
कबीर ने शांति और मुस्कान के साथ कहा,
जारिन, डराने से काम नहीं चलता. समझदारी और शांति से हर नकाब गिरता है. और आज. हर नकाब सबके सामने आएगा।
महफिल में हल्की सरगोशियाँ और तालियाँ गूँज उठीं.
जियाना ने धीरे से कहा,
मैं इंतजार नहीं कर सकती. आज मैं कुछ भी करूँगी ताकि उसका ध्यान मेरी ओर आए. सैरिन. उसे कैसे रोक पाएगी?
सैरिन ने हल्की हँसी दी,
कबीर. मैं प्रभावित हूँ. पर मैं अपनी चालों में रहूँगी. दिल का खेल. बस अब शुरू हुआ है।
कबीर ने धीरे से जाम उठाया और मुस्कराते हुए कहा,
अब सबको पता चलेगा कि असली ताकत, शांति और समझदारी में है. और जो छुपा हुआ है. उसका पर्दा अब गिरने वाला है।
सवाल पर छोडते हुए:
क्या जियाना अपनी चालों में सफल होगी और कबीर का ध्यान अपनी ओर खींच पाएगी?
सैरिन और कबीर के बीच का रोमांस Kiss मोड पर जाएगा—क्या सैरिन अपना दिल कबीर को दे पाएगी?
महफिल का अंत किसके पक्ष में होगा—जियाना की चालों या सैरिन की शांति और रहस्य में?
अगला हिस्सा: रात का इंतजार और भावनाओं का टकराव
पार्टी अब धीरे- धीरे खत्म हो रही थी. झूमरों की चमक मंद पड गई थी और महफिल की हल्की आवाजें अब केवल गूँजती सरगोशियों तक सिमट गई थीं. लोग अपने अपने घरों को लौटने लगे थे, हँसी और बातें अब खाली गलियों और बाहर की ठंडी हवा में खो गई थीं.
जियाना एक छोर पर खडी थी, केवल अंधेरे और सुनसान कोरिडोर में. उसने अपने हाथ में जाम की ग्लास पकडी हुई थी, लेकिन उसका ध्यान किसी और चीज पर था. उसके दिल की धडकनें तेज थीं. हर एक कदम की आहट उसे कबीर की ओर खींच रही थी.
बस. बस थोडा और. मैं बस उसकी नजरों में अपना स्थान चाहती हूँ। उसने अपने आप से कहा.
कोरिडोर में हल्की हवा चल रही थी. झूमरों की मंद रोशनी खिडकियों से झिलमिला रही थी, और जियाना की नजरों में एक अजीब- सी बेचैनी और उत्सुकता थी. उसने हर उस आवाज पर ध्यान दिया जो दरवाजे से आती थी.
काफी समय बीत गया. जियाना अपने पैरों पर खडी थी, लेकिन उसकी आँखों में लगातार कबीर की प्रतीक्षा थी. और तभी, किसी दिशा से हल्की आवाज—कदमों की टक्कर—सुनाई दी.
कबीर धीरे- धीरे कोरिडोर से गुजर रहे थे. उनके लंबे कद और ब्लैक सूट की चमक अब अँधेरे में भी अलग ही आकर्षण पैदा कर रही थी. उनकी मुस्कान में वह शांति और आत्मविश्वास था, जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेता.
जियाना ने एक गहरी साँस ली और अचानक कदम बढा दिए. उसने जानबूझकर हल्का- सा लडखडाहट किया, ताकि कबीर instinctively उसकी ओर बढें.
कबीर, जो उसकी ओर बढ रहे थे, अचानक रुक गए. उनके चेहरे पर हल्का आश्चर्य और चौकन्नापन था. जियाना ने मुस्कुराते हुए धीरे से कहा,
ओह. लगता है मैं गिर पड गई।
कबीर ने झुका और उसे संभालते हुए कहा,
जियाना. तुम ठीक हो?
