रात का माहौल और गहरा गया था। करन बिस्तर से उठने की कोशिश कर रहा था, अनाया उसके पास झुककर उसका सहारा बनी हुई थी। दोनों की आँखों में एक-दूसरे के लिए ऐसा प्यार चमक रहा था मानो दुनिया की कोई ताक़त उन्हें अलग न कर सके।
अचानक बाहर गाड़ियों के शोर और आरव की ठंडी हँसी ने उस पल को तोड़ दिया।
आरव दरवाज़े पर आकर खड़ा हो गया। उसका चेहरा चाँदनी में और भी चमक रहा था। शहर भर में उसकी खूबसूरती और अमीरी के किस्से मशहूर थे। लोग कहते थे—
“आरव जैसा हैंडसम और दौलतमंद कोई नहीं।”
लेकिन उतना ही मशहूर था उसका जिद्दी और सनकी स्वभाव।
आरव ने घर में कदम रखते ही अपनी तेज़ नज़र अनाया पर डाली।
“अनाया… तुम अभी भी इस गरीब करन के साथ हो? जब पूरी दुनिया तुम्हें मेरी दुल्हन कहकर पुकारने लगी थी?”
अनाया ने डरी नहीं, उसका चेहरा सख़्त हो गया।
“आरव! प्यार दौलत या शोहरत नहीं देखता। करन मेरी साँस है, मेरी धड़कन है। चाहे तुम्हारे पास महल हों, गाड़ियाँ हों, पैसे हों… लेकिन तुम्हारे दिल में इंसानियत नहीं है। और मैं कभी भी ऐसे इंसान को अपना नहीं बना सकती।”
करन ने मुश्किल से खड़े होकर कहा—
“आरव, मैं मानता हूँ कि मैं गरीब हूँ। मेरे पास न गाड़ी है, न बंगला, न शोहरत… लेकिन मेरे पास वो है जो तेरे पास कभी नहीं होगा—अनाया का सच्चा प्यार। और ये अमीरी-गरीबी से नहीं टूट सकता।”
आरव की आँखों में आग भर गई।
“करन! तुम्हारी ये हिम्मत? तुम भूल गए कि मैं कौन हूँ? मेरे पास ताक़त है, दौलत है, और वो सब है जिससे तुम्हारी ज़िंदगी को पल भर में खत्म कर सकता हूँ!”
अनाया ने करन का हाथ कसकर थाम लिया और बोली—
“आरव, ये तेरी गलती है कि तू समझता है प्यार खरीदा जा सकता है। लेकिन सुन ले—अगर आज तू करन को छू भी लेगा तो तुझे पूरे शहर के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा। क्योंकि लोग तुझे तेरी अमीरी से नहीं, तेरे गुनाहों से याद रखेंगे।”
करन आगे बढ़ा और आरव के बिल्कुल सामने आ खड़ा हुआ। उसकी आँखों में गरीबी की पीड़ा थी, मगर हिम्मत का जज़्बा और भी बड़ा था।
“आरव, आज ये लड़ाई सिर्फ तेरी अमीरी और मेरी गरीबी की नहीं है… ये लड़ाई है अनाया के प्यार की। और इस बार जीत उसी की होगी, जिसके दिल में सच्चाई होगी।”
बाहर भीड़ जमा हो चुकी थी। लोग फुसफुसा रहे थे—
“देखो, गरीब करन कैसे शहर के शहंशाह आरव से भिड़ रहा है।”
“क्या ये मुमकिन है कि मोहब्बत अमीरी को मात दे दे?”
कमरा अब रणभूमि बन चुका था। अनाया बीच में खड़ी थी—उसका दिल धड़क रहा था लेकिन आँखों में आँसू और विश्वास था कि उसका करन किसी भी हालत में उसे हारने नहीं देगा।
रात की वो घड़ियां और भारी होती जा रही थीं। घर के भीतर हर कोई सांस रोके खड़ा था। करन की हालत अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं थी, मगर उसकी आंखों में साहस की चमक थी। अनाया उसके साथ खड़ी थी, हाथों की पकड़ में ऐसा भरोसा था जो किसी तूफान से भी न डिगे।
दरवाजे पर आरव खड़ा था। उसकी आंखों में क्रोध, चेहरे पर घमंड और आवाज़ में वह ज़हर भरा हुआ था जो किसी को भी कंपा सकता था। लेकिन तभी अर्जुन आगे बढ़े। उनका चेहरा कठोर था और उनकी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज उठी।
“आरव! मैं जानता हूं कि तू क्या करने आया है। मगर भूल मत, तू अकेला नहीं है। मैं अर्जुन हूं… और इस शहर की गलियों से लेकर बड़े-बड़े दरबारों तक मेरी पहचान है। मेरे एक इशारे पर तेरा साम्राज्य रेत की तरह बिखर जाएगा।”
आरव के होंठों पर हल्की मुस्कान आई, मगर उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गईं।
“अर्जुन अंकल, आप सोचते हैं कि आपकी जान-पहचान और पुराना असर आज भी काम करेगा? दुनिया अब बदल चुकी है। लेकिन हां, आपके सामने अभी मैं कोई तमाशा खड़ा नहीं करना चाहता। याद रखिए, मैं किसी का कर्जदार नहीं रहता। आज सिर्फ आपको देखते हुए करन को छोड़ रहा हूं… लेकिन ये लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी।”
अर्जुन ने ठंडी निगाहों से जवाब दिया।
“आरव, तेरी चालें मैं अच्छे से जानता हूं। मगर मेरी बेटी और करन पर तेरी परछाईं भी पड़ी तो इस शहर की अमीरी भी तुझे बचा नहीं पाएगी।”
ये सुनकर आरव का चेहरा तन गया। उसने आसपास खड़े अपने आदमियों को इशारा किया और धीरे-धीरे दरवाजे से बाहर निकल गया। बाहर गाड़ियों की घरघराहट के साथ उसकी शानो-शौकत फिर से हवा में घुल गई। मोहल्ले के लोग खिड़कियों से झांकते रहे, कुछ ने राहत की सांस ली, तो कुछ ने फुसफुसाकर कहा—
“अर्जुन की पहचान ही है जिसने आज करन और अनाया को बचा लिया।”
घर के अंदर सब थोड़ी देर के लिए शांत हुए। अनाया ने पापा का हाथ थाम लिया।
“पापा, अगर आप ना होते तो शायद आज…”
अर्जुन ने उसे रोकते हुए कहा,
“बेटी, तू डरना मत। ये लड़ाई आसान नहीं है। आरव हार मानने वालों में से नहीं है। आज वो यहां से चला गया है, मगर मुझे यकीन है कि वो जल्द ही कोई नई चाल चलेगा। हमें हर वक्त तैयार रहना होगा।”
करन ने थके हुए स्वर में कहा,
“अर्जुन अंकल, मैं जानता हूं कि आरव जैसी दौलतमंद ताक़त से टकराना आसान नहीं है। मगर मेरे पास सिर्फ एक चीज़ है—आपकी बेटी का प्यार। और इसी प्यार के सहारे मैं आरव की हर चाल का सामना करूंगा।”
अनाया ने उसकी आंखों में देखकर दृढ़ता से कहा,
“करन, चाहे जो हो जाए, मैं तेरे साथ हूं। आरव की अमीरी और उसकी ताक़त हमारे इरादों को कभी नहीं हरा सकती।”
अर्जुन ने गहरी सांस ली और खिड़की से बाहर अंधेरे को देखते हुए धीमे स्वर में बोला—
“ये शुरुआत थी। अब आरव अपने असली रूप में सामने आएगा। उसके पास दौलत है, रुतबा है, और सबसे बड़ी बात, वो जीतने का आदी है। मगर इस बार उसे हकीकत का सामना करना होगा। आने वाले दिन आसान नहीं होंगे।”
उस रात सबने जागकर गुज़ारी। बाहर हवाएं चलती रहीं, खामोशी गहराती रही। लेकिन किसी को मालूम नहीं था कि उसी खामोशी के बीच आरव अपने महलनुमा घर में बैठा नई चाल बुन रहा था। उसके चेहरे पर अंधेरा और होंठों पर एक खतरनाक मुस्कान थी।
“करन… तूने आज मुझे सबके सामने नीचा दिखाया है। अब मैं तुझे सिर्फ हराना नहीं चाहता, मैं तेरी हर सांस, तेरी हर उम्मीद और तेरे हर रिश्ते को तोड़ दूंगा। देखना, आने वाले दिनों में तेरी ये गरीबी ही तेरे लिए सबसे बड़ा बोझ बन जाएगी। और तब अनाया को खुद अपने कदम मेरी दुनिया की ओर बढ़ाने होंगे।”
उसकी आंखों की चमक और भी खतरनाक हो गई। शहर में एक नई साजिश जन्म ले चुकी थी—एक ऐसी साजिश जो करन और अनाया के प्यार की सबसे कठिन परीक्षा बनने वाली थी।
अगली सुबह का सूरज जैसे कोई नई आंधी लेकर उगा था। रात की खामोशी अब खत्म हो चुकी थी, मगर हर किसी के दिल में एक बेचैनी बाकी थी। करन और अनाया थोड़ी देर के लिए चैन की सांस ले पाए, लेकिन अर्जुन अच्छी तरह समझ चुके थे कि आरव इतनी आसानी से पीछे हटने वाला नहीं है।
दूसरी ओर, शहर के बीचों-बीच खड़े अपने महलनुमा घर में आरव बैठा था। उसके सामने सोने से मढ़ी हुई कुर्सियाँ, दीवारों पर कीमती पेंटिंग्स और हर कोने में दौलत की चमक बिखरी हुई थी। लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब-सी तृप्ति और खून से सनी मुस्कान थी।
“करन…” उसने धीरे से कहा, “तूने कल मुझे सबके सामने शर्मिंदा किया। अब ये जंग सिर्फ अनाया की मोहब्बत की नहीं रही, ये मेरी ज़िद और मेरे घमंड की जंग है। और मैं कभी हार नहीं मानता।”
आरव के चारों ओर उसके खास लोग बैठे थे—कुछ बड़े व्यापारी, कुछ सफेदपोश नेता और कुछ अंडरवर्ल्ड से जुड़े चेहरे। उसने सबको घूरते हुए कहा,
“मुझे करन और उसके परिवार की हर कमजोरी चाहिए। उसकी गरीबी, उसका अतीत, उसके रिश्ते… सब कुछ। मुझे पता है कि ये लड़का सीधा है, मगर उसी सीधाई को मैं उसके खिलाफ हथियार बना दूंगा।”
उसके एक आदमी ने कहा,
“सर, करन का मोहल्ला बहुत पुराना है। वहाँ के लोग गरीब हैं, लेकिन वफादार हैं। उन्हें खरीदना आसान नहीं होगा।”
आरव हँसा,
“हर इंसान की कीमत होती है। कोई पैसों से बिकता है, कोई डर से। और जो न बिके… उसे मैं तोड़ देता हूँ। ये शहर मेरी अमीरी और ताक़त का गवाह है। करन की गरीबी को मैं उसकी कब्र बना दूंगा।”
वहीं, दूसरी तरफ अर्जुन घर के आँगन में खड़े सोच रहे थे। उनके पुराने संपर्क अब भी मजबूत थे—कुछ पुलिस अफसर, कुछ पुराने साथी और कुछ रसूखदार लोग। उन्होंने मन ही मन ठान लिया था कि चाहे जितनी भी ताक़त आरव जुटा ले, वो अपनी बेटी और करन की रक्षा करेंगे।
अनाया ने आकर पापा के कंधे पर हाथ रखा।
“पापा, आपको लगता है आरव इतनी आसानी से हमें छोड़ देगा?”
अर्जुन ने गंभीर स्वर में कहा,
“नहीं बेटी, वो अपनी अगली चाल की तैयारी कर रहा है। और वो चाल खतरनाक होगी। लेकिन डरना मत… जब तक मैं हूं, वो तुम्हें और करन को छू भी नहीं पाएगा।”
करन भी बाहर आया। उसका चेहरा थका हुआ था, लेकिन उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी।
“अर्जुन अंकल, मुझे आपकी मदद चाहिए। मैं गरीबी में पला हूं, मुझे लोगों का दर्द पता है। लेकिन मुझे नहीं पता कि इस ताक़तवर आरव का सामना कैसे करना है। अगर आपने मुझे राह दिखाई तो मैं अपनी मोहब्बत के लिए हर जंग लड़ जाऊँगा।”
अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा,
“बेटा, तेरी सच्चाई ही तेरी ताक़त है। आरव चाहे जितनी चालें चले, मगर याद रख—जो इंसान सच पर चलता है, उसके साथ पूरी दुनिया खड़ी होती है। और तेरे पास अनाया का प्यार है… ये आरव की सबसे बड़ी हार है।”
उसी समय, दूर शहर में आरव की नई चाल आकार ले रही थी। उसने करन के मोहल्ले के कुछ गरीब लोगों को लालच देना शुरू किया—पैसे, घर, नौकरी और शानो-शौकत। वह जानता था कि अगर वह करन को अकेला कर दे, तो उसकी लड़ाई आसान हो जाएगी।
आरव की आँखों में अजीब-सी चमक थी जब उसने अपने आदमी से कहा,
“आज ये शहर करन को गरीब का बेटा कहता है। लेकिन कल वही लोग उसके खिलाफ खड़े होंगे। और जब उसका अपना मोहल्ला ही उससे मुंह मोड़ लेगा, तब अनाया को समझ आएगा कि गरीबी सिर्फ बोझ है… और अमीरी ही हकीकत।”
उसकी ठंडी हँसी पूरे हॉल में गूँज उठी। खेल शुरू हो चुका था—और इस बार आरव की चाल सिर्फ करन और अनाया को नहीं, पूरे शहर को हिला देने वाली थी।
करन की ज़िंदगी शुरू से ही संघर्षों से भरी रही थी। उसका घर छोटा-सा, जर्जर दीवारों और टूटी छत वाला था। बरसात आते ही पानी टपकने लगता, सर्दियों में ठंडी हवाएँ अंदर घुस जातीं, लेकिन करन ने कभी शिकायत नहीं की। उसके सपने हमेशा बड़े थे। वो जानता था कि गरीबी उसकी किस्मत है, मगर वही गरीबी उसे मेहनत का मूल्य भी सिखा रही थी।
उसकी माँ, एक बेहद सीधी-सादी औरत, दिन-रात सिलाई मशीन पर झुकी रहती थीं। धागों और कपड़ों की सिलाई से ही घर का चूल्हा जलता था। उनके हाथ खुरदरे हो चुके थे, आँखें कमजोर, मगर बेटे के सपनों को पूरा करने की लगन उनमें भी उतनी ही थी। वो हमेशा कहतीं—
“करन बेटा, पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनना। मेरी तकलीफों का ग़म मत करना। मैं जितना कर सकती हूँ, तेरे लिए करूँगी।”
करन के लिए पढ़ाई ही उसकी सबसे बड़ी दौलत थी। उसने किसी तरह कॉलेज का एडमिशन लिया। सुबह क्लासेस, शाम को शहर की एक फैक्ट्री में पार्ट टाइम काम। वहां वो मशीनों की आवाज़, पसीने और धूल के बीच मेहनत करता। उसकी हथेलियों पर छाले पड़ गए थे, लेकिन हर बार वह मुस्कुरा कर सोचता—
“ये दर्द मुझे मेरी मंज़िल तक ले जाएगा। एक दिन मैं अपनी माँ के लिए बड़ा घर लाऊँगा… और अनाया को वो ज़िंदगी दूँगा जिसकी वो हक़दार है।”
लेकिन किस्मत जैसे हर कदम पर उसकी परीक्षा ले रही थी।
उधर, आरव को करन की ये मेहनत चुभने लगी थी। शहर का सबसे दौलतमंद और खूबसूरत युवक होने के बावजूद, उसे लगता था कि अनाया का दिल जीतने में उसकी सारी अमीरी बेकार है। वो बार-बार सोचता—
“कैसे हो सकता है कि अनाया जैसी लड़की उस गरीब लड़के के लिए पागल हो, जिसके पास न पैसा है, न रुतबा?”
आरव ने अपनी साज़िश शुरू की। पहले उसने फैक्ट्री मालिक पर दबाव डाला। अगले ही हफ्ते करन को नौकरी से निकाल दिया गया। करन रातभर माँ के पास बैठा रहा।
“अम्मा, अब फीस कैसे भरूँगा? कॉलेज से निकाला गया तो सब खत्म हो जाएगा।”
उसकी माँ ने आँसू पोंछते हुए कहा,
“बेटा, तू हार मत मान। जब तक मेरी उँगलियों में जान है, मैं सिलाई करूंगी। तेरी फीस भरने के लिए चाहे मुझे दिन-रात मशीन चलानी पड़े, मैं चलाऊँगी। तू बस पढ़ाई मत छोड़।”
लेकिन आरव ने वहीं भी चोट की। उसने करन की माँ को काम दिलाने वालों तक अपना असर दिखाया। अचानक ऑर्डर बंद हो गए। सिलाई मशीन खामोश हो गई। घर की आय का आखिरी सहारा भी टूट गया।
करन ने माँ को टूटी आंखों से देखा।
“अम्मा… ये सब आरव की वजह से हो रहा है। वो चाहता है कि मैं झुक जाऊँ, अपने सपने छोड़ दूँ।”
माँ ने उसके कंधे पर हाथ रखा और धीमी आवाज़ में बोलीं,
“बेटा, इंसान की मेहनत और सच्चाई कोई नहीं छीन सकता। हाँ, राहें मुश्किल जरूर होंगी, लेकिन तू अपने सपने मत छोड़ना। तेरे बाबूजी भी यही चाहते थे कि तू पढ़-लिखकर वो हासिल कर जो हम कभी न कर पाए।”
करन की आंखों में आँसू थे, लेकिन उनमें आग भी जल रही थी।
“अम्मा, मैं टूटूँगा नहीं। चाहे आरव मेरी राह में कितने ही कांटे बिछा दे, मैं हार नहीं मानूंगा। मैं अनाया का हाथ थामकर उसे दिखाऊंगा कि गरीब का बेटा भी अपनी मेहनत से आसमान छू सकता है।”
उधर, आरव अपनी ऊंची इमारत की बालकनी से शहर को देख रहा था। उसके चेहरे पर वही घमंडी मुस्कान थी।
“करन… मैंने तेरी नौकरी छीनी, तेरी माँ का सहारा छीना। अब देखते हैं तू अपने सपनों को कैसे बचाएगा। तुझे अपनी गरीबी ही निगल जाएगी। और जब अनाया तुझसे मुंह मोड़ेगी, तब वो खुद मेरे पास आएगी।”
उसकी आँखों में अंधेरा और होंठों पर ज़हरीली हँसी थी। ये साफ़ था—आरव की चाल अभी शुरू हुई थी, और करन की लड़ाई और कठिन होने वाली थी।
करन की जिंदगी अब और मुश्किलों से गुजरने लगी। फैक्ट्री की नौकरी छूट चुकी थी, माँ के सिलाई के काम पर भी ताला लग गया था। घर में जैसे उदासी का साया छा गया। लेकिन करन ने हार नहीं मानी। सुबह कॉलेज में क्लास करता, दोपहर को किसी दुकान में सामान ढोता, कभी होटल में बर्तन साफ करता, तो कभी रिक्शा खींचने वालों के साथ मजदूरी कर लेता।
उसकी जेब हमेशा खाली रहती थी, मगर उसकी आँखों में उम्मीद अब भी जलती थी। वो हर रात माँ के पास बैठकर कहता—
“अम्मा, बस कुछ दिन और। एक दिन मेरी मेहनत रंग लाएगी। मैं आपको इस गरीबी से निकालकर अच्छे दिनों की तरफ ले जाऊँगा।”
माँ की आँखें भर आतीं, मगर वो बेटे के माथे पर हाथ रखकर मुस्कुरा देतीं।
“बेटा, मैं तुझ पर गर्व करती हूँ। तेरा हौसला ही सबसे बड़ी दौलत है।”
लेकिन आरव शांत नहीं बैठा। उसने देख लिया था कि करन चाहे कितनी भी मुश्किलों में हो, अनाया उसका साथ नहीं छोड़ रही। यही उसकी सबसे बड़ी जलन थी।
आरव ने एक नई चाल चली। उसने अनाया के कॉलेज में चैरिटी फंड के नाम पर बड़ी रकम दान की। अचानक कॉलेज में हर जगह उसकी तस्वीरें और नाम फैल गए। लोग कहते—
“देखो, आरव कितना बड़ा दिल वाला है। कितना दौलतमंद और हैंडसम है। सच में, अनाया जैसी लड़की का हमसफ़र वही हो सकता है।”
धीरे-धीरे कॉलेज में अफवाहें फैलने लगीं।
