(प्रिया अपने परिवार की इज़्जत और कुणाल के प्यार के बीच फँसी है। ललिता द्वारा टोनी को छुड़ाने से वैभव उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। दूसरी ओर, प्रिया अपने करियर में खुद की पहचान बनाना चाहती है। रिया IAS की पढ़ाई कर रही है, जिसका राज़ प्रिया ने कुणाल से छिपा रखा है। गलती से बात खुलने पर प्रिया का गुस्सा कुणाल को ठेस पहुँचाता है। कुणाल उम्मीद करता है कि प्रिया उसे रोकेगी, पर वह चुप रहती है। कहानी वहीं से मोड़ लेती है, जहाँ दिल और जिम्मेदारी आमने-सामने खड़े हैं। अब आगे)
अनकही बाते
आज प्रिया जल्दी उठकर तैयार हो गयी। रिया ने कहा "तुम आज कोलेज जा रही है।"
प्रिया ने कहा "हां। वीकेंड में क्लासेस लगती है, पर अटेंडेंस कंपल्सरी नहीं।"
रिया ने मुस्कुराते हुए कहा "तुम नौकरी और पढ़ाई दोनों कर रही है, अच्छा लग रहा है।"
प्रिया ने हंसते हुए कहा "मैं आपके लिए ढेर सारे पैसे कमाना चाहती हूं ताकि जब आप सफल हो जाओ तो आप थोड़ा क्रेडिट तो मुझे दोगी।"
"थोड़ा नहीं, पूरा। मेरी पढ़ाई के लिए तू सबसे लड़ गयी और कल रात तो" रिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
प्रिया हंसी और बाहर निकल गयी। बाहर देखा तो कुणाल खड़ा था। "तुम यहां कैसे?"
कुणाल ने चुपचाप कार आगे बढ़ा दी और कोलेज के बाहर खड़ा कर दिया।"कुणाल, तुम्हें कैसे पता कि यहां पढ़ती हूं।" पर कुणाल कुछ नहीं बोला और प्रिया चुपचाप उतर गयी। प्रिया के उतरते ही कुणाल कार स्टार्ट कर वहां से निकल गया।
प्रिया कोलेज से बाहर निकली तो कुणाल बाहर ही प्रिया के इंतजार में खडा था। वह भागकर कुणाल के गले लग गयी। तभी कुणाल बोला "सब देख रहे हैं, क्या कर रही हो?"
प्रिया ने उसे कसकर पकड़ा और कहा "मैं अपने वुड बी हसबैंड के गले लग रही हूं। हे भगवान्! कहीं यहां खड़े खड़े किसी को पटा तो नहीं लिया। "
कुणाल ने हंसते हुए उसके कान खींचे " तुम्हारा दिमाग पढ़ाई में कैसे लग जाता है?"
प्रिया ने आंख मारते हुए कहा "वो तो लग जाता है। लेक्चरार क्या हैंडसम है यार।"
कुणाल ने सिर पीट लिया "हो गया तो बैठो। तुम्हे घर छोड़ देता है।
प्रिया ने एक झटके से कहा "चलो, डेट पर चलते हैं।"
कुणाल शर्मा दिया और 'ओके' बोलकर कार स्टार्ट कर दी। प्रिया की आवाज जारी थी जैसे वह कुणाल को कोलेज की एक एक बात बता रही थी।
....
कुणाल और प्रिया पहाड़ों का नजारा देख रहे थे।
प्रिया कुणाल की अंगुली से खेल रही थी "तुम नाराज हो मुझसे?"
कुणाल ने नही में सिर हिलाया और प्रिया के माथे को चूम लिया "जब तुम्हें मुझ पर पूरा यकीन हो जाए, तब तुम मुझे सब बता दोगी। है न। "
प्रिया ने कहा "मैंने तुम्हें छोड़ दिया और फिर भी.." तभी उसकी नज़र कुणाल के हाथों में गयी "यह तो "
कुणाल ने कहा "मंगनी की अंगुंठी है। हमारा रिश्ता फिर से जुड़ चुका है, इसलिए।"
प्रिया ने वह अंगुठी लेकर कुणाल की अंगुली में डाल दिया। और अपने बैग से उसने भी अंगुठी निकाल ली, कुणाल मुस्कुराया और उसने बिना देर किए वह अंगुठी प्रिया को पहना दी।
कुणाल उस अंगुठी को देख रहा था। "तुम इस रिश्ते से खुश हो न।"
प्रिया ने हैरानी से कहा "यह कैसा सवाल है?"
कुणाल ने कहा "तुम पहले जैसी नही रही। ऐसा लगता है कि तुम्हारा परिवार इस रिश्ते के लिए किसी मजबूरी से जुड़े हैं। "
प्रिया ने उसका चेहरा सामने लगाकर कहा "दोबारा इस तरह की बात की तो सजा याद है न।"
कुणाल मुस्कुराया और प्रिया के सिर को अपने कंधे पर टिका दिया।
थोड़ी देर दोनों ऐसे ही रहे। तभी कुणाल बोला ''लगता है बारिश होने वाली है, चलो तुम्हें घर छोड़ दूं।"
प्रिया जैसे ही उठी, पहाड़ों में उसका पैर स्लीप हुआ।
कुणाल खींचकर उसे अपने पास ले आया। दोनों बहुत करीब थे ।
अचानक बादलों की गरज से कुणाल का ध्यान टूटा और वह दूर हुआ ही था कि प्रिया ने उसे पास खींच लिया।
कुणाल जैसे नर्वस हो गया "यह सब ग़लत.."
प्रिया ने उसे देखकर दीवानी होकर कहा "डरते क्यों हो, अगर हम दोनों के बीच कुछ हो गया तो मैं तुम्हारे बच्चे को अपना नाम जरूर दूंगी।"
कुणाल का जैसे ध्यान टूटा "क्या?"
प्रिया जोर से हंसी और कार की ओर भागकर चली गयी।
कुणाल हंसते हुए कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार आगे बढ़ गयी।
...
कुमुद चाय लेकर दरवाजे पर खड़ी थी। वैभव ने अलमारी से कुछ दस्तावेज निकाले। कुमुद ने चाय को साइड में रखते हुए कहा "यह तो दुकान के पेपर है।"
कुमुद ने हैरानी से वैभव को देखा "आप दुकान को.." वैभव ने सिर पर हाथ रख दिया "मेरे पास और कोई चारा नहीं। अगर शादी में कोई भी कमी रही तो ललिता जी हमारी प्रिया को.." वह आगे बोल ही नहीं पाया। तभी वहां रिया ने आकर कुछ गहनों के डिब्बे रख दिए। कुमुद और वैभव ने हैरानी से उसे देखा। कुमुद ने हंसते हुए कहा "इसकी कोई जरूरत है बेटी, हम मैनेज कर लेंगे।"
रिया ने वैभव की तरफ देखा और गंभीर स्वर में कहा "चाचाजी! आपको दुकान को गिरवी रखने की जरूरत नहीं। आप बताते नहीं, पर मैं जानती हूं कि आपने मेरे पढ़ाई, होस्टल, फीस और किताबें सब पर अपनी सारी सेविंग खर्च कर दी है। पर.."
वैभव ने कहा "ias बनने का सपना है तुम्हारा और उसे पूरा करना हमारा फ़र्ज़ है।"
रिया ने वैभव से कहा "और प्रिया की शादी धूमधाम से करवाना आप दोनों का भी तो सपना है। और वैसे भी प्रिया और कुणाल के प्यार ने बहुत सारी मुसीबतों को पार किया है। वह एक ग्रेंड मैरिज को डिजर्व करते हैं। और आप गहने को बेचिए नहीं, गिरवी रख दीजिए। प्रिया और मैं उसे समय रहते छुड़वा लेंगे।"
कुमुद रिया के गले लग गयी और वैभव मुस्कुरा दिया।
वैभव की तो इस शादी में मंजूरी तो नहीं थी, पर कुमुद और रिया की सहमति और प्रिया की खुशी के आगे वैभव कुछ बोल नहीं पाया।
1. क्या वैभव की मौन मंज़ूरी आने वाले तूफ़ान की आहट है या प्रिया की ख़ुशियों की नींव?
2. जब हर कोई प्रिया की खुशी के लिए त्याग कर रहा है, तो क्या यह शादी सच में खुशी लाएगी या किसी नई साज़िश का दरवाज़ा खोलेगी?
3. क्या प्यार और परिवार की बीच की यह खींचतान किसी को तोड़ देगी — या सबको पहले से भी ज़्यादा मज़बूत बना देगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"