Apna bana le Piya - 2 in Hindi Drama by Namita Shrivas books and stories PDF | अपना बना ले पिया - 2

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अपना बना ले पिया - 2

अब आगे...

राघव की बात सुन कर वैदेही तो जैसे स्तब्ध रह जाति है। वो इस शादी को नहीं मानता ... अगर वो ऐसा ही सोचता था तो फिर उसने इस शादी के लिए हां क्यों की? क्यों सबसे सामने इनकार नहीं किया। उसकी आंखे भर जाती है और उसका गला भारी सा होने लगता है। वो अपने हाथ बढ़ा कर कुछ कहना चाहती थी लेकिन तभी

राघव गुस्से से चिल्ला कर कहता है, "ना ही मेरे लिए ये शादी कोई मायने रखती है और न ही तुम ...। तुम यहां बस मेरे बेटे का ध्यान रखने के लिए आई हो। इसके अलावा इस घर में तुम्हारी कोई पहचान नहीं। तो न ही मुझ से या फ़िर फिर मेरे बेटे से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा। "

इतना कह कर राघव गुस्से में बाथरूम के ओर चला जाता है। वैदेही अपने आंखों के आंसू लिए बस उसे देखती रहती है उसके हाथ अब भी हवा में ही थे जिसे वो धीरे धीरे नीचे कर लेती है। उसका दिल एक अजीब से दर्द से भर चुका था। उसने क्या कुछ नहीं सोचा था, अपनी शादी के कितने सपने देखे थे लेकिन वो बस सपने ही थे। जो हकीकत उसके समाने थी वो काफी दर्दनाक थी जिसे कबूल कर पाना उसके बस की बात नहीं थी।

वो सिसकियां भरने लगती है और अपनी जगह पर वैसे ही खड़ी रहती है। कुछ देर के बाद राघव बाथरूम से बाहर आता है और वैदेही को उसी पोजीशन में देख कर भी कुछ रिएक्ट नहीं करता। उसने अपने कपड़े बदल लिए थे। वो सीधा बेड की ओर जाता है। वैदेही उसे ही देख रही थी। राघव बेड पर बैठते हुए लाइट ऑफ कर देता है और फिर बेड कर लेट जाता है ... ।

उस अंधेरे में वैदेही बस बेड की ओर देख रही थी। सिर्फ ये कमरा ही नहीं उसे अपना फ्यूचर में अंधेरे ने नजर आ रहा था या फिर ये कहे कि इस रिश्ते का भविष्य ..। वो अपने गाल पर गिरे हुए आंसुओं को साफ करती है और फिर एक गहरी सांस लेती है।

इधर राघव बेड पर लेटा हुआ था लेकिन उसका सारा ध्यान इस बात पर था कि वैदेही आगे क्या करने वाली है। क्या वो उसके पास बेड पर आने वाली है या फिर बाहर जाने वाली है। इस बीच उसे पायल को आवाज सुनाई देती है साथ ही बाकी गहने भी शोर करने लगते है। राघव हल्का सा उस ओर झांक कर देखता है तो पाता है कि वैदेही सोफे की ओर जा रही थी।

ये देख कर राघव के जबड़े कस जाते है वो तकिए पर सिर रख लेता है और अपनी आंखे बंद कर देता है। इधर वैदेही सोफे पर बैठ जाति है और एक एक करके अपने गहने उतारने लगती है। वैसे तो आज ये काम राघव को करना चाहिए था लेकिन राघव ने उसे इस तरफ से नजरअंदाज कर दिया जैसे वो यहां हो ही न। हां उसने वैदेही से बात की थी लेकिन सिर्फ ये जताने के लिए कि वो उसके लिए कुछ नहीं है। वो बस उसके बेटे की केयरटेकर है इसके अलावा कुछ नहीं ।

वो आपके सारे गहने उतार उन्हें वही साइड में रखती है और फिर उन्हीं कपड़ों में सोफे पर लेट जाती है। उसकी नजर बेड पर ही थी जगह आज उसे होना चाहिए था। एक नई उम्मीद एक नई खुशी के साथ.. लेकिन वो इस सोफे पर थी उदासी के साथ तन्हाई के साथ ...

धीरे धीरे उसकी सांसे गहरी होती जाती है और उसकी आंखे भारी होते हुए बंद हो जाती है ...।"

अगली सुबह...

वैदेही की जब आंख खुलती है तो उसकी नजर सीधे बेड पर जाति है। राघव वहां नहीं था ये देख कर वो उठ कर बैठ जाति है और अपने आस पास देखने लगती है लेकिन उसे राघव कही नजर नहीं आता। तभी उसे बाथरूम से पानी की आवाज आती है और उसे यकीन हो जाता है कि इस वक्त राघव बाथरूम में ही है..।

वो सोफे से उठती है और अपने बैग से कपड़े निकाल कर कबर्ड की ओर आती है। वो कबर्ड का दरवाजा खोलती है और देखती है कि एक तरह राघव के कपड़े है और एक तरफ उसकी पहली पत्नी आरती के ... वो काफी सलीके से देखे हुए थे जिसे देख कर ऐसा लग रहा था कि अब भी कोई इन्हें इस्तेमाल करता है। वो एक गहरी सांस लेती है और फिर आरती के कपड़ों को साइड करके अपने कुछ कपड़े वहां रख देती है।

इतने में ही बाथरूम का दरवाजा खुलता है और राघव बाहर आता है। वो बाथरूम से ही अपने कपड़े पहन लिए और अपने गिले बालों को टॉवेल से साफ करते हुए उसकी नजर वैदेही पर जाति है जो इस वक्त उसके और आरती कबर्ड के पास खड़ी हुई कुछ कर रही है उसका चेहरा गुस्से से भर जाता है। एक गुस्से में वैदेही की ओर बढ़ता है और उसे कबर्ड से दूर करते हुए कहता हैं," ये तुम क्या कर रही हो ?"

