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Manshi K

Manshi K Matrubharti Verified

@manshik094934
(149)

थक गई हूँ सबको दिखाते–दिखाते कि मैं मज़बूत हूँ,
मुस्कुराते–मुस्कुराते दिल का बोझ और भारी हो सा गया।
ये जो ख़ामोशी है न मेरी…
काश कोई इसे भी पढ़ पाता।

सबको लगता है मैं खुश हूँ,
हँसती हूँ, बोलती हूँ, लड़ती हूं , झगड़ती हूं
मगर कोई ये नहीं देखता कि
रातों को मेरी आँखें क्यों भीग जाती हैं?
परेशान होकर क्यों आंसू मुझसे ही रूठ जाती है?

काश कोई होता…
जो मेरी उलझी बातों में छुपे दर्द को सुन पाता,
जो पूछे बिना ही समझ लेता,
कि मेरी ख़ामोश रातें कितनी तन्हा होती हैं....

बस कोई ऐसा…
जो कहता — “रूठ जाया कर मुझसे, थक जाया कर इस दुनिया से,
मगर लौट आना मेरी बाहों में…
क्योंकि मैं समझता हूँ तुझे… तुम जैसी हो, वैसी ही…”

काश… कोई होता,
जिसकी आँखों में मैं अपना सुकून ढूँढ पाती,
जो मेरी कमज़ोरियों से भी मोहब्बत करता,
और बिना कुछ कहे…
मुझे अपना सा कर लेता,
पर हकीकत कुछ और ही नजर आता है!!!!

_Manshi K

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vakt vakt ki bat hai...
insanon ki tahzib pta chal hi jata h
jab jarurat hoti hai unki aksar
safar me yun hi sath chhor dete hai...

_Manshi K

आसमां से तोड़ कर कुछ अनगिनत तारे जमीं पर ले आएंगे
तुम मुझे ढूंढ न पाओ कुछ ऐसी सफर तय कर जायेंगे
मिलते हैं मुसाफ़िर बनकर यूं ही अंजाने रास्तों पर
भूल कर भी दिल किसी और से तुम्हारे सिवा न लगायेंगे
हम इतनी दूर चले जायेंगे,जहां से यादें भी सफर कर न पायेंगे....

मुझे पता है थोड़ी नाराज़गी है अभी मुझसे पर तुम्हे मनाने आयेंगे
लेकर तौफ़ा दिल का तुम्हें सौंप जायेंगे
छूना चाहे कोई तकलीफ तुम्हे खुद के आंसुओं से मिटा जायेंगे
मज़बूरी है कुछ मेरी अभी कैसे समझाऊं?
गर किसी से नजरे मिली तो मेरी पलकें शर्मा आवाज तुम्हे दे जायेंगे
हम इतनी दूर चले जायेंगे,जहां से यादें भी सफर कर न पायेंगे....

पता है, मैं आज भी रोई हूं.. दिल की धड़कन को थोड़ी बढ़ाई हूं
घबराहट इस तरह से हो रही है मुझे जैसे मेरा आखिरी दिन हो
पर शायद आंखों में वही तस्वीर तेरा मुस्कुराता हुआ छोड़ जायेंगे
हां, थोड़ी जिद्दी बन गई हूं शायद तुम्हारे दर्दों को भूल रही हूं
क्या ऐसा लगता है तुम्हे ? ये सवाल मैं खुद से ही पूछ रही हूं
सुनो मैं भूल नहीं सकती तकिए तले दबे आंसुओं को
गर ऐसा हुआ खुद से रिश्ता तोड़ जायेंगे
हम इतनी दूर चले जायेंगे,जहां से यादें भी सफर कर न पायेंगे....


_Manshi K


Dated: 24.02.2025

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मुसाफ़िर बनकर मिलना ही क्यों था हमें??
मेरी जज़्बातों से खेलना क्यों था तुम्हे??
मैं इतनी बुरी तो नहीं थी तुम्हारी जिंदगी के दूसरे पन्नों में
पहले को संभाल लिया दूसरे को दर्दों में लिपटने के लिए छोड़ दिया...


_Manshi K

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मर्ज दवा की जगह ज़हर बन गई
जिंदगी के फूल अभी खिलने वाले ही थे
लेकिन महकने से पहले ही वीरान शहर बन गई...

कुछ इस तरह से सजाया था खुद को
आंसुओं के बीच खिलाया था खुद को
पहर बदलते ही उसकी जिन्दगी का बुरी खबर बन गई..
- Manshi K

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मैं मर गई तो तुम किसे अपना कहोगे
खैर छोड़ो! याद ना सही
कम से कम तुम मुझे बेवफा तो कहोगे.....
- Manshi K

खुदगर्ज बनना ही बेहतर लगता है
अब इस जालिम दुनियां में
लोग अपना कह कर दर्द बहुत देते हैं
सहारा बनकर अक्सर उन्हीं रास्तों पर
बेसहारा छोड़ देते हैं जहां से सफर शुरू हुआ था,,,,


- Manshi K

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छोड़ देना ही बेहतर लगता है खुद को उलझनों में
किसी को मेरे यादों में आना अब अच्छा नहीं लगता,,,
- Manshi K

जाने क्यों अब खुद से बातें करने का मन करता है?
पर उससे पहले रो कर अक्सर मन शांत हो जाता है,,
- Manshi K

खुशियां मेरी मर गई तो क्या जवाब देंगे तुम्हे??
तेरे जाने के बाद तुम्हे खुद
यकीन हो जाएगा तुम्हारी आंखों पर
खुशियां देना और रुलाने का हक सिर्फ तुम्हारा था,,


_Manshi K

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