Yashaswini - 25 in Hindi Fiction Stories by Dr Yogendra Kumar Pandey books and stories PDF | यशस्विनी - 25

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यशस्विनी - 25

कोरोनामहामारी के दौर पर आधारित लघु उपन्यास यशस्विनी अध्याय :25

             सरकार ने लॉकडाउन में छूट की अवधि शाम 4:00 बजे तक बढ़ा दी है। यशस्विनी, रोहित और अन्य स्वयंसेवकदिनभर के राहत अभियान के बाद अभी आधा घंटा पहले ही अपने-अपने घरों को लौटे हैं और अपराह्नको 3:30 बज रहे हैं….. कॉल बेल बजने पर यशस्विनी ने दरवाजा खोला। वह आश्चर्य से मुस्कुराउठी। वहां पिंटू खड़ा था और उसके हाथ में एक पैकेट था। उसने कहा, " दीदी यह रहाआपके द्वारा खरीदे गए 100 मास्कों का पैकेट….. मुझे माफ कर दो दीदी! आपको इन मास्कोंकी सप्लाई अगले दिन नहीं कर पाया क्योंकि मेरी मां कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव निकल गईथी….. हल्के बुखार के बाद जब मां ने टेस्ट कराया था तो इसके एक घंटा बाद उनके मोबाइलपर मैसेज आया और इसके थोड़ी देर बाद अस्पताल वाले आकर एंबुलेंस में मां को लेकर अस्पतालचले गए थे दीदी….. मां तीन दिन पहले ही घर लौटी हैं और हमने मिलकर ये मास्क बनाए हैं….बस आप हमें गलत मत समझना दीदी….. आप ये मास्क रखेंगी न दीदी, अगर नहीं रखेंगी तो मुझेआपको रुपये वापस करने के लिए एक हफ्ते का टाइम दीजिएगा दीदी….."

             …...छोटे उस्ताद पिंटू एक ही सांस में यह सब कहते गए और इसे सुनकर यशस्विनी की आंखों मेंआंसू आ गए…. उसने इतना ही कहा, "नहीं, मुझे अभी भी इन मास्कों की जरूरत है, बल्किऐसे 100 मास्क और चाहिए छोटे उस्ताद….।

             यहसुनकर पिंटू का चेहरा खिल उठा, "हां दीदी,ये मास्क आपको दो से तीन दिनों में हीमिल जाएंगे।"

             छोटेउस्ताद और यशस्विनी का संपर्क बना रहा।यशस्विनी एक बार छूट की अवधि में पिंटू के घरभी गई और उसकी मां से मिलकर कुशलक्षेम भी जानी।पिंटू का एक कमरे का छोटा सा मकान था।पिंटू की मां कोविड से उबर चुकी थी, लेकिन पोस्ट कोविड इफेक्ट के कारण उनके शरीर मेंकई तरह की परेशानियां आने लगी थीं।यशस्विनी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह अपनी ओर सेउन लोगों की पूरी मदद करेगी।यशस्विनी की डायरी के पन्ने बढ़ते गए,

".....देश में 17 मई को लॉकडाउन के 31 मई 2020 तक बढ़ाने की घोषणा हुई थी…. छूट में अनेकचीजों को शामिल करते हुए, वहीं कड़े प्रतिबंधों के बारे में और वांछित सावधानियों केबारे में लोगों को बार-बार समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और स्थानीय निकायों के प्रचारतंत्र द्वारा लगातार जागरूक किया जा रहा है।…... लगता है अब लोगों को कोरोना के साथआगे जीना होगा…..एक लंबे समय तक…"

             यशस्विनीने डायरी में आगे लिखा,

"…..8जून को जब 75 दिनों लंबा लॉकडाउन खुला तो देश में 7200 मौतें हो चुकी थीं और संक्रमितोंका आंकड़ा ढाई लाख तक जा पहुंचा था……... लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद के दौर को अनलॉक-1का नाम दिया गया है और सेवाएं धीरे-धीरे शुरू हो गई हैं।अब भारतीय शहरों के रेड,ऑरेंजव ग्रीन जोन की संकल्पना के स्थान पर शहरों के सीमित क्षेत्रों में कड़े प्रतिबंध वालेकंटेनमेंट जोन पर बल दिया जाएगा….."

             जूनके तीसरे हफ्ते से कोरोना के नये केस अचानक रफ्तार पकड़ने लगे। श्री कृष्ण प्रेमालयस्कूल ने रोहित द्वारा बनाए गए ऑनलाइन मीटिंग एप की सहायता से बैठकों का सिलसिला शुरूकिया। स्कूल तो अभी भी बंद थे लेकिन शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण के लिए निर्देश दिएगए और इनके प्रशिक्षण का जिम्मा उठाया रोहित और स्वयं यशस्विनी ने। मई महीने से हीयशस्विनी ने अनेक रिकॉर्डिंग ऐप के माध्यम से योग के ऑनलाइन वीडियो लेक्चर तैयार किएथे लेकिन अभी भी स्कूल के लंबे समय तक बंद रहने की संभावना को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षाके बारे में उन लोगों ने बड़ी मेहनत के बाद यह समाधान ढूंढ़ा।