“अनाया क्यों उस गरीब करन से जुड़ी है? वो तो आरव जैसी शान-शौकत की हक़दार है।”
अनाया को यह बातें चुभतीं, मगर उसने कभी करन से कुछ नहीं कहा। उसके दिल में करन ही था, और वही रहेगा।
एक शाम, जब करन थका-हारा होटल से लौट रहा था, उसने देखा कि कॉलेज के बाहर आरव अनाया से बात कर रहा था। आरव के चेहरे पर वही घमंडी मुस्कान थी।
“अनाया, तुम जानती हो मैं तुम्हें हर सुख दे सकता हूँ। ये गरीब करन तुम्हें सिर्फ तकलीफ देगा। सोचो… तुम्हारी जिंदगी मेरे साथ कितनी आसान हो जाएगी।”
अनाया ने गुस्से से उसकी ओर देखा।
“आरव! मुझे तेरी दौलत से कोई मतलब नहीं। मेरे लिए करन की सच्चाई ही सबसे बड़ी दौलत है। और याद रख—मैं किसी भी हालत में उसे छोड़ने वाली नहीं हूँ।”
आरव ने हल्की हँसी हँसकर कहा,
“अनाया, आज तुम ये कह रही हो। लेकिन जब करन अपनी गरीबी से टूट जाएगा, जब उसके पास न पढ़ाई के पैसे होंगे, न नौकरी, और न ही जीने का सहारा… तब तुम खुद सोचोगी कि तुम्हारी जगह मेरे पास है।”
करन ने ये बातें दूर से सुन ली थीं। उसके दिल पर चोट पड़ी, मगर उसने खुद को संभाला। वह जानता था कि आरव की ये चाल अनाया को कमजोर करने के लिए थी। उस रात उसने अनाया से कहा—
“अनाया, मैं तुझे कभी दुखी नहीं देखना चाहता। अगर मेरी गरीबी तुझे बोझ लगे, तो मैं…”
अनाया ने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया और आँखों में आँसू भरकर कहा,
“करन! ऐसी बातें मत कर। तू मेरी ताक़त है, बोझ नहीं। मैं तेरे साथ हर हाल में खड़ी हूँ। चाहे आरव पूरी दुनिया की दौलत मेरे सामने रख दे, मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगी।”
करन ने उसे सीने से लगा लिया। उसकी आँखों से आँसू गिर रहे थे, लेकिन उनमें अब भी आग थी।
“अनाया, मैं तेरे लिए, माँ के लिए और अपनी खुद की इज्ज़त के लिए इस गरीबी से जीतकर दिखाऊँगा। चाहे आरव कितनी भी चालें चले, मैं पीछे नहीं हटूँगा।”
उधर, आरव अपने आलीशान घर में खड़ा शहर की रोशनी देख रहा था। उसने अपने आदमी से कहा—
“अब वक्त आ गया है करन को पूरी तरह तोड़ने का। उसकी माँ, उसका मोहल्ला, उसकी पढ़ाई—सब कुछ उससे छीन लो। जब उसके पास सिर्फ निराशा रह जाएगी, तब अनाया खुद मेरे कदमों में आएगी।”
उसकी आँखों में जुनून और होंठों पर खतरनाक मुस्कान थी। आरव की नई साज़िश अब करन और अनाया की मोहब्बत की असली परीक्षा बनने वाली थी।
आरव की नई साज़िश धीरे-धीरे असर दिखाने लगी। उसने करन की माँ के आसपास के लोगों को पैसे और मदद का लालच देना शुरू किया। मोहल्ले में जो लोग अब तक करन और उसकी माँ का सहारा बने हुए थे, वो भी धीरे-धीरे आरव के चक्कर में आने लगे।
एक दिन मोहल्ले के कुछ लोग करन की माँ के घर आए और कहने लगे—
“बहनजी, देखो आरव साहब कितना बड़ा आदमी है। उसने मोहल्ले में पानी का नया नल लगवाने का वादा किया है, बच्चों की पढ़ाई के लिए भी पैसे दे रहा है। अगर हम सब उसका साथ देंगे, तो हम सबका भला होगा।”
करन की माँ ने साफ़ कहा—
“मुझे उसकी मदद नहीं चाहिए। मेरा बेटा अपनी मेहनत से बड़ा बनेगा। हम किसी अमीर के टुकड़ों पर जीने वाले नहीं हैं।”
लेकिन लोग फुसफुसाते हुए जाने लगे—
“ये औरत पागल है। गरीब होकर भी घमंड करती है। बेटे को संभालेगी कैसे?”