जियाना की नजरों में अब हिम्मत और हल्का चमक था. उसने अपनी नाजुक उंगलियों को उसके हाथ की छुअन से हटा कर उसके हाथों और कंधों के पास हल्की छूअन दी. उसकी आवाज धीमी और मीठी थी,
आज कुछ मत कहो, कबीर. आज की रात. बस मेरे साथ रहो. बस. मेरी तरह महसूस करो।
कबीर ने उसकी आँखों में देखा. उसकी मुस्कान में अब हंसी और गर्मजोशी थी. उसने धीरे से कहा,
जियाना. तुम इतनी निर्भीक कैसे हो?
जियाना ने हल्की हँसी दी और कहा,
ताकतवर आदमी. हमेशा किसी की हिम्मत को परखना चाहता है. और मैं. अपनी हिम्मत आज दिखा रही हूँ।
कबीर ने उसकी नजरों में वह आकर्षण महसूस किया, जो हमेशा उसे अपनी ओर खींचता रहा था. उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
तुम्हारी यह हिम्मत. और यह आत्मविश्वास. मुझे हमेशा खींचता है. आज. मैं सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ. बस।
जियाना ने धीरे से कहा,
तो. अब तुम बस मेरे हो जाओ. इस पल में, सिर्फ मेरे साथ।
कबीर ने हल्की हँसी के साथ कहा,
जियाना. मेरे लिए यह पल भी खास है. और तुम्हारा यह अंदाज. मुझे बस अपनी ओर खींच रहा है।
दोनों के बीच अब एक अजीब- सा खिंचाव था. किसी ने नहीं कहा, पर उनकी साँसें और नजरे सब कुछ कह रही थीं. जियाना की चालाकी और आकर्षण ने कबीर को थोडी देर के लिए सिर्फ उसके पास होने पर मजबूर कर दिया.
जियाना ने धीरे- धीरे उसके कंधे के पास हाथ रखा, और उसकी आँखों में चमक थी.
बस. आज रात. बस यही पल. और सब कुछ भूल जाओ।
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
बस यही. बस यही रात।
वे दोनों कोरिडोर में धीरे- धीरे चलते रहे. उनके कदमों की खनक, हल्की रोशनी और उनकी छिपी हुई मुस्कानें महफिल की शांति को और रोमांचक बना रही थीं.
जेरेफ, जो दूर से देख रहा था, हल्की मुस्कान दी और बोला,
कबीर. जियाना. यह पल. तुम्हारा ख्याल रखो. यह सिर्फ दिखावा या खेल नहीं. यह दिलों का सच्चा खेल है।
सैरिन, जो अभी भी थोडी लापरवाह थी, बस खडी रही और बोली,
कबीर. जियाना. तुम्हारी यह नजदीकी. रोमांच और सस्पेंस को और बढा रही है. लेकिन याद रखो. सही समय पर ही सच्चाई सामने आएगी।
कबीर ने हल्की मुस्कान दी और कहा,
सैरिन. हर चीज का सही समय आता है. और आज. यह पल सिर्फ हमारे लिए है. बाकी सब. इंतजार कर सकते हैं।
जियाना ने धीरे से कहा,
तो अब हम सिर्फ. एक- दूसरे के लिए हैं. और इस पल में. बस वही मायने रखता है।
महफिल अब उनके पीछे धीरे- धीरे सुनसान हो रही थी. केवल हवा की हल्की सरसराहट और उनके दिलों की धडकनें अब इस कोरिडोर में गूँज रही थीं.
कबीर ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा,
जियाना. इस रात की याद, यह पल. हमेशा हमारे दिल में रहेगा।
जियाना ने हल्की मुस्कान दी और कहा,
और मैं. इस पल को अपने दिल में हमेशा रखूँगी. बस आज रात. हम सिर्फ हमारे हैं।
सवाल पर छोडते हुए:
अब जियाना और कबीर की नजदीकी आगे क्या मोड लेगी?
सैरिन इस नजदीकी को देखकर क्या महसूस करेगी?
जेरेफ की चुप्पी और उसकी प्रतिक्रिया इस रात की कहानी में क्या रंग भरेगी?
