hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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ड्रेक्युला 10 - 9 By Mohd Siknandar

This story strated with a small state, Romania in Italy. The ruler of the state, Dracula, was blood thirsty. The country side people was panicked from his terror. He was blessed wi...

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भलाई By Rajesh Mehra

यदि आदमी का मन और कर्म सच्चे हो तो कोई भी उसका कुछ नही बिगाड़ सकता यदि उसपर कोई विपत्ति भी आने वाली होगी तो वह भी ताल जायेगी उसकी भलाई उसकी नही अपितु उसके पूर्वजो का भी उद्दार कर स...

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बीमार By Sonu Dwivedi

शहर के नामी अस्पताल में इलाज के लिए आये एक आम शहरी का अनुभव। वी आई पी कल्चर को समाप्त करने का दावा करते जनप्रतिनिधियों के कथनी और करनी को उजागर करती कहानी।

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होना नारी का… By Rajesh Mehra

नारी जीवन कितना कठिन है उस देश में जहाँ पर नारी को केवल खिलौना ही समझा जाता है, किन्तु वह अपने लिय कभी नही जीती अपना जीवन देकर भी वह अपना वह स्थान नही बना पाती जो उसे मिलना चाहिए

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पड़ोस - National Story Competition-jan By Rajan Dwivedi

यह कहानी एक माध्यम वर्गीय परिवार के उस व्यक्ति से सम्बंधित है जो अपने पड़ोस में होने वाले नकारात्मक परिवर्तन को से बहुत व्यथित है किन्तु लगातार कई दिनों तक अपने पडोसी को न पाकर उ...

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समझौता - National story competition jan By Sonu Dwivedi

ठाकुरों के घर काम करने वाली गरीब लड़की सन्नो का जीवन मे आने वाली कठिनाइयों के साथ संघर्ष, ठाकुरों का उग्र स्वभाव तथा सन्नो का आत्मसम्मान एवम परिस्थितियों के बीच समझौते की कहानी

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समझ... By Pawnesh Dixit

it s the story based upon child vikki who is irritated feels discomfort in company of others. how this goes on in story what happens in his life and he he becomes flexible and int...

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लालच - national story competition jan By Pradeep Mishra

ऐसे निरीह , पीड़ित लोगो को अस्पतालों में इधर-उधर रिरियाते दुत्कारे जाते देख न जाने क्यों भीतर एक टीस सी उठती है .....जो लोग कभी अपनी जिंदगी को गंभीरता से ले पाने की स्थिति में नहीं...

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उसे वचन निभाना था By Bhupendra Kumar Dave

The story is about two brave explorers in Antartica who try to save each other in order to keep the promise made by them, keeping aside their earlier selfish desire to save themsel...

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रेस का घोड़ा - National Story Competition By Alka Pramod

story for ‘National Story Competition-Jan’2018.this is story about a child psychology and modern days parenting.its the social matter and warning for the parents ,wh are over ambit...

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बुआ By महेश रौतेला

अल्मोड़ा में स्थित गांव के परिवेश में उपजी कथा का वर्णन है। बुआ का अपने मैके से असीम प्यार इस कहानी में व्यक्त होता है। साथ हीअन्य जुड़ी घटनाओं से भी कहानी जुड़ी है।

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लिफाफा By महेश रौतेला

लिफाफा:
अच्छी खासी ठंड है।शब्द उड़ते पंछी की तरह आ रहे हैं। इतने में सुधांशु आकर मेरे बगल में बैठ जाता है। कहता है क्या लिख रहे हो मैं उसे कागज थमा देता ।उसके हाथ में तीन लिफाफे ह...

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एक कहानी ऐसी भी By Shruti Mehrotra

मेरा नाम श्रुति मेहरोत्रा है। जब मैं कक्षा 4 में थी तब से ही मुझे पुस्तक पढ़ना बहुत अच्छा लगने लगा और आज मैंने अपनी खुद की पुस्तक लिखीं हैं। मुझे पुस्तक में रुचि दिलाने वालीं मेरी...

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कुंए को बुखार By Omprakash Kshatriya

कमल शहर से गाँव आया हुआ था. उस का दोस्त रोहन गाँव में रहता था. जब उसे पता चला कि रोहन के कुंए को बुखार है. आज उस की जाँच की जाना है तब रोहन और कमल ने क्या किया वे इस के लिया कहाँ...

