The Silent Painting’s First Breath - 2 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | इश्क के साये में - एपिसोड 2

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इश्क के साये में - एपिसोड 2


🌑 एपिसोड 2: डर से भरोसे तक


कमरे में अब भी वही अजीब-सी ठंड थी, जैसे दीवारों के भीतर कोई अनकही साँसें घूम रही हों।

आरव अपनी जगह जड़ बना खड़ा था—आँखें सामने तैरती उस आकृति पर टिकी हुईं।


वह लड़की…

अब पूरी तरह पेंटिंग से बाहर आ चुकी थी।


उसके चेहरे पर डर नहीं था, बल्कि एक थकी हुई शांति—जैसे सदियों बाद किसी ने उसका नाम पुकारा हो।


“तुम सच में… हो?”

आरव की आवाज़ काँप रही थी।


लड़की ने धीरे से सिर हिलाया।

“हाँ। और तुम सच में मुझे देख पा रहे हो… यही सबसे हैरानी की बात है।”


आरव ने अनजाने में दो कदम पीछे हटते हुए कहा,

“तुम… तुम भूत हो?”


उसके होंठों पर एक हल्की, दर्दभरी मुस्कान आई।

“अगर भूत वो होता है जिसे लोग डर से याद करते हैं… तो शायद नहीं।

और अगर रूह वो होती है जो अधूरी रह जाए… तो हाँ।”


कमरे में सन्नाटा पसर गया।


आरव ने गहरी साँस ली।

उसका दिमाग़ भागना चाहता था, लेकिन दिल…

दिल अजीब तरह से रुक गया था।


“तुम्हारा नाम?”

यह सवाल उसके मुँह से अपने आप निकल गया।


लड़की चौंकी।

“नाम…”

उसकी आँखों में पुरानी यादें तैर गईं।

“बहुत समय हो गया किसी ने मुझसे यह पूछा।”


वह कुछ पल खामोश रही, फिर बोली—

“अनाया।”


यह नाम हवा में घुल गया।


“अनाया,” आरव ने धीरे से दोहराया।

और उसी पल उसे एहसास हुआ—

डर थोड़ा कम हो गया था।



---


अनाया कमरे में तैरते हुए खिड़की के पास गई। बाहर बारिश अब भी गिर रही थी।


“तुम यहाँ कैसे आईं?” आरव ने पूछा।

“मतलब… उस पेंटिंग में?”


अनाया की आँखें भर आईं।

“वो कहानी लंबी है। और बहुत दर्दनाक।”


आरव ने सिर झुका दिया।

“अगर तुम नहीं बताना चाहो—”


“नहीं,” उसने बात काट दी।

“मैं बताना चाहती हूँ।

क्योंकि तुम पहले इंसान हो… जिसे मैंने इतने पास महसूस किया है।”


उसके शब्दों में अकेलापन चीख रहा था।


“मुझे उस पेंटिंग में क़ैद कर दिया गया था,” अनाया ने कहा।

“किसी ने… जिसने मेरे प्यार से नफ़रत की।”


आरव की मुट्ठियाँ कस गईं।

“क़ैद? कैसे?”


“कला के नाम पर,” अनाया हँसी—लेकिन वह हँसी नहीं, एक ज़ख़्म था।

“किसी ने मेरी रूह को रंगों में बाँध दिया।

ताकि मैं कभी आज़ाद न हो सकूँ।”


कमरे की लाइट अचानक टिमटिमा उठी।


“मैं हर उस इंसान को देखती रही,” वह बोली,

“जो मुझे खरीदकर लाया…

लेकिन कोई मुझे देख नहीं पाया।

कोई मुझे सुन नहीं पाया।”


आरव का दिल भारी हो गया।


“तो मैं…?”

उसने सवाल पूरा नहीं किया।


“तुम अलग हो,” अनाया ने उसकी ओर देखा।

“शायद इसलिए क्योंकि तुम भी अधूरे हो।”


आरव चौंक गया।



---


वह सोफ़े पर बैठ गया, सिर दोनों हाथों में थामे।

“मेरी ज़िंदगी में भी एक खालीपन है,” उसने कबूला।

“मैं रंगों से सब कुछ बना सकता हूँ…

लेकिन अपनी तन्हाई नहीं मिटा पाया।”


अनाया उसके सामने आकर रुकी।

उनके बीच सिर्फ़ हवा थी—और फिर भी दूरी कम लग रही थी।


“शायद इसीलिए किस्मत ने हमें मिलाया,” उसने फुसफुसाकर कहा।


“किस्मत?”

आरव ने ऊपर देखा।

“या कोई सज़ा?”


अनाया ने कुछ नहीं कहा।

बस उसकी आँखों से एक आँसू फिसल गया—

जो ज़मीन तक पहुँचने से पहले ही गायब हो गया।


“मैं आज़ाद होना चाहती हूँ,” वह बोली।

“लेकिन…”

उसकी आवाज़ टूट गई।

“मुझे डर है।”


“किस बात का?” आरव ने पूछा।


“इस बात का कि आज़ादी के बाद…

मैं तुम्हें कभी नहीं देख पाऊँगी।”


ये शब्द सीधे आरव के दिल में उतर गए।


उसने अनजाने में हाथ आगे बढ़ाया—

उसे छूने के लिए।


लेकिन उसकी उँगलियाँ ठंडी हवा से टकरा गईं।


आरव ने हाथ पीछे खींच लिया।

उसकी आँखों में दर्द साफ़ था।


“मैं कुछ कर सकता हूँ?” उसने पूछा।

“तुम्हारे लिए?”


अनाया ने पहली बार सच्ची मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा।

“बस… मुझसे डरना बंद कर दो।”



---


घड़ी ने रात के दो बजाए।


कमरा अब उतना डरावना नहीं लग रहा था।


अनाया धीरे-धीरे वापस पेंटिंग की ओर बढ़ी।

“मुझे अभी जाना होगा,” उसने कहा।

“मैं ज़्यादा देर बाहर नहीं रह सकती।”


“तुम फिर आओगी?”

आरव के सवाल में उम्मीद थी।


“हर रात,” अनाया ने जवाब दिया।

“जब तक तुम मुझे देख पाते रहोगे।”


वह फिर से रंगों में समा गई।


कमरा शांत हो गया।


लेकिन आरव की दुनिया बदल चुकी थी।


उसने पेंटिंग की ओर देखा—

अब वह सिर्फ़ एक कलाकृति नहीं थी।


वह किसी की क़ैद थी।

और शायद…

किसी

की मोहब्बत की शुरुआत भी।



---


🌘 हुक लाइन (एपिसोड का अंत)


आरव नहीं जानता था कि जिस रूह से वह डरना छोड़ रहा है, वही रूह एक दिन उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी बनने वाली है…