करन कॉलेज से लौटा तो उसने माँ के चेहरे पर चिंता की लकीरें देखीं।
“अम्मा, क्या हुआ?”
माँ ने धीरे से कहा,
“बेटा, मोहल्ले वाले अब बदलते जा रहे हैं। सबको आरव का असर चुभा रहा है। शायद जल्द ही वो हमारे खिलाफ खड़े हो जाएं।”
करन की आंखों में दर्द तैर गया।
“अम्मा, ये सब मेरी वजह से हो रहा है। लेकिन मैं हार नहीं मानूँगा। चाहे पूरी दुनिया मेरे खिलाफ हो जाए, मैं तुम्हें और अनाया को कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।”
इधर, आरव ने अगला वार किया। उसने करन की कॉलेज फीस भरने के लिए फंड बंद करवा दिया। जब करन फीस भरने कॉलेज गया, तो क्लर्क ने कहा—
“अगर एक हफ्ते में पूरी रकम जमा नहीं की, तो नाम काट दिया जाएगा।”
करन के पाँव जैसे ज़मीन में धंस गए। जेब में कुछ सिक्के थे, जो मुश्किल से माँ के दवाई के काम आते थे। वो बाहर आया और एक कोने में बैठकर सिर पकड़ लिया।
इसी बीच, आरव वहाँ अपनी कार से आया। उसके चारों ओर दोस्तों का झुंड था। वो जानबूझकर करन के पास आकर रुका और मुस्कुराकर बोला—
“क्या हुआ करन? फीस नहीं भर पाए? देख ले, यही फर्क है तेरी गरीबी और मेरी अमीरी का। अनाया जैसी लड़की तेरे साथ कब तक रहेगी? आखिरकार उसे मेरी दुनिया में ही आना होगा।”
करन ने गुस्से से उसकी ओर देखा, मगर चुप रहा। आरव की ठंडी हँसी उसके कानों में गूंजती रही।
शाम को जब करन घर पहुँचा, तो उसने माँ को और भी टूटते देखा। काम न होने की वजह से वो बीमार पड़ चुकी थीं। उनके हाथ कांप रहे थे, आँखें धुंधली हो गई थीं। फिर भी वो बेटे को देख मुस्कुराईं और बोलीं—
“बेटा, तू हार मत मान। तेरी मेहनत ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।”
करन ने उनका हाथ थाम लिया और आँसू रोकते हुए कहा—
“अम्मा, मैं सब ठीक करूँगा। चाहे मुझे अपनी जान क्यों न देनी पड़े।”
उस रात, करन अकेले छत पर बैठा आसमान की ओर देख रहा था। सितारों के बीच उसे अपने सपनों की झलक दिखाई दे रही थी। लेकिन कहीं न कहीं उसे लग रहा था कि आरव की चालें उसके सपनों को निगल लेंगी।
वहीं, दूसरी ओर अपने आलीशान घर में आरव शराब का गिलास हाथ में लिए बैठा था। उसने अपने आदमी से कहा—
“अब करन को इतना तोड़ दो कि वो कॉलेज छोड़ दे, मोहल्ले वाले उसे धिक्कारने लगें और उसकी माँ भी मजबूरी में मेरे आगे हाथ जोड़ दे। जब वो हर तरफ से हार जाएगा, तब अनाया खुद मेरे पास आएगी।”
उसकी आँखों में नशे और जुनून की चमक थी। साजिश पूरी तरह बुन चुकी थी—अब अगला कदम सिर्फ उसे अमल में लाना था।
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करन की ज़िंदगी अब एक और मोड़ पर आ खड़ी हुई थी। कॉलेज में फीस भरने का संकट, मोहल्ले वालों का बदलता रवैया और माँ की बिगड़ती तबीयत — सबने मिलकर उसका दिल भारी कर दिया। लेकिन इन सबसे ज्यादा उसे चुभ रही थी अनाया की आँखों की बेचैनी।
अनाया ने कई बार कोशिश की कि करन की मदद करे। कभी चुपके से उसके बैग में पैसों का लिफाफा रख देती, कभी कॉलेज की लाइब्रेरी में फीस के नाम पर उसकी ओर धकेल देती। एक बार तो उसने खुलेआम कहा—
“करन, ये पैसे रख लो। इसमें तुम्हारी कोई बेइज्ज़ती नहीं है। प्यार में देना और लेना बराबर होता है।”
लेकिन करन ने हर बार उसका हाथ थामकर पैसे लौटा दिए।
“अनाया, मैं तेरी मोहब्बत का कर्जदार हूँ, मगर तेरे पैसों का बोझ कभी नहीं उठा सकता। जब तक मैं खुद अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता, मैं तुझे अपना कहने का हकदार नहीं हूँ।”
उसकी ये बातें अनाया को और भी तोड़ देतीं, मगर करन की खुद्धारी उसे कभी झुकने नहीं देती।
धीरे-धीरे करन ने अनाया से दूरी बनानी शुरू कर दी। कॉलेज में जब अनाया उसे ढूँढती, तो वो नज़रें चुराकर निकल जाता। गलियारे में उसके कदम तेज़ हो जाते, और लाइब्रेरी में उसके पीछे देखे बिना निकल जाता।
अनाया की बेचैनी अब दीवानगी में बदल रही थी।
“क्यों करन मुझसे दूर जा रहा है? क्या उसका प्यार अब बदल गया है? या उसने किसी और को चुन लिया है?”