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ब्‍लू व्‍हेल By Dr Lalit Singh Rajpurohit

मॉं... मॉं... मुझे बचा लों… यह मछली मुझे निगल जाएगी… मॉंSSS...। मयंक समुद्र के पानी में हाथ-पॉंव मारता हुआ किनारे की तरफ तैरता हुआ अपनी मॉं को पुकार रहा था। मेनका किनारे पर बेबस खड...

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इमारत मेरी है By Shobha Rastogi

माँ के लिए बेटी का दर्द

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शराबी पटवारी By Omprakash Kshatriya

पटवारी के बारे में आम धारणा है कि वह बिना पैसे कोई काम नहीं करता है. किसी की हिम्मत नहीं है कि कोई उस की शिकायत करे . अन्यथा उसे ऐसा हथियार मिला हुआ है जिस से वह शिकायतकर्ता को चित...

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चित्रमाला का शीर्षक By Manish Kumar Singh

छ्ल-कपट के द्वारा स्त्री को हासिल करने वाले तथाकथित अक्लमंद लोगों का दाँव कभी-कभी उलटा पड़ जाता है। समाज के नैतिक नियमों को धता बताने वाला अंत में मुँह की खाता है।

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सठिया गयी हो By Savita Mishra

घर मोहल्ले की घुटन भरे वातावरण से निकलकर व्यक्ति पार्क में जाकर कुछ ताज़ी हवा खाता है लेकिन कुछ लोग अपनी प्रवृत्ति के वशीभूत होकर ताज़ी हवा में भी अपने मन मुताबिक दूषित वातावरण अना...

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बेकसूर By Omprakash Kshatriya

उस का कोई कसूर नहीं था फिर उसे सजा क्यों मिली वह समझ नहीं पाई . तभी एक हादसा हो गया. जिस की जिम्मेदार भी वह नहीं थी. आखिर उस ने कौन सा अपराध किया था जिस की सजा वह भुगत रही थी. ज...

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कपूर साहब की फैमिली By Manish Kumar Singh

दुनिया के लिए विज्ञान और नवीन प्रविधियॉ चाहे कितनी भी जरुरी हो, विकास-दर और औद्योगिक विकास कितना भी अहम स्थान रखता हो, इनकी न कोई विचारधारा होती है और न ही मानवीय संवेदना। यह दुनिय...

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सुनैना By Jahnavi Suman

हम अपनी रीतियों और परम्पराओं को आँखें मूंद कर निभाते चले जाते हैं। उसके पीछे छिपे उद्देश्य को नहीं समझ पाते है। कहानी का उद्देश्य सामाजिक परंपराओं के भीतर छिपे मुख्य उद्देश्य को सा...

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आशा By Ravi

आशा, एक आम लड़की जो उम्र के 27वे पड़ाव पर है।
छोटी लगने वाली बातें अक्सर बड़ी होती है। इन्ही बातों तंग आकर वो...आखिर क्या करती है आशा। पढ़िए एक छोटी सी कहानी आशा की कहानी।

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यात्रा, मदारी, सँपेरे और साँप By BALRAM AGARWAL

अभिजात्य वर्ग के कुछ लोगों में पसरे अस्पृश्यता के छद्म को निहायत खिलंदड़े अंदाज में उतारकर सामने रखती कहानी। इस कहानी का नायक शर्मा स्वयं सवर्ण होने के बावजूद ट्रेन की सीट पर फैलक...

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अनमोल क्षण By Bhupendra Kumar Dave

This one is a short story written while observing the passengers waiting at the airport. They had to wait for three long hours and everyone appeared restless. But there was an Indi...

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कहानी सरहद की By Bhupendra Kumar Dave

It is a short story on a jawan who was fighting on border. His friend who was also fighting on the border was mortally wounded, requests this jawan to visit his sister on rakshabha...

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मानसिक अशांति और उपवास By Rajan Dwivedi

व्यवस्था से दुखी शहरी मध्यमवर्गीय परिवार के ऐसे दंपत्ती की कथा जो मानसिक अशांति का हल उपवास में तलाशता है पर उसे धर्म के ठेकेदारों के रवैये से निराशा ही हाथ लगती है ।

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कहानियाँ अपनी सी By Sangeeta Gandhi

जीवनके अलग अलग सन्दर्भों से जुड़ीं तीन कहानियाँ ।कुछ सपने देखती ,बुनती ।कुछ टूटते सपनें चुनतीं परछाइयां । समय के बदलते आयाम और व्यक्ति के जीवन के संघर्ष संजोती कहानियाँ।

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झबरी चुड़ैल और रमकलिया By Rajan Dwivedi

ग्रामीण परिवेश में रची-बसी एक कथा जो ग्रामीण क्षेत्र में व्याप्त अंधविश्वास को रेखांकित करती है और पाठक को सोचने पर विवश करती है कि किस प्रकार समाज का एक बड़ा हिस्सा अपनी रूढ़िवादी...

