Gunahon Ki Saja - Part - 25 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | गुनाहों की सजा - भाग 25

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गुनाहों की सजा - भाग 25

आज माही पहले की तरह उदास नहीं लग रही थी। आज तो उसके चेहरे पर जीत की ख़ुशी और चमक अलग ही दिखाई दे रही थी।

तभी माही ने अपने पिता मयंक के हाथों में मकान की फाइल रखते हुए कहा, "पापा, यह लीजिए आपकी अमानत।"

मयंक ने फाइल की तरफ़ देखकर पूछा, "अरे, यह क्या है माही? तुम यह वापस लेकर क्यों आई हो?"

माही ने पूरे विश्वास के साथ कहा, "पापा, मैं कभी भी ग़लत का साथ नहीं दूं, यह तो आपने और मम्मी ने ही सिखाया है ना? जिसके साथ वरुण जैसा प्यारा भाई हो, उसे कभी किसी गलत बात के लिए झुकने की ज़रूरत ही नहीं होती। मैं नहीं झुकी पापा, मैंने और वरुण भैया ने मिलकर आपकी खून-पसीने की कमाई को यूं बर्बाद नहीं होने दिया। हाँ, यदि वरुण भैया मेरा साथ नहीं देते, तो मेरे अकेले के लिए यह सब करना असंभव था।"

यह सुनकर रौशनी, नीरव और वंदना सभी बौखला गए। "आख़िर बात क्या है माही?" नीरज ने पूछा।

तब माही और वरुण शुरू से अब तक की उनकी पूरी योजना उन्हें सुनाने लगे।

वरुण ने कहा, "माही से मेरी कई बार बात होती रहती थी। जब उसने वहाँ के अत्याचार और मकान की पूरी बातें मुझे बताई, तब हम दोनों भाई-बहन ने मिलकर यह योजना बनाई। पापा-माँ, आपको सब बताने से पहले मैं आप सभी से घुटने के बल बैठकर एक बात के लिए माफ़ी मांगना चाहता हूँ," कहते हुए वरुण घुटनों के बल बैठ गया।

उसने कहा, "पापा, मुझे माही को इस मुसीबत से निकालने के लिए सबसे पहले माही की ननंद के नज़दीक जाना पड़ा। पापा-माँ, यहाँ तक कि मैंने उससे विवाह तक कर लिया।"

"क्या ...?" कहते हुए मयंक उठकर खड़े हो गए, "तूने अपनी योजना को अंजाम तक लाने के लिए नताशा का इस्तेमाल किया।"

माही बीच में ही बोली, "नहीं पापा, वरुण भैया ने सच में उससे विवाह किया है। उसे इस्तेमाल नहीं किया। वह अभी भी आपकी बहू है। बस, उसे अपनी गलती स्वीकार करनी होगी।"

वरुण ने कहा, "पापा-माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैंने आपके आशीर्वाद के बिना ही यह रिश्ता कर लिया। लेकिन मैं क्या करता पापा, माही और हमारा परिवार खतरे में था।"

रौशनी और मयंक दोनों ने मिलकर उसे उठाया।

रौशनी ने कहा, "मयंक, तुमने यह कैसे सोच लिया कि हमारा वरुण किसी को धोखा दे सकता है? वरुण तो लाखों में एक है। वह जिसे भी भाग्य में मिला है, वह तो सच में सौभाग्यवती है। पता नहीं पिछले जन्म में कितने पुण्य किए होंगे, तब जाकर उसे वरुण मिला है। मैं तो कब से उसके पीछे पड़ी थी कि बेटा शादी कर ले। लेकिन हर बार उसका एक ही जवाब होता कि माँ, जल्दी क्या है। इसीलिए हमें नीरव और माही की शादी पहले कर देनी पड़ी।"

मयंक ने कहा, "जो भी होता है, अच्छे के लिए ही होता है। भगवान को यह नेक काम वरुण के हाथों करवाना था। शायद नताशा के साथ उसकी जोड़ी भी ऊपर वाले ने पहले से ही बना रखी हो।"

वरुण ने पूछा, "पापा-माँ, आप दोनों ने मुझे माफ़ कर दिया ना?" मयंक ने कहा, "हाँ वरुण, तुम्हें माफ़ी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

वरुण ने कहा, "नीरव और भाभी, आप लोगों से भी मैं माफ़ी मांगता हूँ। प्लीज, आप भी मुझे माफ़ कर दीजिए।"

नीरव ने उसे गले से लगाते हुए कहा, "हाँ वरुण, तुमने जो भी किया, माही और अपने परिवार के लिए ही तो किया है। अच्छा, आगे क्या-क्या हुआ, हमें सब कुछ विस्तार से बताओ? हम सब कुछ सुनना चाहते हैं।"

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः