ये सुन कर प्रीतम ने बोला कोई नहीं है?मुझे तो लगा था तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड होंगा। नीलिमा ने हंस के कहा अच्छा तुम्हे ऐसा लगा? पर मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है।प्रीतम ने मन ही मन भगवान को थैंक्यू बोला और सोचा आज सब पूछ ही लेता हूं।प्रीतम अपनी सोच से बाहर आया ओर बोला अच्छा नीलिमा एक बात पूछू बुरा तो नहीं मानोगी?नीलिमा ने कहा नहीं नहीं बोलो ना मुझे बुरा नहीं लगेगा।
प्रीतम ने थोड़ा झिझकते हुए पूछा नीलिमा एक बात बताओ तुम्हे कैसा लड़का पसंद है मतलब कि कैसे लड़के से तुम्हे दोस्ती करना पसंद है?क्या आकाश तुम्हारा बहुत अच्छा दोस्त है?प्रीतम एक सांस में ही सब बोल गया!नीलिमा प्रीतम की ओर ही देखे जा रही थी,वो बोली नहीं आकाश मेरा दोस्त नहीं मेरा कजिन है बुआ का बेटा।प्रीतम ये सुनकर खुशी से उछल पड़ा ये देख नीलिमा चौंकते हुए बोली क्या हुआ प्रीतम?
प्रीतम ने कहा कुछ नहीं अच्छा तुमने ये नहीं बताया तुम्हे कैसा लड़का पसंद है?नीलिमा ने बोला वो तो सोचा नहीं है बाद में बताऊंगी।प्रीतम ने कहा पर बताना जरूर।नीलिमा ने कहा हा जरूर बताऊंगी।फिर दोनों ने थोड़ी देर बाते की ओर घर के लिए निकल गए।वो जा ही रहे थे तभी आकाश ओर विष्णु भी वह आ गए।आकाश नीलिमा से कुछ बोले उससे पहले विष्णु ने आकाश से बोला आकाश प्रीतम नीलिमा के साथ जा रहा है तो क्यू ना हम दोनों साथ चले?
ये सुन नीलिमा बोली ठीक हैं विष्णु तुम आकाश के साथ जाना चाहते हो तो में प्रीतम के साथ चली जाती हु।आकाश ने बाइक स्टार्ट की ओर विष्णु आकाश के पीछे बैठ गया,जाते जाते वो प्रीतम से बोला कॉफी शॉप पर जाके आना तुम बोल रहे थे ना जाने का तो,ये सुनकर प्रीतम जल्दी से बोला नहीं नहीं हम घर ही आ रहे है।विष्णु ने अपना माथा पीटा और मन में ही बोला इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता।विष्णु ओर आकाश चले गए।प्रीतम ने बाइक स्टार्ट की ओर नीलिमा को बैठने के लिए बोला।
नीलिमा प्रीतम के पीछे बैठ गई और दोनों चल दिए।दोनों चुपचाप बैठे थे,प्रीतम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था तभी उसकी नजर बाइक के साइड मिरर पे गई उसमें नीलिमा का चेहरा दिख रहा था वो उसे देख मुस्कुरादिया।प्रीतम ने ट्रैफिक की वजह से अचानक से ब्रेक लगाई तो नीलिमा का हाथ प्रीतम के कंधे पर चला गया ये देख प्रीतम की धड़कने बढ़ गई।प्रीतम ने नीलिमा को उसके घर पे छोड़ा और खुद घर पे चला गया।विष्णु ओर मनीष दोनों सोफे पे बैठे थे,प्रीतम को देख विष्णु बोला अरे तू सच में चला आया कॉफी शॉप नहीं गया था ?