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पापा कि गुड़िया By Divana Raj bharti

मेहमान के जाते हि पापा और निराश हो गये और बोले,
पापा - राज ये गाँव है, यहाँ शादी में पैसा खर्च करना हि पड़ता है, इसतरह स्टांप पेपर पे कुछ शर्ते लिखकर, कुछ लोगों के हस्ताक्षर ले क...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

रूढ़ियो की जंजीरों में जकड़े हुए पुरुषवादी समाज का एक अंश 21वी शताब्दी में भी नारी-शक्ति की अवहेलना और संविधान प्रदत्त उसके अधिकारों की अवमानना करते हुए उसका तिरस्कार कर रहा है ।...

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समुद्र की रेत By Neetu Singh Renuka

यह कहानी सुब्रमणियन उर्फ़ मणि की है जिनका दफ़्तर में आज आख़िरी दिन है। वे आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पिछले आठ साल से इस दफ़्तर में रहते हुए उन्होंने हर सहकर्मी के बारे मेंं अपनी एक धार...

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पापा कि गुड़िया By Divana Raj bharti

अगले दिन जब मैं शहर वापस आ रहा था, तो मैं शांत और गहरे सोच में दुबा था, क्योंकि गुड़िया कि शादी और दहेज को लेकर हि तरह-तरह के ख्याल मन मे आ रहे थे। हम कहते हैं कि हमारा देश बदल रहा...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

मानवता के झरोखे, नामक कहानी संग्रह का यह तृतीय भाग है । विखंडित होते हुए मानवीय एवं पारिवारिक मूल्य , भारतीय संस्कृति को पीछे छोड़ते हुए बच्चों एवं वृद्धों के प्रति कर्तव्य विमुख ह...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मानवता के झरोखे नामक कहानी संग्रह का द्वितीय भाग है। प्रस्तुत कहानी में मनुष्य के भटकते मन को कथानक का आधार बनाया गया है । उसका अधिकार-मोह किस तरह से उसकी मुक्ति...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

जीवन के वास्तविक अर्थ को भूलकर अर्थ(धन) के पीछे दौड़ते हुए व्यक्ति मानवता को भूलते जा रहे हैं । मानवीय मूल्य विघटित हो रहे हैं और जीवन-दर्शन निरन्तर बदलता जा रहा हैं। इसी विडंबना क...

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दस व्यंग्य कथाएँ By bhagirath

‘गर्मी’ चुनाव में वोटर कोट और पैसे की गर्मी चाहता है व्यवस्था ने वोटर को भ्रष्ट कर दिया है. “दौरा” एस पी साहब का दौरा थानेदार को कितना महंगा-सस्ता पडा !जानने के लिये यह कथा अवश्य...

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सपना By Pawnesh Dixit

कैसे एक व्यक्ति जीवन के झंझावातों से झुझते हुए भी अपने सपने को हर रोज साकार होते हुए देखता है और जब उसके यथार्थ में जब वह सपना पूरा होने वाला होता है तब अचानक नियति क्या करती है

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जमूरा By Pradeep Kumar sah

स्वामी बदलने के साथ जमूरा का स्वभाव भी बदल जाता है, इस तथ्य से अनभिज्ञ पूर्वाग्रही मदारी के हाथ से जमूरा का रास छीन लिया. फिर क्या हुआ पूरा पढ़ने के पश्चात इस तथ्य से अवगत कराया जा...

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वो अकेली लडकी और रात By Khushi Saifi

सब की नज़रों के खोफ से वो कुछ और अपने अंदर सिमट गई। ट्रेन हल्की हल्की सीटी दे कर अपनी पूरी रफ्तार पकड़ चुकी थी। अब ट्रैन से नीचे उतरना ना मुमकिन था -Khushi Saifi

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चचेरी By महेश रौतेला

कहानियां पहले की तरह जन्म लेती रहती हैं।बुद्ध भगवान ने तीन स्थितियों में आदमी को देखा और उनका मन संसार से विरक्त हो गया।इसी तरह लोगों का मन आसक्त भी हो जाता है। शेरू उच्च शिक्षा प्...