रातों को अनाया करवटें बदलती रहती। उसकी आँखों में आँसू और दिल में सवाल ही सवाल थे। वो करन के बिना एक पल भी सोच नहीं सकती थी।
आख़िरकार, एक दिन उसने उसे रोक ही लिया। कॉलेज के गेट पर करन जल्दी-जल्दी बाहर निकल रहा था कि अनाया ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।
“करन! क्यों भागते हो मुझसे? क्यों मेरी आँखों से नजरें चुराते हो? मैंने क्या गुनाह किया है?”
करन ने गहरी सांस ली, उसका दिल भी चीख रहा था, मगर होंठों पर मजबूरी थी।
“अनाया, तू मेरी दुनिया है… मगर सच ये है कि मैं अभी तेरे काबिल नहीं हूँ। तेरे पापा अर्जुन ने तुझे राजकुमारी की तरह पाला है। और मैं? मैं तो अपनी माँ के लिए दवाइयाँ तक सही से नहीं ला पाता। तुझे वो सब नहीं दे सकता, जिसकी तू हक़दार है। इसीलिए मैं खुद ही पीछे हट रहा हूँ।”
अनाया ने चीखते हुए कहा—
“करन! प्यार काबिलियत से नहीं तौला जाता। मेरे लिए तू ही सबकुछ है। तेरी गरीबी, तेरी मुश्किलें… सब मेरी भी हैं। अगर तू मुझसे दूर जाएगा तो मैं पागल हो जाऊँगी।”
लोग इकट्ठा होने लगे, मगर अनाया की परवाह न थी। उसके आँसू और करन की चुप्पी सबको चुभ रही थी।
करन ने धीरे से उसका हाथ छोड़ा और सिर झुकाकर चला गया। पीछे मुड़ने की हिम्मत उसमें नहीं थी। वो जानता था कि उसका ये फैसला अनाया के दिल को तोड़ देगा, मगर उसके लिए यही सही था।
उधर, दूर से ये सब देख रहा आरव अपने कार में बैठा हंस रहा था।
“वाह करन… तूने खुद ही अपनी मोहब्बत को मेरे हवाले करने का इंतज़ाम कर दिया। अब देखना, मैं इस दीवानगी का कैसे फायदा उठाता हूँ।”
आरव की आँखों में चालाकी और होंठों पर जीत की मुस्कान थी। खेल अब और खतरनाक होने वाला था।
अनाया दिन-ब-दिन बेचैन होती जा रही थी। करन से दूरी उसके दिल को काटने लगी थी। कॉलेज में वो हर जगह सिर्फ करन को ढूँढती—क्लास में, कैंटीन में, लाइब्रेरी में—मगर करन हर बार उससे बचकर निकल जाता।
उसकी सहेलियाँ पूछतीं—
“अनाया, तेरा चेहरा इतना बुझा-बुझा क्यों है? क्या करन से झगड़ा हुआ है?”
अनाया बस मुस्कुरा कर टाल देती, लेकिन उसकी आँखों का दर्द सब बयान कर देता।
इसी बीच, आरव ने अपनी चाल चलनी शुरू कर दी। कभी वो गाड़ी से अनाया के पास आकर कहता—
“अनाया, तू इतना परेशान क्यों है? तुझे जिस ऐशो-आराम की ज़रूरत है, वो करन क्या देगा? देख, मेरे पास सब है—दौलत, शोहरत, और तेरे लिए दीवानगी। बस एक हाँ कर दे, सारी दुनिया तेरे कदमों में होगी।”
अनाया उसकी ओर गुस्से से देखती और सख़्त लहजे में कहती—
“आरव, मेरी दुनिया सिर्फ करन है। तू चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, तेरे लिए मेरे दिल में कभी जगह नहीं बनेगी। तेरी दौलत, तेरी शोहरत, तेरे महंगे कपड़े… सब बेकार हैं मेरे लिए। मैं सिर्फ उस लड़के को चाहती हूँ, जो अपनी माँ की दवाइयाँ छोड़कर भी मेरे लिए मुस्कुरा सकता है।”
आरव का चेहरा लाल हो जाता। उसकी आदत थी कि हर चीज़ पैसे और ताक़त से मिल जाती थी। लेकिन अनाया के इनकार ने उसकी अहम को ठेस पहुँचाई।
“देख लेना, अनाया। तेरी ये जिद एक दिन तुझे ही तोड़ेगी। करन को मैं इस तरह गिरा दूँगा कि तुझे खुद मुझसे मदद माँगनी पड़ेगी।”
आरव चला गया, मगर अनाया वहीं खड़ी रही। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, मगर दिल में करन के लिए प्यार और भी मज़बूत हो गया था।
रात को जब वो अकेली अपने कमरे में थी, तो उसने आईने में खुद से कहा—
“करन चाहे मुझसे दूरी बना ले, मगर मैं उसे कभी अकेला नहीं छोड़ूँगी। चाहे पूरी दुनिया मेरे खिलाफ क्यों न हो, मेरा दिल सिर्फ उसी का है। आरव की दौलत मेरे लिए धूल है, और करन की मेहनत मेरे लिए इज्ज़त।”
दूसरी तरफ, करन अपने कारखाने की शिफ्ट पूरी करके थका-हारा घर लौटा। माँ के पास बैठकर उसने सोचा—
“अनाया… तुझे दूर करके मैं खुद को ही तोड़ रहा हूँ। मगर जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता, तेरे पास जाने का हकदार नहीं हूँ।”
इसी बेचैनी और खामोशी के बीच तीनों की ज़िंदगी एक ऐसे मोड़ पर पहुँच रही थी जहाँ हर अगला कदम नई आग, नया इम्तिहान और नई जंग लेकर आने वाला था।
एक शाम अनाया की बेचैनी हद से ज़्यादा बढ़ गई। कॉलेज में उसने करन को देखा भी, मगर वो फिर से नज़रें झुकाकर निकल गया। अनाया का दिल चीख उठा।
“बस! अब और नहीं। चाहे करन मुझे कितना भी दूर भगाए, मैं उसके सच को जानकर रहूँगी।”
रात होते ही अनाया बिना किसी को बताए करन के घर पहुँच गई। छोटा-सा टूटा-फूटा मकान… दरवाजे के पास टिमटिमाती बल्ब की रोशनी… और अंदर से आती मशीन की आवाज़—जहाँ उसकी माँ सिलाई कर रही थी।
अनाया ने धीरे से दरवाज़ा खटखटाया।
दरवाज़ा खोलते ही करन की माँ सामने खड़ी थीं। एक साधारण औरत, थकी हुई आँखें मगर चेहरे पर सादगी और अपनापन।
“बेटी, तुम…?” उन्होंने हैरानी से कहा।
अनाया हाथ जोड़कर बोली—
“माँ… मैं अनाया हूँ। करन की… दोस्त नहीं, उसका सबकुछ। आपसे मिलने आई हूँ।”
करन की माँ ने पलभर के लिए उसे गौर से देखा, फिर मुस्कुराईं।
“आओ बेटी, अंदर आओ। करन तो फैक्ट्री गया है, अभी देर से आएगा।”
अनाया घर के अंदर गई। चारों तरफ साधारण फर्नीचर, कुछ सिलाई मशीनें, और दवाइयों की छोटी डिब्बियाँ। ये सब देखकर उसकी आँखें भर आईं।
“माँ… आप अकेले इतने काम करती हैं?”
करन की माँ ने सिर झुकाकर कहा—
“क्या करें बेटी, मजबूरी है। करन पढ़ाई करता है, और शाम को काम भी करता है। वो चाहता है कि मैं आराम करूँ, मगर मैं माँ हूँ… अपने बेटे पर बोझ कैसे बनूँ?”
अनाया की आँखों से आँसू छलक पड़े। उसने माँ के हाथ थाम लिए।
“माँ, आप अकेली नहीं हैं। मैं आपके साथ हूँ। करन को शायद लगता है कि उसकी गरीबी हमारी मोहब्बत के बीच दीवार है, लेकिन मेरे लिए वो दीवार नहीं, उसकी सबसे बड़ी पहचान है। मैं उसे छोड़ नहीं सकती।”
इतना कहते ही अनाया रो पड़ी। करन की माँ ने उसके आँसू पोंछे और बहुत नरमी से बोलीं—
“बेटी, तू सच्चे दिल से करन से मोहब्बत करती है, ये तो मैं तेरी आँखों से देख रही हूँ। मगर करन… उसकी खुद्धारी बहुत बड़ी है। वो जब तक खुद कुछ नहीं बन जाता, तुझे अपनाने से डरता रहेगा।”
तभी दरवाज़े पर आहट हुई। करन लौट आया था। थका-हारा, पसीने से लथपथ। उसने अनाया को माँ के पास बैठे देखा तो ठिठक गया।
“अनाया…! तू यहाँ…?” उसकी आवाज़ में हैरानी और बेचैनी थी।
अनाया उठी और सीधा उसकी आँखों में देखती हुई बोली—
“हाँ करन, मैं यहाँ हूँ। अब तू मुझे कितना भी दूर भगाए, मैं तुझसे दूर नहीं जाऊँगी। तेरी गरीबी मुझे मंज़ूर है, तेरी मुश्किलें मुझे मंज़ूर हैं, बस तू मुझे अपनी ज़िंदगी से मत निकाल।”
करन की आँखें भी भर आईं। वो कुछ कहना चाहता था, मगर उसकी ज़बान जैसे बंध गई थी। 👉🏻🪴💗🍁💐