और महफिल के बाद का यह रोमांच कबीर और जियाना के रिश्ते को Kiss दिशा में ले जाएगा?
अगला हिस्सा: सुबह की चुप्पी और नए मोड
सूरज की पहली किरणें धीरे- धीरे खिडकियों से अंदर आने लगीं. कमरे में हल्की रोशनी थी, लेकिन रात की गहराई अभी भी उनकी यादों में ताजा थी. जियाना धीरे- धीरे उठी और अपनी पलंग पर फैल गई. उसका दिल अभी भी तेजी से धडक रहा था, और उसकी आँखों में उस रात की नजदीकी की झलक थी.
कबीर पलंग के पास खडे थे, ब्लैक सूट की चमक अब सूती शर्ट में बदल चुकी थी, लेकिन उनकी शानो- शौकत और आत्मविश्वास अब भी वैसा ही था.
जियाना ने हल्की मुस्कान दी और कहा,
कबीर. तुम अब भी वैसे ही हो, जैसे मैं कल रात देख रही थी. शांत, खुशमिजाज, और पूरी तरह अपने आप में राज.
कबीर ने उसकी ओर देखकर हल्की हँसी दी,
जियाना. वही तो मैं हूँ. तुम्हारे पास होना, तुम्हें महसूस करना. यही मेरी ताकत है. और रात. वो रात, बस हमारे लिए थी।
जियाना ने सिर हिलाया और कहा,
हाँ. और मुझे लगता है, मैं अब खुद को पूरी तरह आजाद महसूस कर रही हूँ. जैसे मैं हवा में तैर रही हूँ, और तुम मेरी हर धडकन को महसूस कर रहे हो।
कबीर ने पास आते हुए कहा,
और यही. मेरे लिए सबसे खास एहसास है. तुम्हारे पास रहना, तुम्हें महसूस करना. यही मेरी असली ताकत है. और जियाना, मैं चाहता हूँ कि तुम हमेशा यही महसूस करो।
तभी कमरे के दरवाजे पर हल्की खटखट हुई. जियाना और कबीर की नजरों ने तुरंत वहां देखा. जेरेफ खडा था, गंभीर लेकिन शांत मुस्कान के साथ.
कबीर. जियाना. लगता है, तुम दोनों ने रात भर का आनंद लिया. पर अब. वास्तविक दुनिया वापस आ चुकी है।
जियाना ने हल्की झिझक के साथ सिर हिलाया,
और मैं. बस यही चाहती हूँ कि यह पल हमेशा याद रहे. रात हमारी थी. और यही काफी है।
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
सही कहा, जियाना. रात हमारी थी, लेकिन अब हमें अपनी जिंदगी के बाकी हिस्सों का सामना भी करना होगा. और याद रखो. असली खेल अभी शुरू हुआ है।
सैरिन कमरे में धीरे- धीरे आई. उसकी आँखों में हल्की जिज्ञासा और हल्की चिढ थी. उसने कहा,
तो. यह रात. तुम्हारे बीच का पल था. अच्छा, मुझे लगता है, अब सबको सच का सामना करना होगा. जेरेफ भी यही सोच रहा होगा।
जेरेफ ने सिर हिलाया और कहा,
सच्चाई हमेशा सामने आती है. और जो इसे झूठ में ढकने की कोशिश करता है. उसे सजा भी मिलती है. लेकिन अब. यह रोमांस और नजदीकी सिर्फ शुरुआत है।
जियाना ने धीरे से कहा,
और मैं. बस यही चाहती हूँ कि कबीर हमेशा मेरे पास रहे. आज की रात ने मुझे ये एहसास दिलाया कि मैं सिर्फ उसके लिए हूँ।
कबीर ने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
जियाना. यह एहसास तुम्हारे लिए ही खास है. और मैं. हमेशा तुम्हारे पास रहूँगा. यही मेरी ताकत और मेरी दुनिया है।
तभी दरवाजे पर हल्की खटखट हुई. जारिन की आवाज बाहर से आई,
कबीर! जियाना! तुम दोनों अब तक यहाँ क्या कर रहे हो? पार्टी खत्म हो गई, लेकिन तुम्हारे बीच का खेल अभी भी जारी है!