प्रीतम ने इशारे से बताया पापा है ,मनीष ने ये देख लिया ओर बोला बेटा पापा को सब पता है इसलिए मैंने तुझे बड़ा किया है कि तू ऐसी हरकते करे? मेरी होने वाली बहु को कॉफी शॉप तक भी नहीं ले जा सका!प्रीतम ने कहा पापा ऐसा कुछ नहीं है वो तो बस सिर्फ दोस्त हैं।पापा ने बोला बेटा तो अब दोस्ती को प्यार तक कब लेजाएंगा?प्रीतम शर्मा गया ओर मनीष की गोद में सर रखते हुए बोला क्या पापा आप भी ....मनीष ने प्यार से प्रीतम के सिर पर हाथ फेरा और बोला बेटा उसे जल्दी से अपने दिल की बात बता देना कही देर ना हो जाए प्रीतम ने मनीष की ओर देखते हुए हा में सिर हिला दिया।तभी विष्णु बोला पापा मुझे भी प्यार करो में रह गया ऐसा बोलकर वो भी मनीष की गोद में सर रख के लेट गया।मनीष बोला ऐसे कैसे रह गया तू तो मेरा राजा बेटा है ऐसा कह के उसके सिर में भी प्यार से हाथ फेरने लगे।फिर बोले चलो हाथ मुंह धोलो दोनों आज मैने अपने हाथ से खाना बनाया है आज मेड नहीं आई है।
दूसरी ओर नीलिमा घर पहुंच के अपने कमरे में जाके फ्रेश होकर बेड पर लेटी थी उसे बार बार प्रीतम का चेहरा नजर आ रहा था उसकी भोली सी शकल,उसका शर्माना,मुस्कुराना वो ये सब सोच सोच कर मुस्कुरा रही थी।उसके दिल में भी कही ना कही प्रीतम के लिए फीलिंग्स जग रही थी।तभी उसकी मां कमरे में आते हुए बोली क्या बात है नीलिमा आज बहुत खुश नजर आ रही हो?नीलिमा ने कहा कुछ नहीं मम्मा बस ऐसे ही,तभी उसकी मां बोली ठीक हैं बेटा जो भी बात हो बस हमेशा ऐसे ही खुश रहो ओर ये कह के कमरे से बाहर चली गई।
दूसरे दिन कॉलेज में नीलिमा की आंखे प्रीतम को ढूंढ रही थी पर प्रीतम नजर नहीं आ रहा था तभी आकाश आया ओर बोला नीलिमा किसे ढूंढ रही हो? नीलिमा ज़ेंबते हुए बोली कुछ नहीं,में बस ऐसे ही देख रही थी।आकाश बोला में जानता हु प्रीतम को ढूंढ रही हो वो अभी नहीं आया ये सुनकर नीलिमा बोली क्यू नहीं आया?क्या हुआ?आकाश ने मुस्कुराके कहा परेशान मत हो वो सिर्फ लेट हुआ है अभी आ जाएगा।नीलिमा ये सुनकर ठीक है कह के क्लासरूम में चली गई।थोड़ी देर बाद प्रीतम ओर विष्णु कॉलेज आ गए वो क्लास की ओर जा ही रहे थे तभी एक लड़के ने आकर प्रीतम को एक कागज दिया प्रीतम ने उसे खोला तो उसमें लिखा था नीलिमा को ब्लू कलर बहुत पसंद है। प्रीतम सोच में पद गया कि ये किसने भेजा उसने उस लड़के से पूछना चाहा तो वो जा चुका था।अब रोज यही होता था प्रीतम को ऐसे ही चिट्ठियां मिलती थी जिसमें नीलिमा के बारे में लिखा होता था प्रीतम ओर विष्णु ने जानने की कोशिश की पर पता नहीं लगा पाए।
प्रीतम ओर नीलिमा अब अच्छे खासे दोस्त बन चुके थे,एक दूसरे को पसंद करते थे पर दो नो इस बात से अनजान थे।प्रीतम को लगता था सिर्फ वो पसंद करता है नीलिमा सिर्फ दोस्त मानती है और नीलिमा भी ऐसा ही सोचती थी।एक दिन प्रीतम को फिर से चिट्ठी मिली उसमें लिखा था नीलिमा भी तुम्हे पसंद करती है उसके मोबाइल में तुम्हारा नंबर "प्रीत" के नाम से सेव है।ये पढ़ के प्रीतम मानो पागल हो गया ओर खुशी से उछल पड़ा,विष्णु ने पूछा क्या हुआ तो प्रीतम ने वो कागज दिखाया विष्णु भी ये पढ़ कर खुश हो गया ओर प्रीतम को जोर से गले लगा लिया।उसी दिन नीलिमा को भी एक कागज मिला उसमें लिखा था सिर्फ तुम ही नहीं प्रीतम भी तुम्हे पसंद करता है उसके मोबाइल में तुम्हारा नंबर "नीलू" के नाम से सेव है,ये सुन नीलिमा खुश भी हुई और कन्फ्यूज भी हुई।वो सोच में पड़ गए ये कागज किसने भेजा और क्यू?