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ड्रेक्युला 10 - 9 By Mohd Siknandar

This story strated with a small state, Romania in Italy. The ruler of the state, Dracula, was blood thirsty. The country side people was panicked from his terror. He was blessed wi...

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भलाई By Rajesh Mehra

यदि आदमी का मन और कर्म सच्चे हो तो कोई भी उसका कुछ नही बिगाड़ सकता यदि उसपर कोई विपत्ति भी आने वाली होगी तो वह भी ताल जायेगी उसकी भलाई उसकी नही अपितु उसके पूर्वजो का भी उद्दार कर स...

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बीमार By Sonu Dwivedi

शहर के नामी अस्पताल में इलाज के लिए आये एक आम शहरी का अनुभव। वी आई पी कल्चर को समाप्त करने का दावा करते जनप्रतिनिधियों के कथनी और करनी को उजागर करती कहानी।

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होना नारी का… By Rajesh Mehra

नारी जीवन कितना कठिन है उस देश में जहाँ पर नारी को केवल खिलौना ही समझा जाता है, किन्तु वह अपने लिय कभी नही जीती अपना जीवन देकर भी वह अपना वह स्थान नही बना पाती जो उसे मिलना चाहिए

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पड़ोस - National Story Competition-jan By Rajan Dwivedi

यह कहानी एक माध्यम वर्गीय परिवार के उस व्यक्ति से सम्बंधित है जो अपने पड़ोस में होने वाले नकारात्मक परिवर्तन को से बहुत व्यथित है किन्तु लगातार कई दिनों तक अपने पडोसी को न पाकर उ...

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समझौता - National story competition jan By Sonu Dwivedi

ठाकुरों के घर काम करने वाली गरीब लड़की सन्नो का जीवन मे आने वाली कठिनाइयों के साथ संघर्ष, ठाकुरों का उग्र स्वभाव तथा सन्नो का आत्मसम्मान एवम परिस्थितियों के बीच समझौते की कहानी

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समझ... By Pawnesh Dixit

it s the story based upon child vikki who is irritated feels discomfort in company of others. how this goes on in story what happens in his life and he he becomes flexible and int...

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लालच - national story competition jan By Pradeep Mishra

ऐसे निरीह , पीड़ित लोगो को अस्पतालों में इधर-उधर रिरियाते दुत्कारे जाते देख न जाने क्यों भीतर एक टीस सी उठती है .....जो लोग कभी अपनी जिंदगी को गंभीरता से ले पाने की स्थिति में नहीं...

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उसे वचन निभाना था By Bhupendra Kumar Dave

The story is about two brave explorers in Antartica who try to save each other in order to keep the promise made by them, keeping aside their earlier selfish desire to save themsel...

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रेस का घोड़ा - National Story Competition By Alka Pramod

story for ‘National Story Competition-Jan’2018.this is story about a child psychology and modern days parenting.its the social matter and warning for the parents ,wh are over ambit...

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बुआ By महेश रौतेला

अल्मोड़ा में स्थित गांव के परिवेश में उपजी कथा का वर्णन है। बुआ का अपने मैके से असीम प्यार इस कहानी में व्यक्त होता है। साथ हीअन्य जुड़ी घटनाओं से भी कहानी जुड़ी है।

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लिफाफा By महेश रौतेला

लिफाफा:
अच्छी खासी ठंड है।शब्द उड़ते पंछी की तरह आ रहे हैं। इतने में सुधांशु आकर मेरे बगल में बैठ जाता है। कहता है क्या लिख रहे हो मैं उसे कागज थमा देता ।उसके हाथ में तीन लिफाफे ह...

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एक कहानी ऐसी भी By Shruti Mehrotra

मेरा नाम श्रुति मेहरोत्रा है। जब मैं कक्षा 4 में थी तब से ही मुझे पुस्तक पढ़ना बहुत अच्छा लगने लगा और आज मैंने अपनी खुद की पुस्तक लिखीं हैं। मुझे पुस्तक में रुचि दिलाने वालीं मेरी...

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कुंए को बुखार By Omprakash Kshatriya

कमल शहर से गाँव आया हुआ था. उस का दोस्त रोहन गाँव में रहता था. जब उसे पता चला कि रोहन के कुंए को बुखार है. आज उस की जाँच की जाना है तब रोहन और कमल ने क्या किया वे इस के लिया कहाँ...

