Nazar Se Dil Tak - 18 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | नज़र से दिल तक - 18

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नज़र से दिल तक - 18

अगले कुछ दिनों में सब कुछ सामान्य दिखने लगा — पर वो सामान्य था ही नहीं।
Raj अपने rounds में पहले की तरह व्यस्त था, Anaya अपनी ड्यूटी में — पर जब भी दोनों एक ही कमरे में होते, हवा जैसे धीमी पड़ जाती।

कभी रिपोर्ट देने के बहाने, कभी किसी केस पर चर्चा करते हुए, उनकी नज़रें कुछ ज़्यादा देर तक टिकने लगीं।
Anaya को अब समझ आने लगा था कि वो Raj की मौजूदगी में थोड़ी ज़्यादा खुद जैसी महसूस करती है।
पर ये भी सच था कि Raj अब भी खुद से जूझ रहा था — कुछ कहने की चाह और कुछ खो देने के डर के बीच।

एक शाम Raj अपने cabin में पुरानी फाइलें देख रहा था।
अचानक उसकी नज़र उस फाइल पर पड़ी — जिसमें पहली बार Anaya के साथ उसका नाम लिखा था, Medical Camp – Rural Outreach.
वो मुस्कुरा दिया। वही बारिश, वही मिट्टी की खुशबू, और Anaya की भीगी पलकें — सब यादों की तरह लौट आए।

उसी वक्त दरवाज़ा खटका।
“May I come in, sir?”
Raj ने ऊपर देखा — वही आवाज़, वही नज़ारे।
“Come in, Anaya.”
Anaya अंदर आई, बोली — “Reports ready हैं, approval चाहिए था।”
Raj ने फाइल ली, पर आँखें फाइल से ज़्यादा उस पर थीं।

“Anaya…”
वो रुक गया।
“जी?”
“तुम… कुछ बदल गई हो इन दिनों।”
Anaya हल्का मुस्कुराई, “शायद… कुछ एहसास चुपचाप असर कर रहे हैं।”
Raj उसकी बात पर मुस्कुरा तो दिया, पर भीतर कुछ हिल गया — “क्या वो भी… वही महसूस करती है?”

शाम को हॉस्पिटल की छत पर ठंडी हवा चल रही थी।
Anaya वही खड़ी थी जहाँ कुछ दिन पहले Raj से उसकी मुलाकात हुई थी।
Raj ने नीचे से देखा, फिर बिना सोचे ऊपर चला गया।

“आज फिर वही हवा, वही सन्नाटा,” Raj ने कहा।
Anaya मुस्कुराई, “और वही खामोशी जो बहुत कुछ कहती है।”
दोनों कुछ देर तक बिना बोले खड़े रहे।

Raj ने धीमे स्वर में कहा —
“Anaya, तुम मानती हो कि कुछ रिश्ते बिना नाम के भी पूरे हो सकते हैं?”
Anaya ने उसकी ओर देखा, “शायद वही सबसे सच्चे होते हैं, क्योंकि उनमें कोई डर नहीं होता… बस एहसास होता है।”

Raj की नज़रें उसके चेहरे पर टिकी रहीं।
वो कुछ कहना चाहता था, पर शब्द जैसे गले में अटक गए।
आसमान में हल्की बिजली चमकी, हवा में बारिश की गंध घुल गई।

Anaya ने मुस्कुराकर कहा —
“आपको डर लगता है कुछ कहने से?”

Raj ने हल्के स्वर में जवाब दिया —
“डर नहीं… बस, कभी-कभी वक़्त को अपनी बात कहने देना ज़रूरी होता है।”

Anaya ने नज़रें नीचे कर लीं, पर उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी —
वो मुस्कान जो कहती थी, “मैं समझ गई हूँ।”

दोनों साथ में कुछ देर तक उस आसमान को देखते रहे —
कहीं कुछ अधूरा नहीं था, फिर भी सब अधूरा लग रहा था।
और शायद वही अधूरापन, उनके बीच का सबसे खूबसूरत रिश्ता था।


रात को hostel लौटकर Anaya ने अपनी diary खोली।
उसने पेन उठाया, कुछ पल चुप रही — फिर लिखा…

“वो पास था, पर फ़ासले थे बरसों के,
हर लम्हा कुछ कहता, मगर लफ़्ज़ ख़ामोश थे।
नज़रें मिलीं तो वक्त ठहर-सा गया,
दिल बोला — ‘शायद यही वो एहसास है।’

कुछ अधूरे ख्वाबों की ख़ुशबू बाकी थी,
कुछ अनकही बातों की गूँज बाकी थी।
ना उसने कुछ कहा, ना मैंने इकरार किया,
पर दिल ने फिर भी उस पल को प्यार कहा।

कभी सोचती हूँ — अगर सब कह दिया होता,
तो क्या ये रिश्ता इतना ख़ास रहता?
शायद नहीं…
क्योंकि कुछ रिश्ते अधूरे ही खूबसूरत लगते हैं,
जहाँ हर नज़र, एक दुआ बन जाती है…”**



उसने पेन बंद किया, खिड़की से बाहर देखा —
बारिश की बूँदें अब भी आसमान से गिर रही थीं,
जैसे खुद रब भी उस अधूरे एहसास को सुन रहा हो।



To Be Continued…

(कभी-कभी जो एहसास ज़ुबान पर नहीं आते, वही सबसे गहरे होते हैं… क्या अब Raj अपने दिल की सच्चाई को पहचान पाएगा?)