             गूगलफॉर्म के माध्यम से यशस्विनी ने एक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया और किसी तरहसे उसमें छोटे उस्ताद पिंटू को भी शामिल किया।सुखद आश्चर्य कि पिंटू पढ़ाई में भी अच्छानिकला…. इस टेस्ट में सबसे अधिक अंक पिंटू के ही आए और इस मौके का फायदा उठाते हुएएक दिन शाम को उसके घर पहुंच कर यशस्विनी ने उसे दो बड़े गिफ्ट दिए…. पहला पिंटू काश्री कृष्ण प्रेमालय स्कूल में दाखिला,उसके लिए निःशुल्क शिक्षा और दूसरा ऑनलाइन कक्षाओंके लिए एक नया स्मार्टफोन….। पिंटू पहले तो इन दोनों उपहारों को स्वीकार नहीं कर रहाथा क्योंकि उसमें स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा था…. तब यशस्विनी ने पिंटू की मां के माध्यमसे समझाया कि प्रतियोगिता में प्रथम आने पर ही तुम्हें यह गिफ्ट दिया जा रहा है…..यह सुनकर पिंटू की आंखों में गहरे आत्मसंतोष की एक चमक दिखाई दी।

             श्रीकृष्ण प्रेमालय के स्वयंसेवकों ने कोरोना योद्धाओं के रूप में पूरे समर्पण भाव से अपनीसेवाएं दीं। इस छोटे से शहर के अस्पतालों से होकर सरकार द्वारा बनाए गए आइसोलेशन केसेंटरों तक।कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने पर सरकार ने विद्यार्थियों के खाली छात्रावासोंको स्थाई कोविड-19 सेंटर्स में तब्दील कर दिया।विभिन्न समाजों के सामुदायिक भवनों कोभी समाज के लोगों ने खुशी-खुशी सरकार को सौंप दिया और स्वयं अपनी ओर से भी वहां केअस्थाई चिकित्सा बेडों में भर्ती मरीजों की सहायता हेतु स्वयंसेवक उपलब्ध कराने लगे।जोकोरोना मरीज सक्षम थे और घर में उनके लिए पृथक कक्ष की व्यवस्था थी,वहां उन्हें किसीडॉक्टर की देखरेख और एक सहायक होने की स्थिति में घर में ही रहकर इलाज कराने की सुविधादी गई।अनेक मरीज 14 दिनों के भीतर सरकार द्वारा दी जाने वाली निर्धारित दवाइयों कीसहायता से स्वस्थ भी होते गए।

             रोहित व यशस्विनी भी फील्ड में कोविडमरीजों वाले वार्ड व अस्पतालों के लगातार संपर्क में रहे,क्योंकि सहायता पहुंचाने केलिए वहां तक जाना आवश्यक होता था। सामुदायिक भवनों के अस्थाई चिकित्सा केंद्रों मेंभर्ती मरीजों की देखरेख के लिए दोनों को कई बार कई-कई घंटों तक मरीज के साथ रुकना पड़ताथा,भले ही डबल मास्क,नियमित सैनिटाइजर के प्रयोग और अन्य सावधानियां बरतते हुए।

  अपनी 15 जुलाई 2020 की डायरी में यशस्विनी ने लिखा,"देश में कोविड संक्रमण के मामले बढ़कर 936000 के पार हो गए हैं।भारत में 24000 से ज्यादालोगों की अब तक मौत हो चुकी है तो 592000 लोग ठीक भी हो चुके हैं….. अमेरिका और ब्राजीलके बाद भारत कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित तीसरा देश है। देश में आज लगातार तीसरे दिन28 हजार से अधिक नए संक्रमण के मामले दर्ज किए गए….. हे बांके बिहारी जी,कल एक कोविडकेंद्र में जाकर मुझे गहरे आत्मिक संतोष की प्राप्ति हुई।हुआ यूं कि अचानक एक मरीजके साथ गांव से आए परिजन ने सहायक के रूप में उसके साथ रुकने से इनकार कर दिय।इस परमैंने तत्काल सहायक के रूप में अपनी सेवा देने का प्रस्ताव रखा,जिसे चिकित्सा टीम नेस्वीकार कर लिया।….. मेरी कल की रात वहीं गुजरी….. वाकई संक्रमण के गंभीर हो जाने परमरीज श्वांस लेने में तकलीफ, बेचैनी,हाथ पैर और सिर में तेज दर्द और चेतना शून्यताकी स्थिति का अनुभव करते हैं यह सब देखना बहुत त्रासद है….. उनके लिए पर्याप्त ऑक्सीजनसिलेंडरों की व्यवस्था करने में भी प्रशासन और स्वयंसेवकों को बहुत तकलीफ हो रही है…….आज स्वयंसेवकों की हमारी दूसरी टीम के एक सदस्य ने मुझे रिप्लेस किया और मैं घर आ गईहूँ…. प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की हुई है कि हमारे वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन तैयारकरने पर तेजी से काम कर रहे हैं और इस बारे में 15 अगस्त आते-आते महत्वपूर्ण घोषणाकी जा सकेगी….। मैं अनेक फोरम पर कोरोना की दूसरी लहर के बारे में सुनती हूँ।हे ईश्वर….यह दूसरी लहर हमारे देश में कभी न आए क्योंकि अमेरिका और इटली जैसे देशों में कोरोनाकी दूसरी लहर में पहली लहर से कहीं अधिक तबाही मचने की आशंका है…..."

डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय