Why do husbands and wives drift apart? Deep insights from the path of devotion in Hindi Love Stories by Hemant Bhangawa books and stories PDF | पति - पत्नी क्यों दूर होने लगते हैं ? भक्ति मार्ग की गहरी बात

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पति - पत्नी क्यों दूर होने लगते हैं ? भक्ति मार्ग की गहरी बात

राधे – राधे 🙏पति–पत्नी का संबंध केवल दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि दो आत्माओं का एक दिव्य संगम है। यह रिश्ता तभी फलता है, जब इसके भीतर प्रेम, विश्वास और भगवान का भाव जीवित रहता है। लेकिन कई बार समय के साथ दोनों के बीच दूरी आने लगती है — मन की, हृदय की और व्यवहार की। यह दूरी किसी एक गलती से नहीं बनती, बल्कि धीरे–धीरे कुछ कारणों से जन्म लेती है।

सबसे महत्वपूर्ण कारण है अपेक्षा।पति सोचता है कि पत्नी मेरे मन की हर बात समझे, और पत्नी सोचती है कि पति मेरे दिल के छोटे–छोटे संकेतों को पढ़ ले। लेकिन वास्तविकता यह है कि दोनों की सोच, भाषा और भावनाओं की प्रकृति अलग होती है।जब अपेक्षाएँ पूरी नहीं होतीं, तब मन खिन्न होता है और दूरियाँ बढ़ने लगती हैं।

दूसरा कारण है संवाद का कम होना।शुरू में पति–पत्नी हर बात साझा करते हैं, लेकिन धीरे–धीरे जीवन की व्यस्तताओं में संवाद कम होता जाता है। फिर मन में अनकही बातें जमा होती जाती हैं—और अनकही बातें ही रिश्तों के बीच सबसे बड़ी दीवार बनती हैं।

तीसरा कारण है अहंकार।अहंकार कहता है— “मैं क्यों समझूँ?”और प्रेम कहता है— “तुम ठीक रहो, वही पर्याप्त है।”जहाँ अहंकार प्रवेश करता है, वहाँ भगवान स्वयं बाहर चले जाते हैं। इसलिए हृदय में विनम्रता का रहना रिश्ते को जीवित रखता है।

चौथा कारण है समय का अभाव।पति सोचता है— मैं कमाता हूँ, यह ही काफी है।पत्नी सोचती है— मैं सेवा कर रही हूँ, यह ही पर्याप्त है।पर दोनों भूल जाते हैं कि —रिश्ते को चलाने के लिए न धन चाहिए, न काम… बस थोड़ा सा समय चाहिए।एक कप चाय साथ पी लेना, दिन भर की बातें साझा कर लेना — इतना भी बहुत होता है।

पाँचवाँ कारण है भगवान का नाम जीवन से हट जाना।जहाँ ईश्वर का नाम, भजन, या आध्यात्मिकता नहीं होती, वहाँ घर में मन की गर्मी बढ़ जाती है।जिस गृहस्थ में पति–पत्नी प्रतिदिन 2 मिनट “राधे–राधे” जप भी साथ करें — वहाँ झगड़े अपने आप शांत हो जाते हैं।

परंतु इन दूरियों का समाधान बहुत सरल है —

● प्रतिदिन थोड़ी देर साथ बैठें

● एक-दूसरे की बात बिना टोके सुनें

● गलती हो जाए तो तुरंत क्षमा माँगें

● कठोर शब्दों को त्यागें

● भगवान के नाम को घर की श्वास बनाएं

और सबसे महत्वपूर्ण—एक-दूसरे को भगवान द्वारा भेजा साथी मानें।

संबंध तब मजबूत होता है जब पति पत्नी की आत्मा को समझे और पत्नी पति के मन को। जहाँ सेवा है, वहाँ भक्ति है। जहाँ सम्मान है, वहाँ प्रेम है। और जहाँ प्रेम है, वहाँ भगवान हैं।

अंत में — पति–पत्नी दूर इसलिए नहीं होते क्योंकि प्रेम खत्म हो जाता है,वे दूर इसलिए होते हैं क्योंकि प्रेम को समय, समझ और भक्ति नहीं मिलती।

यदि दोनों प्रतिदिन थोड़ी–सी भक्ति और मधुरता जोड़ दें — तो हर घर छोटा–सा वृंदावन बन सकता है।

रिश्ते निभते है दिल की नर्मी से, न कि शब्दों की गर्मी से। जहाँ पति-पत्नी एक-दूसरे को ईश्वर का अंश मान लेते हैं, वहाँ प्रेम भी पवित्र हो जाता  है और घर भी मंदिर । राधे-राधे का नाम हो, तो हर दूरी मिट जाती है।

राधे कृष्णा श्रेयं दधातु,

गृहस्थस्य मंगलं भवतु ।

प्रेमो नित्यं वर्धताम्।"

राधे–राधे 🙏💛