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ब्‍लू व्‍हेल By Dr Lalit Singh Rajpurohit

मॉं... मॉं... मुझे बचा लों… यह मछली मुझे निगल जाएगी… मॉंSSS...। मयंक समुद्र के पानी में हाथ-पॉंव मारता हुआ किनारे की तरफ तैरता हुआ अपनी मॉं को पुकार रहा था। मेनका किनारे पर बेबस खड...

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इमारत मेरी है By Shobha Rastogi

माँ के लिए बेटी का दर्द

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शराबी पटवारी By Omprakash Kshatriya

पटवारी के बारे में आम धारणा है कि वह बिना पैसे कोई काम नहीं करता है. किसी की हिम्मत नहीं है कि कोई उस की शिकायत करे . अन्यथा उसे ऐसा हथियार मिला हुआ है जिस से वह शिकायतकर्ता को चित...

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चित्रमाला का शीर्षक By Manish Kumar Singh

छ्ल-कपट के द्वारा स्त्री को हासिल करने वाले तथाकथित अक्लमंद लोगों का दाँव कभी-कभी उलटा पड़ जाता है। समाज के नैतिक नियमों को धता बताने वाला अंत में मुँह की खाता है।

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सठिया गयी हो By Savita Mishra

घर मोहल्ले की घुटन भरे वातावरण से निकलकर व्यक्ति पार्क में जाकर कुछ ताज़ी हवा खाता है लेकिन कुछ लोग अपनी प्रवृत्ति के वशीभूत होकर ताज़ी हवा में भी अपने मन मुताबिक दूषित वातावरण अना...

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बेकसूर By Omprakash Kshatriya

उस का कोई कसूर नहीं था फिर उसे सजा क्यों मिली वह समझ नहीं पाई . तभी एक हादसा हो गया. जिस की जिम्मेदार भी वह नहीं थी. आखिर उस ने कौन सा अपराध किया था जिस की सजा वह भुगत रही थी. ज...

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कपूर साहब की फैमिली By Manish Kumar Singh

दुनिया के लिए विज्ञान और नवीन प्रविधियॉ चाहे कितनी भी जरुरी हो, विकास-दर और औद्योगिक विकास कितना भी अहम स्थान रखता हो, इनकी न कोई विचारधारा होती है और न ही मानवीय संवेदना। यह दुनिय...

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सुनैना By Jahnavi Suman

हम अपनी रीतियों और परम्पराओं को आँखें मूंद कर निभाते चले जाते हैं। उसके पीछे छिपे उद्देश्य को नहीं समझ पाते है। कहानी का उद्देश्य सामाजिक परंपराओं के भीतर छिपे मुख्य उद्देश्य को सा...

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आशा By Ravi

आशा, एक आम लड़की जो उम्र के 27वे पड़ाव पर है।
छोटी लगने वाली बातें अक्सर बड़ी होती है। इन्ही बातों तंग आकर वो...आखिर क्या करती है आशा। पढ़िए एक छोटी सी कहानी आशा की कहानी।

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यात्रा, मदारी, सँपेरे और साँप By BALRAM AGARWAL

अभिजात्य वर्ग के कुछ लोगों में पसरे अस्पृश्यता के छद्म को निहायत खिलंदड़े अंदाज में उतारकर सामने रखती कहानी। इस कहानी का नायक शर्मा स्वयं सवर्ण होने के बावजूद ट्रेन की सीट पर फैलक...

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अनमोल क्षण By Bhupendra Kumar Dave

This one is a short story written while observing the passengers waiting at the airport. They had to wait for three long hours and everyone appeared restless. But there was an Indi...

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कहानी सरहद की By Bhupendra Kumar Dave

It is a short story on a jawan who was fighting on border. His friend who was also fighting on the border was mortally wounded, requests this jawan to visit his sister on rakshabha...

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मानसिक अशांति और उपवास By Rajan Dwivedi

व्यवस्था से दुखी शहरी मध्यमवर्गीय परिवार के ऐसे दंपत्ती की कथा जो मानसिक अशांति का हल उपवास में तलाशता है पर उसे धर्म के ठेकेदारों के रवैये से निराशा ही हाथ लगती है ।

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कहानियाँ अपनी सी By Sangeeta Gandhi

जीवनके अलग अलग सन्दर्भों से जुड़ीं तीन कहानियाँ ।कुछ सपने देखती ,बुनती ।कुछ टूटते सपनें चुनतीं परछाइयां । समय के बदलते आयाम और व्यक्ति के जीवन के संघर्ष संजोती कहानियाँ।

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झबरी चुड़ैल और रमकलिया By Rajan Dwivedi

ग्रामीण परिवेश में रची-बसी एक कथा जो ग्रामीण क्षेत्र में व्याप्त अंधविश्वास को रेखांकित करती है और पाठक को सोचने पर विवश करती है कि किस प्रकार समाज का एक बड़ा हिस्सा अपनी रूढ़िवादी...

