“ Chapter- 6 : डरावनी साज़िश ”
रात होने वाली है, आसमान में बादल छाए हुए है, अंधेरे के साथ साथ ठंड भी बढ़ रही है, लगता है शहर में आज फिरसे कोहरा छाने वाला है, प्रोफेसर अपनी कार में सवार अपने घर पर पहुंचते है ।
प्रोफेसर के आते ही उनका नौकर भवसिंघ घर से बाहर निकल आता है, प्रोफेसर कार से बाहर आते है।
भवसिंह :
“ साहब आप आ गए… यहां कोई काले सूट वाला आदमी आया था जो आपके बारे में पूछ रहा था। “
प्रोफेसर :
“ हा… मैने उस से बात की, तुम खाना तैयार कर दो में थोड़ा देरी से खाऊंगा। “
भवसिंघ :
“ अच्छा ठीक है। “
प्रोफेसर अपने कमरे में जाते है, छे साल पहले उनकी पत्नी की डेथ हो चुकी है, उनके दो बच्चे विदेश में रहते है, इस तरह वो अकेले रहते है, पर उनका नौकर ज्यादा वक़्त उन्हीं के घर में रहता है।
प्रोफेसर अपने कमरे में रखी इतिहास की एक किताब उठाते है, बैठ कर पढ़ना शुरू करते है पर उनका मन नहीं लगता, अब वो उब गए है एक ही चीजें बार बार करके, अकेले रहना भी काफी मुश्किल काम है।
प्रोफेसर खिड़की से बाहर देखते है, बाहर रात का अंधेरा छा चुका है, कड़कती ठंड पड़ रही है और इसके साथ कोहरे का हल्का सा धुआं भी उठना शुरू हो गया है, पता नहीं क्यों प्रोफेसर आज थोड़े से बेचैन लग रहे है, अक्षर वो अपना वक़्त किताबें पढ़ने में ही निकालते है।
प्रोफेसर के फोन में एक मैसेज आता है, प्रोफेसर इसे चैक करते है तो पता चलता है कि उनके कॉलेज की ही एक नई स्टूडेंट् है, जिसका नाम *विनीता* है, जो अभी कुछ ही वक़्त से छोटी छोटी बातों को लेकर या कुछ अजीब सवालों को लेकर मैसेज करती रहती है।
प्रोफेसर अपने स्टूडेंट्स को एक अच्छे मित्र की तरह सलाह और सवालों के जवाब देते है इस वज़ह से अक्षर उनके काफी स्टूडेंट्स उनसे कॉलेज में या फोन पर उनसे अच्छी तरह बाते करते है, पर ये लड़की प्रोफेसर को अलग लगती है, जो बिना किसी खास वजह के भी प्रोफेसर को मैसेज करती रहती है।
प्रोफेसर विनीता के मैसेज का जवाब देते हुए पूछते है कि क्या समस्या है, पर विनीता उनसे मैसेज की जगह फोन पर कुछ खास बात करना चाहती है, प्रोफेसर उसे हा कहते है तब वो फोन कॉल करती है।
फोन पर विनीता कहती है :
“ सर… क्या कर रहे हो आप ? “
प्रोफेसर :
“ कुछ खास नहीं, बताओ क्या समस्या है तुम्हे ? “
विनीता परेशान हो कर कहती है :
“ सर… मुझे आपकी मदद की जरूरत है अभी। “
प्रोफेसर :
“ वो तो ठीक है, पर पहले बताओ समस्या क्या है फिर मदद कर सकते है। “
विनीता :
“ आप को तो पता है शहर में काफी कुछ अजीब हो रहा है, लॉग गायब हो रहे है…“
प्रोफेसर :
“ हा… में जानता हु, तो ? “
विनीता :
“ आज में घर पर अकेली हु मेरी मम्मी मामा के वहां गई है, ओर आज फिरसे कोहरे जैसा मौसम हो रहा है, मुझे डर लग रहा है। “
प्रोफेसर :
“ ओह… अच्छा ऐसा है… तो सबसे पहले अपने घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर लो ओर घर में ही रहो, फिक्र मत करो अकेले में डर सबको लगता है। “
विनीता :
“ लेकिन सर… इतनी डरावनी रात को एक लड़की का घर में अकेले रहना ठीक नहीं। “
प्रोफेसर :
“ तो तुम्हारे पिता कहा है ? कोई ओर परिवार का सदस्य नहीं है वहां आस पास ? “
विनीता :
“ नहीं… मेरे पिताजी की डेथ हो गई काफी सालों पहले, अब सिर्फ में ओर मेरी मां है। “
प्रोफेसर :
“ आस पास कोई भरोसेमंद व्यक्ति या लोग नहीं जिन से तुम मदद ले सको या उनके साथ रह सको आज के लिए ? “
विनीता :
“ नहीं… यहां कोई भरोसेमंद नहीं, में यहां सिर्फ आप पर भरोसा कर सकती हु। “
प्रोफेसर :
“ तुम ज्यादा सोच रही हो, फिकर मत करो सब ठीक है, तुम खाना खा कर सो जाओ। “
विनीता :
“ सर… आप समझ नहीं रहे में कितना डरी हुई हु। “
प्रोफेसर :
“ अच्छा तो बताओ… क्या कर सकता हु में तुम्हारे लिए जिस से तुम्हारा डर दूर हो जाए ? “
विनीता सोच कर कहती है :
“ क्या आप मेरे घर आ सकते हो, मुझे अभी किसी अच्छे इंसान के साथ की जरूरत है। “
प्रोफेसर :
“ अरे… मेरा इस तरह रात को किसी लड़की के घर जाना ठीक नहीं होगा, तुम समझो… इसकी कोई जरूरत नहीं है। “
विनीता :
“ मुझे इसकी जरूरत है, आप कैसे मना कर रहे हो, क्या आप इस तरह डर से मरता हुआ छोड़ देंगे आपकी एक अच्छी स्टूडेंट को ? “
प्रोफेसर उलझन में पड़ जाते है, उन्हें ये ठीक नहीं लगता पर रात को एक अकेली लड़की की मदद करना उसका साथ देने का ये अवसर और ज़रूरत को ठुकरा देना उन्हें सही नहीं लगता, अचानक से उत्पन्न हुआ उनका एक स्त्री की ओर का आकर्षण उन्हें हा बोलने पर मजबुर कर देता है।
आखिर में प्रोफेसर विनीता के घर जाने के लिए तैयार हो जाते है, विनीता उन्हें एड्रेस भेजती है, वो ज्यादा दूर तो नहीं पर शहर के बाहरी हिस्से के अंजान इलाके में है, प्रोफेसर अपने गरम स्वेटर पहन कर नीचे हॉल में आते है।
प्रोफेसर अपने नौकर भावसिंघ को कहते है कि अचानक उन्हें कुछ जरूरी काम पड़ गया है, वो इसे खत्म कर के वापस आ जाएंगे।
भवसिंघ उन्हें रोकते हुए कहता है :
“ साहब… काफी रात हो चुकी है… इस वक़्त बाहर जाना ठीक नहीं। “
प्रोफेसर :
“ अभी सिर्फ साढ़े सात बज रहे है, में वापस आ जाऊंगा। “
भवसिंघ :
“ साहब… आप तो जानते है कि आज कल रात के वक़्त शहर में कैसी वारदाते हो रही है…“
प्रोफेसर :
“ तुम फिकर मत करो में कुछ ही वक़्त में वापस आ जाऊंगा, शायद थोड़ी देर।हो सकती है, पर तुम घर का खयाल रखना। “
भवसिंघ :
“ आपका खाना ? “
प्रोफेसर :
“ में वापस आकर खा लूंगा। “
इसके बाद प्रोफेसर अपनी कार लेकर घर से निकलते है, रात होने के साथ साथ ठंड भी बढ़ रही है, कोहरा शांत है पर कई जगह थोड़ा थोड़ा सा धुआं उठ रहा है।
प्रोफेसर धीमी रफ्तार से कार चलाते है, तभी वापस विनीता का फोन आता है, वो पूछती है कि आप कब तक पहुंचोगे ? प्रोफेसर उसे कहते है कि कुछ ही देर में वे पहुंच जाएंगे।
प्रोफेसर कार को शहर के बाहरी हिस्से में जाने वाले रॉड पर मोड़ते है, वो रोड बिल्कुल खाली होता है, कोई भी और गाड़ी उस रोड पर नहीं दिखती, प्रोफेसर विनीता को फोन लगाते है और उसे घर की लोकेशन पूछते है,
विनीता के बताए हुए रास्ते पर प्रोफेसर आगे बढ़ते है, प्रोफेसर थोड़े से बैचेन है, विनीता की बात उन्होंने मान तो ली पर वो अभी भी उलझे हुए है कि उसके घर जाकर वो सही कर रहे है या गलत।
प्रोफेसर विनीता के घर के पास पहुंचते है, पूरा इलाका शांत है, विनीता के घर के सामने थोड़ी ही दूरी पर बड़ी पानी की टंकी है, वहां सारे घर एक दूसरे से दूर दूर बने हुए है, आस पास कुछ अंडर कंस्ट्रक्ट घर और इमारतें है।
वहां ज्यादातर घरों में अंधेरा है, विनीता के घर के पास वाले दो घरों में भी कोई लाइट नहीं जल रही, लगता है उन घरों में कोई नहीं रहता, प्रोफेसर अपनी कार को विनीता के घर के सामने रोकते है, कार की आवाज़ सुन कर प्रोफेसर को बुलाने के लिए विनीता तुरंत ही घर से बाहर निकलती है।
विनीता का दो मंजिला मकान बड़ा है पर काफी पुराना लगता है, प्रोफेसर कार को उसके आंगन में पार्क करते है, विनीता लाल नाइट ड्रेस पहने खड़ी है, कार से बाहर निकल कर प्रोफेसर विनीता से मिलते है।
विनीता थोड़ा मुस्कुरा कर केहती है :
“ आप आ गए सर… में काफी देर से आपका इंतेज़ार कर रही थी। “
प्रोफेसर :
“ ठीक है, मोहल्ला काफी शांत है, लगता नहीं कि यहां आस पास ज्यादा लॉग रहते होंगे। “
विनीता :
“ हा… काफी कम लॉग है यहां, इसी लिए मुझे अकेले डर लगता है। “
प्रोफेसर :
“ ऐसी जगह अकेले रहोगी तो डर लगना स्वाभाविक है। “
विनीता :
“ हा वो तो है… ठंड बहुत है, चलिए अंदर चलते है । “
प्रोफेसर विनीता के पीछे घर के अंदर जाते है, थोड़ी अंदर एक हॉल में विनीता प्रोफेसर को बैठने के लिए कहती है, प्रोफेसर पूरे घर को देखते हुए सोफे पर बैठते है।
विनीता प्रोफेसर को चाय कॉफी के लिए पूछती है तभी अंदर के एक अंधेरे कमरे में कुछ हलचल सी होती है, प्रोफेसर का ध्यान उस ओर जाता है, तभी एक हट्टा कट्टा आदमी भूरा जैकेट और काले चश्मे लगाए उस कमरे से निकल कर आता है, वो और कोई नहीं बल्कि कुर्षित है, कुर्षित हाथ में शराब की बोतल लिए प्रोफेसर के सामने आकर खड़ा हो जाता है, प्रोफेसर उसे देख कर स्तब्ध हो जाते है।
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