Tere Mere Darmiyaan - 23 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 23

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तेरे मेरे दरमियान - 23

जानवी :- मैं भी यही सौच रही थी । पापा मैं उनसे सिर्फ एक ही बात पूछना चाहती हूँ के मेरा रेट कम होने के वावजूद भी उन्होने वो कांट्रेक्ट उस विकास को कैसे दे सकते है ? 



इतना बोलकर जानवी अचानक से चुप हो जाती क्योंकि जानवी बहोत दुखी हो जाती है और सामने आदित्य को दैखकर वही पर चुप होकर बैठ जाती है । जानवी को परेशान दैखकर आदित्य को बहोत बुरा लग रहा था ।


अशोक :- मैने पता लगाया इस बारे मे । विकास को ये कांट्रेक खाश TEWARY'S के Recommends के कारण मिला है ।


आदित्य हैरान हो जाता है । उसके कंपनी ने कॉट्रेक्ट कीसी और को दे दिया ये सुनकर आदित्य शॉक्ड था । आदित्य जानवी के पास जाता है उससे कहता है ।



आदित्य :- मैं ये तो नही जानता के उस विकास को कांट्रेक्ट कैसे मिला , पर अगर तुम्हारा अमाउंट उससे कम था । तो भरोसा रखो ये कांट्रेक्ट तुम्हें ही मिलेगा ।



आदित्य की बात को सुनकर जानवी और हैरान था । अचानक से आदित्य का इतने Confidence से बोलना , दोनो को सोचने पर मजबुर कर दिया था ।
 अशोक आदित्य की और दैख रहे थे । अशोक को पता था के जानवी के दिल मे आदित्य के लिए प्यार और सम्मान दोनो ही था ।


आदित्य भी वहां पर अब चुप बोकर खड़ा था और अशोक दिल से बहोत खुश हो रहा था । जब सभी चुप चाप खड़े थे तब अशोक कहता है ।


अशोक :- अ... बेटा वो सब छोड़ो ये बताओ के तुम ऐसे अचानक से । 




आदित्य: - हां वो मैं .. ये कहने के लिए आया था ।
तभी अशोक कहता है ।



अशोक :- आओ ना बेटा , यहां पर बैठो । बैठकर बात करते है ना ।




आदित्य वही पर रखी कुर्सी पर बैठ जाता है । तभी वहां पर ओक नौकर आता है और कहता है ।



नौकर :- सर लंच रेडी है । 



अशोक :- हां , ठिक है तुम चलो हम आते है ।
अशोक के कहने पर नौकर चला जाता है । तो अशोक


आदित्य से  कहता है ।



अशोक :- बेटा चलो , तुम भी खाना खा लो ।



आदित्य: - नही अंकल वो मैं ।


तभी जानवी गुस्से से कहती है ।



जानवी :- पापा ने कहा ना , क्या हर बार ना ना कहते हो । ( आदित्य का हाथ पकड़कर ) चलो ।



जानवी के कहने के कारण आदित्य कुछ कह नही पाता और ना ही मना कर पाता है । कुछ दुर जाने के बाद जानवी को याद आता है के उसने आदित्य का हाथ पकड़ा है । फिर जानवी हाथ को छोड़ देती है और बहाने सो कहती है ।



जानवी :- वो मैैं खाना लगवाती हूँ ।




इतना बोलतर जानवी वहां से चली जाती है । जानवी अशोक और आदित्य को खाना सर्व करती है । अशोक को जानवी को सर्व करते दैखकर अच्छा लगा रहा था के जानवी खाना सर्व कर रही थी । जानवी दोनो को सर्व करने के बाद अपने लिए खाना ले लेती है और फिर सभी खाने बैठ जाता है । तभी अशोक कहता है । 



अशोक :- हां बोलो बेटा । क्या बोल रहे थे तुम ?



आदित्य: - अंकल वो मैं बोल रहा था के हमारी शादी के लिए मैने तिवारी मेंशन बूक कर रहा हूँ तो मैने सोचा के मैं एक बार आपसे और जानवी से पूछ लू ।



तिवारी मेंशन का नाम सुनकर जानवी और अशोक हैरान हो जाता है । अशोक कहता है ।



अशोक :- क्या ! वो रॉयल तिवारी मेशन ।


आदित्य: - जी अंकल ।



जानवी :- पर वो तो विद्युत तिवारी सर कभी किसीको वो मेंशन नही देते । वो सिर्फ अपने लिए उसे यूज करते है । फिर वो हमे क्यों देगें ?



आदित्य: - वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो । मेरा उनसो बात हो गया है । वो मेशन हमे उस दिन मिल जाएगी ।



अशोक :- अरे बेटा ये तो बहोत अच्छी बात है । मुझसे क्या पूछना जो तुम दोनो को अच्छा लगे वो करो । जो भी पेमेंट होगा मैं पे कर दूगां।



आदित्य: - पेमेंट का चिंता मत किजिये । वो सब हो जाएगा ।



अशोक :- पर बेटा ..!



आदित्य :- सब हो गया है , आप टेंशन मत लिजिये ।




तभी जानवी के गले मे खाना फंस जाती है जिससे वो खासने लगती है । तो अशोक उसे पानी देने जाता है के उससे पहले आदित्य उठकर जानवी के पिठ और सर को सहलाने लगता है जिससे जानवी ठिक हो जाती है ।



फिर आदित्य उसे अपने हाथ से पानी पिलाता है । ये सब दैखकर अशोक और खुश हो जाता है । उसने जो आदित्य और जानवी के लिए सौचा था वो सच हो रहा था । दोनो एक दुसरे का ख्याल रखने लग जाता है ।



आदित्य: - अब ठिक है ?



जानवी अपना सर हां मे हिला कर जबाव दे देती है ।
खाना खतम करके आदित्य हाथ साफ करता है और जाने के लिए रेडी होता है तो जानवी कहती है ।



जानवी :- कहां जा रहे हो ?




जानवी की बात को सुनकर आदित्य रुक जाता है अशोक भी हैरानी से जानवी की और दैखती है । तो जानवी फिर कहती है ।


जानवी :- वो मेरा मतलब है के खाना खाने के तुरंत बाद नही जाना चाहिए । , थोड़ी दैर बैठ कर आराम करलो । 



आदित्य अशोक की और दैखता है । तब अशोक कहता है ।




अशोक :- अ...हां , जानवी सही बोल रही है । खाना खाने के तुरंत बाद नही जाना चाहिए । कुछ दैर आराम करलो । 



आदित्य जानवी की बात को टालना नही चाहता था । इसिलिए वो वही पर रुक जाता है । तभी जानवी आदित्य से पूछती है ।



जानवी :- तुम्हारा घाव कैसा है ? आज ड्रेसिगं किये थे ?



जानवी की बात पर आदित्य चुप हो जाता है । क्योकी उसने आज ड्रेसिंग नही किया था ।



जानवी :- चलो मैं कर देती हूँ । मुझे पता था के तुमने नही किया होगा । अगर समय पर ट्रिटमेंट हो तो घाव बड़ जाता है ।



आदित्य :- पर मैं वो ...!



तभी अशोक कहता है ।



अशोक :- अरे क्या पर वर लगा रखा है । सही तो बोल रही है जानवी । दैखो ऐसे चीजो को अनदेखा नही करते है । जाओ बेटा इन्हें लेकर जाओ ।



आदित्य और जानवी के जाने के बाद अशोक भगवान से प्रार्थना करता है ।



अशोक :- हे प्रभु । इन दोनो मे ऐसे ही एक दुसरे के प्रति प्यार बनाए रखना प्रभु ।




दोनो जानवी के कमरे पर चला जाता है । जानवी First add kit को लेते हूए कहती है ।


जानवी :- अपना सर्ट उतारो और बैठो ।
सर्ट उतारने वाली बात पर आदित्य शर्मा रहा था । और वही बेड पर चुप चाप बैठा था । तभी जानवी First add kit लेकर आती है और कहती है ।



जानवी :- अरे , तुमने अभी तक सर्ट नही उतारा । जल्दी करो ।



आदित्य हिचकिचाते हुए अपना सर्ट उतारने लगता है पर पिठ मे चौट के कारण दिक्कत हो रही थी । तभी जानवी आदित्य के बटन को एक एक करके खोलती है तो दौनो की आंखे एक दुसरे से मिल जाता है । दोनो एक दुसरे को कुछ दैर देखता ही रहता है और फिर जानवी सर्ट को उतारती है ।



आदित्य के बदन को दैखकर जानवी को शर्म आने लगी थी पर जानवी अपना शर्म को छुपाते हूए आदित्य के पिठ को दैखनेे लगती है ।




जानवी :- क्या हाल करके रखे हो । अगर कोई नही है करने वाला तो मेरे पास आ जाओ या तो हॉस्पिटल चले जाओ । 




जानवी धिरे धिरे इस जगह को साफ करने लगती है । जिससे आदित्य को दर्द होता है । 



आदित्य :- स्ससस। आह....!




जानवी :- बस थोड़ा सा और । हो गया हो गया ।




जानवी बहोत ही प्यार और आराम से आदित्य के जख्म को साफ करके नई पट्टी लगा देती है । जिससे आदित्य को बहोत अच्छा लगता है । पट्टी हो जाने के बाद आदित्य सर्ट को पबने जाता है तो जानवी दैखती है के सर्ट मे हल्का सा बल्ड लग गया था । जिसे दैखकर जानवी कहती है ।



जानवी :- रुको इसे मत पहनो , इसमे बल्ड लग गया है ।



आदित्य :- पर जानवी , अगर नही पहनूंगा तो जाउगां कैसे ? कुछ नही होगा , मैं घर मे घो लूगां ।



To be continue.....143