मुंबई...
मुंबई का सबसे बड़ा और आलीशान घर जिसके बाहर दीवान पैलेस लिखा हुआ था आज उसे बड़ी ही खूबसूरती से सजाया गया था। रात के अंधेरे में ये घर किसी खूबसूरत तारे की तरह चमक रहा था। चारों तरफ फूलों से और लाइट्स से सजावट की गई थी क्योंकि आज दीवान फैमिली के बड़े बेटे राघव दीवान की शादी थी ... दूसरी शादी ...
मैन हॉल के सोफे पर एक औरत बैठी हुई थी वो दिखने ने करीब पचास साल की होंगी । उनके चेहरे पर एक अलग ही तेज था। उनका नाम मीनाक्षी दीवान था और एक राघव की मां थी। उनकी गोद में एक बच्चा बैठा हुआ था जिसकी उम्र करीब चार साल होगी। वो बच्चा काफी खुश लग रहा था और मीनाक्षी की ओर देखते हुए कहता हैं," दादी ... छोटू दादी मेली मम्मा को ले कर कहां चली गई ? वो तो अभी आई थी लेकिन छोटी दादी उन्हें दुल ले गई। "
मीनाक्षी जी उसकी बात सुन कर कहते है ," तुम्हारी छोटी दादी उसे कही दूर ले कर नहीं गई है आरव ... वो तो बस तुम्हारी मम्मा को घर दिखाने के कर गई है वो बस आ रही होगी। तुम चिंता मत करो तुम्हारी मम्मा बस तुम्हारी है । "
ये सुन कर आरव के चेहरे के चेहरे स्माइल आ जाती है। इतने में ही उन दोनो को पायल की आवाज सुनाई देती है। दोनो उस ओर देखते है तो एक औरत जिसने लाल रंग का जोड़ा पहना हुआ था वो दिखने में किसी परी जैसी थी । सीधे नैन नक्श साथ ही दूध जैसा गोरा रंग, वो शर्माते हुए अपना चेहरा नीचे किए हुए थी और बड़े आराम से चल कर आ रही थी । उस लड़की का नाम वैदेही था।
उसे देख कर मीनाक्षी जी कहती है ," लो आ गई तुम्हारी मम्मा ... अब तुम बड़े आराम से उन्हें बात कर सकते हो ... ।"
मीनाक्षी जी ने इतना ही कहा था कि आरव भागते हुए वैदेही के पास जाता है और उसके पैरो को पकड़ कर उससे लिपट जाता है। आरव को अपने पास देख कर वैदेही के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती है। आरव अपना चेहरा उठा कर वैदेही की ओर देखते हुए कहता है ," मम्मा आप थक गई होंगी आप मेरे साथ रूम में चलिए हम दोनो आज साथ में सोएंगे। "
आरव की बात सुन कर वैदेही के साथ खड़ी हुई एक औरत जिसका नाम साधना था वो कहती है ," नहीं आरव तुम्हारी मम्मा तुम्हारे साथ बहु जा सकती तुम जाओ अकेले सोना। तुम्हारी मम्मा आज तुम्हारे डैडी के साथ रहेगी। "
आरव अपनी आंखे छोटी करते हुए कहता है ," नहीं मिली मम्मा मेरे साथ ही रहेगी और आज भी रहेगी ... । "
आरव थोड़ी नाराजगी से उन्हें देखने लगता है। तभी वैदेही आरव के लेवल तक बैठ कर कहती है ," मम्मा आप से सुबह मिलेगी ठीक है। अब आप अच्छे बच्चे की तरह जा कर सो जाइए काफी देर हो चुकी है। "
आरव उदासी भरी आवाज में कहता है ," लेकिन मम्मा ...
तभी मीनाक्षी जी कहती है ," तुम्हारी मम्मा सही कह रही है आरव वो अब तुमसे कल मिलेगी ... काफी देर हो चुकी है चलो अब अपने कमरे में .. । "
आरव वैदेही की ओर देखता है और कहता है ," ठीक है मम्मा मैं जा रहा हूं लेकिन कल आप मेरे साथ ही रहना। "
वैदेही मुस्कुराती है और आरव के गाल पर किस करके कहती है ," ओके.. । "
उसके किस करने से आरव शर्मा जाता है और जल्दी से मीनाक्षी जी की ओर भाग जाता है। मीनाक्षी जी उसे गोद में उठा कर कहती है ," साधना तुम वैदेही को राघव के कमरे में ले कर जाओ मै अभी आती हूं । ".
