रीना, बाइक के पीछे बैठी हुई थी। ठंडी हवा उसके बालों को उड़ा रही थी, पर मन किसी और दुनिया में खोया हुआ था।
वह गहरी सोच में डूबी — अक्षय की यादों में। धीरे-धीरे उसकी आंखों के सामने एक दृश्य तैरने लगता है (फ्लैशबैक)
ऑफिस का माहौल हमेशा की तरह व्यस्त था। अक्षय, कैश काउंटर पर खड़ा कुछ पेमेंट कर रहा था। रीना की नजर अचानक उस पर पड़ी। वह कुछ क्षण तक ठहर कर देखती रही — हाँ, वही था… अक्षय।
अक्षय अभी-अभी रायगड़ा में ट्रांसफर होकर आया था।
रीना को उसकी तलाश पिछले एक साल से थी। पिछले हफ्ते उसने विशाल को पता लगाने भेजा था, लेकिन तब तक अक्षय रायगड़ा नहीं पहुंचा था। अब जब वह सामने था, रीना को अपने प्लान का पहला कदम उठाना था।
रीना अपनी कुर्सी से उठती है। टेबल पर रखी कुछ पॉलिसियों को हाथ में लेकर जानबूझकर उसके पास जाती है और हल्के से टकरा जाती है। कागज नीचे गिर पड़ते हैं।
अक्षय पलटकर देखता है — सामने एक जवान, खूबसूरत लड़की, हल्की मुस्कान लिए खड़ी थी। अक्षय रीना को बस देखते ही रह जाता है।
रीना (मुस्कराते हुए): सॉरी, सर! … मेरा ध्यान पॉलिसियों पर था, इसीलिए आपको देख नहीं पाई।
अक्षय (मुस्कुराते हुए झुकता है): चलिए, कोई बात नहीं। वैसे, आप यहां एम्प्लॉय हैं न? आपका आईडी यही बता रहा है… रीना महापात्र। (अक्षय अपना दायां रीना की ओर हाथ बढ़ाते हुए) — वैसे, मायसेल्फ अक्षय, और प्लीज़, मुझे ‘सर’ मत कहिए।
रीना (हल्की शरारत भरी मुस्कान के साथ): ठीक है, अक्षय सर!
अक्षय हंसते हुए: अरे, फिर से “सर”?
रीना (सीधी होकर): ठीक है, अक्षय जी!
अक्षय (हंसते हुए): अब ठीक है। तो बताइए, आप बैठती कहां हैं?
रीना अपने टेबल की ओर इशारा कर देती है।
अक्षय: बढ़िया, मुझे अपनी कुछ 8-10 पॉलिसियों की जानकारी लेनी है, आपकी मदद चाहिए।
रीना (थोड़ी आत्मीयता से): हां हां, अक्षय जी, जब चाहें पूछ सकते हैं। कभी भी आइए।
रीना अपनी टेबल की ओर लौट जाती है। वह उस दिन पिंक कलर की साड़ी में थी — गले में ब्लू रिबन से लटका आईडी कार्ड — बेहद आकर्षक लग रही थी।
अक्षय, उसे जाते हुए पीछे से देखता है और मन ही मन बोल उठता है — “इसे कहते हैं सुंदरता — आगे से भी और पीछे से भी… दोस्ती करनी ही होगी।”
तभी कैश काउंटर के अंदर से आवाज आती है — कर्मचारी: अक्षय जी, ये रहा आपका रिसीप्ट।
अक्षय रिसीप्ट लेता है और बाहर निकलते समय एक बार फिर रीना की ओर देखता है। रीना भी मुस्कराहट लौटाती है।
एक हफ्ते बाद अक्षय रीना से मिलने चला आता है। धीरे-धीरे उनकी बातें बढ़ती हैं, मुलाकातें होने लगती हैं। एक हफ्ते के भीतर ही दोस्ती, प्रेम में बदल जाती है।
अक्षय रीना का दीवाना हो चुका था, लेकिन रीना — अपने इरादों को पूरा करने के लिए, प्रेम का नाटक कर रही थी।
और अब, एक महीने बाद — वह अपने प्लान में सफल हो चुकी थी।
वर्तमान दृश्य:
बाइक रुकती है। विशाल, रीना को उसके घर के सामने उतारता है। रीना उतरकर उसके सामने आती है। दोनों एक-दूसरे को हल्के से हग करते हैं और होंठों पर एक छोटा-सा किस देते हैं। फिर विशाल, "बाय" कहता हुआ शहर की ओर बाइक दौड़ा देता है।
रीना का घर गांव से थोड़ा हटकर, एकांत में था। पुश्तैनी मकान — चार बड़े कमरे, सामने विशाल हॉल, बड़ा किचन और उससे सटा स्टोररूम।
घर में उसके साथ रहते थे — माधव काका (उम्र 55–56), और उनकी पत्नी मालती काकी (उम्र लगभग 50)। दोनों पुराने नौकर थे, जब रीना के पिता जिंदा थे, तब पिछवाड़े के सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे। रीना के अकेले हो जाने के बाद, अब घर में ही रहने लगे थे — वफादार, भरोसेमंद।
रीना अंदर आती है, बैग सोफे पर रखती है, टी-टेबल पर रखा पानी उठाकर पीती है। इतने में माधव और मालती अंदर आते हैं।
माधव मुस्कुराते हुए: "आ गई बेटा, आज तो बहुत देर कर दी!"
रीना (पानी पीकर): "हां काका, आज थोड़ा काम ज्यादा था।
काकी की ओर मुड़कर रीना कहती है: "काकी, आज बहुत थक गई हूं… आपके हाथ की गरमा-गरम चाय मिले तो मजा आ जाएगा।"
मालती (मुस्कराते हुए): "हां, बेटा, अभी लाती हूं।"
वह किचन की ओर चली जाती है।
माधव (ध्यान से रीना को देखते हुए): "रीना बेटा, चेहरा मुरझाया हुआ लग रहा है, सब ठीक तो है न?
रीना (सामान्य लहजे में): कुछ नहीं काका, सब ठीक है… ऑफिस में बस काम ज्यादा था।
माधव चुप हो जाता है — उसे क्या पता, रीना अभी-अभी एक मर्डर करके आई है।
थोड़ी देर बाद माधव फिर बोलता है — "हां, रीना बेटा, तुम आज मोबाइल घर पर भूल गई थी। दो-तीन बार बजा, फिर बंद हो गया। मुझे चलाना नहीं आता, इसलिए छेड़ा नहीं।"
रीना (हंसते हुए): "अच्छा! काका, मोबाइल चलाना सीख लो, कभी काम आएगा।"
वह उठकर कमरे में जाती है, मोबाइल उठाती है और वापस सोफे पर आकर बैठ जाती है। स्क्रीन ऑन करती है…
रीना अक्षय के मौत का सीन याद करते हुए मोबाइल चेक करने लगती है......"
माधव और राधा की क्या कहानी है? रीना को मोबाइल में किसने फोन किया?
अगले भाग का इंतजार कीजिए....