वैदेही जो राघव के ऐसे करने से गिरने वाली होती है वो बड़ी मुश्किल से खुद को संभालती है और राघव की ओर देखने लगती है। राघव की नजर कबर्ड पर रखे हुए वैदेही के कपड़ो पर थी वो गुस्से से कहता हैं," ये जगह तुम्हारी नहीं मेरी पत्नी की है..।

वो दांत पीसते हुए वैदेही की ओर देखता है। वैदेही उसकी आंखो में देखते हुए कहती है" आपकी पत्नी मै हूं ... ।।"

ये सुनते ही राघव को हंसी आ जाती है वो हंस कर कहता है " मुझे पता नहीं था तुम्हारी याददाश्त इतनी कमजोर है .. । कल रात ही मैने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हे अपनी अपनी पत्नी नहीं मानता ..। तो उन चीजों से दूर रहो जिन कर मेरी पत्नी का हक है समझ में आया तुम्हें ..। "

वैदेही कुछ देर तक उसकी आंखों में वैसे ही देखती रहती है फिर कहती हैं," आपके न मानने से सच बदल नहीं जाता, मै आपकी पत्नी हूं और यही सच है। "

वैदेही की बाते सुन कर राघव गुस्से से कहता है," तुम बस उस चीज के सच होने के सपने ही देख सकती हो .. मै तुम्हे कभी वो दर्ज दूंगा ही नहीं .. कभी नहीं..

इतना कह कर वो वैदेही के कपड़ो को जमीन पर फेक देता है । वैदेही की नजर अपने कपड़ों पर जाती है फिर वो राघव की ओर देखती है। राघव की आंखे लाल थी। तभी उनके कमरे के दरवाजा नॉक होता है और राघव की मां मीनाक्षी जी अंदर आती है। उनकी आहट सुन कर दोनो उस ओर देखते है।

लेकिन मीनाक्षी जी की नजर तो जमीन पर गिर हुए वैदेही के कपड़ो पर थी। ये देख कर उसके माथे कर सिलवटें आ जाती है और वो कहती है," ये सब क्या हो रहा है ?"

वो बारी बारी से राघव और वैदेही की ओर देखती है। राघव तो उनसे नजरे फेर लेता है वही वैदेही अपने कपड़े उठा कर उनकी ओर देखती है और मुस्कुरा कर कहती है," ओ मै अपने कपड़े निकाल रही थी और हड़बड़ी में ये मुझ से गिर गए ..।"

मीनाक्षी जी जानती थी कि वैदेही झूठ बोल रही है लेकिन वो वैदेही का मन नहीं दुखाना चाहती थी वो उनकी ओर आते हुए कहती हैं," बेटा ध्यान से काम किया करो। मै तो तुम्हे बुलाने आई थी लेकिन अब तक तो तुम रेडी ही नहीं हो .. जल्दी से रेडी हो जाओ..। नीचे सब तुम्हारा इंजतार कर रहे है..।"

वैदेही अपना सिर हिला देती है और अपने कपड़े ले कर बाथरूम की ओर बढ़ जाति है। मीनाक्षी जी मुस्कुरा कर उसे देख रही होती है लेकिन उसके जाते ही उनकी मुस्कान चली जाती है और वो राघव की ओर देखती है।

राघव बिना उनकी ओर देखे कबर्ड खोलता हैं और आरती के कपड़े सही करता है। मीनाक्षी जी उसे देखते हुए कहती है," ये सब क्या है राघव ? तुम उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हो ? वो तुम्हारी पत्नी है अगर तुम उसे प्यार नहीं दे सकते तो कम से कम इज्जत तो दे ही सकते हो ?"

राघव बिना उनकी ओर देखे कहता हैं," उसे मै अपनी मर्जी से अपनी पत्नी बना कर नहीं लाया हूं आपकी ही जिद थीं.. आप ही चाहती थी आरव का ध्यान रखने के लिए कोई आए मैने तो कुछ नहीं कहा था। तो मुझ से इस बात की उम्मीद मत रखिए कि मै उसके साथ उस तरह से पेश आऊंगा जैसे आप चाहती है।

इतना कह कर राघव कबर्ड का दरवाजा बंद करता है और अपनी मां की ओर देखता है। मीनाक्षी जी कहती हैं," हां मैं मानती हूं ये बात मैने तुमसे कही थी। लेकिन जरा मुझे ये बात बताओ अगर कोई आरव से जुड़ेगा तो क्या उसका तुम्हारे साथ कोई रिश्ता नहीं बनेगा। आरव और तुम एक हो तो जो इंसान तुम दोनो में से किसी एक साथ जुड़ेगा उसके साथ दूसरा भी खुद ही जुड़ जाएगा।

राघव गुस्से से कहता है," जिसे जिसके साथ जुड़ना है जुड़ जाए लेकिन मैं किसी और को अपनी लाइफ ने एक्सेप्ट नहीं कर सकता। और हां उस लड़की से कह देना कि वो बस आरव की केयरटेकर है तो उसकी मां बनने की कोशिश न करें..।"

इतना कह कर राघव गुस्से में कमरे से बाहर निकल जाता है वही मीनाक्षी जी एक गहरी सांस ले कर न में सिर हिलाने लगती है। इधर वैदेही बाथरूम के दरवाजे से लगी हुई उन दोनो की बाते सुन रही होती है। उसकी आंखे नम थी और उसका सिर झुका हुआ था। वो एक गहरी सांस के कर अपने आंसुओं को थामती है और खुद से कहती है," क्या मुझे इस जनम में कभी किसी का प्यार नहीं मिलेगा। "

 कंटिन्यू...