कबीर ने शांत स्वर में जवाब दिया,
जारिन. रात हमारी थी. और अब सुबह आई है. जो हुआ, वही सही था. बाकी सब. समय पर सामने आएगा।
जियाना ने मुस्कुराते हुए कहा,
और मैं. बस यही चाहती हूँ कि आज की यह नजदीकी हमेशा हमारे दिलों में रहे. बाकी सब इंतजार कर सकते हैं।
सैरिन ने हल्की हँसी दी,
लेकिन याद रखो. रात खत्म हो गई है, पर खेल अभी भी जारी है. और इस नजदीकी में, कई राज और भी छिपे हुए हैं।
कबीर ने सिर हिलाया,
और यही. रोमांच और सस्पेंस है, सैरिन. जेरेफ, तुम्हें भी पता है कि हर चीज का सही समय आता है. अभी हम बस इस पल का आनंद ले रहे हैं।
जियाना ने धीरे से कहा,
और मैं. इस पल को हमेशा याद रखूँगी. यह रात, यह नजदीकी, और यह एहसास. बस हमारे लिए था. और यही काफी है।
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
और यही मेरी ताकत और मेरी खुशी है. तुम्हारे पास रहना. तुम्हें महसूस करना. यही मेरे जीवन का असली मकसद है. और जियाना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।
अब जियाना और कबीर की यह सुबह की नजदीकी उनके रिश्ते में कौन- कौन से मोड लाएगी?
जारिन और सैरिन इस नजदीकी को देखकर क्या कदम उठाएंगे?
जेरेफ की चुप्पी और उसकी भावनाएँ इस नए दिन में क्या रहस्य खोलेंगी?
और कबीर की असली ताकत और आत्मविश्वास आने वाले समय में Kiss तरह नए ड्रामाई मोड बनाएंगे?
अगला हिस्सा: सैरिन और कबीर का संघर्ष
सुबह की हल्की रोशनी कमरे में फैल रही थी. जियाना अपने पलंग पर बैठी थी, उसकी आँखों में रात की यादें अभी भी ताजा थीं. उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी, जैसे हवा में तैरते हुए उसे यह एहसास हो रहा हो कि अब सब कुछ उसके और कबीर के बीच था.
लेकिन कमरे का दरवाजा अचानक खुला और सैरिन अंदर आई. उसकी चाल में ठंडी गंभीरता और हल्की जिज्ञासा दोनों झलक रही थीं. उसने धीरे से कहा,
कबीर. हमें बात करनी होगी।
कबीर उठे, उनके चेहरे पर हल्की चिंता और दिल की धडकन में हल्की तेजी थी.
सैरिन. क्या हुआ? तुम्हें इतनी जल्दी उठकर क्या करना पडा?
सैरिन ने हल्का सिर हिलाया और कहा,
मैं. मुझे पता चल गया कि कल रात क्या हुआ तुम्हारे और जियाना के बीच. और मुझे लगता है. मुझे अब खुद को तुम्हारे से और दूर रखना चाहिए।
कबीर के दिल पर जैसे ठंडा पानी गिर गया हो. उसने धीरे से कहा,
सैरिन. तुम ऐसा क्यों सोच रही हो? क्या तुम वास्तव में मुझसे दूर जाना चाहती हो?
सैरिन ने अपनी आँखें झुका लीं, हल्की झिझक और भावुकता के साथ कहा,
हाँ. क्योंकि मैं नहीं चाहती कि किसी और की नजदीकी. हमारे बीच की नजदीकी को प्रभावित करे. और कल रात. मैंने देखा कि तुम जियाना के पास कितने करीब थे।
कबीर ने कदम बढाया और उसकी ओर हाथ बढाया,
सैरिन. तुम्हारी यह दूरी. मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता. मेरा दिल. अब तुम्हारे हाथों में है. और मैं. किसी भी हाल में तुम्हें जाने नहीं दूँगा।
सैरिन ने पीछे हटते हुए कहा,
कबीर. मैं जानती हूँ कि तुम्हारा दिल अब भी मुझसे जुडा है. लेकिन तुम्हारे दिल के हाथों मैं अब अनजान महसूस कर रही हूँ. और मैं. खुद को बचाना चाहती हूँ।
कबीर की आँखों में दर्द झलकने लगा. उसने धीमे स्वर में कहा,
सैरिन. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. तुम्हारा दूर जाना. मेरे लिए असंभव है. और जो कल रात हुआ. वह सिर्फ जियाना के लिए नहीं था. बल्कि यह मेरे दिल की जद्दोजहद थी. और तुम्हारे लिए भी।
सैरिन ने धीरे से कहा,
कबीर. तुम मेरी भावनाओं को समझ नहीं रहे हो. तुम्हारा दिल अब जियाना के पास भी गया है. और मैं. नहीं चाहती कि यह और उलझ जाए।
कबीर ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा,
सैरिन. तुम मेरी असली दुनिया हो. तुम्हारा डर और तुम्हारा दूर जाना. यह सब मेरे लिए असहनीय है. मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता. और यही कारण है कि मैं तुम्हें छोड नहीं सकता।
सैरिन ने कदम पीछे खींचते हुए कहा,
तो अब. मैं क्या करूँ? तुम्हारे लिए मेरी मौजूदगी सिर्फ जटिलता बढा रही है. और मैं. खुद को और चोट नहीं देना चाहती।
कबीर ने पास आते हुए कहा,
सैरिन. चोट नहीं. बस भरोसा करो. जो भी कल रात हुआ, वह केवल एक पल था. और वह पल. हमें सच्चाई दिखाने के लिए था. लेकिन अब. यह पल खत्म हो चुका है. अब बस तुम्हारा और मेरा समय है।
सैरिन ने कुछ पल खामोशी से उसे देखा. उसकी आँखों में भावुकता और हल्की चिंता झलक रही थी. उसने धीरे से कहा,
कबीर. तुम्हारा भरोसा. और तुम्हारी बातें. मेरे दिल को हिला देती हैं. लेकिन मैं. डर रही हूँ कि कहीं हम दोनों. खो न जाएँ।
कबीर ने उसकी तरफ हाथ बढाया और धीरे से कहा,
सैरिन. खोना? मैं तुम्हें कभी खोने नहीं दूँगा. मेरा दिल अब तुम्हारे हाथों में है. और मैं. हर हाल में तुम्हें पास खींचूंगा।
सैरिन ने हल्की हँसी दी, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी जिज्ञासा और डर दोनों झलक रहे थे.
कबीर. तुम सच में समझते हो कि यह आसान होगा? मेरी भावनाएँ. और तुम्हारा दिल. यह सब इतना सरल नहीं है।
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
सरल कठिन. मेरे लिए केवल यही मायने रखता है कि तुम मेरे पास रहो. और जो भी मुश्किल आए. मैं उसे पार कर लूंगा. तुम्हारे बिना. मैं अधूरा हूँ, सैरिन।
सैरिन कुछ पल के लिए खामोश रही, फिर धीरे से बोली,
तो. अब मैं देखूँगी. कल रात के बाद. क्या हम सच में एक साथ रह सकते हैं?
कबीर ने हल्की मुस्कान दी और कहा,
सैरिन. हम सिर्फ कल रात के लिए नहीं. हम हर पल के लिए हैं. और मैं. तुम्हें कभी दूर नहीं जाने दूँगा।
सैरिन ने धीरे- धीरे उसकी तरफ कदम बढाया और कहा,
तो. अब देखना है. क्या तुम्हारा दिल वाकई मेरे लिए बंधा हुआ है?
क्या सैरिन और कबीर की यह नजदीकी अब आगे बढ पाएगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए