Chhupa Hua Ishq - 3 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 3

Featured Books
Categories
Share

छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 3

🌟 छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 3

“रत्नावली मंदिर का द्वार”


---

1. आरंभ — रहस्य के मार्ग पर

हवेली के भीतर खुला वह गुप्त रास्ता लंबा और घुमावदार था।
दीवारों पर वही चिन्ह — तीन वृत और अधखिला कमल — टॉर्च की रोशनी में चमक रहे थे।
आदिल आगे चल रहा था, माया उसके पीछे, सावधानी से कदम रखती हुई।

हवा में धूप और मिट्टी की मिली-जुली गंध थी, जैसे कोई प्राचीन देवस्थान पास हो।
धीरे-धीरे रास्ता खुला, और सामने उभर आया एक विशाल पत्थर का मंदिर —
रत्नावली मंदिर।

मंदिर की दीवारें काली पत्थर की थीं, जिन पर समय के निशान उकेरे थे।
माया ने जैसे ही सीढ़ियों पर कदम रखा, हवा अचानक ठंडी हो गई —
जैसे किसी ने उसके कानों में धीरे से कहा हो, “तू लौट आई…”

उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा।
“आदिल… क्या तुमने वो सुना?”
आदिल ने आसपास देखा, “यह सिर्फ़ हवा है, माया।”
पर उसकी आँखों में भी असहजता थी — जैसे वो भी उस आवाज़ को महसूस कर चुका हो।

मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर लिखा था —

> “जो यहाँ अपने अतीत का सामना करेगा,
वही अपने भविष्य का स्वामी बनेगा।”




---

2. माया की दृष्टि — अतीत का दरवाज़ा खुला

माया ने दीवार को छुआ —
और अचानक पूरा वातावरण बदल गया।
हवा में धुआँ फैलने लगा, टॉर्च की रोशनी बुझ गई,
और सामने वही मंदिर… लेकिन सौ साल पहले का दिखाई देने लगा।

वह अब माया नहीं थी —
वह थी रत्नावली, मंदिर की रक्षक और राजवंश की उत्तराधिकारी।
उसकी कलाई पर वही चिन्ह चमक रहा था, जो आज दीवारों पर उकेरा है।

और सामने…
आदिल नहीं, बल्कि एक सैनिक — कवच पहने, तलवार थामे, वही चेहरा, वही नीली आँखें।
उसका नाम था आर्यवीर।

रत्नावली ने मुस्कुराकर कहा,
“तुम फिर आ गए… तुम्हें तो युद्ध पर होना चाहिए था।”
आर्यवीर ने उत्तर दिया,
“जहाँ तुम्हारा खतरा है, वहाँ मेरा युद्ध है।”

मंदिर की छाया में कोई और भी था —
एक आदमी, काले वस्त्रों में,
जिसकी आँखों में लाल चमक थी।
वह था जवेन — तब भी, अब भी।
उसकी आत्मा अमर थी, पर विकृत।
वह इस शक्ति को पाना चाहता था जो पुनर्जन्म के चक्र को तोड़ सके।

रत्नावली ने कहा,
“जवेन, यह मंदिर तुम्हारे लिए नहीं बना।
यह रूहों को मुक्त करने के लिए है, बाँधने के लिए नहीं।”

जवेन ने हँसते हुए कहा,
“रूहें बाँधी नहीं जातीं, रत्नावली — खरीदी जाती हैं।”

और तभी दृश्य बिखर गया।
माया की आँखें खुलीं — वह फिर वर्तमान में थी, मंदिर के भीतर, आदिल के सामने।


---

3. जवेन का आगमन — खेल का अगला दौर

“तो यादें लौटने लगीं?”
आवाज़ आई — वही सर्द, क्रूर लहजा।
जवेन मंदिर के द्वार पर खड़ा था।
उसकी परछाईं दीवार पर लंबी होकर रेंग रही थी।

“रत्नावली पवित्रस्थान…”
वह धीरे-धीरे बोला,
“यह कोई साधारण जगह नहीं है।
यहाँ की शक्ति उन्हीं को मिलती है जिनकी रूहें पुनर्जन्म के चक्र में बंधी हैं।”

आदिल आगे बढ़ा, “और तुम इसे हथियार बनाना चाहते हो।”
जवेन ने मुस्कराकर कहा, “हथियार नहीं… अमरता।
तुम सोचते हो मैं मर सकता हूँ? मैं हर जन्म में लौटता हूँ —
जैसे तुम और माया लौटे हो।”

माया की आँखें फैल गईं।
“तो… हम तीनों…”
“हाँ,” जवेन ने कहा, “हम सब इस श्राप में बंधे हैं।”


---

4. संघर्ष — मृत्यु और मुक्ति के बीच

अचानक जवेन ने तलवार निकाली।
मंदिर की दीवारों पर उसका प्रतिबिंब चमक उठा।
आदिल ने उसे रोकने की कोशिश की, दोनों के बीच भिड़ंत छिड़ गई।

मंदिर की हवा अब भारी थी,
घंटियाँ अपने आप बज उठीं।
माया एक कोने में खड़ी थी, उसकी हथेलियों में अजीब गर्मी महसूस हो रही थी —
जैसे कुछ जाग रहा हो।

“माया!” आदिल की चीख आई।
वह ज़मीन पर गिरा, जवेन की तलवार उसके पास गड़ी थी।
माया दौड़कर उसके पास पहुँची, और उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे।

“नहीं… मैं तुम्हें खो नहीं सकती।”
उसी क्षण, उसकी स्मृतियाँ पूरी तरह लौट आईं।
उसे याद आया —
रत्नावली ने भी यही कहा था, उसी स्थान पर, उसी रूह के लिए।

उसके होंठों पर वही पुराना मंत्र उभर आया —

> “अंहसत्यं तु प्रेमस्य रक्षणं भवतु…”
(प्रेम ही रूह की ढाल बने।)



मंदिर की दीवारें रोशनी से भर उठीं।
आदिल की साँस लौट आई।
जवेन पीछे हट गया, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे रोक रही हो।


---

5. क्लिफ़हैंगर — उजाले के बाद का अंधकार

रोशनी इतनी तेज़ थी कि माया ने अपनी आँखें बंद कर लीं।
वह हवा में तैरने लगी —
और अगले ही पल, सब कुछ शांत हो गया।

मंदिर खाली था।
सिर्फ़ एक जली हुई अगरबत्ती और हवाओं में गूँजती आवाज़ —
“खेल अभी शुरू हुआ है…”

जवेन दरवाज़े पर खड़ा मुस्कुरा रहा था।
उसकी आँखों में वही लाल चमक लौट आई थी।
“अब देखते हैं, प्रेम कितनी बार मर सकता है…”

दूर कहीं, मंदिर के पीछे से हल्की घंटियों की आवाज़ आई —
जैसे किसी और जन्म का दरवाज़ा फिर खुल गया हो।


---