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पापा कि गुड़िया By Divana Raj bharti

मेहमान के जाते हि पापा और निराश हो गये और बोले,
पापा - राज ये गाँव है, यहाँ शादी में पैसा खर्च करना हि पड़ता है, इसतरह स्टांप पेपर पे कुछ शर्ते लिखकर, कुछ लोगों के हस्ताक्षर ले क...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

रूढ़ियो की जंजीरों में जकड़े हुए पुरुषवादी समाज का एक अंश 21वी शताब्दी में भी नारी-शक्ति की अवहेलना और संविधान प्रदत्त उसके अधिकारों की अवमानना करते हुए उसका तिरस्कार कर रहा है ।...

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समुद्र की रेत By Neetu Singh Renuka

यह कहानी सुब्रमणियन उर्फ़ मणि की है जिनका दफ़्तर में आज आख़िरी दिन है। वे आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पिछले आठ साल से इस दफ़्तर में रहते हुए उन्होंने हर सहकर्मी के बारे मेंं अपनी एक धार...

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पापा कि गुड़िया By Divana Raj bharti

अगले दिन जब मैं शहर वापस आ रहा था, तो मैं शांत और गहरे सोच में दुबा था, क्योंकि गुड़िया कि शादी और दहेज को लेकर हि तरह-तरह के ख्याल मन मे आ रहे थे। हम कहते हैं कि हमारा देश बदल रहा...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

मानवता के झरोखे, नामक कहानी संग्रह का यह तृतीय भाग है । विखंडित होते हुए मानवीय एवं पारिवारिक मूल्य , भारतीय संस्कृति को पीछे छोड़ते हुए बच्चों एवं वृद्धों के प्रति कर्तव्य विमुख ह...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

प्रस्तुत कहानी मानवता के झरोखे नामक कहानी संग्रह का द्वितीय भाग है। प्रस्तुत कहानी में मनुष्य के भटकते मन को कथानक का आधार बनाया गया है । उसका अधिकार-मोह किस तरह से उसकी मुक्ति...

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मानवता के झरोखे By Dr kavita Tyagi

जीवन के वास्तविक अर्थ को भूलकर अर्थ(धन) के पीछे दौड़ते हुए व्यक्ति मानवता को भूलते जा रहे हैं । मानवीय मूल्य विघटित हो रहे हैं और जीवन-दर्शन निरन्तर बदलता जा रहा हैं। इसी विडंबना क...

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दस व्यंग्य कथाएँ By bhagirath

‘गर्मी’ चुनाव में वोटर कोट और पैसे की गर्मी चाहता है व्यवस्था ने वोटर को भ्रष्ट कर दिया है. “दौरा” एस पी साहब का दौरा थानेदार को कितना महंगा-सस्ता पडा !जानने के लिये यह कथा अवश्य...

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सपना By Pawnesh Dixit

कैसे एक व्यक्ति जीवन के झंझावातों से झुझते हुए भी अपने सपने को हर रोज साकार होते हुए देखता है और जब उसके यथार्थ में जब वह सपना पूरा होने वाला होता है तब अचानक नियति क्या करती है

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जमूरा By Pradeep Kumar sah

स्वामी बदलने के साथ जमूरा का स्वभाव भी बदल जाता है, इस तथ्य से अनभिज्ञ पूर्वाग्रही मदारी के हाथ से जमूरा का रास छीन लिया. फिर क्या हुआ पूरा पढ़ने के पश्चात इस तथ्य से अवगत कराया जा...

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वो अकेली लडकी और रात By Khushi Saifi

सब की नज़रों के खोफ से वो कुछ और अपने अंदर सिमट गई। ट्रेन हल्की हल्की सीटी दे कर अपनी पूरी रफ्तार पकड़ चुकी थी। अब ट्रैन से नीचे उतरना ना मुमकिन था -Khushi Saifi

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चचेरी By महेश रौतेला

कहानियां पहले की तरह जन्म लेती रहती हैं।बुद्ध भगवान ने तीन स्थितियों में आदमी को देखा और उनका मन संसार से विरक्त हो गया।इसी तरह लोगों का मन आसक्त भी हो जाता है। शेरू उच्च शिक्षा प्...

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