साधना जी हां में सिर हिला देती है और फिर वैदेही के साथ राघव के कमरे की ओर बढ़ने लगती है। जैसे जैसे वैदेही राघव के कमरे की ओर जा रही थी उसकी दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। उसकी जिंदगी की नई शुरुआत होने वाली थी और वो काफी खुश थी। लेकिन मन ने एक अजीब सी घबराहट थी शायद कुछ नया हो रहा था।
कुछ पल के अंदर ही वो लोग राघव के कमरे के अंदर थे। वैदेही शर्म से अपना चेहरा झुका लेती है। साधना जी धीरे से दरवाजा खोलती है और वैदेही को अंदर जाने को कहती है । वैदेही धीर से हां में सिर हिला देती है और कमरे के अंदर जाती है। कमरे में कदम रखते ही उसे फूलों को खुशबू आती है। वो अपना चेहरा उठा कर कमरे की ओर देखती है तो उसकी नजर सीधा सामने की दीवार पर जाति है जिस पर लगी है तस्वीर को देख कर वैदेही के चेहरे से मुस्कुराहट चली जाती है।
वो हैरानी से और उदासी से उस तस्वीर को देखने लगती है। सामने की दीवार कर राघव और उसकी पहली पत्नी को तस्वीर थी। जिसमें उन दोनो ने एक दूसरे को गले से लगाया हुआ था और वो दोनो काफी खुश लग रहे थे। अब सबकी नजर उस तस्वीर कर जाति है तो सब एक दूसरे की शक्ल देखने लगते है।
तभी साधना जी हंसते हुए कहती है ," लगता है राघव को ऐसा लग रहा है कि उसकी शादी फिर से आरती से हुई है। कोई बात नहीं बाद में उसे हटा दिया जाएगी
वैदेही उनकी बात का कोई जवाब नहीं देती लेकिन साफ समझ आ रहा था कि वो काफी दुखी है । बाकी के लोग वैदेही को वही छोड़ कर कमरे से बाहर चले जाते है न वैदेही कमरे के बीचों बीच आती है और पूरे कमरे को देखने लगती है ।
इतने में ही मीनाक्षी जी भी वहां आती है। वैदेही की दरवाजे की ओर देखती है तो मीनाक्षी जी भी कहती है ," अरे ये क्या ये तस्वीर अब तक यहां क्या कर रही है। मै अभी किसी को कह कर इसे हटवा देती हूं । "
इतने में ही एक दरवाजे से एक भारी आवाज आती है वो कहती है ," उसे हटाने की कोई जरूरत नहीं है वो तस्वीर वही रहेगी। "
मीनाक्षी की मूड कर उस पर देखती है तो उनके सामने एक लंबा चौड़ा आदमी खड़ा हुआ था जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो नाराज भी नहीं लग रहा था और न ही खुश। दिखने में वो लड़का कभी हैंडसम था और उसकी personality किसी हीरो से कम नहीं थी। ये था राघव दीवान...
वो अपनी मां को देख रहा था। मीनाक्षी जी कहती है ," लेकिन बेटा इस तस्वीर को यहां से...
इसके पहले की वो अपनी बात पूरी कर पाती राघव कहता है ," मुझे लगता कि आपको यहां से जाना चाहिए... "
मीनाक्षी जी उसे कुछ कहना चाहती थी लेकिन राघव ने उन्हें कोई मौका ही नहीं दिया । वो एक नजर वैदेही की इए देखती है और फिर उदासी भरा चेहरा ले कर कमरे से बाहर चली जाति है। उनके जाने के बाद राघव दरवाजे बंद कर देता है जिसकी आवाज सुन कर वैदेही के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। वो अपना सिर झुका कर खड़ी हो जाति है और अपनी उंगलियों से खेलने लगती है ।
राघव की तीखी नजर उस पर ही थी ... वैदेही इसे महसूस कर पा रही थी ... । अगले ही पल राघव लंबे लंबे स्टेप लेते हुए वैदेही की ओर बढ़ने लगता है.. । वैदेही की धड़कन काफी ज्यादा बढ़ जाती है। कुछ ही पल में राघव वैदेही के लाश पहुंच चुका था। वो वैदेही के कमर पर हाथ रखता है और उसे खुद से सटा लेता है। और फिर उसके गर्दन के पीछे हाथ रखते हुए उसे खुद उसे अपने करीब लाता है और उसे किस करने लगता है।
उसके ऐसा करते ही वैदेही की आंखे बड़ी हो जाति है। ये उसकी पहली किस थी उसे नहीं पता था कि उसकी पहली किस ऐसे होने वाली है। वो बहुत ज्यादा हैरान थी। लेकिन जैसे ही उसे होश आता है वो राघव के सीने पर हाथ रख कर उसे खुद से दूर करने की कोशिश करती है। लेकिन राघव जरा भी नहीं हिलता और वैदेही को बड़ी ही बेरहमी से किस करने लगता है।
कुछ देर तक तो वैदेही उसके इस बिहेवियर को सहन कर लेती है लेकिन जब उससे बर्दास्त नहीं होती तो उसके आंखो से आंसू आ जाते है। जो बह कर राघव के हाथ पर गिर रहे थे। कुछ देर ऐसे ही किस करने के बाद राघव उससे अलग होता है। वैदेही अपनी नम आंखे लिए राघव को देखती है और कहती है ," ये आप क्या कर रहे है ?"
राघव बड़ी ही सख्ती से कहता है ," वही जो तुम चाहती हों... इस रिश्ते से जो तुम्हारी इच्छा है वही पूरी कर रहा हूं ... । "
वैदेही उसे हैरानी से देख रही होती है जिसे देख कर राघव कहता है ," ऐसे क्या देख रही हो , शादी का मतलब तो यही होता है न , एक दूसरे के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने की पूरी छूट। तुमने भी यही सोच कर शादी की होगी कि मैं और तुम ...
इसके पहले की राघव अपनी बात पूरी कर पाता वैदेही उसे खुद से दूर धक्का दे देती है और कहती है ," ये आप क्या कह रहे है मैने कभी ऐसा नहीं सोचा था। और आप है कि..
राघव अपनी तीखी नजरो से उसे देखते हुए दांत पीसते हुए कहता है ," तुमने कभी ये सोचा नहीं था न तो आगे सोचना भी मत। क्योंकि इस रिश्ते से तुम्हे कुछ नहीं मिलेगा क्योंकि मैं इस रिश्ते को मानता ही नहीं ...
कंटिन्यू...