Pahli Nazar ki Chuppi - 2 in Hindi Love Stories by Priyam books and stories PDF | पहली नज़र की चुप्पी - 2

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पहली नज़र की चुप्पी - 2



बारिश अब भी कॉलेज की पुरानी दीवारों को छूकर गिर रही थी,
जैसे हर बूँद पिछले मौसम की कोई अधूरी बात दोहरा रही हो।
Prakhra की diary अब उसके लिए routine बन गई थी —
हर पन्ने में Aarav का ज़िक्र, हर line में उसकी मुस्कान।

वो खुद से पूछती, “क्या ये सिर्फ़ दोस्ती है... या कुछ ज़्यादा?”
पर जवाब हमेशा एक ख़ामोशी में बदल जाता —
वही ख़ामोशी जो पहली नज़र में शुरू हुई थी।


📚 हर दिन की मुलाक़ातें अब आदत बन चुकी थीं।
क्लास में साथ बैठना, library की वही खिड़की,
canteen की चाय की ख़ुशबू और बीच-बीच में छोटी-छोटी बातें।
Aarav ज़्यादा नहीं बोलता था,
पर उसकी नज़रें बहुत कुछ कह जाती थीं।

कभी वो casually पूछता —
“Tumhe coffee ज़्यादा पसंद है या chai?”
Prakhra मुस्कुरा देती — “बारिश में chai.”
और फिर दोनों कुछ देर चुप रहते,
पर उस चुप्पी में ही तो सारी बातें थीं। ☕🌧️


एक दिन library में, जब बाकी सब जा चुके थे,Aarav धीरे से बोला —
“तुम हर बार इतनी देर तक यहीं क्यों रुक जाती हो?”

Prakhra ने किताब से नज़र उठाई, हल्का-सा मुस्कुराई —
“शायद इसलिए... क्योंकि किताबें सवाल नहीं करतीं।”

वो थोड़ा चुप रहा, फिर बोला —
“और लोग?”

“लोग तो कभी-कभी जवाब भी नहीं देते।”

उसके शब्दों के बाद कुछ पलों का सन्नाटा छा गया।
बाहर बारिश तेज़ हो गई थी,
और दोनों के बीच एक अदृश्य धागा खिंच गया था —
जिसे किसी ने छुआ नहीं, पर दोनों ने महसूस किया। 💞
 

🌦️ दिन बीतते गए।
अब Prakhra library में सिर्फ़ पढ़ने नहीं आती थी,
बल्कि उस एहसास को जीने आती थी —
जिसका नाम उसने अब तक नहीं रखा था।

Aarav कभी-कभी उसके लिए coffee लाता,
कभी बस खिड़की के पास बैठा उसे देखता रहता।
दोनों के बीच बातों से ज़्यादा silence थी,
और वही silence अब उनका language बन चुकी थी।

कभी-कभी वो पूछता,
“तुम इतनी शांत क्यों रहती हो?”
Prakhra कहती,
“क्योंकि कुछ बातें बोलने से अपनी ख़ूबसूरती खो देती हैं।”

वो मुस्कुराता —
“तो तुम्हारी ख़ामोशी सबसे खूबसूरत होगी।” 💫


🎶 Cultural Fest का दिन।
हर तरफ़ light, music और हँसी-मज़ाक।
Prakhra अपने दोस्तों के साथ थी, पर उसकी नज़रें कहीं और थीं।
Stage पर आरव खड़ा था — guitar हाथ में लिए।

वो पहली बार परफ़ॉर्म कर रहा था।
कौन जानता था कि वो इतना अच्छा गा सकता है!
जब उसने गाना शुरू किया,
तो हर सुर में जैसे कोई दबी हुई भावना बहने लगी।

> “कहने को बहुत कुछ है, पर लफ़्ज़ रुक जाते हैं,
तेरी आँखों के आगे, सारे जवाब झुक जाते हैं…” 🎸



Prakhra की आँखें नम हो गईं।
हर word ऐसा लग रहा था जैसे उसके लिए लिखा गया हो।
और जब performance के बीच एक पल को Aarav की नज़र उस पर ठहरी,
तो वो पल जैसे हमेशा के लिए ठहर गया।


🌧️ रात।
कॉलेज खाली हो चुका था।
Prakhra के कदम अपने आप library की ओर मुड़ गए 
वही जगह जहाँ सब शुरू हुआ था।

टेबल पर एक folded paper पड़ा था।
उसने उठाया — उस पर लिखा था बस एक line:

 “कभी सोचा नहीं था, चुप्पी इतनी खूबसूरत लग सकती है — तुम्हारे साथ।”


उसके होंठों पर मुस्कान आई,
दिल में हल्की-सी धड़कन बढ़ी।
वो paper उसने अपनी diary में रख लिया —
“पहली चुप्पी” के अगले पन्ने में। 💌


📖 अब उनकी बातें कम नहीं हुईं, बस ज़रूरत नहीं रही बोलने की।
वो साथ बैठते, किताबें खुली रहतीं, पर कोई पढ़ता नहीं।
सिर्फ़ दिलों की बातचीत चलती रहती।

Prakhra ने अपनी diary में लिखा —

“वो कुछ कहता नहीं, पर उसकी चुप्पी मेरी आदत बन गई है…”



उसे नहीं पता था कि ये एहसास प्यार है या कुछ और,
पर उसे यक़ीन था कि ये सुकून कहीं और नहीं मिलेगा।


🌈 अंतिम दृश्य:
अगले दिन जब Aarav नहीं आया,
तो library की खिड़की कुछ ज़्यादा खाली लगी।
बारिश भी जैसे रुक-रुक कर गिर रही थी।
Prakhra ने diary खोली और लिखा —

“शायद उसकी चुप्पी अब मेरी कहानी बन गई है…”



वो मुस्कुरा दी।
कहीं न कहीं उसे यकीन था —
वो वापस ज़रूर आएगा,
क्योंकि कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर ही मुकम्मल होती हैं। 💫



✨ To be continued...
Next Episode – “रिश्ता जो नाम का नहीं” — जहाँ ये ख़ामोशी धीरे-धीरे पहचान लेगी अपना नाम।