कमरे में कुछ पल के लिए सन्नाटा था, पर वो सन्नाटा बोझिल नहीं — सुकून भरा था।
Raj और Anaya दोनों खामोश थे, पर उनके बीच वो सब कहा जा चुका था जो शब्दों से नहीं कहा जा सकता था।
Anaya खिड़की के पास खड़ी थी, हवा उसके बालों से खेल रही थी।
Raj पीछे खड़ा उसे देख रहा था — जैसे पहली बार किसी को इतना करीब से देखा हो, और फिर भी नज़रें हटाने की हिम्मत न हो।
Raj ने धीमी आवाज़ में कहा,
“तुम जानती हो… जब मैंने ‘आई लव यू’ कहा था, वो सिर्फ़ एक लम्हे का इज़हार नहीं था। वो मेरे हर डर, हर अधूरेपन से निकलकर आया था।”
Anaya ने मुड़कर देखा — उसकी आँखों में वही softness थी, जो कभी किसी की परवाह में छिपी होती है।
“और जब मैंने ‘आई लव यू टू’ कहा था…”
वो रुकी, एक लंबी साँस ली —
“वो बस एक जवाब नहीं था, Raj। वो वो एहसास था जो शायद बहुत पहले से था… पर ज़ुबान पर आने की हिम्मत नहीं हुई थी।”
Raj मुस्कुराया — वो मुस्कान जो किसी को भीतर से छू जाए।
वो धीरे से आगे बढ़ा, और बस कुछ कदमों की दूरी पर रुक गया।
“अब कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा, है ना?”
Anaya की आँखों में हल्की चमक थी।
“शायद नहीं… और शायद यही सबसे अच्छा है।”
दोनों हँस पड़े — वही हल्की, सच्ची हँसी जो किसी रिश्ते की शुरुआत की गवाह बनती है।
Raj ने उसका हाथ थाम लिया — बहुत धीरे, जैसे कोई नाज़ुक चीज़ छू रहा हो।
“तुमसे वादा है, Anaya… अब तुम्हारे डर, तुम्हारी थकान, तुम्हारे आँसू — सब मेरे हिस्से होंगे।”
Anaya की आँखों से एक बूँद गिरी — लेकिन वो आँसू नहीं था, वो राहत थी।
“और तुम्हारा हर मुस्कुराना, हर ख्वाब — मेरे हिस्से।”
बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी।
खिड़की पर गिरती बूँदें जैसे उनकी कहानी लिख रही थीं — हर बूँद में एक नया एहसास।
Raj ने कहा, “जानती हो, ये बारिश हर बार कुछ कहती है।”
Anaya ने पूछा, “क्या?”
Raj ने उसकी तरफ देखकर कहा, “कि कुछ रिश्ते किसी मौसम के नहीं होते… वो तो रूह के होते हैं।”
Anaya ने मुस्कुराते हुए सिर झुकाया।
उसकी आँखों में वही चमक थी जो किसी मंज़िल को छू लेने के बाद आती है।
थोड़ी देर बाद दोनों अस्पताल के बगीचे में चले गए। हवा में मिट्टी की खुशबू थी।
Raj ने आसमान की तरफ देखा — “कभी-कभी लगता है कि ऊपर वाला भी चाहता था कि हम मिलें।”
Anaya हँस दी, “तो फिर उसने क्यों इतना वक़्त लगाया?”
Raj बोला, “शायद उसे कहानी को खूबसूरत बनाना था।”
दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा —
अब वहाँ डर नहीं था, न हिचक, न फासले।
बस एक यकीन था — कि चाहे कुछ भी हो, अब ये रिश्ता बस उनका है।
उस रात दोनों अपने-अपने कमरों में देर तक जागे रहे।
Anaya diary में कुछ लिख रही थी —
“आज पहली बार लगा कि मेरी ज़िंदगी किसी और की बाँहों में सुकून पा सकती है…”
और Raj बालकनी में बैठा, आसमान की तरफ देख रहा था —
“कभी-कभी किसी की मुस्कान में पूरी ज़िंदगी दिख जाती है।”
धीरे-धीरे रात ढलती गई… और उनके बीच वो खामोशी बसती गई,
जो शब्दों से नहीं, बस महसूस की जाती है —
तेरे मेरे दरमियाँ… कुछ तो है, जो अधूरा नहीं।